Bihar Board Class 9 History Chapter 5 Solutions – जर्मनी में नाजीवाद का उदय

Bihar Board Class 9 History Chapter 5 Solutions – जर्मनी में नाजीवाद का उदय

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Bihar Board Class 9 History Chapter 5 Solutions – जर्मनी में नाजीवाद का उदय

Bihar Board class 9 History chapter 5 – बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1. हिटलर का जन्म कहाँ हुआ था ?

(क) जर्मनी
(ख) इटली
(ग) जापान
(घ) आस्ट्रिया

उत्तर- (घ) आस्ट्रिया

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प्रश्न 2. नाजी पार्टी का प्रतीक चिह्न क्या था?

(क) लाल झंडा
(ख) स्वास्तिक
(ग) ब्लैक शर्ट
(घ) कबूतर

उत्तर- (ख) स्वास्तिक

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प्रश्न 3. ‘मीनकेम्फ’ किसकी रचना है ?

(क) मुसोलनी
(ख) हिटलर
(ग) हिण्डेनवर्ग
(घ) स्ट्रेसमैन

उत्तर- (ख) हिटलर

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प्रश्न 4. जर्मनी का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र था

(क) आल्सस-लॉरेन
(ख) रूर
(ग) इवानो
(घ) बर्लिन

उत्तर- (ख) रूर

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प्रश्न 5. जर्मनी की मुद्रा का नाम क्या था ?

(क) डॉलर
(ख) पौंड
(ग) मार्क
(घ) रूबल

उत्तर- (ग) मार्क

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रिक्त स्थान की पूर्ति करें

  1. हिटलर का जन्म 20 अप्रैल, 1889 ई० में हुआ था।

  2. हिटलर जर्मनी के चांसलर का पद 30 जनवरी, 1933 ई० में संभाला था।

  3. जर्मनी ने राष्ट्रसंघ से संबंध विच्छेद1933 ई० में किया था।

  4. नाजीवाद का प्रवर्तक हिटलर था।

  5. जर्मनी के निम्न सदन को राइख स्टैग…………… कहा जाता था।

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स्तम्भ ‘क’ और स्तम्भ ‘ख’ से मिलान करें-

उत्तर-

स्तम्भ ‘क’ स्तम्भ ‘ख’
(i) गेस्टापो (ग) गुप्तचर पुलिस
(ii) वाइमर (क) जर्मनी का शहर
(iii) सिनेगाँव (ख) यहूदियों के प्रार्थनागृह
(iv) ब्राउन शर्टस (घ) निजी सेना
(v) हिंडेनबर्ग (ङ) जर्मनी राष्ट्रपति

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Bihar Board class 9 History chapter 5 – सही और गलत :

प्रश्न 1. हिटलर लोकतंत्र का समर्थक नहीं था। – सही

प्रश्न 2. नाजीवादी कार्यक्रम यहूदी समर्थक था। – सही

प्रश्न 3. नाजीवाद में निरंकुश सरकार का प्रावधान था। – सही

प्रश्न 4. वर्साय संधि में हिटलर के उत्कर्ष के बीज निहित थे। – सही

 प्रश्न 5. नाजीवाद में सैनिक शक्ति एवं हिंसा को गौरवान्वित किया जाता है। – सही

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. टिप्पणी लिखें

(i) तानाशाह
(ii) वर्साय संधि
(iii) तुष्टिकरण की नीति
(iv) वाइमर गणराज्य
(v) साम्यवाद
(vi) तृतीय राइख

उत्तर-

(i) तानाशाह – एक ऐसा शासन प्रणाली जहां एक व्यक्ति अपनी इच्छानुसार निरंकुश रूप से शासन करता है और जनता के पास कोई अधिकार नहीं होता।
(ii) वर्साय संधि – प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी पर कठोर शर्तें थोपने के लिए फ्रांस के वर्साय शहर में 28 जून, 1919 को विजेता देशों द्वारा की गई संधि।
(iii) तुष्टिकरण की नीति – किसी आक्रामक शक्ति की गतिविधियों को चुपचाप स्वीकार कर लेना, उनका विरोध न करना। जैसे ब्रिटेन और फ्रांस ने हिटलर की आक्रामक नीतियों का विरोध नहीं किया।
(iv) वाइमर गणराज्य – जर्मनी का नया लोकतांत्रिक संविधान जो 1919 में वाइमर शहर में बनाया गया था। इसलिए इसे वाइमर गणराज्य कहा गया।
(v) साम्यवाद – एक ऐसी राजनीतिक व आर्थिक व्यवस्था जिसमें उत्पादन के साधनों पर समाज का नियंत्रण होता है और सभी लोगों के लिए समानता और न्याय की भावना होती है।
(vi) तृतीय राइख – 1933 में हिटलर के चांसलर बनने के बाद जर्मनी में स्थापित नाजी शासन जिसका नाम ‘तृतीय राइख’ या तीसरा जर्मन साम्राज्य था।

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Bihar Board class 9 History chapter 5 – लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. वर्साय संधि ने हिटलर के उदय की पृष्ठभूमि कैसे तैयार की?

उत्तर: वर्साय संधि ने जर्मनी पर कठोर शर्तें लादीं जिससे जर्मन जनता में गहरा अपमान और क्रोध फैल गया। हिटलर ने इसी भावना का लाभ उठाया। उसने अपने भाषणों में वर्साय संधि को ‘राजमार्ग की डकैती’ करार दिया और इसके विरुद्ध जनता को भड़काया। हिटलर ने जर्मन गौरव को पुनर्स्थापित करने का वादा किया जिससे जनता उसकी ओर आकृष्ट हुई। इस प्रकार वर्साय संधि ने हिटलर के उदय की भूमिका तैयार की।

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प्रश्न 2. वाइमर गणतंत्र नाजीवाद के उदय में कैसे सहायक बना?

उत्तर: वाइमर गणतंत्र की कई कमजोरियों ने नाजीवाद के उदय को बढ़ावा दिया। वर्साय संधि की कठोर शर्तों, महंगाई, बेरोजगारी और 1929 की महामंदी ने गणतंत्र को कमजोर कर दिया। सेना भी असंतुष्ट थी। इन समस्याओं का फायदा उठाते हुए हिटलर ने गणतंत्र का विरोध किया और नाजीवाद को बढ़ावा दिया। जनता भी गणतंत्र से निराश थी इसलिए हिटलर को अवसर मिल गया।

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प्रश्न 3. नाजीवाद कार्यक्रम ने द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि कैसे तैयार की?

उत्तर: नाजीवाद कार्यक्रम ने निम्न तरीकों से द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की:

  1. लोकतंत्र और उदारवाद के विरोध से जर्मनी में अशांति फैली।

  2. समाजवाद का विरोध करके हिटलर ने पूंजीपतियों का समर्थन प्राप्त किया जिससे उसकी शक्ति बढ़ी।

  3. उग्र राष्ट्रवाद की नीति से विरोधियों का दमन और एकल पार्टी व नेतृत्व का बोलबाला हुआ।

  4. इन कारणों से नाजी जर्मनी अन्य देशों पर आक्रमण करने लगी जिससे द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ गया।

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प्रश्न 4. क्या साम्यवाद के भय ने जर्मन पूँजीपतियों को हिटलर का समर्थक बनाया?

उत्तर: हाँ, साम्यवाद के भय ने जर्मन पूँजीपतियों को हिटलर का समर्थक बनाया। रूसी क्रांति के बाद जर्मनी में भी साम्यवादी आंदोलन तेजी से फैल रहा था। साम्यवाद में उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व समाप्त हो जाता है और उद्योगों पर मजदूरों का नियंत्रण हो जाता है। इसलिए जर्मन पूँजीपति वर्ग इससे बहुत डरा हुआ था। हिटलर ने साम्यवाद का विरोध किया और पूंजीवाद की रक्षा का वादा किया। इसलिए पूँजीपतियों ने हिटलर का समर्थन किया और उसके उदय में मदद की।

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प्रश्न 5. रोम-बर्लिन-टोकियो धुरी क्या है?

उत्तर: रोम-बर्लिन-टोकियो धुरी एक गठबंधन था जिसमें नाजी जर्मनी, फासीवादी इटली और जापान शामिल थे। इसकी शुरुआत 1936 में हुई जब जर्मनी और जापान ने साम्यवाद के विरुद्ध एक समझौता किया। बाद में 1940 में इटली भी इस गठबंधन में शामिल हो गया। इस धुरी का उद्देश्य साम्यवादी देशों का विरोध करना और अपने देशों के हितों को आगे बढ़ाना था। यह गठबंधन द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. हिटलर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालें।

उत्तर- हिटलर का व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली और विवादास्पद रहा है। निम्न बिंदु इसे स्पष्ट करते हैं:

  1. एडोल्फ हिटलर का जन्म 1889 में आस्ट्रिया के एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन से ही उसमें असाधारण प्रतिभा और नेतृत्व क्षमता थी।

  2. प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी की ओर से लड़ने पर उसे वीरता पुरस्कार ‘आयरन क्रॉस’ से सम्मानित किया गया।

  3. 1921 में उसने नाजी पार्टी की स्थापना की और जर्मनी की सत्ता हासिल करने का लक्ष्य बनाया। अपनी कटु भाषणकला से वह जनता को मंत्रमुग्ध कर लेता था।

  4. 1933 में वह जर्मनी का चांसलर बना और बाद में ‘फ्यूहरर’ बन गया। उसने ‘एक देश, एक जाति, एक नेता’ का नारा दिया।

  5. उसका व्यक्तित्व प्रेरक और आकर्षक था। वह जानता था कि जर्मन लोग वर्साय संधि के अपमान से क्षुब्ध हैं। इसलिए उसने इस भावना का लाभ उठाकर जनता को आकर्षित किया।

  6. हालांकि, उसकी नाजीवादी और साम्राज्यवादी विचारधारा ने दूसरे विश्वयुद्ध को जन्म दिया और लाखों लोगों की जान गई।

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प्रश्न 2: हिटलर की विदेश नीति जर्मनी की खोई प्रतिष्ठा प्राप्त करने का एक साधन थी। कैसे?

उत्तर: हिटलर की विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य प्रथम विश्व युद्ध के बाद वर्साय संधि द्वारा अपमानित जर्मनी की खोई गरिमा और प्रभुत्व को फिर से स्थापित करना था। इसके लिए उसने निम्नलिखित कदम उठाए:

  1. जर्मनी ने 1933 में राष्ट्रसंघ का सदस्य बनना छोड़ दिया क्योंकि वह वर्साय संधि की शर्तों को स्वीकार नहीं करना चाहता था।

  2. 1935 में उसने वर्साय संधि को खारिज कर दिया और शस्त्रीकरण शुरू कर दिया।

  3. उसने पोलैंड और ब्रिटेन के साथ समझौते किए ताकि उनसे संबंध बेहतर बनें और जर्मनी की शक्ति बढ़े।

  4. इटली के साथ मिलकर उसने रोम-बर्लिन धुरी बनाई और जापान के साथ मिलकर साम्यवाद-विरोधी गठबंधन किया।

  5. आस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया पर कब्जा करके जर्मन भाषी इलाकों को अपने साम्राज्य में मिला लिया।

इस तरह विभिन्न कूटनीतिक और सैन्य कदमों द्वारा हिटलर ने जर्मनी को फिर से शक्तिशाली बनाने और उसकी खोई गरिमा को पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया।

प्रश्न 3: नाजीवादी दर्शन निरंकुशता का समर्थक एवं लोकतंत्र का विरोध था। विवेचना कीजिए।

उत्तर: नाजीवादी दर्शन का मुख्य सिद्धांत निरंकुश एकतानाशाही शासन था और इसमें लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए कोई स्थान नहीं था। इसके कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार थे:

  1. लोकतंत्र का विरोध – नाजी शासन आने के बाद हिटलर ने प्रेस की आजादी और वाक्स्वतंत्रता पर रोक लगा दी। विपक्षी दलों को भंग कर दिया गया और लोकतांत्रिक तरीकों को पूरी तरह खत्म कर दिया गया।

  2. निरंकुशता का समर्थन – नाजीवाद शासक के हाथों में अप्रतिबंधित शक्ति के केंद्रीकरण की वकालत करता था। हिटलर ने गेस्टापो नामक गुप्तचर पुलिस का गठन किया और विरोधियों के दमन के लिए कारागारों की स्थापना की।

  3. जनमत की अवहेलना – संसदीय संस्थाओं को खत्म कर दिया गया और जनता की इच्छा की अनदेखी की गई। हिटलर एकमात्र नेता बन गए और केवल उनका ही शासन चला।

  4. साम्राज्यवाद – नाजीवाद ने जर्मन साम्राज्य के विस्तार और विश्व शासन की मनोकामना रखी। इस उद्देश्य से ही उसने आस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया पर कब्जा किया।

इस प्रकार नाजीवादी दर्शन लोकतांत्रिक व्यवस्था की पूरी तरह निंदा करता था और तानाशाही शासन व्यवस्था को आगे बढ़ाना चाहता था।

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