Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 6 मेरी वियतनाम यात्रा (भोला पासवान शास्त्री)
मेरी वियतनाम यात्रा पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर
Meri viytnam yatra
प्रश्न 1.
हो-ची-मीन्ह की तस्वीर अंतःसलिला फल्गू नदी की तरह लेखक के हृदय को . सींचती रही। लेखक हो-ची-मीन्ह से इतना प्रभावित क्यों है?
उत्तर-
लेखक श्री भोला पासवान शास्त्री ने जब हिन्दी के मासिक पत्रिका में पेंसिल स्केच से बनी हो-ची-मीन्ह की तस्वीर देखी, तो देखते ही रह गये। दुबली-पतली काया सादगी का नमूना प्रदर्शित कर रही थी। व्यक्तित्व बड़ा ही प्रेरक, ओजस्वी, तेजस्वी एवं जादुई प्रभाव से युक्त। चेहरे पर लहसुननुमा दाढ़ी बड़ी फब रही थी। बाह्य आकृति से आंतरिक प्रतिकृति परिलक्षित हो रही थी। उसे देखकर लेखक अभिभूत ही नहीं वशीभूत भी हो गये।
बहुत देर तक उस तस्वीर को देखते रह गये। उस तस्वीर का जादुई प्रभाव लेखक के मानस-पटल पर हमेशा अंकित रहा और उनके हृदय-प्रदेश को अंत:सलिला फल्गू नदी की भाँति सींचती रही। अभिप्राय यह कि लेखक के मन को उस महामानव की तस्वीर हमेशा प्रेरित-अनुप्राणित करती रहती है।
Meri viytnam yatra
प्रश्न 2.
‘अंतर्राष्ट्रीयता पनप नहीं सकती, जब तक राष्ट्रीयता का पूर्ण विकास न हो।’ इस कथन पर विचार करें और अपना मत दें।
उत्तर-
हमारी पाठ्य-पुस्तक दिगंत भाग-I में संकलित ‘मेरी वियतनाम यात्रा’ शीर्षक पाठ में लेखक भोला पासवान शास्त्री ने वियतनाम के महान नेता हो-ची-मीन्ह के प्रति बड़े सम्मान और श्रद्धा का भाव प्रदर्शित किया है। उन्होंने उनके महान व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें न केवल एक अप्रतिम देशभक्त कहा है, अपितु विश्वद्रष्टा भी बताया है।
इस संदर्भ में ही लेखक ने अपना यह सारगर्भित और सत्यपूर्ण विचार व्यक्त किया है कि जब तक राष्ट्रीयता का पूर्ण विकास न हो, तब तक अंतर्राष्ट्रीयता भी नहीं पनप सकती। लेखक का यह अभिमत अनुभव सिद्ध व्यावहारिक एवं युक्ति-युक्त है। अंतर्राष्ट्रीयता यह भी वस्तुतः राष्ट्रीयता की भावना का ही परिधि-विस्तार है। अतः जब तक हमारे अंदर राष्ट्रीयता की भावना बलवती न होगी, हम अंतर्राष्ट्रीयता की भावना को भी आत्मसात न कर सकेंगे।
यद्यपि कुछ लोगों के अनुसार राष्ट्रीयता अंतर्राष्ट्रीयता की बाधिका है, पर हमें ऐसा एकदम नहीं लगता। वास्तव में जो व्यक्ति अपने राष्ट्र को अपना नहीं समझ सकता, वह व्यापक विश्व समाज को अपना कदापि नहीं समझ सकता। अतः हम लेखक की उपर्युक्त कथन से पूरी तरह सहमत हैं।
Meri viytnam yatra
प्रश्न 3.
हो-ची-मीन्ह केवल वितयनाम के नेता बनकर नहीं रहे। वे विश्वद्रष्टा और विश्वविश्रुत हुए। पाठ के आधार पर उनके व्यक्तित्व की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
हो-ची-मीन्ह को यदि वितयनाम का गाँधी कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति न होगी। हो-ची-मीन्ह एक महान् वियतनामी नेता थे। उन्होंने विदेशी साम्राज्यवाद के शिकंजे में जकड़े वितयनाम को मुक्त कराने में अमूल्य योगदान किया, वितयनाम की जनता को गुलामी से छुटकारा दिला कर निरंतर उन्नति की दिशा में अग्रसर होने के लिए मार्गदर्शन किया। उन्होंने एक प्रकाश से संपूर्ण विश्व को क्रांति, त्याग और बलिदान का पाठ पढ़ाया। फलतः उनकी लोकप्रियता वियतनाम तक ही सीमित न रहकर विश्व भर में फैली और वे विश्वविख्यात हुए।
वस्तुतः हो-ची-मीन्ह एक महापुरुष थे, महामानव। उनके व्यक्तित्व में अनेक उच्च मानवीय गुणों का वास था। उनका व्यक्तित्व बड़ा ही प्रभावशाली था। वे ‘सादा जीवन उच्च विचार’ की साक्षात् प्रतिमूर्ति थे तथा ‘अपना काम स्वयं करो’ की नीति पर चलते थे। अपने कठिन एवं अनथक संघर्षों के परिणामस्वरूप जब वे स्वतंत्र वियतनाम के राष्ट्रपति बने, तब भी शाही महल को छोड़ एक साधारण मकान में जीवन-स्तर किये। वे अपनी जरूरत के चीजें स्वयं टाइप कर लेते थे तथा कम-से-कम साधनों से अपना जीवन-निर्वाह करते थे। व्यक्तित्व के ये सभी गुण सचमुच सबके लिए आदर्श और अनुकरणीय हैं।
प्रश्न 4.
‘जिन्दगी का हर कदम मंजिल है। इस मंजिल तक पहुँचने से पहले साँस रुक सकती है।’ इस कथन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
हमारी पाठ्य-पुस्तक के दिगंत भाग-1 में संकलित ‘मेरी वियतनाम यात्रा’ शीर्षक यात्रावृत्तांत के लेखक भोला पासवान शास्त्री ने वियतनाम यात्रा के आरंभ की अपनी मन:स्थिति के संदर्भ में विवेच्य कथन कहा है। इसका अभिप्राय यह है कि जिन्दगी का हर कदम अपने-आप में एक मंजिल के समान है। मंजिल पर पहुँचने के पश्चात् व्यक्ति क्षण भर विश्राम करता है। परंतु किस कदम पर व्यक्ति के जीवन में विराम लग जाए, नहीं कहा जा सकता। अर्थात् जीवन कब, कहां और कैसे रुक जाएगा-यह सर्वथा अज्ञात रहता है। अतः लेखक को व्यक्ति का हर कदम एक मंजिल जैसा प्रतीत होता है।।
Meri viytnam yatra
प्रश्न 5.
वियतनामी भाषा में ‘हांग खोंग’ और ‘हुअ सेन’ का क्या आदर्श है?
उत्तर-
वियतनामी भाषा हांग खोंग में ‘हांग’ का अर्थ मार्ग और ‘खोंग’ का अर्थ हवा होता है। इस प्रकार हांग खोंग का अर्थ हुआ-हवाई मार्ग।
हुआ सेन-वितयनामाी भाषा में ‘हुअ सेन’ का अर्थ है-कमल का फूल।
Meri viytnam yatra
प्रश्न 6.
लेखक को ऐसा क्यों लगता है कि मैकांग नदी के साथ उसका पहरा भावनात्मक संबंध है?
उत्तर-
हमारी पाठ्य-पुस्तक के विंगत भाग-1 में संकलित ‘मेरी वियतनाम यात्रा’ के लेखक भोला पासवान शास्त्री जब बैंकाक, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से वितयनाम की राजधानी हानोई विमान द्वारा जा रहे थे, तो रास्ते में उन्हें अचानक एक बड़ी नदी दिखाई पड़ी। तत्पश्चात् पार्थ सारथी से उन्हें यह मालूम हुआ कि मैकांग नदी है। यह सुनकर लेखक उस नदी के प्रति भाव-विभोर हो गये। उन्हें लगने लगा कि उसके साथ उनका बहुत पुराना नाता-रिश्ता है। ऐसा इसलिए अनुभूल हुआ, क्योंकि लेखक उस नदी का नाम पहले से सुन चुके थे।
अमेरिका बनाम वियतनाम के युद्ध में उस नदी का जिक्र दुनिया भर के समाचार पत्रों में हो चुका था। इस प्रकार, उसका साक्षात् दर्शन कर लेखक उसके साथ गहरे भावनात्मक स्तर पर जुड़ जाते हैं। इसके अतिरिक्त एक यह भी विचित्र संयोग है कि उस नदी को वहाँ के लोग ‘महागंगा’ के नाम से जानते-पहचानते हैं। गंगा अपने देश की पवित्रतम नदी है। इन्हीं सब बातों के कारण लेखक मैकांग नदी के साथ अपना प्रगाढ़ भावनात्मक संबंध महसूस करता है।
Meri viytnam yatra
प्रश्न 7.
हानोई साइकिलों का शहर है। हम इस बात से क्या सीख सकते हैं?
उत्तर-
हानोई वियतनाम जैसे देश की राजधानी है। उसकी अन्य अनेक विशेषताओं में एक प्रमुख विशेषता है साइकिल की सवारी। वहाँ के सभी लोग साइकिलों पर ही सवार होकर यत्र-तत्र-सर्वत्र आते-जाते, घूमते-फिरते हैं। वहाँ ट्रक, बस और मोटरगाड़ियों का राष्ट्रीयकरण हो चुका है, अतएव कोई इन चीजों को निजी संपत्ति के तौर पर नहीं रख सकता। इस प्रकार हानोई साइकिलों का शहर है। इससे हमें यह सीख लेनी चाहिए कि हमें भी अपनी सवारी के लिए प्रदूषण फैलाने वाली मोटरगाड़ियों को छोड़कर साइकिल का ही अधिक-से-अधिक प्रयोग करना चाहिए।
इससे हमारा स्वास्थ्य भी बनेगा, बचत भी होगी और प्रदूषण भी नहीं होगा।
Meri viytnam yatra
प्रश्न 8.
लेखक ने हो-ची-मीन्ह के घर का वर्णन किस प्रकार किया है? इससे हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर-
लेखक भोला पासवान शास्त्री ने विश्वद्रष्टा एवं विश्वविश्रुत नेता हो-ची-मीन्ह के घर का वर्णन बड़ी अंतरंगता के साथ किया है। उन्होंने आत्मीयतापूर्वक वर्णन-क्रम में बताया है कि वह साधारण-सा छोटा मकान है। उसमें कुल दो कमरे हैं और चारों ओर बरामदें हैं। एक कमरे में उनकी खाट रखी है, जिस पर वे सोते थे। खाट पर बिछावन और ओढ़ने के कपड़े भी समेट कर रखे हुए हैं। एक तकिया और एक छड़ी भी है। ऐसी ही छोटी-मोटी कुछ और चीजें भी रखी हैं। दूसरे कमरे में उन्हीं द्वारा रचित कुछ पुस्तकें हैं। बरामदे में लकड़ी की बनी बेंच रखी हुई थी, जिस पर मुलाकाती लोग आकर बैठते थे।
इस प्रकार, उस महान् नेता का मकान सब तरह से साधारण था। इससे यह प्रेरणा मिलती है कि हमें भी अपना जीवन सादगीपूर्ण ढंग से बिताना चाहिए। हमें कम-से-कम साधनों से अपना काम चलाना चाहिए तथा व्यर्थ के ताम-झाम या तड़क-भड़क में नहीं पड़ना चाहिए। इसी में हमारी भलाई और महत्ता निहित होती है।
मेरी वियतनाम यात्रा भाषा की बात।
Meri viytnam yatra
प्रश्न 1.
लेखक ने हो-ची-मीन्ह के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया है? पाठ से उन विशेषणों को चुनें।
उत्तर-
‘मेरी वियतनाम यात्रा’ शीर्षक पाठ में लेखक ने हो-ची-मीन्ह के लिए निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग किया है-महामानव, मसीहा, प्रेरणाप्रद, चमत्कारी, तेजस्वी, सव्यसाची, महापुरुष, विश्वद्रष्टा, विश्वविश्रुत, सर्वप्रिय नेता इत्यादि।
Meri viytnam yatra
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्य-प्रयोग द्वारा लिंग-निर्णय करें:
उत्तर-
नीधि (पुलिंग)-यह मेरी एकमात्र निधि है।
स्केच (पुलिंग)-उग्रवादियों का स्केच जारी किया गया।
प्रण (स्त्रीलिंग)-उसके प्राण निकल गये।
सुधि (पुलिंग)-उसने मेरी सुधि न ली।
तस्वीर (स्त्रीलिंग)–यह तस्वीर पुरानी है।
विभूति (स्त्रीलिंग)-यह दुर्लभ विभूति कहाँ थी?
संपत्ति (स्त्रीलिंग)-यह किसकी संपत्ति है?
संरक्षण (स्त्रीलिंग)-हमें राष्ट्रीय धरोहरों का संरक्षण करना चाहिए।
दाढ़ी (स्त्रीलिंग)-उनकी दाढ़ी पक गई।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय निर्दिष्ट करें:
उत्तर-

प्रश्न 4.
इन शब्दों के उपसर्ग निर्दिष्ट करें:
उत्तर-

प्रश्न 5.
अर्थ की दृष्टि से निम्नलिखित वाक्यों की प्रकृति बताएँ:
उत्तर-
(क) दिन बीतते गए। – विधानवाचक वाक्य।।
(ख) हो सकता है दो-चार वर्ष और पहले ही हो। – संदेहवाचक वाक्य।
(ग) इसमें संदेह नहीं कि उनका जीवन कभी नहीं सूखने वाले प्ररेणा-स्रोत के समान बना रहेगा। – विधानवाचक वाक्य।
(घ) वे कौन हैं, कहाँ के हैं और क्या हैं, जानने की सुधि भी नहीं रही। – उद्गारवाचक वाक्य।
प्रश्न 6.
पाठक से प्रत्येक कारक के कुछ उदाहरण चुनकर लिखें।
उत्तर-
[ज्ञातव्य-संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उनका संबंध सूचित होता है, उसके कारक कहते हैं। हिंदी में कारक के आठ भेद माने जाते हैं- कर्ता, कर्म, करण, संप्रदान, अपादान, संबंध, अधिकरण और संबोधन कारक।]
प्रस्तुत पाठ में प्रयुक्त कारकों के उदाहरण निम्नवत हैं :
कर्ता कारक-मित्रों ने ‘यात्रा शुभ हो’ कहकर विदा किया।
कर्मकारक-बिछावन पर आज का ‘बैंकाक पोस्ट’ रखा था।
करण कारक-हमलोग एयर इंडिया के विमान से वियतनाम के लिए रवाना हुए।
संप्रदान कारक-अधिकांश यात्री पहले ही एयरपोर्ट से शहर के लिए प्रस्थान कर चुके थे।
अपादान कारक-जब बिहार से दिल्ली आया तो सबसे पहले मुझे मॉरीशस जाने का मौका मिला।
संबंध कारक-हमलोगों की घड़ी में डेढ़ बज रहे थे।
अधिकरण कारक-हम एयर इंडिया के बोइंग विमान 707 में आ गए।
संबोधन कारक-यात्रा शुभ हो, भारत और वियतनाम की मित्रता दृढ़ हो।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
मेरी वियतनाम यात्रा लघु उत्तरीय प्रश्न
Meri viytnam yatra
प्रश्न 1.
होचीमीन्ह कौन थे? वियतनाम में उनके योगदान का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर-
होचीमीन्ह वियतनाम के महान नेता और राजनीतिज्ञ थे। वियतनाम की राजनीति में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। आज से लगभग 90 वर्ष पहले जब वियतनाम विदेशी साम्राज्यवाद के शिकंजे में जकड़ा हुआ था तं. इस महान राजनेता ने उनसे वियतनाम के लोगों को स्वतंत्र कराया। उन्होंने वियतनाम की जनता को गुलामी से मुक्ति दिलाकर देश की उन्नति कराने में मार्ग-दर्शन किया। वियतनाम की आजादी और उसकी प्रगति में होचीमीन्ह ने प्रमुख भूमिका निभाया। इसीलिए वियतनाम में लोग इन्हें आदर की दृष्टि से देखते हैं।
प्रश्न 2.
लेखक भोला पासवान शास्त्री का बिहार में कैसा स्थान है?
उत्तर-
भोला पासवान शास्त्री का बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। ये बिहार के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, प्रबुद्ध पत्रकार और राजनेता थे। वे सिद्धांतों और मूल्यों की राजनीति करने वाले राजनेता थे। बिहार के प्रबुद्ध नागरिकों, राजनीतिकर्मियों और बुजुर्ग पत्रकारों के बीच अपनी सादगी, लोकनिष्ठा, देशभक्ति, पारदर्शी ईमानदारी और विचारशीलता के लिए वे बहुत महान राजनेता माने जाते हैं। बिहार की राजनीति में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
मेरी वियतनाम यात्रा अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मेरी वियतनाम यात्रा नामक पाठ की रचना किस लेखक ने की है:
उत्तर-
मेरी वियतनाम यात्रा नामक पाठ की रचना भोला पासवान शास्त्री ने की है। .
प्रश्न 2.
भोला पासवान शास्त्री कौन थे?
उत्तर-
भोला पासवान शास्त्री बिहार के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, प्रबुद्ध पत्रकार एवं राजनेता थे।
प्रश्न 3.
मेरी वियतनाम यात्रा किस प्रकार की रचना है?
उत्तर-
मेरो वियतनाम यात्रा एक संस्मरण है।
प्रश्न 4.
भोला पासवान शास्त्री कितनी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने?
उत्तर-
भोला पासवान शास्त्री मार्च 1968 से जनवरी 1972 तक की अवधि में तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बने।
प्रश्न 5.
होचीमीन्ह कौन थे?
उत्तर-
होचीमीन्ह वियतनाम के एक प्रमुख राजनेता थे।
प्रश्न 6.
होचीमीन्ह का क्या योगदान था?
उत्तर-
होचीमीन्ह ने वियतनाम को विदेशी साम्राज्यवाद के शिकंजे से मुक्ति दिलायी। उन्होंने वियतनाम की जनता को गुलामी से मुक्ति दिला कर विकास की दिशा के आगे बढ़ने के लिए मार्ग-दर्शन किया।
