Bihar Board Class12th Political Science chapter 6
1. अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र क्या है ?
[2013A,2014A]
. अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र वह प्रजातंत्र है जिसमें जनता अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन का संचालन करती है। प्रजातंत्र को आमतौर पर एक शासनतंत्र के रूप में स्वीकार किया गया है। इस संदर्भ में प्रजातंत्र सरकार का एक संगठन है, जो जनता द्वारा निर्मित, नियंत्रित एवं संचालित होता है।
2. प्रतिबद्ध नौकरशाही क्या है?
[2015A] फासीवादी व साम्यवादी देशों में प्रतिबद्ध नौकरशाही होते हैं। नौकरशाही व्यवस्था में स्थाई लोकसेवकों की भर्ती उनकी योग्यता एवं कार्यकुशलता को देखते हुए किया जाता है। जिसमें चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी, लिपिक से लेकर मुख्य सचिव एवं कैबिनेट सचिव तक के अधिकारी होते हैं, जो स्थाई होते हैं। 60 वर्ष से 65 वर्ष सेवा आयु हो जाने के बाद सेवा निवृत्त हो जाते हैं।
3. उन कारणों का वर्णन करें जिनके कारण 1975 में आपात काल की घोषणा हुई थी।
[2017A]
आपातकाल की घोषणा के निम्नलिखित कारण थे-
(i) 1971 के युद्ध में अधिक खर्च, 1972-73 की फसल विफलताएँ तथा 1973-74 में तेल की कीमतों में वृद्धि।
(ii) रेलवे कर्मचारी हड़ताल, बिहार आन्दोलन तथा गुजरात का नव-निर्माण आन्दोलन।
(iii) इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा इंदिरा गाँधी के निर्वाचन (1971) को अवैध घोषित करने का लेख जारी
भारत में जिसकी होने की कोई संभावना नहीं थी, वह 25 जून, 1975 को हुआ। राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल की घोषणा कर दी। संविधान के नाम से भारतीय संविधान का सार अपेक्षाएँ, उद्देश्य उसका
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4. संविधान में प्रस्तावना से आप क्या समझते हैं?
[2018A]
लक्ष्य तथा दर्शन प्रकट होता है। प्रस्ताव यह घोषणा करती है कि संविधान अपनी शक्ति सीधे जनता से प्राप्त करती है। यही कारण है कि
संविधान की प्रस्तावना की शुरुआत ‘हम भारत के लोग’ से होती है। प्रस्तावना मूल से निम्नलिखित बातों का सार रूप है संविधान का स्रोत, भारतीय राज्य की प्रकृति, इसके उद्देश्यों का विवरण एवं इसकी
जानकारी लेने की तारीख।
5. किसी राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है तथा उसका कार्यकाल क्या है?
किसी राज्य के राज्यपाल को उस राज्य का संवैधानिक प्रधान और कार्यपालिका का भी प्रधान माना जाता है। राज्य में राज्यपाल को केन्द्र का एजेंट भी माना जाता है। किसी राज्य में. राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। राज्यपाल की कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है। इस पाँच वर्ष के पहले राज्यपाल स्वयं त्यागपत्र दे सकते हैं या फिर राष्ट्रपति उसे कभी भी हटा सकते हैं।
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6. लोक अदालत क्या है?
[2020A/
भारत में न्याय व्यवस्था को सुलभ, सुगम एवं त्वरित न्याय के लिए न्याय का एक अन्य मार्ग निकाला गया है जिसे लोक अदालत कहा गया है। लोकअदालत का अर्थ है लोगों का अदालत या न्यायालय। इस न्यायालय में विवादों का आपसी सहमति से निपटाया जाता है। लोक अदालत में विवादों का निपटारा सभी स्तरों पर सर्वोच्च न्यायालय का स्तर, उच्च न्यायालय का स्तर जिला न्यायालय का स्तर पर आपसी सहमति से निपटाने के लिए गठित की जाती है।
7. प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के दो गुणों का उल्लेख करें।
[2021A]लोकतंत्र में शासन प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में होता है। जब लोग प्रत्यक्ष रूप से शासन के कार्यों में सार्वजनिक मामलों एवं नीति निर्माण में भागीदारी निभाते हैं और अपनी सहमति या असहमति देते हैं तो प्रत्यक्ष प्रजातंत्र कहलाता है। प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के दो गुण निम्नलिखित है-
( i) प्रत्यक्ष प्रजातंत्र के देशों में भ्रष्टाचार कम होते हैं। (ii)
प्रत्यक्ष प्रजातंत्र में निर्णय प्रक्रिया आसान होती है।
(B) संसदात्मक
8. न्यायिक सक्रियता क्या है?
जब विधायिका और कार्यपालिका अपने कार्यों को समय पर नहीं करती है या अपने कायों को करने में विफल रहती है तो ऐसी स्थिति में न्यायालय उनके कार्यों को करने के लिए निर्णय या आदेश देता है, तो वह निर्णय या आदेश न्यायिक सक्रियता कहलाता है।
[2021A]
१. कानून के दो स्रोतों का उल्लेख करें।
राज्य का लक्ष्य मानव को सुख पहुँचाना एवं उसके कल्याण की व्यवस्था करना होता है। इसके लिए राज्य नियम एवं सिद्धांत बनाते हैं। राज्य द्वारा बनाये गए एवं लागू किए गए नियम को हीं कानून कहते हैं। कानून के स्रोत है- (i) संविधान, (ii) विधान, (iii) परंपरागत कानून (iv) अदालतों का निर्णय।
10. न्याय क्या है
न्याय’ शब्द का अंग्रेजी अनुवाद जस्टिस (Justice) है। जिसका अर्थ है-जोड़ना। साधारण अर्थ में नैतिकता, औचित्य, विधि, प्राकृतिक विधि, धर्म या समता के आधार पर ठीक होने की स्थिति को न्याय कहते हैं। न्याय का मूल आधार कर्तव्य से जोड़ा गया है। कर्त्तव्यों की पूर्ति को न्याय का मूल आधार कहा जा सकता है।
न्याय वैधिक और नैतिक होता है। यह व्यक्ति के व्यवहार और व्यवस्था को नियंत्रित करता है और उसे बनाये रखता है। अर्थात् व्यवस्था को सुचारु से बनाए रखना हीं न्याय है।
11. आपातकाल के दो नतीजे बतायें।
[2022A/
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 से 360 तक में आपातकाल का वर्णन मिलता है। आपातकाल की स्थिति में देश पूर्ण रूप से केंद्र सरकार के नियंत्रण में रहती है।
आपातकाल के नतीजे हैं-
(i) आपातकाल लागू होने पर सारी शक्ति केंद्र के अधीन आ जाती है।
(ii) आपातकाल की स्थिति में चुनाव को स्थगित कर दिया जाता है एवं नागरिक अधिकारों को समाप्त कर दिया जाता है।
(iii) आपातकाल लागू होने के बाद भारत का संविधान संघात्मक से एकात्मक संविधान हो जाता है। आदि।
12. न्यायिक पुनर्विलोकन से आप क्या समझते हैं?
न्यायिक पुनर्रावलोकन की शक्ति उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय दोनों को प्राप्त है। सरकार के कोई आदेश या निर्णय तथा संसद द्वारा बनाया गया कोई भी कानून जो संविधान या संविधान के मूल भावना के खिलाफ हो तो सरकार के ऐसे आदेश या निर्णय तथा संसद द्वारा बनाये गये कानून की वैधानिकता की जाँच करता है। आवश्यकता पड़ने पर उसे रद्द भी कर सकता है।
13. नक्सलवाद क्या है?
नक्सलवाद साम्यवाद व माओवाद की विचारधारा से प्रभावित एक हिंसक आंदोलन है। इस आंदोलन को नक्सलवाद इसलिए कहते हैं क्योंकि इसकी शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलवाद स्थान पर हुई थी। यह आंदोलन भारत में पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, झारखंड व मध्य प्रदेश में अधिक सक्रिय है। नक्सलवादी हिंसा व क्रांति के माध्यम से सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था में मौलिक बदलाव चाहते हैं
[2014A,2019A,2021A, 2022A, 2023A)
[2025]
14. लोकसभा अध्यक्ष की किन्हीं दो शक्तियों का वर्णन करें।
[2023A]
लोकसभा अध्यक्ष की शक्तियाँ व कर्त्तव्य निम्नलिखित है-
(i) लोकसभा की कार्यवाही व संचालन के लिए वह नियम व विधि का निर्वहन करता है
(ii) लोकसभा में किसी विषय को लेकर कर्यस्थल प्रस्ताव की अनुमति प्रदान करता है।
15. मध्यावधि चुनाव से आप क्या समझते हैं?
[2023A]
. मध्यावधि चुनाव को मध्यवर्ती चुनाव के नाम से भी जाना जाता है। मध्यावधि चुनाव का मतलब एक निर्धारित समय सीमा से पहले होने वाले चुनाव को मध्यावधि चुनाव कहते हैं। जब कोई सदस्य अपना पद त्याग देता है अर्थात् जब कभी मंत्रीगण किसी पार्टी से अपना त्याग पात्र देते हैं या समय से पहले ही लोकसभा भंग हो जाती है, ऐसी स्थिति में मध्यावधि चुनाव होता है।
16. मौलिक कत्र्त्तव्य से आप क्या समझते हैं?
[2023A]
. व्यक्ति के अधिकारों के साथ-साथ देश एवं समाज के लिए कुछ कर्त्तव्य भी होते हैं। व्यक्ति के लिए किसी कार्य करने को करने के दायित्व को कर्तव्य कहते हैं। मौलिक कर्त्तव्य ऐसे बुनियादी कर्त्तव्य को कहते हैं जो व्यक्ति को अपनी उन्नति व विकास के लिए तथा समाज एवं देश की प्रगति के लिए अवश्य करने चाहिए। भारतीय संविधान में 42वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा संविधान के भाग-4 में 10 मौलिक कर्त्तव्य जोड़ा गया। वर्ष 2002 में 86वाँ संविधान संशोधन द्वारा एक और मौलिक कर्त्तव्य जोड़ा गया। अभी भारतीय संविधान में कुल ।। मौलिक कर्तव्य है।
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17. शून्य काल से आप क्या समझते हैं?
[2025A,2023A]
. शून्य काल वह समय होता है जब सांसद तत्काल सार्वजनिक महत्व के मुद्दे उठा सकते हैं। यह दोपहर 12 बजे के बाद शुरू होता है। लोकसभा में ‘शून्य काल’ में मुद्दे को उठाने के लिए सदस्यों को रोजाना सुबह 8.30 बजे से 9.00 बजे के बीच स्पीकर को सूचना देना होता है।
18. प्रश्न काल क्या है?
(2023A)
संसदीय व्यवस्था में प्रश्नकाल एक महत्वपूर्ण स्थान है। अपने देश में लोकसभा, राज्यसभा तथा विधानमण्डल की जब भी बैठक होती है तो प्रत्येक बैठक का पहला घंटा अर्थात 11 बजे से 12 बजे तक का काल प्रश्नकाल कहलाता है। इसे प्रश्नकाल इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें प्रश्न पूछा जाता है। इसमें सांसद या विधानमण्डल के सदस्यों द्वारा मंत्रियों से प्रश्न पूछा जाता है। प्रश्नकाल में एक दिन में केवल 20 प्रश्नों को ही सूचीबद्ध किया जाता है।
19. अध्यादेश का क्या अर्थ है?
(2025A,20234)
अध्यादेश एक संवैधानिक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से राष्ट्रपति या राज्यपाल उस समय कानून लागू करने का कार्य करते हैं जब संसद अथवा राज्य विधानमण्डल के दोनों सदन या कोई एक सदन सत्र में न हो तथा कानून लागू करना अति आबश्यक हो गया हो। राष्ट्रपति या राज्यपाल मंत्रिमण्डल के सलाह पर ही अध्यादेश लाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 123 तथा राज्यपाल 213 के अंतर्गत अध्यादेश जारी कर सकता है।
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20. किन्हीं दो मौलिक अधिकारों की व्याख्या करें।
[2024A)
भारत के संविधान ने नागरिकों को वर्तमान में 6 (पूर्व में 7) मौलिक अधिकार दिए हैं-(i) स्वतंत्रता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 तक
छः प्रकार की स्वतंत्रता दी है-बोलने की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक बिना हथियारों के प्रदर्शन, सभा करने, संघ बनाने, देश के किसी भी क्षेत्र में आने-जाने, निवास करने आदि की।
(ii) संवैधानिक उपचारों का अधिकार- इसे संविधान की आत्मा कहा जाता है। इसके तहत राज्य अथवा अन्य द्वारा किसी भी मौलिक अधिकारों के हनन होने पर उच्चतम न्यायालय का शरण लिया जा सकता है।
21. अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं?
[2024A)
21. सार्वजनिक सेवा-प्राप्ति में अवसर की समानता संविधान के अनुच्छेद 16 के अंतर्गत यह प्रवधान है कि लोक सेवाओं के विषय में सभी नागरिकों को नियुक्ति पाने का समान अवसर प्राप्त है। इसमें दुहराया गया है कि राज्य अपने अधीन पदों पर नियुक्ति के संबंध में समान अवसर उपलब्ध कराएगा तथा धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान इत्यादि के आधार पर किसी को अयोग्य नहीं ठहराएगा।
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22. संविधान के दर्शन का क्या अर्थ है?
[2024A]
22. संविधान की प्रस्तावना ही संविधान का दर्पन है। संविधान सभा द्वारा स्वीकृत प्रस्तावना ही वह दर्शन है, जिसपर संविधान का निर्माण हुआ है। हम भारत के लोग अर्थात् भारत की जनता ने संविधान का निर्माण प्रतिनिधियों के माध्यम से किया है। प्रभुत्व संपन्न अर्थात् लोगों को अपने हर मामले में फैसला करने का सर्वोच्च अधिकार है। कोई अन्य बाहरी शक्ति भारत को आदेश नहीं दे सकती है। समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक’ गणराज्य बनाने के लिए स्वतंत्रता, समानता, व्यक्ति की गरिमा, राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करना, बंधुता को बढ़ाना आदि इसके प्रमुख पहलू हैं।
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23. राज्यसभा को स्थायी सदन क्यों कहा जाता है?
(2024A)
2.3. राज्यसभा को स्थायी सदन इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह कभी लोक सभा जैसा भंग नहीं होता है। इसके सदस्यों का निर्वाचन 6 वर्ष के लिए होता है, लेकिन इसके एक-तिहाई सदस्य प्रत्येक दो वर्ष बाद कार्य निवृत हो जाते हैं और उसके स्थान पर नए सदस्यों का निर्वाचन हो जाता है।
24. 73वां संविधान संशोधन क्या है?
[2024A/
24. 73वां संविधान संशोधन 1992-1993 में पारित किया गया। इस संशोधन द्वारा संविधान में ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी गयी। इसके तहत पंचायतीराज से संबंधित प्रावधानों को जोड़ा गया। इसके द्वारा राज्यों में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था ग्राम पंचायत, प्रखंड पंचायत तथा जिला परिषद् के गठन, उसके कार्यक्षेत्र व अधिकार आदि के प्रावधान किए गए हैं जिसमें अनुच्छेद 243 और 243’क’ से ‘ग’ तक शामिल है।
25. राज्यसभा की दो विशेष शक्तियों को लिखें।
[2024A]
राज्यसभा की दो विशेष शक्तियां निम्न हैं-
(i) कार्यपालिका संबंधी अधिकार
(ii) व्यवस्थापिका संबंधी अधिकार
26. समवर्तीसूची क्या है?
26. समवर्ती सूची भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूत्री में दी गई तीसरी सूची है, जिसमें ऐसे 52 विषय शामिल हैं जिन पर केंद्र और राज्य, दोनों को कानून बनाने का अधिकार होता है। यदि किसी विषय पर दोनों ने अलग-अलग कानून बना दिए हों, तो केंद्र का कानून सर्वोपरि माना जाता है। यह प्रणाली भारत को एक संघीय ढाँचा देती है, लेकिन इसमें केंद्र को अधिक शक्तियों दी गई हैं, जो इसे कनाडा जैसे संघीय देशों से मिलती-जुलती बनाती है
