वन एवं वन्य प्राणी संसाधन (1. ग )

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I. वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर :
1.   2001 ई ० में भारत के कितने प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र पर बन का विस्तार था ?
( क ) 25 ( ख ) 19.27 ( ग ) 20 ( घ ) 20.27 

उत्तर– ( ख )

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2. वन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार भारत में वन का विस्तार कितने प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र पर है ?
( क ) 20.60 % ( ख ) 20.55 % ( ग ) 20 % ( घ ) 60.20 %
उत्तर— ( क )

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3. बिहार में कितने प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र पर वन का विस्तार है ?
( क ) 15 % ( ख ) 28 % ( T ) 20 % ( घ ) 45 %

उत्तर- ( ग )

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4. पूर्वोत्तर राज्यों के 188 आदिवासी जिलों में देश के कुल क्षेत्र का कितना प्रतिशत वन है ?
( क ) 75 % ( ख ) 80.05 % ( ग ) 90.03 % ( घ ) 60.11 %
उत्तर– ( घ )

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5. निम्नांकित किस राज्य में सबसे अधिक वन का विस्तार मिलता है ?
( क ) केरल ( ख ) कर्नाटक ( ग ) मध्य प्रदेश ( घ ) उत्तर प्रदेश
उत्तर ( ग )

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6. वन संरक्षण एवं प्रबंधन की दृष्टि से वनों को कितने वर्गों में बाँटा गया है ?
( क ) 2 ( ख ) 3 (ग)4 ( घ ) 5
उत्तर– ( ख )

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7. 1951-1980 की अवधि के दौरान लगभग कितना वर्ग किमी वन क्षेत्र कृषि भूमि में परिवर्तित हुआ ?
( क ) 3000 ( ख ) 25200 ( T ) 35500 ( घ ) 26200
उत्तर– ( घ )

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8. भारतीय संविधान की धारा 21 का संबंध किससे है ?
( क ) मृदा संरक्षण ( ख ) वन्य जीवों तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण ( ग ) जल संसाधन संरक्षण ( घ ) खनिज संपदा संरक्षण
उत्तर– ( ख )

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9. एफ . ए . ओ . की वानिकी रिपोर्ट के अनुसार 1948 में विश्व के कितने हेक्टेयर भूमि पर वन का विस्तार था ?
( क ) 6 अरब हे ( ख ) 5 अरब है . ( ग ) 4 अरब है . ( घ ) 8 अरब हे .
उत्तर– ( ग )

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10. प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित 1968 में कौन – सा कनवेंशन हुआ था ?
( क ) अफ्रीकी कनवेंशन ( ख ) वेटलैंडस कनवेंशन ( ग ) ब्राजील कनर्वेशन ( घ ) विश्व आपदा कनवेंशन उत्तर— ( क )
11. इनमें कौन जीव केवल भारत में पाया जाता है ? ( क ) घड़ियाल ( ख ) कछुआ ( ग ) हल ( घ ) डालफिन
उत्तर– ( क )

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12. भारत का राष्ट्रीय पक्षी है ?
( क ) कबूतर ( ख ) हंस ( ग ) मयूर ( घ ) तोता उत्तर– ( ग )
13. मैंग्रूव्स का सबसे अधिक विस्तार कहाँ मिलता है ?
( क ) अंडमान – निकोबार ( ख ) सुंदरवन ( ग ) पूर्वोत्तर राज्य ( घ ) मालाबार तट
उत्तर- ( ख )
14. टेक्सोल का उपयोग किस बीमारी में होता है ? ( क ) मलेरिया ( ख ) एड्स ( ग ) टी.बी. ( घ ) कैंसर उत्तर– ( घ )
15. चरक का संबंध किस देश से था ?
( क ) म्यांमार ( ख ) श्रीलंका ( ग ) भारत ( घ ) नेपाल
उत्तर– ( ग )

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II . लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर :
1 . वन विनाश के मुख्य कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – वन विनाश के मुख्य कारक हैं -( i ) कृषि भूमि का विस्तार । ( ii ) बड़ी विकास योजनाओं की शुरुआत । ( iii ) पशुचारण एवं ईंधन के लिए लकड़ी का उपयोग । ( iv ) रेलमार्ग , सड़कमार्ग निर्माण । ( v ) औद्योगिक विकास एवं नगरीकरण ।

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2. बिहार के वर्तमान वन संपदा की स्थिति का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – बिहार विभाजन के बाद बिहार की वन संपदा में काफी कमी आ गई । वर्तमान समय में कुल भौगोलिक क्षेत्र के मात्र 7.1 % भाग पर वन का फैलाव है । बिहार के 38 जिलों में से 17 जिलों से वन क्षेत्र बिल्कुल समाप्त हो चुका है । राज्य के औरंगाबाद , कैमूर , रोहतास , गया , नालंदा , नवादा , जमुई , बांका , मुंगेर और पश्चिम चंपारण में वन पाए जाते हैं । यहाँ कुल मिलाकर 3700 वर्ग किमी क्षेत्र पर वन का विस्तार मिलता है ।

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3. वन के पर्यावरणीय महत्व को लिखें ।
उत्तर – वन एक अमूल्य संसाधन है । सृष्टि के आरंभ से लेकर अंत तक मानव जीवन इसके द्वारा पोषित है । वन की उपस्थिति जीवमंडल में सभी जीवों को संतुलित स्थिति में जीने के लिए संतुलित परिस्थितिकी प्रदान करता है तथा सभी जीवों के लिए खाद्य ऊर्जा का प्रारंभिक स्रोत भी ये वन ही हैं ।

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4. वन्य जीवों के ह्रास के चार प्रमुख कारणों को लिखेंl
उत्तर – वन्य जीवों के हास के चार प्रमुख कारण हैं ( 1 ) वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों का अतिक्रमण । ( ii ) प्रदूषण संबंधी समस्याएँ । ( iii ) आर्थिक लाभ हेतु शिकार । ( iv ) अवैध शिकार ।
5. वन्य जीवों के संरक्षण में सहयोगी या सामुदायिक रीति – रिवाज कैसे सहायक हैं ? उल्लेख करें ।
उत्तर -वन्य जीवों के संरक्षण में सामुदायिक रीति – रिवाज काफी सहायक हैं । गैर जनजातीय समाज में कई अवसरों पर पीपल , नीम , आम , बरगद एवं तुलसी की पूजा की जाती है । परिणामतः इनका स्वतः संरक्षण हो जाता है । इसी तरह कई पशुओं को भी पूजनीय माना गया है । जबकि जनजातीय समाजों में भी प्रकृति एवं पशुओं को पवित्र माना जाता है । उनकी वे पूजा करते हैं तथा उनके जीवन की रक्षा भी करते हैं । काले हिरण , चिंकारा , नीलगाय , बंदर , गाय , चूहा , कबूतर इत्यादि जैसे जीवों की रक्षा सामुदायिक रीति – रिवाजों के द्वारा होती है । वनों के संरक्षण के कारण उन पर आश्रित वन्य जीवों का भी स्वतः संरक्षण हो जाता है ।

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6. चिपको आंदोलन क्या है ?
उत्तर – तत्कालीन उत्तर प्रदेश और वर्तमान के उत्तराखंड राज्य में स्थित टेहरी – गढ़वाल जिले में चिपको आंदोलन 1972 में शुरू किया गया । सुंदर लाल बहुगुणा के नेतृत्व में स्थानीय अनपढ़ जनजातियों द्वारा , ठेकेदारों द्वारा हरे – भरे वृक्षों को काटने के दौरान उसे बचाने के लिए ये लोग पेड़ों से चिपककर खड़ा हो जाते थे , ताकि पेड़ों को काटा नहीं जा सके । इसे पूरे भारत के साथ ही साथ विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया ।
7. कैंसर रोग के उपचार में वन कैसे सहायक है ? लिखें ।
उत्तर – हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्यों में स्थित उच्च क्षेत्रों में हिमालयन यव नाम का एक पौधा पाया जाता है । चीड़ के प्रकार का यह पौधा औषधीय गुण वाला है । इस पेड़ की छाल , पत्तियों , टहनियों और जड़ों से ‘ टैक्सॉल ‘ नामक रसायन प्राप्त किया जाता है जो कैंसर रोग के उपचार में सफल है । इस प्रकार कैंसर रोग के उपचार में वन अपने उत्पाद के जरिए सहायक है ।
8. विलुप्त होने के खतरे वाले दस जीव – जंतुओं के नाम लिखें ।
उत्तर — विलुप्त होने के खतरे वाले दस जीव – जंतुओं के नाम इस प्रकार हैं ( i ) लाल पांडा ( ii ) सफेद सारस ( iii ) पर्वतीय बटेर ( iv ) सारंग ( iv ) नीलगाय ( vi ) मगरमच्छ ( vii ) गिद्ध ( viii ) भेड़िया ( ix ) मोर ( x ) चीता
9. प्रदूषण जनित समस्या से वन्य जीवों का ह्रास हुआ है । कैसे ?
उत्तर – प्रदूषण के बढ़ने के कारण कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हुई है जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव वन्य जीवों पर नकारात्मक रूप से पड़ा है । पराबैंगनी किरणों की अधिकता , अम्ल वर्षा एवं ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण वन्य जीवों की संख्या में कमी आई है । इसके अलावा वायु , जल तथा मृदा प्रदूषण के कारण वन एवं वन्य जीवन चक्र दुष्प्रभावित होता जा रहा है । जीवन चक्र को पूर्ण किए बिना नया जन्म संभव नहीं है । यही कारण है कि निवास स्थान उपलब्ध होने के बाद भी वन्य जीवों का वास होता जा रहा है ।
10. भारत के दो प्रमुख जैवमंडल क्षेत्र का नाम प्रांतों सहित लिखें ।
उत्तर – भारत के दो प्रमुख जैवमंडल क्षेत्र हैं – ( i ) पंचमढ़ी क्षेत्रफल 492628 वर्ग किमी ० , प्रांत – मध्य प्रदेश । ( ii ) डिबू साइकोबा क्षेत्रफल , 765 वर्ग किमी ० , प्रांत – असम ।

II . दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

1. वन एवं वन्य जीवों के महत्त्व का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए ।
उत्तर – वन एक नवीकरणीय संसाधन है , जिससे मानव का संबंध काफी पुराना है । मानवीय सभ्यता और संस्कृति का विकास वनों से ही हुआ है और आज भी हमारा संबंध इन वनों और वन्य जीवों से काफी गहरा है ।
वन पृथ्वी के लिए सुरक्षा कवच है । यह पृथ्वी का फेफड़ा कहलाता है । कहा जाता है कि जब तक वन एवं वन्य जीव साँस लेता रहेगा तबतक मानव भी साँस लेता रहेगा । संसाधन के साथ ही साथ यह पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का एक महत्वपूर्ण घटक है । सभी जीवों के लिए खाद्य ऊर्जा का प्रारंभिक स्रोत यह वन ही है ।
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार संतुलित पर्यावरण के लिए किसी क्षेत्र के लगभग 33 % क्षेत्र पर वन का विस्तार होना आवश्यक है । वन का विकास कई भौगोलिक कारकों पर निर्भर करता है । फलतः इसके वितरण में काफी भिन्नताएँ पाई जाती हैं । वन वृक्षों की विविधता के कारण इससे पशुओं के लिए चारा , उलाने के लिए ईंधन , काष्ठ , लकड़ियाँ तथा कई उद्योगों के लिए कच्चे माल तथा लुग्दी , इमारती लकड़ियाँ प्लाईवुड , फाइबर बोर्ड , सेलुलोज , रबड़ , कार्क , तेल , विभिन्न प्रकार के फल एवं मसाले , औषधियाँ तथा टैनिन इत्यादि प्राप्त किए जाते हैं । हिमालयन यव से प्राप्त टैक्सोल रसायन कैंसर रोग के उपचार में प्रयुक्त होता है । इसी तरह कई अन्य जड़ी – बूटियाँ हमें वनों से मिलती हैं ।
जबकि वन्य जीवों में मांसाहारी , शाकाहारी , उभयचर एवं सरीसृप वर्ग के जीव पाए जाते हैं जो जैव – विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं । इनके कई प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष उपयोग हैं ।
2. वृक्षों के घनत्व के आधार पर वनों का विस्तार से वर्णन कीजिए ।
उत्तर – वनों का वितरण कई भौगोलिक कारकों पर निर्भर करता है जिसमें स्थानीय जलवायु एवं उच्चावच प्रमुख हैं । इसी के आधार पर विश्व के वनों का वर्गीकरण किया जाता है । परंतु इन वनों का वितरण काफी असमान है । भारत में भी यही स्थिति है जहाँ मध्य प्रदेश एवं पूर्वोत्तर राज्यों में सघन वन पाए जाते हैं वहीं राजस्थान , हरियाणा , बिहार , पंजाब जैसे राज्यों में बनों का घनत्व काफी कम है वृक्षों के इसी घनत्व भिन्नता के आधार पर भारतीय वनों को पाँच वर्गों में रखा गया है –
( i ) अत्यंत सघन वन – इस प्रकार के वनों में वृक्षों का घनत्व 70 % से अधिक है । भारत में इस प्रकार के वन का विस्तार ( 2 % ) 54.6 लाख हेक्टेयर भूमि पर है । असम और सिक्किम को छोड़कर पूरे पूर्वोत्तर राज्यों में ऐसे वन हैं ।
( ii ) सघन वन — इस प्रकार के वन के अंतर्गत लगभग 74 लाख हेक्टेयर भूमि है जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 3 % है । यहाँ वनों का घनत्व 63 % है । ऐसे वन हिमाचल प्रदेश , सिक्किम , मध्य प्रदेश , जम्मू – कश्मीर , महाराष्ट्र एवं उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में है । ( iii ) खुले वन – लगभग 3 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर इन वनों का विस्तार है जो कुल भौगोलिक क्षेत्र के 7 % पर विस्तृत है इसके अंतर्गत कर्नाटक , तमिलनाडु , केरल , आंध्रप्रदेश , उड़ीसा और असम के 16 आदिवासी जिले शामिल हैं । यहाँ वृक्षों का घनत्व 10-40 % तक है ।
( iv ) झाड़ियाँ एवं अन्य — इसके अंतर्गत पंजाब , हरियाणा , बिहार , उत्तर प्रदेश , पश्चिम बंगाल एवं राजस्थान के इलाके शामिल हैं । ऐसे वन का विस्तार कुल भौगोलिक क्षेत्र के 9 % क्षेत्र पर है । यहाँ वृक्षों का घनत्व 10 % से भी कम है l
( v ) मैंग्रोव वन मुख्यतः देश के पूर्वी तटीय राज्यों में ऐसे वन मिलते हैं इसमें पश्चिम बंगाल , गुजरात , अंडमान – निकोबार द्वीप समूह , आंध्र प्रदेश , कर्नाटक , महाराष्ट्र , उड़ीसा , तमिलनाडु , पांडिचेरी , केरल एवं दमन – दीव शामिल हैं ।

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3. जैव – विविधता से आप क्या समझते हैं ? इसके महत्व का वर्णन करें ।
उत्तर – संपूर्ण पृथ्वी अथवा उसके किसी एक हिस्से पर पाए जानेवाले जीवों की विविधता को जैव – विविधता कहा जाता है । इसमें सूक्ष्म जीवाणु से लेकर ब्लू देल जैसे बड़े जीव शामिल हैं । दूसरे शब्दों में ” पृथ्वी जैव विविधता का भंडार गृह है । ” स्थानीय स्तर पर किसी क्षेत्र अथवा जैविक उद्यान में स्वतः अथवा मानवीय प्रयास से इकट्ठा किए गए जीवों को जैव – विविधता का ही अंश माना जाता है । इस आधार पर भारत जैसे विशाल भौगोलिक क्षेत्र वाले देश एवं विभिन्नताओं से भरा यह देश जैव – विविधता के संदर्भ में भी अनूठा है । यही कारण है कि इसकी गिनती विश्व के 12 विशाल जैविक विविधता वाले देशों में की जती है । यहाँ विश्व की सभी जैव उपजातियाँ की 8 % संख्या पाई जाती है । किसी भी देश के स्वस्थ जैव मंडल एवं जैविक उद्योग के लिए जैव – विविधता का समृद्ध होना अनिवार्य है । जिसके कई प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभ हैं । इन जैव विविधताओं से हमें भोजन , औषधियाँ , दवाईयाँ , रेशा , रबड़ और लकड़ियाँ मिलती हैं जिनका मानव जीवन में विविध उपयोग है । आज कई सूक्ष्म जीवों का उपयोग बहुमूल्य उत्पाद तैयार करने में होने लगा है । इनके अतिरिक्त जैव – विविधता की कई उपयोगिताएँ हैं -( i ) नवीन फसलों के साधन के रूप में । ( ii ) उन्नत किस्म के कृषि / फसल नस्ल तैयार करने में । ( iii ) नए जैव विकास के रूप में ।
जैव विविधता के कारण ही जैव तकनीक का विकास हुआ है जिससे नए गुण और उन्नत नस्ल वाले पेड़ – पौधे एवं जीव विकसित किए जा चुके हैं । पारदर्शी शरीर वाले मेढ़क का विकास इसकी नवीनतम कड़ी है ।

4. मानवीय क्रियाओं द्वारा वन एवं वन्य जीवों का ह्रास हुआ है । कैसे ? विस्तृत वर्णन करें ।
उत्तर – वन संपदा मानव जीवन के लिए अनिवार्य है । फिर भी मानव ने विकास के नाम पर तथा अधिक पाने की लालसा में वनों का दोहन करना आरंभ किया । मानव के अतिरिक्त अन्य सभी जीव – जंतु वन से अपनी आवश्यकता के अनुसार ही चीजें प्राप्त करता है , परंतु मानवीय गुण के कारण इसने वनों से अधिक पाने की लालसा में वनों का अधिक दोहन कर वन एवं वन जीवों का हास किया है ।
उपनिवेश काल में अंग्रेजों द्वारा रेलमार्गों एवं सड़कों के विकास के लिए वनों को काटा गया । स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विकास के नाम पर वनों का विनाश आरंभ हुआ । बढ़ती जनसंख्या के कारण वनों को काटकर न केवल कृषि भूमि का विस्तार किया गया बल्कि अधिवासीय क्षेत्रों का भी विकास किया गया है । एक सर्वेक्षण के अनुसार 1951-81 के मध्य लगभग 26000 वर्ग किमी . वन क्षेत्र कृषि भूमि में परिवर्तित किया गया ।
आर्थिक विकास के नाम पर बड़ी विकास योजनाएँ आरंभ की गईं । बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के विकास के कारण 1952 ई . में 50000 वर्ग किमी . से अधिक वन क्षेत्रों को नष्ट किया गया । वर्तमान समय में भी इस प्रक्रिया से वन विनाश जारी है । खनन कार्य के कारण भी संबंधित क्षेत्र पर के वनों का विनाश होता रहा है ।
बड़े – बड़े कारखानों , उद्योगों की स्थापना के कारण भी वनों का विनाश बड़े पैमाने पर हुआ है । साथ ही वन आधारित उद्योगों के विकास का भी प्रतिकूल असर इन वनीय संपदाओं पर पड़ा है । पशुचारण कार्य तथा ईंधन के लिए लकड़ियों के उपयोग के कारण भी पर्वतीय क्षेत्रों के वन कटे हैं । सड़क मार्ग , रेलमार्ग , नगरीकरण , औद्योगीकरण के कार भी वन एवं वन्य जीवों का लगातार विनाश होता जा रहा है । वनों के विनाश से पर्यावरण एवं अधिवासीय क्षेत्र के विनाश के कारण वन्य जीवों का भी साथ – साथ विनाश अथवा हास हो रहा है । फलत : 744 वन्य जीव लुप्त हो चुके हैं एवं 22500 विलुप्ती के कगार पर हैं । भारत में चीता और गिद्ध इसके उदाहरण हैं । बाघों की संख्या भी लगातार घटती जा रही है ।

5 . भारत में विकसित जैव मंडल क्षेत्र का विस्तृत विवरण दें ।
उत्तर — भारत जैव विविधताओं से समृद्ध देश है । जहाँ पश्चिमी घाटी एवं उत्तर – पूर्वी राज्य इस दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं । यहाँ भारत के कुल क्षेत्रफल का क्रमश : 4 % एवं 5.2 % भाग है , जिसे विश्व के 25 हॉट स्पॉट में शामिल किया गया है । जहाँ असंख्य जैविक समूह निवास करते हैं ।
एक अध्ययन के अनुसार देश में उपलब्ध 33 % पुष्पीय पौधे , 53 % स्वच्छ जल मछली , 60 % एम्फीबियन , 30 % सरीसृप एवं 10 % स्तनपाई प्रजातियाँ भारतीय मूल की हैं । इस विविधता भरी विशेषताओं को सुरक्षित रखने एवं इनके संवर्द्धन के उद्देश्य से यूनेस्को की सहायता से देश में 14 जैव मंडल आरक्षित क्षेत्रों का विकास किया गया है ।
देश का सबसे बड़ा जैव – मंडल आरक्षित क्षेत्र पंचमढ़ी है जो मध्य प्रदेश के बेतूल , होशंगाबाद और छिंदवाड़ा जिलों के लगभग 5 लाख वर्ग किमी ० क्षेत्र पर फैला है । इसके बाद दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र अचनकमार – अमरकंटक जैव मंडल क्षेत्र है । लगभग 383000 वर्ग किमी ० क्षेत्र पर मध्य प्रदेश के अनुपुर , दिन दौरी और छत्तीसगढ़ के विलासपुर जिले में फैला है । कंचनजंगा जैवमंडल क्षेत्र सिक्किम के 2.6 लाख वर्ग किमी . क्षेत्र पर फैला है । सबसे प्रसिद्ध नीलगिरी जैव मंडल क्षेत्र तमिलनाडु , केरल और कर्नाटक राज्यों की सीमाओं पर 5520 किमी ० क्षेत्र पर विस्तृत है । उत्तराखंड राज्य के लगभग 2200 वर्ग किमी क्षेत्र पर नंदा देवी जैव मंडल क्षेत्र का फैलाव है । नोकरेक जैव मंडल क्षेत्र मेघालय राज्य के 820 वर्ग किमी क्षेत्र पर फैला है । जबकि मानस क्षेत्र का विकास असम राज्य के 2837 वर्ग किमी ० क्षेत्र पर है । सुंदरवन जैव मंडल क्षेत्र पश्चिम बंगाल , मन्नार की खाड़ी , तमिलनाडु तट पर ग्रेट निकोबार क्षेत्र अंडमान निकोबार द्वीप समूह , सिमलीपाल – रिजर्व क्षेत्र उड़ीसा , डिब्रू – साइकोवा असम , दिहांग – दिबंग अरुणाचल प्रदेश एवं अगस्थ्यमलाई जैव मंडल रिजर्व क्षेत्र केरल राज्य में विस्तृत है ।

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