लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष
लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष (Nirman Udyog) subjective Question answer in hindi Bihar Board . कक्षा-10 बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2022 सामाजिक विज्ञान Political Science (लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष) का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन नीचे दिया गया है जो परीक्षा के लिए बहुत महतवपूर्ण है। Bihar board class 10th social science objective Question Answer 2024, class 10th Political Science objective question 2024, class 10th Loktantra me Pratispardha evam Sangharsh ka objective question 2024. BSEB Class 10th सामाजिक विज्ञान (अर्थशास्त्र ) अर्थव्यवस्था एवं विकास का इतिहास Subjective Question 2025
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
I. सही विकल्प चुनें।
प्रश्न 1.
वर्ष 1975 ई. भारतीय राजनीति में किसलिए जाना जाता है ?
(क) इस वर्ष आम चुनाव हुए थे
(ख) श्रीमती इंदिरा गाँधी प्रधानमंत्री बनी थी
(ग) देश के अंदर आपातकाल लागू हुआ था
(घ) जनता पार्टी की सरकार बनी थी
उत्तर-
(ग) देश के अंदर आपातकाल लागू हुआ था
प्रश्न 2.
भारतीय लोकतंत्र में सत्ता के विरुद्ध जन आक्रोश किस दशक से प्रारंभ हुआ ?
(क) 1960 के दशक से
(ख) 1970 के दशक से
(ग). 1980 के दशक से
(घ) 1990 के दशक से
उत्तर-
(ख) 1970 के दशक से
प्रश्न 3.
बिहार में सम्पूर्ण क्रांति का नेतृत्व निम्नलिखित में से किसने किया?
(क) मोरारजी देसाई
(ख) नीतीश कुमार
(ग) इंदिरा गाँधी
(घ) जयप्रकाश नारायण
उत्तर-
(घ) जयप्रकाश नारायण
प्रश्न 4.
भारत में हुए 1977 ई. के आम चुनाव में किस पार्टी को बहुमत मिला था?
(क) काँग्रेस पार्टी को
(ख) जनता पार्टी को
(ग) कम्युनिस्ट पार्टी को
(घ) किसी पार्टी को भी नहीं
उत्तर-
(ख) जनता पार्टी को
प्रश्न 5.
‘चिपको आन्दोलन’ निम्नलिखित में से किससे संबंधित नहीं है ?
(क) अंगूर के पेड़ काटने की अनुमति से
(ख) आर्थिक शोषण से मुक्ति से
(ग) शराबखोरी के विरुद्ध आवाज से
(घ) कांग्रेस पार्टी के विरोध से ..
उत्तर-
(क) अंगूर के पेड़ काटने की अनुमति से
प्रश्न 6.
‘दलित पैंथर्स’ के कार्यक्रम में निम्नलिखित में कौन संबंधित नहीं हैं ?
(क) जाति प्रथा का उन्मूलन
(ख) दलित सेना का गठन
(ग) भूमिहीन गरीब किसान की उन्नति
(घ) औद्योगिक मजदूरों का शोषण से मुक्ति
उत्तर-
(ख) दलित सेना का गठन
प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन ‘भारतीय किसान यूनियन’ के प्रमुख नेता थे?
(क) मोरारजी देसाई
(ख) जैयप्रकाश नारायण
(ग) महेन्द्र सिंह टिकैत
(घ) चौधरी चरण सिंह
उत्तर-
(ग) महेन्द्र सिंह टिकैत
प्रश्न 8.
‘ताड़ी-विरोधी आंदोलन’ निम्नलखित में से किस प्रांत में शुरू किया गया?
(क) बिहार
(ख) उत्तर प्रदेश
(ग) आंध्र प्रदेश
(घ) तमलनाडु
उत्तर-
(ग) आंध्र प्रदेश
प्रश्न 9.
‘नर्मदा घाटी परियोजना’ किन राज्यों से संबंधित है ?
(क) बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश
(ख) तमिलनाडु, करेल, कर्नाटक
(ग) पं. बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब
(घ) गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश
उत्तर-
(घ) गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश
प्रश्न 10.
“सूचना के अधिकार आंदोलन’ की शुरूआत कहाँ से हुई ?
(क) राजस्थान
(ख) दिल्ली
(ग) तमिलनाडु
(घ) बिहार
उत्तर-
(क) राजस्थान
प्रश्न 11.
‘सूचना का अधिकार’ संबंधी कानून कब बना?
(क) 2004 ई. में
(ख) 2005 ई. में
(ग) 2006 ई० में
(घ) 2007 ई. में
उत्तर-
(ख) 2005 ई. में
प्रश्न 12.
नेपाल में सप्तदलीय गठबंधन का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
(क) राजा को देश छोड़ने पर मजबूर करना
(ख) लोकतंत्र की स्थापना करना
(ग) भारत-नेपाल के बीच संबंधों को और बेहतर बनाना
(घ) सर्वदलीय सरकार की स्थापना करना
उत्तर-
(ख) लोकतंत्र की स्थापना करना
प्रश्न 13.
बोलिविया में जनसंघर्ष का मुख्य कारण था
(क) पानी की कीमत में वृद्धि
(ख) खाद्यान्न की कीमत में वृद्धि
(ग) पेट्रोल की कीमत में वृद्धि ।
(घ) जीवन रक्षक दवाओं की कीमत में वृद्धि :
उत्तर-
(क) पानी की कीमत में वृद्धि
प्रश्न 14.
श्रीलंका कब आजाद हुआ ?
(क) 1947 में
(ख) 1948 में
(ग) 1949 में
(घ) 1950 में
उत्तर-
(क) 1947 में
प्रश्न 15.
राजनीतिक दल का आशय है
(क) अफसरों के समूह से
(ख) सेनाओं के समूह से
(ग) व्यक्तियों के समूह से
(घ) किसानों के समूह से
उत्तर-
(ग) व्यक्तियों के समूह से
प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से कौन-सा प्रमुख उद्देश्य प्रायः सभी राजनीतिक दलों का होता है ?
(क) सत्ता प्राप्त करना
(ख) सरकारी पदा का प्राप्त करना
(ग) चुनाव लड़ना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क) सत्ता प्राप्त करना
प्रश्न 17.
राजनीतिक दलों की नींव सर्वप्रथम किस देश में पड़ी ?
(क) ब्रिटेन
(ख) भारत में
(ग) फ्रांस में
(घ) संयुक्त राज्य अमेरिका में ।
उत्तर-
(क) ब्रिटेन
प्रश्न 18.
निम्नलिखित में किसे लोकतंत्र का प्राण माना जाता है ?
(क) सरकार को
(ख) न्यायपालिका को
(ग) संविधान को
(घ) राजनीतिक दल को
उत्तर-
(घ) राजनीतिक दल को
प्रश्न 19.
निम्नलिखित में कौन-सा कार्य राजनीतिक दल नहीं करता है?
(क) चुनाव लड़ना
(ख) सरकार की आलोचना करना
(ग) प्राकृतिक आपदा में राहत से
(घ) अफसरों की बहाली संबंधित
उत्तर-
(घ) अफसरों की बहाली संबंधित
प्रश्न 20.
निम्नलिखित में कौन-सा विचार लोकतंत्र में राजनीतिक दलों से मेल नहीं खाता है ?
(क) राजनीतिक दल लोगों की भावनाओं एवं विचारों को जोड़कर सरकार के सामने रखता
(ख) राजनीतिक दल देश में एकता और अखंडता स्थापित करने का साधन है।
(ग) देश के विकास के लिए सरकारी नीतियों में राजनीतिक दल बाधा उत्पन्न करता है।
(घ) राजनीतिक दल विभिन्न वर्गों, जातियों, धर्मों की समस्याएं सरकार तक पहुंचाता है।
उत्तर-
(ग) देश के विकास के लिए सरकारी नीतियों में राजनीतिक दल बाधा उत्पन्न करता है।
प्रश्न 21.
किस देश में बहुदलीय व्यवस्था नहीं है ?
(क) पाकिस्तान
(ख) भारत
(ग) बांग्लादेश
(घ) ब्रिटेन
उत्तर-
(घ) ब्रिटेन
प्रश्न 22.
गठबंधन की सरकार बनाने की संभावना किस प्रकार की दलीय व्यवस्था में रहती है ?
(क) एकदलीय व्यवस्था
(ख) द्विदलीय व्यवस्था
(ग) बहुदलीय व्यवस्था
(घ) उपर्युक्त में किसी से भी नहीं
उत्तर-
(ग) बहुदलीय व्यवस्था
प्रश्न 23.
किसी भी देश में राजनीतिक स्थायित्व के लिए निम्नलिखित में क्या नहीं आवश्यक
(क) सभी दलों द्वारा सरकार को रचनात्मक सहयोग देना
(ख) किसी भी ढंग से सरकार को अपदस्थ करना
(ग) निर्णय-प्रक्रिया में सरकार द्वारा सबकी सहमति लेना
(घ) सरकार द्वारा विरोधी दलों में नजरबंद करना
उत्तर-
(ख) किसी भी ढंग से सरकार को अपदस्थ करना
प्रश्न 24.
निम्नलिखित में कौन-सी चुनौती राजनीतिक दलों को नहीं है ?
(क) राजनीतिक दलों के भीतर समय पर सांगठनिक चुनाव नहीं होना
(ख) राजनीतिक दलों में युवाओं और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलना
(ग) राजनीतिक दलों द्वारा जनता की समस्याओं को सरकार के पास रखना
(घ) विपरीत सिद्धांत रखनेवाले राजनीतिक दलों से गठबंधन करना
उत्तर-
(ख) राजनीतिक दलों में युवाओं और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलना
प्रश्न 25.
दल-बदल कानून निम्नलिखित में से किस पर लागू होता है ?
(क) सांसदों एवं विधायकों पर
(ख) राष्ट्रपति पर
(ग) उपराष्ट्रपति पर
(घ) उपर्युक्त में सभी पर
उत्तर-
(क) सांसदों एवं विधायकों पर
प्रश्न 26.
राजनीतिक दलों की मान्यता और उसका चिह्न किसके द्वारा प्रदान किया जाता है ?
(क) राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा
(ख) प्रधानमंत्री सचिवालय द्वारा
(ग) निर्वाचन आयोग द्वारा
(घ) संसद द्वारा
उत्तर-
(ग) निर्वाचन आयोग द्वारा
प्रश्न 27.
निम्नलिखित में कौन राष्ट्रीय दल नहीं है ?
(क) राष्ट्रीय जनता दल
(ख) बहुजन समाज पार्टी
(ग) लोक जनशक्ति पार्टी
(घ) भारतीय जनता पार्टी
उत्तर-
(ग) लोक जनशक्ति पार्टी
प्रश्न 28.
जनता दल (यूनाइटेड) पार्टी का गठन कब हुआ?
(क) 1992 में
(ख) 1999 में
(ग) 2000 में
(घ) 2004 में
उत्तर-
(ख) 1999 में
II. (i) मिलान करें-
उत्तर-
1. साइकिल
2. लालटेन
3. बंगला
4. तीर।
(ii) मिलान करें-
उत्तर-
1. य. पी. ए.
2. एनडीए.
3. राष्ट्रीय दल
4. क्षेत्रीय पार्टी।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
बिहार में हए ‘छात्र आंदोलन’ के प्रमख कारण थे?
उत्तर-
बेरोजगारी और भ्रष्टाचार एवं खाद्यान्न की कमी और कीमतों में हुई अप्रत्याशित वृद्धि के चलते बिहार में छात्रों ने सरकार के विरुद्ध आंदोलन छेड़ दिया।
प्रश्न 2.
‘चिपको आंदोलन के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
उत्तर-
चिपको आंदोलन के मुख्य उद्देश्यों में जंगल की कटाई पर रोक तथा पेड़ को नहीं काटने , देना था। इस आंदोलन में स्थानीय भूमिहीन वन्य कर्मचारियों के आर्थिक मुद्दा को उठाकर उनके लिए न्यूनतम मजदूरी की गारंटी की मांग की गयी। महिलाओं ने इस आंदोलन का दायरा और विस्तृत कर दिया। महिलाओं ने शराबखोरी की लत के विरुद्ध आवाज उठायी। अन्य सामाजिक मसले भी इस आंदोलन से जुड़ गए।
प्रश्न 3.
स्वतंत्र राजनीतिक संगठन कौन होता है ?
उत्तर-
स्वतंत्र राजनीतिक संगठन वैसा संगठन होता है जो प्रत्यख रूप से राजनीतिक दल का हिस्सा नहीं होता है। अपितु राजनीतिक दल द्वारा समर्थित होता है जैसे अखिल भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान यूनियन आदि।
प्रश्न 4.
भारतीय किसान यूनियन की मुख्य मांगें क्या थीं?
उत्तर-
भारतीय किसान यनियन ने,गन्ने और गेहूँ के सरकारी खरीद मल्य में बढोत्तरी करने, कृषि से संबंधित उत्पादों के अंतरराज्यीय आवाजाही पर लगी पाबंदियों को समाप्त करने, समुचित दर पर गारंटी युक्त बिजली आपूर्ति करने, किसानों के बकाये कर्ज माफ करने तथा किसानों के लिए पेंशन योजना का प्रावधान करने की मांग की।
प्रश्न 5.
सूचना के अधिकार आंदोलन के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
उत्तर-
सूचना का अधिकार का मुख्य उद्देश्य लोगों तक समस्त सूचनाओं का आदान-प्रदान होना था जिसमें सरकारी तथा गैरसरकारी प्रश्न शामिल हैं। इसके अन्तर्गत लोगों को यह अधिकार होता है कि सरकार द्वारा बनाए सूचना सेल से हम अपनी समस्त जानकारी मुहैया कर सकें जिसके अन्तर्गत सरकारी दफ्तरों के विभिन्न कामकाज, कार्य-विधि, सरकार की नीति, सरकार की भावी योजना इत्यादि इसमें शामिल हैं।
प्रश्न 6.
राजनीतिक दल की परिभाषा दें।
उत्तर-
राजनीतिक दल का अर्थ ऐसे व्यक्तियों के किसी भी समूह से है जो एक समान उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कार्य करता है। यदि उस दल का उद्देश्य राजनीतिक कार्य-कलापों से संबंधित होता है तो उसे हम राजनीतिक दल कहते हैं। किसी भी राजनीतिक दल में व्यक्ति एक समान उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एकजुट होते हैं, जैसे मतदान करना, चुनाव लड़ना, नीतियाँ एवं कार्यक्रम तैयार करना आदि।
प्रश्न 7.
किस आधार पर आप कह सकते हैं कि राजनीतिक दल जनता एवं सरकारों के बीच कड़ी का काम करता है ?
उत्तर-
राजनीतिक दल जनता की समस्याओं और आवश्यकताओं को सरकार के सामने प्रस्तुत करते हैं और सरकार की कल्याणकारी योजना और कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचाते हैं इस प्रकार राजनीतिक दल जनता एवं सरकार के बीच कड़ी का काम करता है।
प्रश्न 8.
दल-बदल कानून क्या है ?
उत्तर-
दल-बदल कौनून विधायकों और सांसदों के एक दल से दूसरे दल में पलायन को रोकने के लिए संविधान में संशोधन कर कानून बनाया गया है। इसे ही दल-बदल कानून कहते हैं।
प्रश्न 9.
राष्ट्रीय राजनीतिक दल किसे कहते हैं?
उत्तर-
राष्ट्रीय राजनीतिक दल वैसे सामाजिक दल हैं जिनका अस्तित्व पूरे देश में होता है उनके कार्यक्रम एवं नीतियाँ राष्ट्रीय स्तर के होते हैं। इनकी इकाइयाँ राज्य स्तर पर भी होती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
जनसंघर्ष से भी लोकतंत्र मजबूत होता है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? अपने पक्ष में उत्तर दें।
उत्तर-
हाँ, मैं इस कथन से सहमत हूँ कि जनसंघर्ष से भी लोकतंत्र मजबूत होता है। अपने इस कथन से सहमति के लिए निम्नलिखित पक्ष या तर्क हैं पूरे विश्व में लोकतंत्र का विकास प्रतिस्पर्धा और जनसंघर्ष के चलते हुआ है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि जनसंघर्ष के माध्यम से ही लोकतंत्र का विकास हुआ है। लोकतंत्र को मजबूत बनाने एवं उसे और सुदृढ़ करने में जनसंघर्ष की अहम भूमिका होती है। लोकतंत्र जनसंघर्ष के द्वारा विकसित होता है। लोकतंत्र में फैसले आम सहमति से लिए जाते हैं। यदि सरकार फैसले लेने में जनसाधारण के विचारों की अनदेखी करती है तो ऐसे फैसलों के खिलाफ जनसंघर्ष होता है और सरकार पर दबाव बनाकर आम सहमति से फैसले लेने के लिए मजबूर किया जाता है। इससे विकास में आनेवाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।
लोकतंत्र में संघर्ष होना आम बात होती है। इन संघर्षों का समाधान जनता व्यापक एकजुटता के माध्यम से करती है। कभी-कभी इस तरह के संघर्षों का समाधान संसद या न्यायपालिका जैसी संस्थाओं द्वारा भी होता है। सरकार को हमेशा जनसंघर्ष का खतरा बना रहता है और सरकार तानाशाह होने एवं मनमाना निर्णय लेने से बचती है। जनसंघर्ष से राजनीतिक संगठनों आदि का विकास होता है। राजनीतिक संगठन लोकतंत्र के लिए प्राण होते हैं। यह राजनीतिक संगठन जन भागीदारी के द्वारा समस्याओं को सुलझाने में सहायक होते हैं।
वास्तव में उपर्युक्त कथन का अध्ययन करने के बाद यह स्पष्ट होता है कि लोकतंत्र जनसंघर्ष से ही मजबूत होता है।
प्रश्न 2.
किस आधार पर आप कह सकते हैं कि बिहार से शुरू हुआ ‘छात्र आंदोलन’ का स्वरूप राष्ट्रीय हो गया? ।
उत्तर-
बिहार में ‘छात्र आंदोलन’ बेरोजगारी और भ्रष्टाचार एवं खाद्यान्न की कमी और कीमतों में बेतहासा वृद्धि के चलते सरकार के विरुद्ध हुआ। इस आंदोलन का नेतृत्व जय प्रकाश नारायण ने किया। इनके आह्वान पर जीवन के हर क्षेत्र से संबंधित लोग आंदोलन में कूद पड़ें। उन्होंने बिहार की कांग्रेस सरकार को बरखास्त करने की मांग कर सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में सम्पूर्ण क्रांति का आहवान किया। जयप्रकाश की सम्पूर्ण क्रांति का उद्देश्य भारत में सरल लोकतंत्र की स्थापना करना था। जयप्रकाश की इच्छा थी कि बिहार का यह आंदोलन अन्य प्रांतों में भी फैले। उसी समय रेलवे कर्मचारी ने भी केन्द्र सरकार के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया। उस हड़ताल का व्यापक प्रभाव पड़ा। जयप्रकाश नारायण 1975 में दिल्ली में आयोजित संसद मार्च का नेतृत्व किया। इससे पहले राजधानी दिल्ली में अब तक इतनी बड़ी रैली कभी नहीं हुई थी।
जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने इंदिरा गाँधी के इस्तीफे के लिए प्रभाव डालना शुरू किया। दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल जन प्रदर्शन कर जय प्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी से इस्तीफे की मांग करते हुए राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह की घोषणा की। उन्होंने अपने आह्वान में सेना और पुलिस तथा सरकारी कर्मचारी को भी सरकार का आदेश नहीं मानने के लिए निवेदन किया। इंदिरा गांधी ने इस आंदोलन को अपने विरुद्ध एक षड्यंत्र मानते हुए 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा करते हुए जयप्रकाश नारायण सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को जेल में डाल दिया। आपातकाल के बाद 1977 की लोकसभा चुनाव के जनता पार्टी ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली और मोरारजी देसाई जनता पार्टी के सरकार में प्रधान मंत्री बने।
वास्तव में बिहार का ‘छात्र आंदोलन’ कालांतर में राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन का स्वरूप ले चुका था। जिसकी परिणति 1977 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गाँधी की हार और जनता पार्टी की जीत से हुई। अत: हम उपर्युक्त कथनों के आधार पर यह कह सकते हैं कि बिहार से शुरू हुआ ‘छात्र आंदोलन’ का स्वरूप राष्ट्रीय हो गया।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित वक्तव्यों को पढ़ें और अपने पक्ष में उत्तर दें
(क) क्षेत्रीय भावना लोकतंत्र को मजबूत करती है।
(ख) दबाव समूह स्थायी तत्वों का समूह है। इसलिए इसे समाप्त कर देना चाहिए।
(ग) जनसंघर्ष लोकतंत्र का विरोधी है।
(घ) भारत के लोकतंत्र के लिए हुए आंदोलन में महिलाओं की भूमिका नगण्य है।
उत्तर-
(क) क्षेत्रीय भावना उग्र होने पर क्षेत्रवाद की स्थिति पैदा होती है जिससे देश की अखंडता खतरे में पड़ जाती है। अतः क्षेत्रीय भावना कुछ हद तक लोकतंत्र के लिए अभिशाप । बन सकती है।
(ख) वास्तव में दबाव समूह ऐसे संगठन होते हैं जो सरकार की नीतियों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। अत: यह कहना कि दबावं समूह स्वार्थी तत्वों का समूह है, बिल्कुल ही निराधार है। इसे समाप्त करने का कोई औचित्य नहीं है।
(ग) जनसंघर्ष से ही लोकतंत्र का विकास होता है। लोकतंत्र को मजबूत बनाने एवं इसे और सुदृढ़ करने में जनसंघर्ष की अहम भूमिका होती है। अतः लोकतंत्र जब संघर्ष के द्वारा विकसित होता है यह लोकतंत्र का विरोधी नहीं बल्कि लोकतंत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने का एक माध्यम होता है।
(घ) यह कहना कि लोकतंत्र के लिए हुए आंदोलन में महिलाओं की भूमिका नगण्य है, सरासर गलत है। ज्ञातव्य हो कि चिपको आंदोलन एवं ताड़ी विरोधी आंदोलन में महिलाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। इसके अतिरिक्त नर्मदा बचाव आंदोलन की मुखिया मेधा ने इस आंदोलन
को राष्ट्रव्यापी बना दिया। अतः समय-समय पर लोकतंत्र के लिए हुए आंदोलन में महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
प्रश्न 4.
राजनीतिक दल को लोकतंत्र का प्राण क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
किसी भी लोकतंत्र में राजनीतिक दल का होना आवश्यक है। बिना राजनीतिक दल के लोकतंत्र की परिकल्पना करना बेईमानी है। लोकतांत्रिक देशों में राजनीतिक दल जीवन का एक अंग बन चुके हैं। इसलिए उन्हें लोकतंत्र का प्रांण कहा जाता है।
प्रश्न 5.
राजनीतिक दल राष्ट्रीय विकास में किस प्रकार योगदान करते हैं ?
उत्तर-
किसी भी देश का विकास वहाँ के राजनीतिक दलों की स्थिति पर निर्भर करता है। जिस देश में राजनीतिक दलों के विचार, सिद्धांत एवं दृष्टिकोण ज्यादा व्यापक होंगे उस देश का राष्ट्रीय विकास उतना ही ज्यादा होगा। इसलिए कहा जाता है कि किसी भी देश के राष्ट्रीय विकास में राजनीतिक दलों की मुख्य भूमिका होती है। दरअसल राष्ट्रीय विकास के लिए जनता को जागरूक, समाज एवं राज्य में एकता एवं राजनीतिक स्थायित्व का होना आवश्यक है। इन सभी कार्यों में राजनीतिक दल ही मुख्य भूमिका निभाते हैं। लोकतांत्रिक देशों में साधारणत: यह देखने को मिलता है कि सामान्य नागरिक को जिस कार्य के बदले जितना मिलता है उसी में वह संतुष्ट रहता है। उसे ज्यादा पाने की इच्छा उसमें कम रहती है। इसका मुख्य कारण जनजागरुकता का अभाव रहता है। ऐसी स्थिति में राजनीतिक दल ही नागरिकों को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने के लिए प्रेरित करते हैं।
राष्ट्रीय विकास के लिए राज्य एवं समाज में एकता स्थापित होना आवश्यक है। इसके लिए राजनीतिक दल एक महत्वपूर्ण संस्था के रूप में काम करता है। राजनीतिक दलों में विभिन्न जातियों धर्मों, वर्गों एवं लिंगों के सदस्य होते हैं। ये सभी अपने-अपने जाति, धर्म, एवं लिंग का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। राजनीतिक दल ही किसी देश में राजनीतिक स्थायित्व ला सकते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि राजनीतिक दल सरकार के विरोध की जगह उसकी रचनात्मक आलोचना करें।
राष्ट्रीय विकास के लिए यह भी आवश्यक है कि शासन के निर्णयों में सबकी सहमति और सभी लोगों की भागीदारी हो। इस प्रकार के काम को राजनीतिक दल ही करते हैं। राजनीतिक दल संकट के समय रचनात्मक कार्य भी करते हैं, जैसे प्राकृतिक आपदा के दौरान राहत का कार्य आदि। राष्ट्रीय विकास के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की नीतियाँ एवं कार्यक्रम तैयार किये जाते हैं। लोकतांत्रिक देशों में इस तरह की नीतियों एवं कार्यक्रम को विधानमण्डल से पास होना आवश्यक होता है। सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के सहयोग से विधानमण्डल ऐसे नीतियों एवं कार्यक्रम पास कराने में सहयोग करते हैं। इन्हीं सब बातों के आधार पर हम समझ सकते हैं कि राजनीतिक दल राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अतः राष्ट्रीय विकास में राजनीतिक दल बहुत ही व्यापक रूप से योगदान करते हैं।
प्रश्न 6.
राजनीतिक दलों के प्रमुख कार्य बताएँ।
उत्तर-
राजनीतिक दलों के निम्नलिखित प्रमुख कार्य हैं-
1. नीतियाँ एवं कार्यक्रम तय करना- राजनीतिक दल जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए नीतियाँ एवं कार्यक्रम तैयार करते हैं। इन्हीं नीतियों और कार्यक्रमों के आधार पर ये चुनाव भी लड़ते हैं। राजनीतिक दल भाषण, टेलीविजन, रेडियो, समाचार-पत्र आदि के माध्यम से अपनी नीतियाँ एवं कार्यक्रम जनता के सामने रखते हैं और मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करते हैं। मतदाता भी उसी राजनीतिक दल को अपना समर्थन देते हैं जिसकी नीतियाँ एवं कार्यक्रम जनता के कल्याण के लिए एवं राष्ट्रीय हित को मजबूत करने वाले होते हैं।
2. लोकतंत्र का निर्माण –लोकतंत्र में जनता की सहमति या समर्थन से ही सत्ता प्राप्त होती है। इसके लिए शासन की नीतियों पर लोकमत प्राप्त करना होता है और इस तरह के लोकमत का निर्माण राजनीतिक दल के द्वारा ही हो सकता है। राजनीतिक दल लोकमत निर्माण करने के लिए जनसभाएँ, रैलियों, समाचार-पत्र, रेडियो, टेलीविजन आदि का सहारा लेते हैं।
3. राजनीतिक प्रशिक्षण राजनीतिक दल मतदाताओं को राजनीतिक प्रशिक्षण देने का भी काम करता है। राजनीतिक दल खासकर चुनावों के समय अपने समर्थकों को राजनैतिक कार्य, जैसे मतदान करना, चुनाव लड़ना, सरकार की नीतियों की आलोचना करना या समर्थन करना आदि बताते हैं। इसके अलावा, सभी राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक एवं शैक्षिक गतिविधियाँ तेज कर उदासीन मतदाताओं को अपने से जोड़ने का भी काम करते हैं जिससे लोगों में राजनीतिक चेतना की जागृति होती है।
4. दलीय कार्य-प्रत्येक राजनीतिक दल कुछ दल-संबंधी कार्य भी करते हैं, जैसे अधिक-से-अधिक मतदाताओं को अपने दल का सदस्य बनाना, अपनी नीतियाँ एवं कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार करना तथा दल के लिए चंदा इक्कट्ठा करना आदि।
5.चुनावों का संचालन-जिस प्रकार लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में राजनीतिक दलों का होना भी आवश्यक है, उसी प्रकार दलीय व्यवस्था में चुनाव का होना भी आवश्यक है। हमें पहले से यह जानकारी प्राप्त है कि सभी राजनीतिक दल अपनी विचार-धाराओं और सिद्धांतों के अनुसार कार्यक्रमों एवं नीतियाँ तय करते हैं। यही कार्य एवं नीतियाँ चुनाव के दौरान जनता के पास रखते हैं जिसे चुनाव घोषणा-पत्र कहते हैं। राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को खड़ा करने और कई तरीके से उन्हें चुनाव जिताने का प्रयत्न करते हैं। इसीलिए राजनीतिक दल का एक प्रमुख कार्य चुनाव का संचालन है।
6.शासन का संचालन राजनीतिक दल चुनावों में बहुमत प्राप्त करके सरकार का निर्माण करते हैं। जिस राजनीतिक दल को बहुमत प्राप्त नहीं होता है वे विपक्ष में बैठते हैं जिन्हें विपक्षी दल कहा जाता है। जहाँ एक ओर सत्ता पक्ष शासन का संचालन करता है वहीं विपक्षी दल सरकार पर नियंत्रण रखता है और सरकार को गड़बड़ियाँ करने से रोकता है।
.7.सरकार एवं जनता के बीच मध्यस्थता का कार्य राजनीतिक दल का एक प्रमुख कार्य जनता और सरकार के बीच मध्यस्थता करना। राजनीतिक दल ही जनता की समस्याओं और आवश्यकताओं को सरकार के सामने रखते हैं और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचाते हैं। इस तरह राजनीतिक दल सरकार एवं जनता के बीच पुननिर्माण का कार्य करते हैं।
8. गैर-राजनीतिक कार्य राजनीतिक दल न केवल राजनैतिक कार्य करते हैं बल्कि गैर-राजनैतिक कार्य भी करते हैं, जैसे प्राकृतिक आपदाओं-बाढ़, सुखाड़, भूकम्प आदि के दौरान राहत संबंधी कार्य आदि। अत: उपयुक्त प्रमुख कार्य राजनीतिक दलों के लिए आवश्यक हैं। तभी वे लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में अपनी साख बचा सकते हैं।
प्रश्न 7.
राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों को मान्यता कौन प्रदान करते हैं और इसके मापदंड क्या हैं ?
उत्तर-
राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय राजनीतिक दल को मान्यता चुनाव आयोग प्रदान करते हैं।
राष्ट्रीय राजनीतिक दल की मान्यता प्राप्त करने के लिए राजनीतिक दलों को लोकसभा या विधानसभा के चुनाव में 4 या अधिक राज्यों द्वारा कुल डाले गए वैध मतों का 6 प्रतिशत प्राप्त करने के साथ किसी राज्य या राज्य से लोकसभा की कम-से-कम 4 सीटों पर विजयी होना आवश्यक है या लोक सभा में कम-से-कम 4 सीटों पर विजयी होना आवश्यक है। या लोकसभा में कम-से-कम 2 प्रतिशत सीटें अर्थात् 11 सीटें जीतना आवश्यक है जो कम-से-कम तीन राज्यों से होनी चाहिए। इसी तरह राज्य स्तरीय राजनीतिक दल को मान्यता प्राप्त करने के लिए उस दल को लोकसभा या विधान सभा के चुनावों में डाले गएं वैध मतों का कम-से-कम 6 प्रतिशत मत प्राप्त करने के साथ-साथ राज्य विधानसभा की कम-स-कम 3 प्रतिशत सीटें या 3 सीटें जीतना आवश्यक है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष
प्रश्न 1.
बोलिविया में जनसंघर्ष का मुख्य कारण क्या था ?
(क) पीजी की कीमत में वृद्धि
(ख) खाद्यान की कीमत में वृद्धि
(ग) पेट्रोल की कीमत में वृद्धि
(घ) जीवन रक्षक दवाओं की कीमत में वृद्धि
उत्तर-
(क) पीजी की कीमत में वृद्धि
प्रश्न 2.
किसी विशेष वर्ग या समूहों के हितों को बढ़ावा देनेवाले संगठन को किस नाम से पुकारा जाता है ?
(क) राजनीतिक दल
(ख) आंदोलन
(ग) हित समूह
(घ) लोककल्याणकारी राज्य
उत्तर-
(ग) हित समूह
प्रश्न 3.
राजनीतिक दल और हित समूह में मुख्य अंतर क्या है ?
(क) राजनीतिक दल का संबंध सिर्फ राजनीतिक पक्ष से है जबकि हित समूह का संबंध सिर्फ राजनीतिक पक्ष से है।
(ख), हितसमूह का उद्देश्य सीमित लोगों के लिए काम करना है, परंतु राजनीतिक दल को सभी लोगों के लिए काम करना पड़ता है।
(ग) हित समूह का उद्देश्य सत्ता पर आधिपत्य करना नहीं होता जबकि राजनीतिक दल का मुख्य उद्देश्य सत्ता प्राप्त करना होता है।
(घ) हित-समूह लोगों की लामबंदी में विश्वास नहीं रखते, परंतु राजनीतिक दल रखते हैं।
उत्तर-
(ग) हित समूह का उद्देश्य सत्ता पर आधिपत्य करना नहीं होता जबकि राजनीतिक दल का मुख्य उद्देश्य सत्ता प्राप्त करना होता है।
प्रश्न 4.
राजनीतिक दल का संबंध किससे है।
(क) किसी वर्ग विशेष या समूह के हितों को बढ़ावा देने से
(ख) जनसामान्य के कल्याण से
(ग) सिर्फ सामाजिक समस्या के समाधान से
(घ) राजनीतिक सत्ता पाने के लिए लोगों को लाभबंद करने से
उत्तर-
(घ) राजनीतिक सत्ता पाने के लिए लोगों को लाभबंद करने से
लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष
प्रश्न 7.
नेपाल में लोकतंत्र की वापसी कब हुई ?
(क) 2002 में
(ख) 2003 में
(ग) 2004 में
(घ) 2006 में
उत्तर-
(घ) 2006 में
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
लोकतंत्र की बहाली के लिए किस देश में सप्तदलीय गठबंधन तैयार किया गया था?
उत्तर-
नेपाल में।
प्रश्न 2.
सूचना के अधिकार के लिए सर्वप्रथम कहाँ और कब आवाज उठाई गई थी?
उत्तर-
राजस्थान के भीम तहशील में, 1990 में।
प्रश्न 3.
दलित पैंथर्स नामक संगठन कहाँ स्थापित किया गया था?
उत्तर-
महाराष्ट्र में।
प्रश्न 4.
जनसंघर्ष के रूप में राजनीतिक आंदोलन के उदाहरण दें। ..
उत्तर-
जनसंघर्ष के रूप में राजनीतिक आंदोलन के उदाहरण हैं-चिली में सैनिक तानाशाही के विरुद्ध राजनीतिक आंदोलन, नेपाल में राजशाही के विरुद्ध आंदोलन, पोलैंड में एकल दल की तानाशाही के विरुद्ध जनसंघर्ष तथा म्यांमार में सैनिक शासन के विरुद्ध चल रहा जनसंघर्ष इत्यादि।
लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष
प्रश्न 5.
जन संघर्ष के रूप में सुधारवादी आंदोलन के उदाहरण प्रस्तुत करें।
उत्तर-
जनसंघर्ष के रूप में सुधारवादी आंदोलन के उदाहरण हैं- महाराष्ट्र में दलित पैंथर्स का आंदोलन, भारतीय किसान यूनियन का आंदोलन, आंध्र प्रदेश में महिलाओं द्वारा चलाया गया ताड़ी विरोधी आंदोलन।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
दबाव समूह किसे कहते हैं ? इसके उदाहरण दें।
उत्तर-
दबाव समूह का लक्ष्य सत्ता पर प्रत्यक्ष नियंत्रण करने अथवा सत्ता में भागीदारी करने से नहीं होता। जब कभी जनसंघर्ष या आंदोलन होता है तब राजनीतिक दलों के साथ-साथ दबाव-समूह भी उसमें सम्मिलित हो जाते हैं और वे संघर्षकारी समूह बन जाते हैं। दबाव समूह किसी आंदोलन का समर्थन किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए करते हैं। उद्देश्य की पूर्ति के बाद उनका सत्ता से कोई लेना-देना नहीं होता। दबाव समूह के उदाहरणों में 1974 की संपूर्ण क्रांति नेपाल में सात राजनीतिक दल, किसान, मजदूर व्यवसायियों शिक्षक अभियंता के समूह , बोलिविया में फोडेकोर इत्यादि दबाव समूह के उदाहरण हैं।
प्रश्न 2.
दबाव समूह तथा राजनीतिक दल में मुख्य अंतर बताएँ।
उत्तर-
राजनीतिक दल एवं दबाव समूह में सबसे बड़ा अंतर यह है कि राजनीतिक दल का – उद्देश्य सत्ता में परिवर्तन लाकर उसपर आधिपत्य करना होता है, वहीं दबाव समूह का लक्ष्य सत्ता पर प्रत्यक्ष नियंत्रण करने अथवा सत्ता में भागीदारी नहीं होता। दबाव समूह किसी आंदोलन का समर्थन किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए करते हैं। उद्देश्य की पूर्ति के बाद उनका सत्ता से कोई लेना-देना नहीं होता। इसके विपरीत राजनीतिक दल उद्देश्य की पूर्ति के बाद सत्ता पर नियंत्रण भी करना चाहते हैं।
प्रश्न 3.
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में हित समूहों की उपयोगिता पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में हित समूहों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। दबाव समूह या हित समूहों की निम्नलिखित मुख्य उपयोगिताएँ हैं
- सरकार को सजग बनाए रखना दबाव समूह विभिन्न तरीकों से सरकार का ध्यान जनता की उचित माँगों की ओर दिलाकर एक सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इसके लिए हित समूह जनता का समर्थन और सहानुभूति भी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।
- आंदोलन को सफल बनाना- लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में कई तरह के जनआंदोलन चलते रहते हैं हित समूह या दबाव समूह ऐसे आंदोलनों को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
- दबाव समूह और उनके द्वारा चलाए गए आंदोलनों से लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत
हुई हैं। लोकतंत्र की सफलता के मार्ग में हित समूह बाधक नहीं है, बल्कि सहायक होती हैं। लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष
प्रश्न 4.
हित समूह या दबाव समूह राजनीतिक दलों पर किस प्रकार प्रभाव डालते हैं।
उत्तर-
दबाव समूह सक्रिय राजनीति में हिस्सा नहीं लेते, परंतु अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए राजनीतिक दलों पर भी प्रभाव डालते हैं। प्रत्येक आंदोलन का राजनीतिक पक्ष अवश्य होता है जिसके कारण दबाव समूह एवं राजनीतिक दलों के बीच प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष संबंध अवश्य स्थापित हो जाता है। कभी-कभी राजनीतिक दल ही सरकार को प्रभावित करने के उद्देश्य से दबाव समूहों का गठन कर डालते हैं। ऐसे समूहों का नेतृत्व भी राजनीतिक दल ही.करने लगते हैं। ऐसे. दबाव समूह उस राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में काम करने लगते हैं।
प्रश्न 5.
जन संघर्ष का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर-
जन संघर्ष का अर्थ जनता द्वारा कुछ निश्चित बातों या वस्तुओं से संतुष्ट नहीं रहने पर सत्ता के विरुद्ध किया जानेवाला संघर्ष है। जनसंघर्ष अथवा जन आंदोलन का अर्थ “वर्तमान व्यवस्था के विरुद्ध अपनी असंतुष्टि तथा असहमति को अभिव्यक्त करना है।” यह जनसंघर्ष का नकारात्मक अर्थ है। लेकिन साकारात्मक अर्थ में सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में अनेक विकृतियाँ उत्पन्न होती रहती हैं। इन विकृतियों को दूर करने के उद्देश्य से जो जन संघर्ष अथवा आंदोलन होते हैं उसे जन संघर्ष का सकारात्मक पक्ष कहा जाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
लोकतंत्र में जनसंघर्ष की उपयोगिता पर प्रकाश डालें
उत्तर-
विभिन्न देशों में जनसंघर्ष की विवेचना से यह स्पष्ट है कि लोकतंत्र में इसकी अनेक उपयोगिताएँ हैं जिनमें कुछ निम्नलिखित महत्वपूर्ण उपयोगिता हैं-
- लोकतंत्र के विस्तार में सहायक-जनसंघर्ष की सबसे बड़ी उपयोगिता यह है कि यह लोकतंत्र की स्थापना और उसकी वापसी में तो सहायक होता ही है, लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था में लोकतंत्र के विस्तार में भी सहायक होता है। जनसंघर्ष के माध्यम से लोकतंत्र ये भागीदारी प्राप्त करनेवालों को भी सफलता मिलती है। इससे लोकतंत्र का विस्तार होता है तथा लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत होती हैं।
- लामबंदी और संगठन को बल-जनसंघर्ष लोगों की लामबंदी और उन्हें संगठित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जनसंघर्ष की सफलता इसीपर निर्भर करती है।
- विभिन्न संगठनों और राजनीतिक दलों को सक्रिय करने में सहायक- जनसंघर्ष होने पर विभिन्न संगठनों तथा राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ जाती है। अनेक दबाव एवं हित समूह इसमें सम्मिलित होकर जनसंघर्ष को सफल बना देते हैं।
लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष
प्रश्न 2.
नेपाल में लोकतंत्र की वापसी का सविस्तार वर्णन करें।
उत्तर-
नेपाल में लोकतंत्र की वापसी के लिए व्यापक जनसंघर्ष हुआ। नेपाल में इक्कीसवीं शताब्दी के पूर्व ही लोकतंत्र की स्थापना हो चुकी थी। नेपाल के पूर्ववर्ती राजा वीरेन्द्र विक्रम सिंह ने नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना के मार्ग प्रशस्त कर दिया था और स्वयं को औपचारिक रूप . से राज्य का प्रधान बनाए रखा। परंतु दुर्भाग्यवश उनकी हत्या कर दी गई। ज्ञानेन्द्र नेपाल के नए राजा बने जिनका लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था में विश्वास नहीं था। उन्होंने 2002 में संसद को भंगकर पूर्ण राजशाही की घोषणा कर दी। 2005 में राजा ज्ञानेंद्र ने जनता के द्वारा निर्वाचितं सरकार को भंग करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री शेखबहादुर देउबा को अपदस्थ कर दिया। देश में आपातकाल की घोषणा कर दी गई। इतना ही नहीं अपने अधीन नए मंत्रिमंडल का गठन करते हुए तीन वर्ष तक सभी अधिकार अपने हाथ में लेने की भी घोषणा कर दी।
राजा ज्ञानेन्द्र के इस फैसले के खिलाफ नेपाल में लोकतंत्र की वापसी के लिए देश के प्रमुख राजनीतिक दलों ने आपस में समझौता कर सात दलों के गठबंधन की स्थापना कर ली। आगे चलकर माओवादी आंदोलनकारी जो राजशाही के विरुद्ध पहले से सक्रिय थे इस गठबंधन में शामिल हो गए। नेपाल में लोकतंत्र की वहाली के लिए राजनीतिक शक्तियों के एकजुट हो जाने . से जनता के बीच एक नया संदेश गया। जनता खुलकर लोकतंत्र की वापसी के लिए आंदोलन जो 6 अप्रैल 2006 से सात राजनीतिक दलों के गठबंधन द्वारा चलाया गया था के साथ जुड़ गई। इस प्रकार यह आंदोलन जनसंघर्ष में बदल गया। राजशाही के विरुद्ध जनता के आक्रोश के जनसैलाब के आगे सजशाही को झुकना पड़ा। 24 अप्रैल, 2006 के दिन नेपाल नरेश ज्ञानेन्द्र नेnसंसद को बहाल कर सत्ता सात राजनीतिक दलों के गठबंधन को सौंपने की घोषणा कर दी। इस . प्रकार नेपाल में लोकतंत्र की वापसी के साथ जनसंघर्ष का अंत हो गया।
प्रश्न 3.
भारत में 1974 के संघर्ष का वर्णन करें।
उत्तर-
जनसंघर्ष सिर्फ लोकतंत्र की स्थापना अथवा वापसी के लिए ही नहीं होता है, बल्कि एक लोकतांत्रिक और निर्वाचित सरकार को जनता की मांग मानने के लिए बाध्य करने के उद्देश्य से भी होता है। कुछ जनसंघर्ष ऐसे भी हैं जो एक निर्वाचित सरकार को बदलने के उद्देश्य से भी होते हैं। भारत में 1974 का जनसंघर्ष इसका ज्वलंत उदाहरण है। 1974 के जनसंघर्ष की पृष्ठभूमि बिहार में तत्कालीन सरकार के विरुद्ध छात्र आंदोलन से तैयार हुई। उसके बाद केन्द्र की काँग्रेसी सरकार की गलत नीतियों के कारण विभिन्न राजनीतिक दलों ने विकल्प की तलाश शुरू कर दी। 14 अप्रैल 1974 को दिल्ली में तत्काल काँग्रेस के बीजू पटनायक के निवास स्थान पर भारतीय क्रांति दल के चौधरी चरण सिंह की अध्यक्षता में आठ गैर-काँग्रेसी राजनीतिक दलों के विलय का निर्णय लिया गया। इसके ठीक एक दिन पहले 13 अप्रैल को दिल्ली के गाँधी शांति प्रतिष्ठान में ‘जनतंत्र समाज’ का गठन किया गया जिसमें जयप्रकाश नारायण और आचार्य कृपलानी की सक्रियता अधिक देखी गयी।
धीरे-धीरे तत्कालीन काँग्रेसी सरकार के विरुद्ध लोग संगठित होते गए और संपूर्ण देश में आंदोलन प्रारंभ हो गया। यह आंदोलन जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इस आंदोलन को जनता का अपार समर्थन मिला। इस प्रकार इसने जनसंघर्ष का रूप धारण कर लिया। जनता पार्टी का गठन हुआ। आंदोलन को दबाने का भरसक प्रयास किया गया, परंतु यह जनसंघर्ष दबने की जगह उग्र रूप लेता गया। सरकार को राष्ट्रीय आपात की घोषणा करनी पड़ी। 1977 में देश में आम निर्वाचन हुआ तो जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला और केन्द्र में पहली बार मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्रित्व में गैर-काँग्रेसी सरकार का गठन हुआ।
लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष
प्रश्न 4.जनसंघर्ष में राजनीतिक दलों एवं दबाव-समूहों की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर-
लोकतंत्र में जनसंघर्ष तभी सफल होता है जब इसका संचालन किसी संगठन द्वारा किया जाता है। नेपाल में सांत राजनीतिक दलों के गठबंधन तथा माओवादियों के सहयोग से जनसंघर्ष सफल हुआ। म्यांमार में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी नामक राजनीतिक दल की नेत्री आंग सान सूची के नेतृत्व में लोकतंत्र की वापसी का जनसंघर्ष जारी है। बोलिविया में फेडेकोर (FEDECOR) नामक संगठन के नेतृत्व में जनसंघर्ष चला जिसे किसानों, मजदूरों छात्र संघों और सोशलिस्ट पार्टी नामक राजनीतिक दल का भी समर्थन प्राप्त था। भारत में भी 1974 के जयप्रकाश’ । नारायण के जन आंदोलन को छात्रों, वकीलों, शिक्षकों इत्यादि के संघों के समर्थन के साथ-साथ जनतंत्र समाज जैसी गैर-राजनीतिक संस्था एवं विभिन्न राजनीतिक दलों का भी समर्थन प्राप्त था। इससे यह स्पष्ट होता है कि विभिन्न संगठनों अथवा विभिन्न वर्गों के संघों के माध्यम से आंदोलन करके सरकार को अपनी मांग मानने के लिए बाध्य किया जाता है। इसे दबाव-समूह के नाम से जाना जाता है। इन दबाव समूहों से जनसंघर्ष को तो सफल बनाया ही जाता है, नागरिकों की भी सत्ता में भागीदारी बढ़ जाती है।
दबाव समूहों की भूमिका भी जनसंघर्ष में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। दबाव समूहों द्वारा ही सरकार की नीतियों को प्रभावित किया जाता है और जनता की मांगों को सरकार से मानने के लिए भी दबाव डाला जाता है। विभिन्न पेशे में लगे लोग जैसे वकील शिक्षक, डॉक्टर, अभियंता, सरकारी कर्मचारी अपने-अपने.हितों की रक्षा के लिए जब संघ बनाते हैं तो उसे हित-समूह कहा जाता है। जब ऐसे समूह द्वारा अपने पक्ष में सरकार को निर्णय करने के लिए बाह्य किया जाता है तब हित समूह दबाव समूह के रूप में कार्य करने लगते हैं। आधुनिक युग में राजनीतिक दल विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ हो जाते हैं। अतः राजनीतिक दलों के साथ-साथ अनेक हित-समूहों का भी विकास हो जाता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि जनसंघर्ष में राजनीतिक दलों के साथ-साथ दबाव-समूहों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है।