( ङ ) शक्ति ( ऊर्जा ) संसाधन

( ङ ) शक्ति ( ऊर्जा ) संसाधन

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर :
1. निम्न वर्जित किस राज्य में खनिज तेल का विशाल भंडार पाया जाता है ?
( क ) विहार ( ख ) असम ( ग ) राजस्थान ( घ ) मध्य प्रदेश
उत्तर- ( ख )

2 .  भारत के किस स्थान पर पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित किया गया था ?
(क)तारापुर ( ख ) कलपक्कम ( ग ) नरोरा (घ) कैगा
उत्तर- ( क )

3. निम्न में कौन ऊर्जा स्रोत अनवीकरणीय है ?
( क ) जल ( ख ) सौर (ग) पवन (घ)कोयला
उत्तर– ( घ )

4 . निम्न में कौन प्राथमिक ऊर्जा का उदाहरण नहीं है ?
(क)कोयला (ख) पेट्रलियम ( ग ) पवन ( घ ) कोयला 

उत्तर– ( ग )

5. ऊर्जा का गैर – पारंपरिक स्रोत कौन है ?
( क ) कोयला ( ख ) जलीय ऊर्जा ( ग ) सौर ऊर्जा
( घ ) परमाणु ऊर्जा
उत्तर– ( ग )

6. गोंडवाना समूह के कोयले का निर्माण कब हुआ था ?
( क ) 20 हजार वर्ष पूर्व ( ख ) 20 लाख वर्ष पूर्व ( ग ) 20 करोड़ वर्ष पूर्व ( घ ) इनमें से कोई नहीं

 उत्तर– ( ग )

7 . भारत में कोयले का प्रमुख उत्पादक राज्य इनमें कौन है ?
( क ) पश्चिम बंगाल ( ख ) झारखंड ( ग ) उड़ीसा ( घ ) छत्तीसगढ़
उत्तर– ( ख )

8. कोयले की सर्वोत्तम किस्म कौनसी है ?
( क ) ऐंधासाइट ( ख ) लिग्नाइट ( ग ) बिटुमिनस ( घ ) पोट
उत्तर– ( क )

9. मुंबई हाई किसलिए प्रसिद्ध है ?
( क ) सोना उत्पादन हेतु ( ख ) परमाणु ऊर्जा हेतु ( ग ) तेलशोधन हेतु    ( घ ) पेट्रोलियम उत्पादन हेतु

 उत्तर– ( घ )

10. भारत का पहला तेलशोधक कारखाना कहाँ स्थापित हुआ था ?

( क ) मथुरा ( ख ) बरौनी ( ग ) डिगबोई ( घ ) गुवाहाटी
उत्तर– ( ग )
11. प्राकृतिक गैस किस खनिज के साथ पाया जाता है ?
( क ) यूरेनियम ( ख ) पेट्रोलियम ( ग ) कोयला ( घ ) जल
उत्तर– ( ख )
12. भाखड़ा नांग्ल परियोजना किस नदी पर अवस्थित है ?
( क ) नर्मदा ( ख ) झेलम ( ग ) सतलज ( घ ) ब्यास उत्तर– ( ग )
13. दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना कौन है ?
( क ) चंबल ( ख ) शरावती ( ग ) तुंगभद्रा ( घ ) हीराकुड
उत्तर– ( ग )
14. ताप विद्युत उत्पादन केन्द्र का उदाहरण कौन है ? ( क ) गया ( ख ) कटिहार ( ग ) समस्तीपुर (घ)बरौनी
उत्तर– ( घ )
15. यूरेनियम के लिए प्रसिद्ध उत्पादक केन्द्र है |
( क ) जादूगोड़ा ( ख ) घाटशिला ( ग ) खेतड़ी ( घ ) झरिया
उत्तर— ( क )
16. एशिया का सबसे बड़ा परमाणु विद्युत गृह कौन है ?
(क)कैगा ( ख ) तारापुर ( ग ) केलपक्कम ( घ ) नरौरा उत्तर— ( ख )
17. भारत के किस राज्य में सौर – ऊर्जा विकास की असीम संभावनाएँ हैं ?
( क ) असम (ख) बिहार ( ग ) राजस्थान ( घ ) उत्तर प्रदेश
उत्तर– ( ग )
18. ज्वारीय ऊर्जा उत्पादन के लिए सर्वाधिक अनुकूल परिस्थितियाँ इनमें कहाँ पाई जाती हैं ?
( क ) कोसी नदी (ख) गंगा नदी ( ग ) मन्नार की खाड़ी ( घ ) खंभात की खाड़ी
उत्तर– ( घ )

I . लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

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1. पारंपरिक एवं गैर – पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के तीन – तीन उदाहरण लिखिए ।
उत्तर — पारंपरिक ऊर्जा स्रोत– ( i ) कोयला , ( ii ) पेट्रोलियम , ( iii ) जलविद्युत
गैर – पारंपरिक ऊर्जा स्रोत- ( i ) पवन , ( ii ) सौर ताप , ( iii ) भूताप ।

2. गोंडवाना समूह के कोयला क्षेत्रों के नाम लिखिए ।

उत्तर – गोंडवाना समूह के प्रमुख कोयला क्षेत्र है -( i ) दामोदर घाटी क्षेत्र , ( ii ) सोन घाटी क्षेत्र , ( iii ) महानदी घाटी क्षेत्र , ( iv ) वर्धा – गोदावरी क्षेत्र ।

3. झारखंड के मुख्य कोयला उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखिए ।
उत्तर– झारखंड के मुख्य कोयला उत्पादक क्षेत्र हैं झरिया , बोकारो , धनबाद , गिरिडीह , कर्णपुरा , रामगढ़ ।

4. कोयले के विभिन्न प्रकार कौन – कौन से होते हैं ? उत्तर – कोयले के चार प्रमुख प्रकार होते हैं –
( i ) ऐंथासाइट – सर्वोच्च कोटि के इस कोयले में कार्बन की मात्रा 80 % से अधिक होती है । जलने पर घुओं नहीं देता परंतु ताप अधिक देता है ।
( ii ) बिटुमिनस- इसमें कार्बन की मात्रा 60-80 % तक होती है । इसको जलाने पर धुआँ और ताप दोनों मिलता है ।
( iii ) लिग्नाइट – यह निम्न कोटि का कोयला है जिसमें 40-60 % तक कार्बन होती है जिससे जलने पर धुआं अधिक ताप कम देता है ।
( iv ) पीट – इसमें 40 % से कम कार्बन होने से यह जलने पर सिर्फ धुआँ देता है , ताप काफी कम ।

5. पेट्रोलियम से बनने वाले वस्तुओं के नाम लिखें ।

उत्तर – पेट्रोलियम से गैसोलीन , डीजल , स्नेहक , किरासन तेल , कीटनाशक दवाएँ , पेट्रोल , साबुन , कृत्रिम रेशा , प्लास्टिक इत्यादि वस्तुएँ बनाई जाती हैं ।

6. सागर – सम्राट क्या है ?
उत्तर – मुंबई तट से 176 किमी ० पश्चिमोत्तर में अरब सागर में स्थित एक प्लेटफार्म का नाम सागर – सम्राट है , जहाँ से तेल के कुएँ खोदे जाते हैं ।

7. किन्हीं चार तेलशोधक कारखानों के नाम लिखें ।

उत्तर – भारत के चार तेलशोधक कारखाने हैं- ( i ) डिग्बोई ( असम ) , ( ii ) बरौनी ( बिहार ) , ( ii ) मुंबई ( महाराष्ट्र ) , ( iv ) मथुरा ( उत्तर प्रदेश ) ।

8. जलविद्युत उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक कारकों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – जलविद्युत उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक कारक हैं
( i ) वर्षभर प्रचुर जल को नदी में उपलब्धता ।
( ii ) उत्पादित बिजली की माँग ।
( iii ) उत्पादन तकनीक को उपलब्धता ।
( iv ) पर्याप्त पूँजी ।
( v ) नदी मार्ग में ढाल एवं जल का तीव्र वेग ।

9. नदी घाटी परियोजनाओं को बहुउद्देशीय क्यों कहा जाता है ?
उत्तर – कुछ नदी घाटी परियोजनाओं के अंतर्गत नदियों पर बराज बनाकर सिंचाई कार्य , बिजली उत्पादन , बाढ़ नियंत्रण , मिट्टी कटाव की रोकथाम , मत्स्य पालन , यातायात को सुविधा , मनोरंजन की सुविधा इत्यादि जैसी कई उद्देश्यों को पूरा किया जाता है । इसलिए इन्हें बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ कहा जाता है ।

10. निम्नलिखित नदी घाटी परियोजनाओं के राज्यों के नाम लिखें । हीराकुंड , तुगभद्रा एवं रिहंद ।
उत्तर– हीराकुड परियोजना – – उड़ीसा
तुगभद्रा परियोजना – – आंध्र प्रदेश
रिहंद परियोजना — उत्तर प्रदेश

11. ताप शक्ति समाप्य संसाधन माना जाता है । क्यों ?
उत्तर – ताप शक्ति का उत्पादन कोयला , पेट्रोलियम जैसे अनवीकरणीय संसाधनों द्वारा होता है । इनके भंडार सीमित हैं तथा भविष्य में समाप्त हो जाएंगे । इसलिए इन पर निर्भर करनेवाले ताप शक्ति को भी समाप्य संसाधन माना जाता है ।

12. परमाणु शक्ति किन – किन खनिजों से प्राप्त होता है ? उल्लेख करें ।
उत्तर — परमाणु शक्ति यूरेनियम , थोरियम , इल्मेनाइट , एंटीमनी , ग्रेफाइट , बेनेडियम जैसे खनिजों से प्राप्त होता है ।

13. मोनाजाइट भारत में कहाँ – कहाँ पाया जाता है ?

उत्तर – मोनाजाइट भारत के केरल राज्य के साथ ही साथ तमिलनाडु , आंध्रप्रदेश और उड़ीसा के तटीय क्षेत्रों में पाया जाता है ।

14. सौर ऊर्जा के उत्पादन विधि का उल्लेख करें ।

उत्तर – सौलर प्लेट पर लगे फोटोवोल्टेक सेल पर जब सूर्य की किरणें पड़ती हैं तब ये सेल सूर्य किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित कर देती हैं , जिसे सौर ऊर्जा कहा जाता है ।

15. भारत के किन – किन राज्यों में पवन ऊर्जा के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियाँ हैं ?
उत्तर -भारत में पवन ऊर्जा के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियाँ राजस्थान , गुजरात , महाराष्ट्र , कर्नाटक एवं तमिलनाडु राज्यों में हैं ।

II . दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

1. शक्ति संसाधन का वर्गीकरण कर उपयुक्त उदाहरण भी दें ।
उत्तर – शक्ति मानवीय जीवन का आधार है । इन संसाधनों के आधार पर ही औद्योगीकरण एवं नगरीकरण संभव हो पाया है । दूसरे शब्दों में ” शक्ति या ऊर्जा विकास की कुंजी है । ” शक्ति के कई साधन हैं , परंतु विभिन्न आधारों पर इनके कई वर्ग किए जा सकते हैं-
1. उपयोग के आधार पर उपयोग स्तर के आधार पर वैज्ञानिकों ने शक्ति के संसाधन को दो वर्गों में बाँटा है— ( क ) सतत शक्ति के साधन – इन साधनों में भूतापीय ऊर्जा , पवन ऊर्जा , सौर ऊर्जा इत्यादि शामिल हैं ।
( ख ) समापनीय शक्ति के साधन – इसके अंतर्गत कोयला , पेट्रोलियम , प्राकृतिक गैस एवं परमाणु खनिज जैसे समाप्त होने वाले साधन शामिल हैं ।

2. उपयोगिता के आधार पर इस आधार पर ऊर्जा संसाधनों को दो वर्गों में बाँटा जाता है ।
( क ) प्राथमिक ऊर्जा — जैसे कोयला , पेट्रोलियम , प्राकृतिक गैस , परमाणु खनिज इत्यादि ।
( ख ) गौण ऊर्जा — जैसे विद्युत , जो प्राथमिक खनिजों से उत्पन्न किया जाता है ।

3. स्रोत की स्थिति के आधार पर इस आधार पर भी शक्ति संसाधनों के दो वर्ग किए जाते हैं ।
( i ) क्षयशील संसाधन — जैसे – कोयला , पेट्रोलियम , प्राकृतिक गैस इत्यादि ।
( ii ) अक्षयशील संसाधन जैसे – प्रवाही जल , सौर ऊर्जा , पवन एवं ज्वारीय तरंगें इत्यादि ।
4. संरचनात्मक गुण के आधार पर इसके तहत शक्ति संसाधनों को जैविक एवं अजैविक में बाँटा जाता है । ( i ) जैविक संसाधन – मानव एवं अन्य पशु आदि । ( ii ) अजैविक संसाधन — जल शक्ति , पवन शक्ति , सौर शक्ति इत्यादि ।
5. समय के आधार पर इस दृष्टि से इन्हें परंपरागत एवं गैर परंपरागत साधनों में बाँटा जाता है ।
( i ) परंपरागत साधन – जैसे कोयला , जल , पेट्रोलियम , प्राकृतिक गैस ।
( ii ) गैर परंपरागत साधन – पवन , सौर , ज्वार , भूताप , बायो गैस इत्यादि ।

2. भारत के पारंपरिक शक्ति के विभिन्न स्रोतों का विवरण प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर — भारत में पारंपरिक शक्ति के साधनों के अंतर्गत कोयला , पेट्रोलियम , जल विद्युत , परमाणु ऊर्जा को शामिल किया जाता है ।
( i ) कोयला – कोयला पारंपरिक ऊर्जा साधनों में सबसे पुराना स्रोत है । भारत में इसकी कुल अनुमानित भंडार लगभग 25530 करोड़ टन है । यहाँ कोयला गोंडवाना और टर्शियरीकालीन चट्टानों में पाया जाता है । गोंडवाना कोयला प्रमुख भ्रंश प्रभावित नदी घाटियों के क्षेत्रों में मिलती है जिसमें दामोदर , सोन , महानदी , वर्धा एवं गोदावरी घाटी प्रमुख हैं । देश में कोयले का कुल उत्पादन 43 करोड़ टन के आस – पास है । टर्शियरी कोयला का प्रमुख भंडार तमिलनाडु के नेवेली क्षेत्र में है ।
( ii ) पेट्रोलियम – भारत में पेट्रोलियम का अनुमानित भंडार 17 अरब टन है । देश में पेट्रोलियम का उत्पादन इयोसीन और मायोसीन कालीन चट्टानों से होता है । उत्तर पूर्वी राज्य , गुजरात क्षेत्र , मुंबई हाई क्षेत्र , पूर्वी तटीय प्रदेश एवं बाडमेर क्षेत्र प्रमुख तेल उत्पादक क्षेत्र हैं । यहाँ से उत्पादित तेल देश के 18 तेर धनशालाओं में साफ होता है जो देश के विभिन्न भागों में फैले हैं ।
( iii ) जल विद्युत देश में जल विद्युत उत्पादन के लिए कई परियोजनाएँ विकसित हैं । इनमें भाखड़ा नांगल , दामोदर घाटी , कोसौं , हीराकुंड , रिहंद , चंबल , तुंगभद्रा इत्यादि प्रमुख परियोजनाएँ हैं ।
( iv ) परमाणु ऊर्जा भारत में परमाणु अथवा रेडियोसक्रिय खनिजों की प्रचुरता के कारण परमाणु बिजली उत्पादन की अच्छी संभावनाएं हैं । परिणामस्वरूप देश में परमाणु विद्युत गृह क्रमशः तारापुर , कोटा , कलपक्कम , नरौरा , ककरापार , कैगा एवं कुडनकुलम में स्थापित एवं कार्यरत हैं कुडनकुलम अभी निर्माणाधीन अवस्था में है ।
( v ) प्राकृतिक गैस – प्राकृतिक गैस से भी विद्युत या ऊर्जा का काम देश में लिया जा रहा है ।
3. गोंडवानाकालीन कोयले का भारत में वितरण का विवरण दीजिए ।
उत्तर – भारत में पाया जानेवाला कोयला गोंडवानाकालीन एवं टर्शियरीकालीन है । इनमें गोंडवानाकालीन कोयला का हिस्सा कुल कोयला भंडार में 96 % तथा कुल उत्पादन में 99 % है । इस कोयले का निर्माण लगभग 20 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ था । आज गोंडवानाकालीन कोयला चार प्रमुख भ्रंश प्रभावित नदी घाटी क्षेत्रों में मिलती हैं । ये घाटियाँ हैं ( i ) दामोदर घाटी , ( ii ) सोन घाटी , ( ii ) महानदी घाटी , ( iv ) गोदावरी घाटी ।
वितरण – गोंडवानाकालीन कोयला भंडारों में ऐंधासाइट एवं बिटुमिनस किस्म का कोयला पाया जाता है जो देश के झारखंड , छत्तीसगढ़ , उड़ीसा , महाराष्ट्र , मध्य प्रदेश , पश्चिम बंगाल राज्यों में सीमित है ।
झारखंड- झारखंड कोयला भंडार एवं उपजाऊ में देश में पहला स्थान रखता है । यहाँ देश के कुल कोयला भंडार का 30 % सुरक्षित है । यहाँ के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में बोकारो , झरिया , रामगढ़ , कर्णपुरा इत्यादि शामिल हैं । यहाँ से देश के कुल कोयला उत्पादन का 23 % हिस्सा प्राप्त होता है ।
छत्तीसगढ़ – इस राज्य में कुल 15 % सुरक्षित भंडार है । यहाँ का कोयला चिरमिरी , कुरसिया , विश्रामपुर , झिलमिली , सोन्हाट एवं कोरवा देश का 16 % कोयला उत्पादित होता है ।
उड़ीसा – यहाँ देश का 1/4 कोयला का भंडार है । जिसमें तालचेर प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है । महाराष्ट्र – यहाँ देश का 3 % कोयला है जहाँ चाँदा , वर्धा , कांपटी एवं बंदर से देश का 9 % कोयला उत्पादित होता है ।
मध्य प्रदेश – यहाँ 7 % कोयला भंडार है । यहाँ के प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्रों में सिंगरौली , सोहागपुर , उमरिया , पेंच , मोहपानी इत्यादि हैं । पश्चिम बंगाल — यहाँ रानीगंज देश का प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र स्थित है । इसके अतिरिक्त आंध्र प्रदेश में भी कोयला का उत्पादन होता है । देश में कोयले का कुल उत्पादन 2006-07 में 43 टन करोड़ टन के लगभग हुआ ।
4. कोयले का वर्गीकरण कर उनकी विशेषताओं को लिखें ।
उत्तर – कोयला ऊर्जा देने वाला पारंपरिक स्रोत है । यह चार प्रकार का होता है ।
( i ) ऐंथासाइट – इस प्रकार के कोयला में कार्बन की मात्रा 80 % से अधिक होती है तथा नमी नहीं के बराबर होती है । परिणामस्वरूप , जलाने या जलने पर यह कोयला ताप अधिक देता है एवं इससे धुआँ नहीं निकलता है । इसलिए इसे कोयला का सर्वोत्तम किस्म कहा जाता है । अधिक देर तक ऊष्मा देनेवाला यह कोयला कोकिंग – कोयला भी कहा जाता है , जो धातु गलाने में उपयोग किया जाता है!
( ii ) बिटुमिनस – इस प्रकार के कोयले की किस्म में कार्बन की मात्रा 60-80 % तक होती है । फलत : जलने पर यह ऊष्मा और धुआँ दोनों प्रदान करता है । भारत का अधिकांश कोयला इसी कोटि का है । इसे परिष्कृत कर ‘ कोकिंग कोयला ‘ बनाया जा सकता है
( iii ) लिग्नाइट – इसे निम्न कोटि का कोयला माना जाता है , जिसमें कार्बन की मात्रा 30 60 % तक होती है । नमी की उपस्थिति के कारण जलने पर यह ऊष्मा या ताप कम देता है तथा धुआँ अधिक देता है । इसे ही ‘ भूरा कोयला ‘ कहा जाता है ।
( iv ) पीट कोयला — यह निम्नतम कोटि का कोयला है जिसमें कार्बन की मात्रा 30 % से कम होती है । फलतः जलने पर यह धुआँ अत्यधिक देता है तथा ताप अत्यधिक कम । ऐंथ्रासाइट एवं विटुमिनस किस्म का कोयला गोंडवाना समूह के चट्टानों में पाया जाता है जबकि टर्शियरीकालीन अवसादीय चट्टानों में लिग्नाइट पाया जाता है । पीट दलदली भागों में पाया जाता है ।

5 .  भारत में खनिज तेल के वितरण का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – भारत में खनिज तेल का भंडार लगभग 17 अरब टन है जो विश्व का मात्र 1 % है । देश में पहली बार डिग्बोई में तेल खोदा गया था । इसके बाद देश के कई हिस्सों में खनिज तेल का पता लगाया गया , जहाँ से इसका उत्पादन भी रहा है । वितरण- वर्तमान समय में खनिज तेल के देश में पाँच प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं

( i ) उत्तर – पूर्वी राज्य – यह देश का सबसे पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है । आज असम के अतिरिक्त नागालैंड एवं अरुणाचल प्रदेश में भी तेल की खोज की गई है । यहाँ के प्रमुख उत्पादक केन्द्रों में नहरकटिया , सुगड़ीजन , डिग्बोई , मोरन , लखीमपुर , रूद्रसागर , बोरहोल्ला इत्यादि है । यहाँ का तेल साफ होने के लिए डिग्बोई , नूनकाटी , बोगाई गाँव , बरौनी एवं हल्दिया भेजा जाता है ।
( ii ) गुजरात क्षेत्र यहाँ खंभात की खाड़ी के अतिरिक्त गुजरात के मैदान में भी तेल मिले हैं । प्रमुख उत्पादक केन्द्रों में अंकलेश्वर , कलोल , कोसंबा , सानंद , मेहसाणा , दबका , लुनेज , बड़ोदरा , नवगाँव इत्यादि हैं ।
( iii ) मुंबई हाई क्षेत्र -1975 से तेल उत्पादन करनेवाला यह क्षेत्र अरब सागर में स्थित है जो वर्तमान में देश का सर्वाधिक तेल उत्पादन करनेवाला क्षेत्र है । इसके अतिरिक्त कई अन्य तेल कुआँ से भी तेल का उत्पादन किया जा रहा है |
( iv ) पूर्वी तटीय प्रदेश यहाँ कृष्णा – गोदावरी और कावेरी नदियों की घाटियों में तेल मिला है जिसमें नारीमनन एवं कोविलकप्पल प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं । ( v ) बाडमेर बेसिन यहाँ से सितंबर 2009 में तेल का उत्पादन शुरू हुआ है । यहाँ से प्रतिदिन 56000 बैरल तेल का उत्पादन हो रहा है । देश में उत्पादित कुल तेल का परिष्करण देश में स्थापित 18 तेल परिष्करणशालाओं में किया जाता है ।
6. जल विद्युत उत्पादन हेतु अनुकूल भौगोलिक आर्थिक कारकों की विवेचना कीजिए ।
उत्तर – जल विद्युत पपिरिक ऊर्जा के स्रोत हैं । यह ऐसा अक्षयशील संसाधन हैं जो नवीकरणीय है तथा विद्युत उत्पादन का एक प्रमुख स्रोत है । नदी या किसी अन्य रूप में तीन वेग से प्रवाहित जल से उत्पन्न की जाने वाली शक्ति को जल विद्युत शक्ति कहा जाता है

। बहते हुए जल को तीव्र गति से गिराकर टरबाइन को घुमाया जाता है तब इस ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जाती है जल विद्युत उत्पादन के लिए अनुकूल भौगोलिक एवं आर्थिक कारकों में मुख्य हैं –
( i ) नदी में वर्षभर पर्याप्त जल की मात्रा का रहना । ( ii ) नदी मार्ग में ढाल का होना ।
( iii ) जल का तीव्र वेग होना ।
( iv ) प्राकृतिक जलप्रपात का होना ।
( v ) जल एकत्र करने के लिए विशाल क्षेत्रफल का होना ।
( vi ) क्षेत्र में विद्युत की माँग का होना ।
( vii ) उत्पादन तकनीक का ज्ञान होना ।
( viii ) जल विद्युत उत्पाद तकनीक विकास हेतु पर्याप्त पूँजी का होना ।
( ix ) निकटवर्ती क्षेत्र में दूसरे ऊर्जा उत्पादन संसाधन का अभाव होना ।
( x ) निकटवर्ती क्षेत्र में उद्योग एवं वाणिज्य का आबाद होना ।
( xi ) परिवहन के साधन का विकसित होना ।
7. संक्षिप्त भौगोलिक टिप्पणी लिखिए :
         भाखड़ा – नंगल परियोजना , दामोदर घाटी परियोजना , कोसी परियोजना , हीराकुंड परियोजना , रिहन्द परियोजना और तुगभद्रा परियोजना ।

उत्तर –
भाखड़ा नंगल परियोजना – यह सतलज नदी पर निर्मित न केवल भारत की सबसे बड़ी नदी परियोजना है बल्कि , यह विश्व का सबसे ऊँचा बांध है । इसकी ऊँचाई 225 मीटर है । इस पर चार शक्ति गृह स्थापित हैं , जो 7 लाख किलोवाट विद्युत उत्पन्न कर पंजाब , हरियाणा , दिल्ली , उत्तरांचल , उत्तरप्रदेश , हिमाचल प्रदेश , राजस्थान तथा जम्मू – कश्मीर जैसी राज्यों की कृषि एवं औद्योगिक प्रगति में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है |

दामोदर घाटी परियोजना – झारखंड एवं प . बंगाल को दामदेर नदी की प्रलयंकारी बाढ़ से बचाने के लिए एवं जल विद्युत उत्पादन करने के लिए तिलैया , मैथन , कोनार और पंचेत पहाड़ी में बाँध बनाकर इस परियोजना का विकास किया गया है । यहाँ 1300 मेगावाट जल विद्युत उत्पन्न किया जाता है , जिसका लाभ बिहार , झारखंड एवं प . बंगाल को प्राप्त है ।

कोसी परियोजना –. विहार की अभिशाप कोसी नदी पर हनुमान नगर ( नेपाल ) में बांध बनाकर इस परियोजना से 20,000 किलो वाट विद्युत उत्पन्न किया जाता है

। इराकी आधी बिजली नेपाल और शेष बिहार में खपत किया जाता है ।

हीराकुण्ड परियोजना – यह महानदी पर निर्मित विश्व की सबसे लंबी ( 4801 मीटर ) परियोजना है । जहाँ 2.7 लाख किलोवाट विद्युत का उत्पादन होता है , जिसका उपयोग उड़ीसा एवं सीमावर्ती राज्यों द्वारा किया जाता है ।

रिहन्द परियोजना – सोन को सहायक नदी रिहन्द पर उत्तर प्रदेश में 934 मीटर लंबा बांध लगाकर कृत्रिम झील ‘ गोविन्द बल्लभ पंत सागर ‘ का निर्माण कर 30 लाख किलोवाट विद्युत उत्पन्न की जाती है । इससे रेणुकुट के विविध औद्योगिक प्रतिष्ठान लाभान्वित होते हैं ।

तुंगभद्रा परियोजना –आंध्र प्रदेश स्थित द . भारत की यह सबसे बड़ी परियोजना है जो कृष्णा की सहायक नदी तुंगभद्रा पर निर्मित है । इसकी विद्युत उत्पादन क्षमता 1 लाख किलोवाट है । इसका निर्माण कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश राज्य के सहयोग से हुआ है ।

8. भारत के चार परमाणु विद्युत गृहों का नाम लिखकर उनकी विशेषताओं को लिखिए ।
उत्तर -भारत में रेडियो सक्रिय खनिजों की प्रचुरता के कारण परमाणु विद्युत उत्पादन की पुरी संभावनाएँ मौजूद हैं । देश में यूरेनियम का मुख्य भंडार झारखंड के जादूगोडा में है ।

पर्याप्त माँग एवं उत्पादन तकनीक मौजूद होने के कारण देश में सर्वप्रथम 1955 में पहला आण्विक स्पेिक्टर मुंबई के निकट ट्राम्बे में स्थापित किया गया । वर्तमान समय में देश में 6 परमाणु विद्युत गृह कार्यरत हैं । इनमें से चार प्रमुख हैं ( i ) तारापुर परमाणु संयंत्र भारत का यह पहला परमाणु विद्युत शक्ति उत्पादन गृह है जो एशिया में सबसे बड़ा है । इस केन्द्र में यूरेनियम के स्थान पर थोरियम को इनरिच करके प्लूटोनियम बनाकर उससे विद्युत उत्पन्न किया जा रहा है । जल उबालने के लिए यहाँ 200 मेगावाट क्षमता वाले दो – द्रो परमाणु भट्टियाँ लगी हैं ।
( ii ) राणा प्रताप सागर परमाणु संयंत्र – राजस्थान के कोटा शहर में यह विद्युत उत्पादन केन्द्र चंबल नदी के किनारे स्थापित है । कनाडा के सहयोग से बने इस विद्युत गृह की उत्पादन क्षमता 100 मेगावाट है । ( iii ) कलपक्कम परमाणु संयंत्र तमिलनाडु के कल्पक्कम स्थान पर विकसित यह परमाणु बिजली घर पूर्णतः स्वदेशी प्रयास से बना है ।

यहाँ 335 मेगावाट विद्युत उत्पादन के दो रिएक्टर काम कर रहे हैं ( iv ) नरौरा परमाणु संयंत्र उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर के पास नरौरा में स्थापित परमाणु बिजली उत्पादन गृह का निर्माण माँग आधारित है । निकटवर्ती क्षेत्रों में उद्योगों के विकास के कारण यहाँ 235 मेगावाट के दो रिएक्टर कार्यरत हैं ।
9. ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण हेतु आवश्यक सुझाव दीजिए ।
उत्तर – ऊर्जा के परंपरागत स्रोत या संसाधन सभी क्षयशील या समाप्त होने वाले संसाधन हैं । परंतु ऊर्जा या शक्ति के बिना औद्योगिक विकास अथवा आर्थिक विकास संभव नहीं है । साथ ही साथ ऊर्जा के गैर – परंपरागत स्रोत वृहत् स्तर पर परंपरागत स्रोत के विकल्प का स्थान नहीं ले पाए हैं । इसलिए सतत् विकास के लिए यह आवश्यक है कि ऊर्जा संसाधनों को संरक्षित किया जाए । ऊर्जा संकट एक विश्वव्यापी समस्या है । अतः इसके समाधान के लिए अथवा ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण हेतु कुछ मुख्य उपयोगी सुझाव इस प्रकार हैं-
( i ) ऊर्जा के उपयोग में मितव्ययिता अपनाई जाए – ऊर्जा के उपयोग में मितव्ययिता का संबंध इन संसाधनों के बचत से है । ऐसी तकनीक का विकास एवं उपयोग किया जाना चाहिए जिससे कम ऊर्जा खपत में अधिक शक्ति मिल सके । नए मोटरगाड़ियों , मोटरसाइकिल का निर्माण , सी . एफ . ए . बल्ब का निर्माण इस दिशा में उपयोगी है ।
( ii ) ऊर्जा के नवीन क्षेत्रों की खोज की जाए – इसका संबंध उपलब्ध ऊर्जा संसाधनों के नए भंडारों की खोज से है । देश में पेट्रोलियम , प्राकृतिक गैस के नए भंडारों की खोज इसी उद्देश्य से की जा रही है । इनके लिए नवीन सुदूर संवेदी सूचना तकनीक का भी उपयोग बढ़ा है ।
( iii ) नवीन वैकल्पिक संसाधनों की खोज की जाए – इसका तात्पर्य यह है कि ऊर्जा की बढ़ती माँग को देखते हुए नवीन तकनीक के सहारे ऊर्जा के नए वैकल्पिक स्रोतों की खोज की जानी चाहिए । साथ ही गैर – परंपरागत ऊर्जा साधनों के वृहत् स्तर पर उपयोग की दिशा में भी शोध एवं कार्य किए जाने चाहिए । ( iv ) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग इस दिशा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बैठकर इस दिशा में विचार – विमर्श करना आवश्यक है|
( v ) जागरूकता फैलाना जरूरी – ऊर्जा संसाधन के मितव्ययिता एवं संरक्षण हेतु लोगों के बीच विशेषकर बच्चों के बीच जागरूकता फैलाना जरूरी है ।

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