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विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव
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विद्युत पाठ 12 | Electricity Chapter 12 विद्युत विधुत धारा– आवेश के प्रवाह को विधुत धारा कहते हैं। चालक– ऐसे पदार्थ जिनसे होकर विधुत आवेश एक भाग से दूसरे भाग तक जाता है, चालक कहे जाते हैं। जैसे- धातु, मनुष्य या जानवर का शरीर, पृथ्वी आदि। विधुतरोधी– ऐसे पदार्थ जिनसे होकर विधुत आवेश एक भाग से दूसरे
मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार | The Human Eye and the Colourful World Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार मानव नेत्र : वायुमंडलीय अपवर्तन : वर्ण–विक्षेपण मानव नेत्र– मानव नेत्र या आँख एक अद्भुत प्रकृति प्रदत्त प्रकाशीय यंत्र है। बनावट– मानव नेत्र या आँख लगभग गोलिय होता है। आँख के गोले कोनेत्रगोलक कहते हैं। नेत्रगोलक की सबसे बाहरी परत
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प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन | Reflection and Refraction of Light in Science कक्षा-10 विज्ञान (भौतिकी विज्ञान) पाठ-01 प्रकाश के परावर्तन तथा अपवर्तन ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर 2023 : प्रकाश के परावर्तन तथा अपवर्तन का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन यहां पर दिया गया है। जो मैट्रिक परीक्षा 2023 के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। तथा प्रकाश के परावर्तन तथा अपवर्तन
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प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन | Prakritik Sansadhan ka Prabandhan 16. प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन हमारे चारों ओर की भूमि, जल और वायु से मिलकर बना यह पर्यावरण, हमें प्रकृति से विरासत में मिला है जिसे सहेज कर रखना हम सबों का दायित्व है। अनेक राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय नियम व कानून पर्यावरण को
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हमारा पर्यावरण कक्षा 10 विज्ञान | Hamara Paryavaran Class 10th Science in Hindi 15. हमारा पर्यावरण किसी जीव के चारों ओर फैली हुई भौतिक या अजैव और जैव कारकों से निर्मित दुनिया जिसमें वह निवास करता है एवं जिससे वह प्रभावित होता है, उसे उसका पर्यावरण या वातावरण कहा जाता है। उदाहरण के
ऊर्जा के स्त्रोत | Sources of Energy in Science Chapte 14 ऊर्जा के स्त्रोत ऊर्जा– कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। जब किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता होती है तो हम कहते हैं कि वस्तु में ऊर्जा है। ऊर्जा के अनेक रूप हैं। जैसे यांत्रिक ऊर्जा ( जिसमें गतिज
अनुवांशिकता एवं जैव विकास | Heredity and Biological Evolution in Science Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास विभिन्नता जीव के ऐसे गुण हैं जो उसे अपने जनकों अथवा अपनी ही जाति के अन्य सदस्यों के उसी गुण के मूल स्वरूप से भिन्नता को दर्शाते हैं। विभिन्नताएँ दो प्रकार की होती हैं- जननिक तथा
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