Class 12th Biology Chapter 15 Notes ( जैव विविधता एवं संरक्षण) | Jaiv vividhata notes 12th class |biology class 12th chapter 13|

 

Class 12th Biology Chapter 15 Notes

 

Class 12th Biology Chapter 15 Notes ( जैव विविधता एवं संरक्षण) |  |biology class 12th chapter 15|यहाँ हमने Class 12 Biology Chapter 15 Notes in Hindi दिये है। Class 12 Biology Chapter 15 Notes in Hindi आपको अध्याय को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे और आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे।

 

जैवविविधता:-

  • पृथ्वी पर पाये जाने वाले विभिन्न जीव जातियो को जैव विविधता कहते है।

  • जैव विविधता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग रोजन नामक वैज्ञानिक ने किया था।

  • एडवर्ड विल्सन को जैव विविधता का जनक कहते है।

 

जैवविविधता के प्रकार :-

जैव विविधता तीन प्रकार का होता है:-

(i) आनुवंशिक विविधता:- एक ही जाति मे पाई जाने वाली विभिन्नता को आनुवंशिक विविधता कहते है।

उदाहरण:- सर्पगन्धा (राऊवोल्फीया वोमिटोरिया) की विभिन्न किस्मे हिमालय मे मिलती है।

 

(ii) जातीय विविधता:- किसी जाति की अलग-अलग किस्मो के बीच पायी जाने वाली विविधता को जातीय विविधता कहते है। जैसे- पश्चिमी घाट मे उभयचरो की अधिक जातियाँ पायी जाती है, जबकि पूर्वी घाट पर कम।

 

(iii) समुदाय एवं पारिस्थितिकीय विविधता:– पारिस्थितिकीय स्तर पर पायी जाने वाली विविधता को पारिस्थितिकीय विविधता कहते है। जैसे- रेगिस्तान, वर्षा वन, मैग्रोव वन, पतझड़ वन आदि ।

पारिस्थितिकीय विविधता को तीन भागो मे वर्गीकृत किया जाता है:-

  • (a) एल्फा विविधता:– एक ही समुदाय या आवास मे पाये जाने वाले जीवो मे विविधता को एल्फा विविधता कहते है। जैसे – एक छोटे वन या उद्यान मे पादपो मे विविधता |

  • (b) बीटा विविधता:- अलग- अलग समुदाय या आवासो मे पाये जाने वाले जीवो मे विविधता को बीटा विविधता कहते है। जैसे- स्थल व जल तंत्रो मे पायी जाने वाली जातियो की विभिन्नता ।

  • (c) गामा विविधता:- एक ही क्षेत्र मे अलग-अलग आवासो मे पाये जाने वाले जीवो मे विविधता को गामा विविधता कहते है।

 

पृथ्वी पर तथा भारत मे जाति विविधता

  • वर्तमान में प्रत्येक वर्ष लगभग 15,000 नयी जातियाँ खोजी जा रही है।

  • IUCN  के अनुसार अब तक दर्शायी गयी जन्तु व पादपों की कुल संख्या 1.5 मिलियन (15 लाख) जातियाँ है।

  • वर्तमान मे पृथ्वी पर अभी आकलित जातियो मे से 70% से अधिक जन्तु है।

  • यद्यपि भारत का भूमि क्षेत्र विश्व का केवल 2.4 प्रतिशत है,

विश्व मे खोजी गई जातियो का आकलन

  • विश्व मे कुल जातियो का 70% भाग – जन्तु जातियाँ व 22% भाग पादप जातियाँ  तथा शेष 8% अन्य जीव होते हैं।

  • जन्तुओ की कुल संख्या का 70% से ज्यादा भाग कीट निर्मित अन्य करते हैं।

Class 12th Biology Chapter 15 Notes

 

भारत मे जैव विविधता

  • यद्यपि भारत का क्षेत्रफल विश्व का केवल 2.4% है, किन्तु इसमे जैव-विविधता विश्व की 8.1% है।

  • जिसके कारण महाविविधता वाले 12 देशो मे भारत शामिल है।

  • भारत मे अभी 100,000 से ज्यादा पादप , 3,00,000 से ज्यादा जन्तु जातियो की खोज होना बाकी है।

जैव विविधता की क्षति के कारण

जैव विविधता की क्षति के मुख कारक निम्न है:-

(1) प्राकृतिक आवासो का विनाश जैव विविधता के लिए भयंकर संकट है।

(2) मनुष्य सदैव भोजन, आवास, लकड़ी व दवाओं के लिए प्रकृति पर निर्भर करता है | जिससे  प्राकृतिक सम्पदा का अति दोहन के कारण जीव प्रभावित होते हैं। जैसे समुद्री गाय, पैसेजर कबूतर जैसी अनेक जातियो को लुप्त कर दिया है।

(3)  जब बाहरी जातियाँ अनजाने मे या जानबूझकर एक क्षेत्र मे लाई जाती है तब स्थानीय जातियो मे कमी या विलुप्ति का कारण बन जाती है। उदाहरण – जलकुम्भी, लान्टाना केमेरा, नाइल पर्च आदि ।

(4) एक परपोषी मछली की प्रजाति के विलुप्त होते ही उसके परजीवी भी विलुप्त होने लगते है।

(5) मानव क्रियाओ या प्राकृतिक कारणो से वनो मे आग लगने, सूखा पड़ने, बाद, पेड़ो की कटाई, खनन आदि से वन बुरी तरह से प्रभावित होते हैं जिसके कारण वन्य जीव लुप्त हो जाते है।

(6) मानव के क्रियाकलापो का बुरा परिणाम है। प्रदूषण के द्वारा अनेक जीवो का आवास विभिन्न प्रकार से दूषित है।

  •  

(b) राष्ट्रीय उद्यान:- राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीवन एवं पारिस्थितिक तन्त्र दोनो के संरक्षण के लिए सुनिश्चित होते है, अत: इनमे शिकार करना एवं पशु चराना पूर्ण रूप से वर्जित होता है |

इसमे व्यक्तिगत स्वामित्व नही दिये जाते है। इनकी स्थापना एवं नियंत्रण केन्द्र सरकार के अन्तर्गत होती है, परन्तु इसकी व्यवस्था सम्बन्धित अधिकार राज्य सरकार के अधीन होता है।

(C) वन्यजीव अभ्यारण्य:– अभ्यारणो का उद्देश्य केवल वन्यजीव का संरक्षण करना होता है, अत: इनमें व्यक्तिगत स्वामित्व, लकड़ी काटने, पशुओ को चराने आदि की अनुमति इस प्रतिबंध के साथ दी जाती है कि इन क्रियाकलापो से वन्य प्राणी प्रभावित न हो। इनकी स्थापना एवं नियंत्रण राज्य सरकार करती है।

Note:- विश्व का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान येलोस्टोन राष्ट्रीय उद्यान है। इसकी स्थापना 1872 ई० USA में हुई।

भारत का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान है। यह नैनीताल ( उत्तराखण्ड) में स्थित है। इसकी स्थापना सन् 1936 ई० मे हुई।

(d) जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र:- ये बहुउद्देशीय प्रतिबन्धित सुरक्षित क्षेत्र होते है जो जैव विविधता को संरक्षित रखते हैं।

इनमें जन्तु व पादपो के साथ-साथ मूल आदिवासी लोगो को भी इस क्षेत्र मे निवास करने की अनुमति नही है।

प्रत्येक जैव- मण्डल क्षेत्र मे तीन अनुक्षेत्र (भाग) उपस्थित होते है:-

  • (i) कोर अनुक्षेत्र:- इस क्षेत्र मे किसी भी प्रकार की मानवीय क्रिया या हस्तक्षेप की अनुमति नही दी जाती है।

  • (ii) बफर अनुक्षेत्र:- इनमे मानव क्रियाओ की सीमित अनुमति प्रदान की जाती है

जीव मण्डल आरक्षित क्षेत्र की विशेषताएँ:-

  • जीव मण्डल आरक्षित क्षेत्र मे पूर्ण रूप से सुरक्षित क्षेत्र होना चाहिए।

  • जीव मण्डल आरक्षित क्षेत्र मे पारिस्थितिक सन्तुलन शोधकार्यो तथा शिक्षा के बीच पूरा सहयोग व सम्बन्ध जरूरी होता है।

  • जीव मण्डल आरक्षित क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यानो व उनके चारों तरफ के क्षेत्र का विकास करने वाला होना चाहिए।

 बाह्य स्थाने संरक्षण:- यदि हम किसी जीव को मानव निर्मित आवास में रखकर सुरक्षा प्रदान करते है तो इसे बाह्य स्थाने संरक्षण कहते है। इसे भी निम्न तरीको से रख सकते है:-

  • (a) निम्नताप परिरक्षण:- ऐसे जीव जो दुर्लभ तथा संकटग्रस्थ पादपो के जर्मप्लाज्म को बहुत कम ताप (-195°C) पर संग्रहीत किया जाता है। तो इसे निम्नताप परीरक्षण या कायोप्रिजरवेसन कहते हैं।

  • (b) जीन बैंक:- जीन बैंको में समाप्त होने के कगार पर पहुँच चुकी जातियो के जीन को सुरक्षा प्रदान करते है।

  • (c) वीर्य बैंक:- वीर्य बैको मे विशिष्ट किस्म के नर-मादा युग्मको का संचय किया जाता है।

  • (d) पात्रे निषेचन – इसमे दो उच्च श्रेणी के विशेष जाति के नर व मादा युग्मको का निषेचन परखनली मे या प्रायोगिक पात्र मे पूर्ण कराया जाता है। इसे पात्रे निषेचन कहते हैं।

Class 12th Biology Chapter 15 Notes

जैव विविधता का अर्थ

 

जैव विविधता दो शब्दों के मेल से बना है (Bio) ‘बायो’ का अर्थ है- जीव तथा डाइवर्सिटी (Diversity) का अर्थ हैकिसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्या और उनकी विविधता को जैव-विविधता कहते हैं।

 

जैव-विविधता को तीन स्तरों पर समझा जा सकता है-

(i) आनुवांशिक जैव-विविधता (Genetic diversity),

(ii) प्रजातीय जैव-विविधता ( Species diversity)

(iii) पारितंत्रीय जैव-विविधता (Ecosystem diversity)

 

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