पुत्र वियोग

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प्रश्न 1. कवयित्री का खिलौना क्या है ?

उत्तर – कवयित्री का खिलौना उसका बेटा है। बच्चों को खिलौना प्रिय होता है, वह उनकी सर्वोत्तम प्रिय वस्तु होती है । उसी प्रकार कवयित्री के लिए उसका बेटा उसके जीवन का सर्वोत्तम उपहार है । इसलिए वह कवयित्री का खिलौना है ।

प्रश्न 2. कवयित्री स्वयं को असहाय और विवश क्यों कहती है ?

उत्तर – कवयित्री स्वयं को असहाय तथा विवश इसलिए कहती है कि उसने अपने बेटे की देख-भाल तथा उसके लालन-पालन पर अपना पूरा ध्यान केन्द्रित कर दिया। अपनी सुविधा असुविधा का कभी विचार नहीं किया। बेटा को ठंढ न लग जाए, बीमार न पड़ जाए इसके लिए सदैव गोदी में रखा। इन सारी सावधानियों तथा मंदिर में पूजा-अर्चना से भी वह अपने बेटे की असमय मृत्यु नहीं टाल सकी। नियति के आगे किसी का वश नहीं चलता । अतः, वह स्वयं को असहाय तथा बेबस कहती है

प्रश्न 3. पुत्र के लिए माँ क्या-क्या करती है ?

उत्तर – पुत्र के लिए माँ निजी सुख-दुख भूल जाती है। उसे अपनी सुख-सुविधा के विषय में सोचने का अवकाश नहीं रहता। वह उसके स्वास्थ्य एवं सुरक्षा का पूरा ध्यान रखती है। बेटा को ठंड न लग जाए अथवा बीमार न पड़ जाए, इसके लिए उसे सदैव गोद में लेकर उसका मनोरंजन करती रहती है। उसे लोरी गीत सुनाकर सुलाती है। उसके लिए मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करती है तथा मन्नतें माँगती है ।

प्रश्न 4. अर्थ स्पष्ट करेंआज दिशाएँ भी हँसती हैं है उल्लास विश्व पर छाया मेरा खोया हुआ खिलौना अब तक मेरे पास न आया ।

उत्तर – आज सभी दिशाएँ पुलकित हैं, सर्वत्र प्रसन्नता छाई हुई है। सारे विश्व में उल्लास का वातावरण है। किन्तु मेरा (कवयित्री) खोया हुआ खिलौना अब तक मुझे प्राप्त नहीं हुआ । अर्थात् कवयित्री के पुत्र का निधन हो गया है। इस प्रकार वह उससे (कवयित्री) छिन गया है । यह उसकी व्यक्तिगत क्षति है। विश्व के अन्य लोग हर्षित हैं। सभी दिशाएँ भी उल्लसित (प्रमुदित) ‘दीख रही हैं। किन्तु कवयित्री ने अपना बेटा खो दिया है। उसकी मृत्यु हो चुकी । वह उद्विग्न है, शोक विह्वल है। अपनी असंयमित मनोदशा में वह बेटा के वापस आने की प्रतीक्षा करती है और नहीं लौटकर आने पर निराश हो जाती है ।

प्रश्न 5. माँ के लिए अपना मन समझाना कब कठिन है और क्यों ?

उत्तर- माँ के लिए अपने मन को समझाना तब कठिन हो जाता है, जब वह अपना बेटा खो देती है। बेटा माँ की अमूल्य धरोहर होता है। माँ की आँखों का तारा होता है। माँ का सर्वस्व यदि क्रूर नियति द्वारा उससे छीन लिया जाता है, उसके बेटे की मृत्यु हो जाती है तो माँ के लिए अपने मन को समझाना कठिन होता है ।

प्रश्न 6. पुत्र को ‘छौना’ कहने से क्या भाव छुपा है, उसे उद्घाटित करें ।

उत्तर- ‘छौना’ का अर्थ होता है हिरण आदि पशुओं का बच्चा । ‘पुत्र वियोग’ शीर्षक कविता में कवयित्री ने ‘छौना’ शब्द का प्रयोग अपने बेटा के लिए किया है । हिरण अथवा बाघ का बच्चा बड़ा भोला तथा सुन्दर दीखता है । इसके अतिरिक्त चंचल तथा तेज भी होता है । अतः, कवयित्री द्वारा अपने बेटा को छौना कहने के पीछे यह विशेष अर्थ भी हो सकता है ।

प्रश्न 7. मर्म उद्घाटित करें ।

भाई-बहिन भूल सकते हैं पिता भले ही तुम्हें भुलावे किन्तु रात-दिन की साथिन माँ कैसे अपना मन समझावे ।

उत्तर –

प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग – 2 की ‘पुत्र वियोग’ शीर्षक कविता से उद्धृत अंश है। इसकी रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान हैं । इन व्याख्येय पंक्तियों में. कवयित्री ने माँ के हृदय की गहराई में अवस्थित ममता की व्यापकता का चित्रण किया है । अपने बच्चों के प्रति माँ से अधिक अन्य किसी व्यक्ति का लगाव नहीं होता ।

कवयित्री का कथन है कि उसके भाई तथा बहन उसे (उसके पुत्र) भूल जा सकते हैं । उसके पिता भी उसे भुला दे सकते हैं । किन्तु माँ ( कवयित्री) अपने बेटे को कभी नहीं भूल सकती । वह तो सब समय उसके साथ रहनेवाली है । वह उसकी सर्वोतम सहयोगी है । वह रात दिन उसके सुख-दुख का ख्याल रखनेवाली ममतामयी माँ है ।

इस प्रकार कवयित्री – संताप से ग्रसित होकर कहती है कि अपने बेटे को वह कभी नहीं भूल सकती । उसको अपनी नजरों से दूर देखना नहीं चाहती। उसका कहना है कि भाई-बहन भले ही उसको ( बेटा) भुला दें, पिता भी संभव है अपने बेटे को भूल जाएँ किन्तु उसकी ममतामयी माँ का हृदय उसे कभी नहीं भूल सकता। वह ऐसा स्वप्न में भी नहीं कर सकती । उसकी भावुकता मुखरित हो जाती है, “रात दिन की साथिन माँ कैसे अपना मन समझावे ।”

प्रश्न 8. कविता का भावार्थ संक्षेप में लिखिए।

उत्तर- ‘पुत्र वियोग’ शीर्षक कविता में अपने बेटे की मौत के बाद शोकाकुल माँ के मन में उठनेवाले अनेक निराशाजनक तथा असंयमित विचार तथा उससे उपजी विषादपूर्ण मनःस्थिति को उद्घाटित किया गया है। कवयित्री अपने बेटे के आकस्मिक तथा अप्रत्याशित निधन से मानसिक तौर पर अशान्त है। वह अपनी विगत स्मृतियों को याद कर उद्विग्न है। एक माँ के हृदय में उठनेवाले झंझावात की वह स्वयं भुक्तभोगी है। कविता में कवयित्री द्वारा नितांत मनोवैज्ञानिक तथा स्वाभाविक चित्रण किया गया है ।

वस्तुतः कवयित्री ने अपने बेटे की मौत से उपजे दुःखिया माँ के शोकपूर्ण उद्गारों का स्वाभाविक एवं मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है। ऐसी युक्तियुक्तपूर्ण एवं मार्मिक प्रस्तुति अन्यत्र दुर्लभ है। महादेवी वर्मा की एक मार्मिक कविता इस प्रकार है, जो माँ की ममता को प्रतिबिंबित करती है, “आँचल में है दूध और आँखों में पानी । “

प्रश्न 9. इस कविता को पढ़ने पर आपके मन पर क्या प्रभाव पड़ा, उसे लिखिए ।

उत्तर- ‘पुत्र वियोग’ कविता में कवयित्री ने अपने बेटा की मृत्यु तथा उससे उपजे विषाद की अभिव्यक्ति की है।

मेरे मन में भी कुछ इसी प्रकार के मनोभावों का आना स्वाभाविक है। किसका ‘हृदय संवेदना से नहीं भर उठेगा ? कौन कवयित्री के शोकोद्गारों की गहराई में गए बिना रहेगा। एक माँ का अपने बेटे की दिन रात देखभाल करना, बीमारी, ठंड आदि से रक्षा के लिए उसे गोदी में खिलाते रहना, स्वयं रात में जागकर उसे लोरी गीत सुनाकर सुलाना, अपने दाम्पत्य जीवन की खुशी को संतान पर केन्द्रित करना, अंत में नियति के क्रूर-चक्र की चपेट में बेटा की मौत ! इन सारे घटनाक्रमों से मैं मानसिक रूप से अशांत हो गया। मुझे ऐसा अहसास हुआ जैसे यह त्रासदी मेरे साथ हुई। कविता में कवयित्री ने अपनी सम्पूर्ण संवेदना को उड़ेल दिया है, मन में करुणा उमड़ पड़ी तथा असह्य दर्द की अनुभूति होती है । प्रश्न 10. “पुत्र वियोग” शीर्षक कविता का सारांश लिखें। उत्तर- उत्तर के लिए कवि तथा कविता का सारांश देखें ।

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