कारक की परिभाषा, कारक के भेद और उदाहरण | Karak in Hindi |

कारक की परिभाषा {Karak in Hindi}-Definition of Case in Hindi
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कारक शब्द का अर्थ होता है –जब किसी क्रिया को पूर्ण करने वाला कारक कहते है।
अन्य शब्दों में – संज्ञा या सर्वनाम के जिस स्वरुप से किसी वाक्य के अन्य शब्दों के साथ सम्बन्ध ब्यक्त हो, उसे ‘कारक’ कहते हैं।
विभक्ति या परसर्ग – जिन प्रत्ययों की वजह से कारक की स्थिति का बोध होता है, वह विभक्ति या परसर्ग कहलाता  हैं।
उदाहरण –
श्रीराम ने रावण को बाण से मारा।
मैंने आम खाया
Karak in Hindi
कारक के कितने भेद हैं?
1. कर्ता कारक
2. कर्म कारक
3. करण कारक
4. संप्रदान कारक
5. अपादान कारक
6. संबंध कारक
7. अधिकरण कारक
8. संबोधन कारक
Karak in Hindi | कारक की परिभाषा, कारक के भेद और उदाहरण
Karak in Hindi | कारक की परिभाषा, कारक के भेद और उदाहरण
कारक के लक्षण, चिन्ह, और विभक्ति चिन्ह
कारक
लक्षण
चिन्ह
विभक्ति
(i)
कर्ता
क्रिया को पूरा करने वाला
ने
प्रथमा
(ii)
कर्म
क्रिया को प्रभावित करने वाला
को
द्वितीया
(iii)
करण
क्रिया का साधन
से, के द्वारा
तृतीया
(iv)
सम्प्रदान
जिसके लिए काम हो
को, के लिए
चतुर्थी
(v)
अपादान
जहाँ पर अलगाव हो
से
पंचमी
(vi)
संबंध
जहाँ पर पदों में संबंध हो
का, की, के, रा, री, रे
षष्ठी
(vii)
अधिकरण
क्रिया का आधार होना
में, पर
सप्तमी
(viii)
सम्बोधन
किसी को पुकारना
हे, अरे!, हो!
सम्बोधन
Karak in Hindi
कर्ता कारक 
कर्ता कारक का वह रूप जिसमें क्रिया को करने वाले का जानकारी हो, वह कर्ता कहलाता हैं।
दूसरे शब्द में – क्रिया को पूर्ण करने वाला ‘कर्ता’ कहलाता है।
जैसे –
1.रमेश ने रावण को मारा।
2.आराधना स्कूल जाती है।
Karak in Hindi
कर्म कारक
कर्म कारक वह कारक है जिसमे संज्ञा या सर्वनाम पर क्रिया का प्रभाव दिखाई पड़ता है ,उसे कर्म कारक कहते है
दूसरे शब्दों में –जब किसी वाक्य में क्रिया का फल जिस शब्द पर पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते है।
जैसे- राधा बच्चे को सुला रही है।
राम ने रावण को मारा।
मैंने रोहन को पत्र लिखा
Karak in Hindi
करण कारक
जिस वस्तु की सहायता से या जिसके द्वारा कोई काम किया जाता है, उसे करण कारक कहते है।
दूसरे शब्दों में – वाक्य में जिस शब्द से क्रिया के सम्बन्ध का बोध हो, उसे करण कारक कहते है। इसकी विभक्ति ‘से’ है।
जैसे –
हम आँखों से देखते है।
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सम्प्रदान कारक
जिसके लिए कोई क्रिया (काम) की जाती है, उसे सम्प्रदान कारक कहते है।
दूसरे शब्दों में  जिसके लिए कुछ किया जाय या जिसको कुछ दिया जाय, इस
जैसे –
(i) गरीबों को खाना दो।
(ii) मेरे लिए दूध लेकर आओ।
(iii) माँ बेटे के लिए सेब लायी।
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अपादान कारक
जिससे किसी वस्तु का अलग होना पाया जाता है, उसे अपादान कारक कहते है।
दूसरे शब्दों में  संज्ञा के जिस रूप से किसी वस्तु के अलग होने का भाव प्रकट होता है, उसे अपादान कारक कहते है।
जैसे-
पेड़ से पते गिरते है
मोहन घोड़े से गिर पड़ा।
हिमालय से गंगा निकलती है।
मोहन ने घड़े से पानी निकला।
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सम्बन्ध कारक
शब्द के जिस रूप से संज्ञा या सर्वनाम के संबध का ज्ञान हो, उसे सम्बन्ध कारक कहते है
दूसरे शब्दों में  संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी अन्य शब्द के साथ सम्बन्ध या लगाव प्रतीत हो, उसे सम्बन्धकारक कहते है।
जैसे –
(i) सीतापुर, मोहन का गाँव है।
(ii) सेना के जवान आ रहे हैं।
(iii) यह सुरेश का भाई है।
(iv) यह सुनील की किताब है।
(v) राम का लड़का, श्याम की लडकी, गीता के बच्चे।
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अधिकरण कारक
शब्द के जिस रूप से क्रिया के आधार का ज्ञान होता है, उसे अधिकरण कारक कहते है।
दूसरे शब्दों में – क्रिया या आधार को सूचित करनेवाली संज्ञा या सर्वनाम के स्वरूप को अधिकरण कारक कहते है।
जैसे –
(i) हरी घर में है।
(ii) पुस्तक मेज पर है।
(iii) पानी में मछली रहती है।
(iv) फ्रिज में सेब रखा है।
(v) कमरे के अंदर क्या है।
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संबोधन कारक
जिन शब्दों का प्रयोग किसी को बुलाने या पुकारने में किया जाता है, उसे संबोधन कारक कहते है।
दूसरे शब्दों में  संज्ञा के जिस रूप से किसी के पुकारने या संकेत करने का भाव पाया जाता है, उसे सम्बोधन कारक कहते है।
जैसे –
(i) हे ईश्वर! रक्षा करो।
(ii) अरे! बच्चो शोर मत करो।
(iii) हे राम! यह क्या हो गया।
(iv) अरे भाई! यहाँ आओ।
(v) अजी तुम उसे क्या मरोगे?
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