Bihar board 12 th संपूर्ण क्रांति subjective question answer

संपूर्ण क्रांति

सम्पूर्ण क्रांति का ऑब्जेक्टिव | Bihar board 12 th संपूर्ण क्रांति subjective| Sampurn kranti Question Answer | Sampurn kranti Ka Question Answer

1. संघर्ष समितियों से जयप्रकाश नारायण की क्या अपेक्षाएँ हैं?

उत्तर – संघर्ष समितियों से जयप्रकाश नारायण की निम्नलिखित अपेक्षाएँ हैं

(i) सभी संघर्ष समितियाँ मिलकर चुनावों में अपना उम्मीदवार खड़ा करें अथवा जो उम्मीदवार खड़े किए जाएँ उनमें से किसी को मान्य करें।

(ii) चुनावों में इन समितियों द्वारा खड़ा किया गया जो भी उम्मीदवार जीते, उसके भावी कार्यक्रमों पर नजर रखने का काम ये समितियाँ करेंगी।

(iii) यदि कोई प्रतिनिधि गलत रास्ता चुनता है तो ये समितियाँ उसको इस्तीफा देने के लिए बाध्य करेंगी।

(iv) इन संघर्ष समितियों का काम केवल शासन से संघर्ष करना ही नहीं है बल्कि समाज के हर अन्याय और अनीति के विरुद्ध संघर्ष करना होगा।

(v) इन समितियों का कार्य सभी अफसरों तथा कर्मचारियों में विद्यमान घूसखोरी के विरुद्ध संघर्ष करना भी होगा।

(vi) जिन बड़े– बड़े किसानों ने बेनामी या फर्जी बन्दोबस्तियों की हैं उनका विरोध भी ये समितियाँ करेंगी।

(vii) गाँवों में तरह– तरह के अन्याय होते हैं, वे समितियाँ उन अन्यायों को भी रोकेंगी।

Bihar board 12 th संपूर्ण क्रांति subjective question answer
Bihar board 12 th संपूर्ण क्रांति subjective question answer

Bihar board 12 th संपूर्ण क्रांति subjective question answer

2. आन्दोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण के क्या विचार थे, आन्दोलन का नेतृत्व किस शर्त पर करते हैं?

उत्तर – आन्दोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण कहते हैं कि मैं सबकी सलाह लूँगा, सबकी बात सुनूँगा। छात्रों की बात जितना भी ज्यादा होगा, जितना भी समय मेरे पास होगा, उनसे बहस करूंगा समझूगा और अधिक से अधिक बात करूँगा। आपकी बात स्वीकार करूँगा, जनसंघर्ष समितियों की लेकिन फैसला मेरा होगा। इस फैसले को सभी को माना होगा। जयप्रकाश आन्दोलन का नेतृत्व अपने फैसले पर करते हैं और कहते हैं कि तब तो इस नेतृत्व का कोई मतलब है, तब यह क्रान्ति सफल हो सकती है। और नहीं, तो आपस की बहसों में पता नहीं हम किधर बिखर जाएंगे और क्या नतीजा निकलेगा?

Bihar board 12 th संपूर्ण क्रांति subjective question answer

3. जयप्रकाश नारायण के छात्र जीवन और अमेरिका प्रवास का परिचय दें। इस अवधि की कौन–कौन सी बातें आपको प्रभावित करती हैं?

उत्तर – जयप्रकाश नारायण का प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुआ था। 1921 ई. की जनवरी महीने में पटना कॉलेज में वे आई–एस. सी. के छात्र थे। उसी समय वे गाँधीजी के असहयोग आन्दोलन के आह्वान पर असहयोग किया और असहयोग के करीब डेढ़ वर्ष ही मेरा जीवन बीता था कि मैं फूलदेव सहाय वर्मा के पास भेज दिया गया कि प्रयोगशाला में कुछ करो और सीखो। मैंने हिन्दू विश्वविद्यालय में दाखिला इसलिए नहीं लिया क्योंकि विश्वविद्यालय को सरकारी मदद 19 सम्म मिलती थी। बिहार विद्यापीठ से परीक्षा पास की। बचपन में स्वामी सत्यदेव के भाषण से प्रभावित होकर अमेरिका गया। ऐसे में कोई धनी घर का नहीं था परन्तु मैंने सुना था कि कोई भी अमेरिका में मजदूरी करके पढ़ सकता है। मेरी इच्छा थी कि आगे पढ़ना है मुझे। अमेरिका के बागानों में मैंने काम किया, कारखानों में काम किया, लोहे के कारखानों में। जहाँ जानवर मारे जाते हैं उन कारखानों में काम किया। जब वे युनिवर्सिटी में पढ़ते ही तब वे छुट्टियों में काम कर इतना कमा लेते थे कि दो–चार विद्यार्थी सस्ते में खा–पी लेते थे। एक कोठरी में कई आदमी मिलकर रहते थे। रविवार की छुट्टी नहीं बल्कि एक घंटा रेस्तरां में होटल में बर्तन धोया या वेटर का काम किया। बराबर दो तीन वर्षों तक दो–तीन लड़के एक ही रजाई में सोकर पढ़े थे। जब बी. ए. पास कर गये तो स्कॉलरशिप मिल गई, तीन महीने के बाद असिस्टेंट हो गये डिपार्टमेंट के ट्यूटोरियल क्लास लेने लगे। अमेरिका प्रवास में जयप्रकाश नारायण के कैलिफोर्निया बर्कले, विलिकंसन मेडिसन आदि कई विश्वविद्यालयों में अध्ययन किया। इस तरह अमरिका में इनका प्रवास रहा।

Bihar board 12 th संपूर्ण क्रांति subjective question answer

संपूर्ण क्रांति

4. जयप्रकाश नारायण कम्युनिस्ट पार्टी में क्यों नहीं शामिल हुए?

उत्तर – जयप्रकाश ने लेनिन से सीखा था कि जो गुलाम देश है, वहाँ के जो कम्युनिस्ट हैं उनको हरगिज वहाँ की आजादी की लड़ाई से अपने को अलग नहीं रखना चाहिए। क्योंकि लड़ाई का नेतृत्व ‘बुजुओ वर्ग’ के हाथ में होता है, पूँजीपतियों के हाथ में होता है। अतः कम्युनिस्टों को अलग नहीं रहना चाहिए। अपने को आइसोलेट नहीं रहना चाहिए। जयप्रकाश देश की आजादी के खातिर कांग्रेस में शामिल हुए क्योंकि कांग्रेस देश का नेतृत्व कर नही थी।

Bihar board 12 th संपूर्ण क्रांति subjective question answer

5. संपूर्ण क्रांति पाठ के आधार पर प्रसंग स्पष्ट करें

(क) अगर कोई डिमॉक्रेसी का दुश्मन है, तो वे लोग दुश्मन हैं जो जनता के शान्तिमय कार्यक्रमों में बाधा डालते हैं उनकी गिरफ्तारियाँ करते हैं, उन पर लाठी चलाते हैं, गोलियाँ चलाते हैं।

उत्तर– प्रस्तुत पंक्तियाँ महान समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ शीर्षक भाषण से ली गई है। इन पंक्तियों में जयप्रकाश नारायण ने लोकतंत्र के दुश्मनों का वर्णन किया है। जयप्रकाश तत्कालीन सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए यह बातें कहते हैं। प्रसंग यह है कि एक पुलिस के उच्चाधिकारी ने कहा कि नाम लेना यहाँ ठीक नहीं होगा कि मैंने दीक्षितजी के मुँह से सुना है कि ‘जयप्रकाश नारायण’ नहीं होते तो बिहार जल गया होता। तब जयप्रकाश नारायण यह सोचते हैं कि यह सारा जयप्रकाश के लिए क्यों होता है? उनके नेतृत्व में यह प्रदर्शन और यह सभा होनेवाली है, क्यों लोगों को रोकते हैं आप? जनता से घबराते हैं आप? जनता के आप प्रतिनिधि हैं? किसकी तरफ से शासन करने बैठे हैं आप? आपकी हिम्मत की पटना आने से लोगों को रोक लें आप? यहाँ लोकतंत्र है और लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति को शान्तिपूर्ण सभा करने का अधिकार है। यदि सरकार यह सब करने से रोकती है तो वह सरकार के निकम्मेपन और नीचता का प्रतीक है।

Bihar board 12 th संपूर्ण क्रांति subjective question answer

(ख) व्यक्ति से नहीं हमें तो नीतियों से झगड़ा है, सिद्धान्तों से झगड़ा है, कार्यों से झगड़ा है।

उत्तर- प्रस्तुत वाक्य जयप्रकाश, नारायण के भाषण ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ से लिया गया है। आन्दोलन के स

मय जयप्रकाश नारायण के कुछ ऐसे मित्र थे जो चाहते थे कि जेपी और इन्दिरा म जी में मेल–मिलाप हो जाए। इसी प्रसंग में जेपी ने कहा है कि उनका किसी व्यक्ति से झगड़ा नहीं है। चाहे वह इन्दिराजी हो या या कोई और उन्हें तो नीतियों से झगड़ा है, सिद्धान्तों से झगड़ा है, कार्यों से झगड़ा है। जो कार्य गलत होंगे जो नीति गलत होगी, जो सिद्धान्त गलत होंगे–चाहे वह कोई भी करे–वे विरोध करेंगे।

Bihar board 12 th संपूर्ण क्रांति subjective question answer

(संपूर्ण क्रांति पाठ का प्रश्नोत्तर)

 

6. बापू और नेहरू की किस विशेषता का उल्लेख जेपी ने अपने भाषण में किया है?

उत्तर – जेपी ने अपने भाषण में बापू एवं नेहरूजी की विशेषताओं का उल्लेख किया है। जयप्रकाश कहते हैं कि जब हम नौजवान थे तब उस जमाने में यह जुर्रत होती थी हमलोगों की बापू के सामने हम कहते थे हम नहीं मानते हैं बापू यह बात। और बापू में इतनी महानता थी कि वे बुरा नहीं मानते थे। फिर भी बुलाकर हमें प्रेम से समझाना चाहते थे समझते थे। जेपी कहते हैं कि जवाहरलाल मुझे मानते बहुत थे। मैं उनका बड़ा आदर और प्रेम करता था परन्तु उनकी कटु आलोचना भी करता था। लेकिन बड़प्पन था कि वे बुरा नही मानते थे। अक्सर वे हमारी आलोचनाओं का बुरा नहीं माना। उनके साथ जो मतभेद था वह परराष्ट्र की नीतियों को लेकर था।

Bihar board 12 th संपूर्ण क्रांति subjective question answer

(संपूर्ण क्रांति पाठ का प्रश्नोत्तर)

7. जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांतिभाषण से आप अपना सबसे प्रिय अंश चुनें और बताएं कि वह सबसे अधिक प्रभावी क्यों लगा?

उत्तर – इस भाषण में हमारा सबसे प्रिय अंश निम्नलिखित हैं–”मित्रो, अमेरिका के बागानों में मैंने काम किया कारखानों में काम किया–लोहे के कारखानों में। जहाँ जानवर मारे जाते हैं, उन कारखाने में काम किया। जब यूनिवर्सिटी में पढ़ता था, छुट्टियों में काम करके इतना कमा लेता था कि कुछ खाना हम तीन–चार विद्यार्थी मिलकर पकाते थे और सस्ते में हम लोग खा–पी लेते थे। एक कोठरी में कई आदमी मिलकर रह लेते थे रुपया बचा लेते थे, कुछ कपड़े खरीदने, कुछ फीस के लिए। और बाकी हर दिन–रविवार को भी छुट्टी नहीं…. एक घंटा रेस्तरां में, होटल में या तो बर्तन धोया या वेटर का काम किया तो शाम को रात का खाना मिल गया, दिन का खाना मिल गया। किराया कहाँ से मकान का हमको आया? बराबर दो–तीन लड़के कितने वर्षों तक दो चारपाई नहीं थी कमरे में एक चारपाई पर मैं और कोई न कोई अमेरिकन लड़का रहता था। हम दोनों साथ सोते ते, एक रजाई हमारी होती थी। इस गरीबी में मैं पढ़ा हूँ। इतवार के दिन या कुछ ‘ऑड टाइम’ में यह जो होटल का काम है–उसको छोड़ करके जूते साफ करने का काम ‘शू शाइन पार्लर’ में उससे ले करके कमोड साफ करने का काम होटलों में करता था। वहाँ जब बी.ए. पास कर लिया, स्कॉलरशिप मिल गई; तीन महीने के बाद असिस्टेंट हो गया डिपार्टमेंट का ‘ट्यूटोरियल क्लास’ लेने लगा, तो कुछ आराम से रहा इस बीच में। इन लोगों से पूछिए। मेरा इतिहास ये जानते हैं और जानकर भी मुझे गालियाँ देते हैं।” यह अंश हमें सबसे अधिक प्रभावी इसलिए लगा क्योंकि इसमें एक विद्यार्थी के कठोर परिश्रम और शिक्षा प्राप्ति के प्रति सच्ची लगन का चित्रण है। जयप्रकाश नारायण जी ने विदेश में रहकर किन कठिनाइयों के बीच अपनी पढ़ाई की इसकी यहाँ मार्मिक अभिव्यक्ति है।

(संपूर्ण क्रांति पाठ का प्रश्नोत्तर)

Bihar board 12 th संपूर्ण क्रांति subjective question answer

8. चुनाव सुधार के बारे में जयप्रकाश जी के प्रमुख सुझाव क्या हैं? उन सुझावों से आप कितना सहमत हैं?

उत्तर – चुनाव सुधार के बारे में जयप्रकाश जी के प्रमुख सुझाव निम्नलिखित हैं–

(i) चुनाव को पद्धति में आमूल परिवर्तन होना चाहिए।

(ii) चुनावों पर होनेवाला खर्च कम करना चाहिए।

(iii) गरीब उम्मीदवारों के चुनाव में भाग लेने का प्रयास करना चाहिए।

(iv) मतदान प्रक्रिया स्वच्छ और स्वतन्त्र हो।

(v) उम्मीदवारों के चयन में मतदाताओं का हाथ वास्तव में हो।

(vi) चुनाव के बाद मतदाताओं का अपने प्रतिनिधियों पर अंकुश हो।

(vii) जन–संघर्ष समितियाँ आम राय से जनता के लिए सही उम्मीदवार का चयन करे।

(संपूर्ण क्रांति पाठ का प्रश्नोत्तर)

Bihar board 12 th संपूर्ण क्रांति subjective question answer

9. दिनकरजी का निधन कहाँ और किन परिस्थितियों में हुआ?

उत्तर – निधन के दिन दिनकर जी जेपी से मिले थे। उसी रात्रि में वे जेपी के मित्र रामनाथजी गोयनका (इंडियन एक्सप्रेस के मालिक) के घर पर मेहमान थे। रात को दिल का दौरा पड़ा। तीन मिनट में उनको अस्पताल पहुंचाता गया। सारी व्यवस्था थी वहाँ पर। सभी डॉ. सब तरह से तैयार थे। दिनकरजी फिर से जिंदा नहीं हो पाए। उसी रात उनका निधन हो गया।

10. भ्रष्टाचार की जड़ क्या है? क्या आप जेपी से सहमत हैं? इसे दूर करने के लिए क्या सुझाव देंगे?

उत्तर – हमारी नजर में भ्रष्टाचार की जड़ सरकार की गलत नीतियाँ हैं। इन गलत नीतियों के कारण भूख है, महँगाई है, भ्रष्टाचार है कोई काम जनता का नहीं निकलता है बगैर रिश्वत दिए। सरकारी दफ्तरों में बैंकों में, हर जगह, टिकट लेना है उसमें जहाँ भी हो, रिश्वत के बगैर काम नहीं होता। हर प्रकार के अन्याय के नीचे जनता दब रही है। शिक्षण–संस्थाएँ भ्रष्ट हो रही है। हमारे नौजवानों का भविष्य अंधेरे में पड़ा हुआ है। जीवन उनका नष्ट हो रहा है इस प्रकार चारों ओर भ्रष्टाचार व्याप्त है। इसे दूर करने के लिए समाजवादी तरीके से सरकार ऐसी नीतियाँ बनाएँ जो लोककल्याणकारी हो।

Bihar board 12 th संपूर्ण क्रांति subjective question answer

11. दलविहीन लोकतंत्र और साम्यवाद में कैसा संबंध है?

उत्तर – दलविहीन लोकतंत्र सर्वोदय विचार का मुख्य राजनीतिक सिद्धान्त है और ग्राम सभाओं के आधार पर दलविहीन प्रतिनिधित्व स्थापित हो। दलविहीन लोकतंत्र तो मार्क्सवाद तथा लेनिनवाद के मूल उद्देश्यों में से है। मार्क्सवाद के अनुसार समाज जैसे–जैसे साम्यवाद की ओर बढ़ता जाएगा, वैसे–वैसे राज्य–स्टेट का क्षय होता जाएगा और अंत में एक स्टेटलेस सोसाइटी कायम होगी। वह समाज अवश्य ही लोकतांत्रिक होगी, बल्कि उसी समाज में लोकतंत्र का सच्चा स्वरूप प्रकट होगा और वह लोकतंत्र निश्चय ही दलविहीन होगा।

सम्पूर्ण क्रांति

संपूर्ण क्रांति

facebook

youtube channel
Whatsapp Channel
Telegram channel

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *