class 12 th chapter 13 history questions Answer

class 12 th chapter 13 history

 1  कतोस में उग्रवादियों की भूमिका का परीक्षण करें।

19वीं शताब्दी के अंतिम चरण और 20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में उग्रवादी आन्दोलन का विकास हुआ। इस आन्दोलन का केन्द्र बंगाल था, यद्यपि भारत के अन्य भागों में यह आन्दोलन प्रभावशाली था। इस आन्दोलन में अधिकांश शिक्षित मध्यम वर्ग के युवा शामिल थे। इसमें महाराष्ट्र के चापेकर बंधु बंगाल के अरबिन्दु घोष, पंजाब के लाला लाजपत राय, लाला हरदयाल प्रमुख थे। इन्होंने अपने त्याग, बलिदान और देश प्रेम की भावना से भारतीयों में एक नई आशा और उत्साह का सृजन किया। उनका प्रभाव राष्ट्रीय आन्दोलन पर व्यापक रूप से पड़ा।

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(2014A)

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2. असहयोग आंदोलन के कारणों का प्रकाश डालें।

19वीं शताब्दी के अंतिम चरण और 20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में उग्रवादी आन्दोलन का विकास हुआ। इस आन्दोलन का केन्द्र बंगाल था, यद्यपि भारत के अन्य भागों में यह आन्दोलन प्रभावशाली था। इस आन्दोलन में अधिकांश शिक्षित मध्यम वर्ग के युवा शामिल थे। इसमें महाराष्ट्र के चापेकर बंधु बंगाल के अरबिन्दु घोष, पंजाब के लाला लाजपत राय, लाला हरदयाल प्रमुख थे। इन्होंने अपने त्याग, बलिदान और देश प्रेम की भावना से भारतीयों में एक नई आशा और उत्साह का सृजन किया। उनका प्रभाव राष्ट्रीय आन्दोलन पर व्यापक रूप से पड़ा।

(2015A1

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३. स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश

स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण है। इन्होंने 1917 ई० में चंपारण आंदोलन से भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में प्रवेश किया। 1919 ई० में रॉलेट सत्याग्रह, 1920 ई० असहयोग आंदोलन, 1930 ई० में सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा 1942 ई० में भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया। गाँधी जी राजनीतिक आंदोलन के साथ-साथ स्वदेशी, हिन्दू मुस्लिम

डालिए।/20140.2017A

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३. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गाँधी के योगदान किस प्रकार महत्वपूर्ण थे?

प्रचलन पर बल दिया। देश में सांप्रदायिक सौहार्द की स्थापना के लिए

हिन्दू मुस्लिम एकता पर बल दिया। सामाजिक कुरुतियों छुआछूत, अशिक्षा,

महिला उत्पीड़न आदि को खत्म करने पर बल दिया। गाँधीजी के नेतृत्व में ही चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन चलाया गया। इन्हीं के प्रयासों से ही अंततः भारत को 15 अगस्त, 1947 ई० को स्वतंत्रता मिली।
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(2015A.2017A)

5. साइमन कमीशन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।


जॉन साइमन की अध्यक्षता में 1927 में भारतीय संवैधानिक आयोग की स्थापना की गयी थी। इसका उद्देश्य था 1919 के अधिनियम तहत उत्तरदायी शासन की स्थापना की दशा में किये गये कार्यों की समीक्षा करना था। इस आयोग के सभी सदस्य अंग्रेज थे। इसमें एक भी भारतीय सदस्य नहीं थे। इसे भारतीयों ने पूरे राष्ट्र का अपमान माना। इसलिए 1928 में जब कमीशन भारत आया तो इसका स्वागत काले झंडों से किया गया और ‘साइमन वापस जाओ’ का नारा बुलंद किया गया। लाहौर में साइमन कमीशन के विरुद्ध प्रदर्शन करते हुए लाला लाजपत राय पुलिस की लाठी से जख्मी हुए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। साइमन कमीशन अपनी रिपोर्ट में द्वैध शासन-व्यवस्था को समाप्त कर प्रान्तीय स्वायतता स्थापित करने का सुझाव दिया था।
[2018A1

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6. रॉलेट एक्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान क्रांतिकारी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में एक राजद्रोह समिति का गठन किया। इस समिति के सुझाव पर 1919 में रॉलेट ऐक्ट पारित किया गया। इसके अनुसार क्रांतिकारी गतिविधियों में संलग्न व्यक्तियों को मात्र संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता था। ऐसे व्यक्तियों पर गुप्त रूप से मुकदमे चलाने एवं इसके विरुद्ध अपील स्वीकृत नहीं करने की व्यवस्था थी। भारतीयों में इस कानून की व्यापक प्रतिक्रिया हुई। इसे काला कानून की संज्ञा दी गयी। भारतीयों ने इस कानून के विरोध में “कोई वकील नहीं, कोई दलील नहीं, कोई अपील नहीं” का नारा दिया। इस कानून के विरोध में जिन्ना, मदनमोहन मालवीय और मजरूल हक ने केन्द्रीय व्यवस्थापिका सभा से त्यागपत्र दे दिया। अनेक स्थानों पर हड़ताल एवं प्रदर्शन हुये। इसी कानून के विरोध में कांग्रेस ने महात्मा गाँधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन शुरू किया।प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान क्रांतिकारी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में एक राजद्रोह समिति का गठन किया। इस समिति के सुझाव पर 1919 में रॉलेट ऐक्ट पारित किया गया। इसके अनुसार क्रांतिकारी गतिविधियों में संलग्न व्यक्तियों को मात्र संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता था। ऐसे व्यक्तियों पर गुप्त रूप से मुकदमे चलाने एवं इसके विरुद्ध अपील स्वीकृत नहीं करने की व्यवस्था थी। भारतीयों में इस कानून की व्यापक प्रतिक्रिया हुई। इसे काला कानून की संज्ञा दी गयी। भारतीयों ने इस कानून के विरोध में “कोई वकील नहीं, कोई दलील नहीं, कोई अपील नहीं” का नारा दिया। इस कानून के विरोध में जिन्ना, मदनमोहन मालवीय और मजरूल हक ने केन्द्रीय व्यवस्थापिका सभा से त्यागपत्र दे दिया। अनेक स्थानों पर हड़ताल एवं प्रदर्शन हुये। इसी कानून के विरोध में कांग्रेस ने महात्मा गाँधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन शुरू किया।

[2015A.2016A 2019A/

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7. सविनय अवज्ञा आंदोलन के दो कारण लिखें।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के दो कारण निम्नलिखित हैं-

(1) आर्थिक शोषण-अंग्रेजों द्वारा भारत का बड़े पैमाने पर आर्थिक शोषण किया जा रहा था। नमक जैसे नैसर्गिक चीजों पर भी कर बढ़ा दिए। इससे भारतीयों में असंतोष बढ़ने लगा।

(ii) क्रांतिकारी घटनाओं का प्रभाव असहयोग आंदोलन के बाद देश में क्रांतिकारी घटनाओं की वृद्धि होने लगी थी। भारत के नवयुवकों में हिंसा की राजनीति घर करने लगी। इससे उबरने के लिए गाँधीजी द्वारा अहिंसक तरीके से 1930 ई० में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की।
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[20194)

8. चम्पारण आन्दोलन के क्या कारण थे?/ 2015A, 2018A,2019A 2020A 2024A)

 भारत में महात्मा गाँधी अपनी सक्रिय राजनीति की शुरुआत चम्पारण सत्याग्रह से की थी। उत्तर बिहार के चम्पारण में नील की खेती होती थी। 19 वीं सदी के प्रारंभ में यूरोपीय बागान मालिकों ने चम्पारण के किसान के साथ एक अनुबंध किया जिसके अनुसार किसानों को अपनी जमीन के वें हिस्से में नील की खेती करना अनिवार्य था। इसे ‘तिनकठिया पद्धति’ कहा जाता था। किसान इस अनुबंध से मुक्त होना चाहते थे। 1917 में चम्पारण के किसान राजकुमार शुक्ल के अनुरोध पर गाँधीजी चम्पारण पहुँचे। चम्पारण पहुँचकर उन्होंने किसानों की समस्याओं को सुना और सही पाया। गाँधीजी के प्रयासों से सरकार ने चम्पारण के किसानों कि स्थिति की जाँच हेतु एक आयोग नियुक्त किया। अन्त में गाँधीजी की विजय हुई और तिनकठिया पद्धति समाप्त हुई।

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9. कब और क्यों साइमन कमीशन भारत आया?

(2020A)

साइमन कमीशन भारत 3 फरवरी, 1928 ई० को आया था। साइमन कमीशन के भारत आगमन का मुख्य कारण था भारत में संविधानिक सुधारों का अध्ययन करना। इसमें कोई भारतीय सदस्य नहीं था। इसी कारण साइमन कमीशन का पूरे देश में विरोध हुआ।
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11. गाँधी जी के प्रारंभिक आंदोलन कहाँ-कहाँ हुए थे और क्यों?

गाँधीजी के प्रारंभिक आंदोलन 1917 ई० किसानों की समस्या को दूर करने के लिए चंपारण आंदोलन हुए। इसका मुख्य कारण अंग्रेज नील मिल मालिकों द्वारा किसानों का शोषण करना था। 1918 ई० में अहमदाबाद के सूती वस्त्र उद्योग के मजदूरों की समस्या को दूर करने के लिए आंदोलन किये। 1918 ई० में ही गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों द्वारा अधिक भू लगान के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया। गाँधीजी के प्रारंभिक तीनों आंदोलन स्थानीय थे तथा इसमें इन्हें सफलता मिली थी।

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10. अंग्रेजों ने भारत क्यों छोड़ा ? किन्हीं दो कारणों की चर्चा करें।

(20204)

10. अंग्रेजों ने 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्र कर दिया। अंग्रेजों द्वारा भारत के छोड़े जाने के दो कारण निम्न हैं

(i) द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटेन को काफी आर्थिक हानि हुई थी। अब उसके पास इतने संसाधन नहीं थे कि भारत पर प्रभावी नियंत्रण बना सके।

(ii) भारतीय लोगों में राष्ट्रीय जागृति आ चुकी थी। वे किसी भी कीमत पर भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करना चाहते थे।

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12. पूना पैक्ट के बारे में आप क्या जानते हैं?

पूना पैक्ट अम्बेडकर और महात्मा गाँधी के बीच पुणे की यरवदा जेल में 1932 को हुआ था। इसमें अंग्रेजी सरकार की सांप्रदायिक पंचाट को अस्वीकार किया गया क्योंकि इसमें हरिजनों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र की बात की गई थी। इसकी जगह पूना पैक्ट में हरिजनों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ा दी गई थी।

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[2021AJ

13. महात्मा गाँधी के आरंभिक जीवन का संक्षिप्त विवरण दें।

[2021A]

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई० को पोरबंदर में हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी एवं माता का पुतली बाई था। इन्होंने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई की सर्वप्रथम सत्याग्रह का प्रयोग दक्षिण अफ्रीका से की। 1915 ई० में दक्षिण अफ्रीका से भारत आए। यहाँ चंपारण आंदोलन, खेड़ा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन एवं भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया। इनके प्रयासों से ही अंततः भारत को स्वतंत्रता मिली।

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14. कम्यूनल अवार्ड क्या था?

[2021A)


कम्यूनल अवार्ड अंग्रेजों द्वारा हिन्दू समाज को विभाजित करने का एक षड्यंत्र था। इसके तहत अछूतों को पृथक निर्वाचन के रूप में अपने प्रतिनिधि स्वयं चुनने का अधिकार दिया गया था। इसमें दलितों को दो वोट एक अपने प्रतिनिधि तथा दूसरा सामान्य वर्ग के प्रतिनिधि को चुनने का अधिकार दिया गया था। बाद में 1932 ई० में पुना समझौता के तहत इसे रद्द कर दिया गया।
15. क्रिप्स मिशन भारत कब आया? इस मिशन के अध्यक्ष कौन थे? (20224)


. क्रिप्स मिशन भारत द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1942 ई० में भारत आया था। इस मिशन के अध्यक्ष सर स्टैफोर्ड क्रिप्स थे। इसने युद्ध के बाद भारत में संवैधानिक सुधार का प्रस्ताव दिया जिसे भारतीय नेताओं ने अस्वीकार कर दिया था।

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16. 1929 ई० में आयोजित कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन किन दो कारणों से महत्त्वपूर्ण माना जाता है?

[20234]1929 ई० में आयोजित कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन दो कारणों से महत्त्वपूर्ण माना जाता है-

(i) इस अधिवेशन में ही कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य को अपना मुख्य लक्ष्य घोषित किया था।

(ii) इसी अधिवेशन में गाँधीजी के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने की घोषणा की गई थी।

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17. भारत छोड़ो आंदोलन के दो कारण बताइए।

[2023A]


भारत छोड़ो आंदोलन के दो कारण निम्न थे-

(i) द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों द्वारा भारत को शामिल करना

(ii) क्रिप्स मिशन की असफलता के कारण भी भारत छोड़ो आंदोलन

शुरू हुआ।

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18. चार उग्रवादी नेताओं के नाम लिखें।

[2024A)

चार उग्रवादी नेताओं के नाम-

(i) लाला लाजपत राय

(ii) बाल गंगाधर तिलक

(iii) विपिन चन्द्र पाल

(iv) अरविन्द घोष

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19. चौरी चौरा घटना क्या थी?

[20254.20244)

5 फरवरी, 1922 को गोरखपुर जिले (उत्तर प्रदेश के चौरी-चौरा नामक स्थान पर निहत्थे आंदोलनकारियों पर स्थानीय पुलिस ने लाठी चार्च किया, जिसके प्रतिक्रियास्वरूप भीड़ ने थाने पर हमला करके 22 पुलिस कर्मियों को जिन्दा जला दिया। इसी घटना को चौरी-चौरा घटना कहते हैं।

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20. स्वराज पार्टी की स्थापना कब हुई और किसने की?

[2024A]

. चितरंजनदास और मोतीलाल नेहरू ने 1 जनवरी, 1923 ई० को इलाहाबाद में स्वराज्य पार्टी की स्थापना की।

21. दूसरा गोलमेज सम्मेलन क्यों असफल हुआ?

(2025A)


दूसरा गोलमेज सम्मेलन साम्प्रदायिक मुद्दों के कारण विफल रहा। दलित समुदाय के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र की माँग पर डॉ० बी० आर० अम्बेडकर

22. सरदार वल्लभभाई पटेल ने अल्पसंख्यकों के लिए पृथक निर्वाचिका के प्रस्ताव का विरोध क्यों किया?

[2025A]

सरदार पटेल ने पृथक निर्वाचिका के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा था कि यह विषय देश की पूरी राजनीति में गहराई से प्रवेश कर चुका है और इसके चलते राष्ट्र का बंटवारा भी हो चुका है। उन्होंने माना कि अगर देश में स्थायी शांति कायम करनी है तो इस प्रणाली को तुरंत खत्म करना जरूरी है।
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23. जलियाँवाला बाग हत्याकांड क्यों हुआ?


(2025A)
रॉलेट ऐक्ट का विरोध गाँधी सहित देश के अन्य नेताओं द्वारा विभिन्न भागों में किया गया। इसी एक्ट द्वारा पंजाब के दो लोकप्रिय नेता डॉ. सनपाल एवं डॉ. किचलु के गिरफ्तारी के विरोध में अमृतसर के जालियाँवाला बाग में हजारों लोग शांतिपूर्ण ढंग से सभा कर रहे थे। बिना चेतावनी दिए पंजाब के तत्कालीन सैन्य अधिकारी डायर ने गोलियाँ चलाने का आदेश दिया। इस बाग में केवल एक ही सँकरा दरवाजा था। इससे जनता में अफरा-तफरी मच गयी और लोग वाहर नहीं निकल सकें। इस गोलीकाण्ड में करीब 379-1500 लोग मारे गये और हजारों की संख्या में घायल हुये। इस घटना से पूरा देश स्तब्ध रह गया और इसके विरोध में गाँधीजी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन शुरू की गई।

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