Bihar Board Class 9 History Jarmani me najivad ka uday
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प्रश्न 1.
हिटलर का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) जर्मनी
(ख) इटली
(ग) जापान
(घ) आस्ट्रिया
उत्तर-
(घ) आस्ट्रिया
प्रश्न 2.
नाजी पार्टी का प्रतीक चिह्न क्या था?
(क) लाल झंडा
(ख) स्वास्तिक
(ग) ब्लैक शर्ट
(घ) कबूतर
उत्तर-
(ख) स्वास्तिक
प्रश्न 3.
‘मीनकेम्फ’ किसकी रचना है ?
(क) मुसोलनी
(ख) हिटलर
(ग) हिण्डेनवर्ग
(घ) स्ट्रेसमैन
उत्तर-
(ख) हिटलर
प्रश्न 4.
जर्मनी का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र था
(क) आल्सस-लॉरेन
(ख) रूर
(ग) इवानो
(घ) बर्लिन
उत्तर-
(ख) रूर
प्रश्न 5.
जर्मनी की मुद्रा का नाम क्या था ?
(क) डॉलर
(ख) पौंड
(ग) मार्क
(घ) रूबल
उत्तर-
(ग) मार्क
Jarmani me najivad ka uday
रिक्त स्थान की पूर्ति करें :
1. हिटलर का जन्म …………… ई० में हुआ था।
2. हिटलर जर्मनी के चांसलर का पद …………… ई० में संभाला था।
3. जर्मनी ने राष्ट्रसंघ से संबंध विच्छेद …………… ई० में किया था।
4. नाजीवाद का प्रवर्तक …………… था।
5. जर्मनी के निम्न सदन को …………… कहा जाता था।
उत्तर-
1. 20 अप्रैल, 1889,
2. 30 जनवरी, 1933,
3. 1933,
4. हिटलर,
5. राइख स्टैग ।
Jarmani me najivad ka uday
स्तम्भ मिलान सम्बन्धी प्रश्न :
प्रश्न 1.
स्तम्भ ‘क’ और स्तम्भ ‘ख’ से मिलान करें-

उत्तर-
(i)-(ग), (ii)-(क), (iii)-(ख), (iv)-(घ), (v)-(ङ)

Jarmani me najivad ka uday
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
टिप्पणी लिखें
(i) तानाशाह
(ii) वर्साय संधि
(iii) तुष्टिकरण की नीति
(iv) वाइमर गणराज्य
(v) साम्यवाद
(vi) तृतीय राइख
उत्तर-
(i) तानाशाह-शासन की ऐसी व्यवस्था जिसमें शासक निरंकुश तथा दूसरे का हस्तक्षेप नहीं रखता जिसमें जनता राज्य के लिए होता है।
(ii) वर्साय संधि-प्रथम विश्वयुद्ध के बाद विश्वशांति के लिए 28 जून, 1919 को विजित राष्ट्रों जर्मनी के साथ एक संधी फ्रांस के वर्साय शहर में की गई।
(iii) तुष्टिकरण की नीति-किसी आक्रामक शक्ति की कार्यवाही को मूक सहमति देना है । जैसे फासिस्ट राष्ट्र कई देशों पर आक्रमण करते रहे और ब्रिटेन, फ्रांस चुप रहे।
(iv) वाइमर गणराज्य-जर्मन संविधान सभा का प्रथम बैठक 5 फरवरी, 1919 ई० को बाइमर नामक स्थान पर हुई । इसलिए यह वाइमर गणराज्य कहलाया।
(v) साम्यवाद-प्राचीन काल से चली आ रही पूँजीवादी पद्धति एवं सामंत वाद को मिटाकर ऐसी शासन व्यवस्था कायम किया जाना जिसमें स्वतंत्रता, समानता और वंधुत्व की भावना का विकास हो, साम्यवाद है।
(vi) तृतीय राइख-हिटलर के चांसलर बनने पर जर्मनी में गणतंत्र की समाप्ति हुई और नात्सी क्रान्ति का आरंभ हुआ जिसे हिटलर ने ‘तृतीय राइख’ का नाम दिया।
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लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्षाय संधि ने हिटलर के उदय की पृष्ठभूमि तैयार की। कैसे?
उत्तर-
वर्षाय की संधि ने जर्मनी और हिटलर को उद्वेलित कर दिया। हिटलर ने इसे ‘राजमार्ग की डकैती’ कहा । हिटलर का व्यक्तित्व बड़ा ही आकर्षक और प्रभावोत्पादक था । हिटलर जर्मन जाति की मनोदशा से पूरी तरह परिचित था। वह जानता था कि जर्मनीवासी वर्षाय की संधि के अपमान को भूले नहीं हैं। अतः अपने भाषणों में वह संधि का और संधि करनेवाले को ‘नवंबर क्रिमिनल्स’ कहना नहीं भूलता । वह यहाँ तक कहता था कि वर्साय के संधि पत्र को फाड़ दो । जनता उसके विचारों से उसकी ओर आकृष्ट हुई। जनता उसे अपने राष्ट्रीय अपमान का बदला लेनेवाला एवं राष्ट्रीय गौरव की स्थापना करने वाला समझने लगे। इस प्रकार वर्साय की संधि उसके उत्थान की पृष्ठ भूमि तैयार कर दी थी।
प्रश्न 2.
वाइमर गणतंत्र नाजीवाद के उदय में सहायक बना, कैसे?
उत्तर-
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी में एक क्रान्ति हुई । जर्मनी का सम्राट केसर विलियम देश छोड़ कर भाग गया और वहाँ राजतंत्र का पतन हो गया । राजतंत्र के पतन के बाद वहाँ गणराज्य की स्थापना हुई। जर्मनी के इतिहास में यह गणराज्य वाइमर गणराज्य के नाम से विख्यात है। हिटलर के उत्थान से पूर्व इसने अनेक समस्याओं को जन्म दिया। इसी ने वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर किए । महंगाई और बेरोजगारी बहुत बढ़ गयी। 1929 ई० की महामंदी ने और जटिल बना दिया । सेना भी असंतुष्ट थी। फलस्वरूप जनता का इससे मोह भंग हो गया हिटलर को अच्छा अवसर मिल गया, उसने गणराज्य का विरोध किया, उसकी असफलताओं पर विचार किया और उसने नाजीवाद को बढ़ावा दिया । बढ़ावा ही नहीं बल्कि नाजीवाद कायम कर दिया।
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प्रश्न 3.
नाजीवाद कार्यक्रम ने द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की कैसे?
उत्तर-
नाजीवाद के निम्नलिखित कार्यक्रम थे
नाजीवाद उदारवाद और लोकतंत्र का कहर विरोध की अवधारणा है। अतः सत्ता प्राप्त करते ही हिटलर ने लोकतांत्रिक आवाज को दफन करने का प्रयास किया जो राष्ट्र के लिए घातक सिद्ध हुआ ।
नाजीवाद समाजवाद का प्रबल विरोधी है। हिटलर ने ॥ समाजवाद के विरुद्ध आवाज बुलंद किया। उसने अपने पूँजीपतियों का अपनी ओर मिला लिया। हिटलर के इस कार्य से इंग्लैंड तथा फ्रांस की ओर से अप्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त हुआ जिसके कारण उसका मनोबल बढ़ता गया जिससे पूरा विश्व एक भयंकर युद्ध के नजदीक अपने को खड़ा पाया।
प्रश्न 4.
क्या साम्यवाद के भय ने जर्मन पूँजीपतियों को हिटलर का समर्थक बनाया?
उत्तर-
1917 ई० की रूसी क्रान्ति का प्रभाव जर्मनी पर पड़ा यहाँ भी अनेक युवक साम्यवादी संगठन का निर्माण किए। साम्यवादियों ने वाइमर गणतंत्र को उखाड़ने एवं सर्वहारा वर्ग का अधिनायकवाद लाने का प्रयास किया । यह प्रयास जर्मनी में राष्ट्रीयता के लिए एक निश्चित खतरा था। देश के उदारवादी लोग साम्यवाद की बढती हई शक्ति देश के लिए संकट समझते थे। हिटलर ने जनता को साम्यवाद के विनाशकारी परिणामों से अवगत कराया। जर्मनी का उद्योगपति, पूँजीपति एवं जमींदार वर्ग काफी भयभीत हो गए। क्योंकि साम्यवादी व्यवस्था में-देश की सारी सम्पत्ति राष्ट्रीय संपत्ति हो जाती ।
प्रश्न 5.
रोम-बर्लिन टोकियो धुरी क्या है ?
उत्तर-
अबीसीनियई युद्ध में जर्मनी ने इटली की सहायता की थी। अतः रोम (इटली की राजधानी) और बर्लिन (जर्मनी की राजधानी) ने आपस में एक संधि कर ली यह रोम-बर्लिन धुरी के नाम से जाना जाता है। 1936 ई० में जर्मनी और जापान ने साम्यवाद के विरुद्ध एक आपसी समझौता किया । फलतः यह त्रिदलीय संधि रोम-बर्लिन-टोकियो धुरी के नाम से विख्यात हुआ। ।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
हिटलर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
एडोल्फ हिटलर का जन्म 20 अप्रैल, 1889 ई० को आस्ट्रिया के ब्रौना नामक शहर में एक साधारण परिवार में हुआ था। उसका लालन-पालन सही तरह से नहीं हो सका। बचपन में वह चित्रकार बनना चाहता था परन्तु उसकी इच्छा पूरी नहीं हो सकी। अंततः उसने सेना में नौकरी कर ली । प्रथम विश्वयुद्ध में वह जर्मनी की तरफ से लड़ा और युद्ध में अभूतपूर्व वीरता के लिए उसे ‘आयरन क्रास’ प्राप्त हुआ था
हिटलर 1921 ई० में नाजी पार्टी की स्थापना की, और जर्मनी की सत्ता हथियाने का प्रयास करने लगा । पर असफल हो गया और जेल भेज दिया गया। जहाँ उसने मेन केम्फ (Mein Kemf) अर्थात ‘मेरा संघर्ष’ नामक पुस्तक की रचना की। जेल से बाहर आने के बाद, जर्मनी के राष्ट्रपति ने उसे 30 जनवरी, 1933 ई० को जर्मनी का चांसलर नियुक्त किया। 1934 ई० में जर्मन राष्ट्रपति हिंडेनवर्ग की मृत्यु हो गई। अब वह पूर्णतः तानाशाह बन गया । वे देश का फ्यूहरर (नेता) बन गया। उसने ‘एक राष्ट्र, एक देश और एक नेता’ (one people. one impire and one leader) का नारा दिया। 1945 ई० तक वह जर्मनी का भाग्य विध पता बन गया। हिटलर का आकर्षक और प्रभावोत्पादक व्यक्तित्व था। वह भाषण देने में अत्यंत निपुण था ।
प्रश्न 2.
हिटलर की विदेश नीति जर्मनी की खोई प्रतिष्ठा प्राप्त करने का एक साधन था । कैसे?
उत्तर-
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद पराजित जर्मनी पर मित्र राष्ट्रों द्वारा वर्साय संधि की अपमानजनक शर्ते लाद दी गई थी, जिसे हिटलर नहीं भूल पाया था। निजी दर्शन के अनुसार वह शक्ति के बल पर जर्मन साम्राज्य की सीमा और गौरव को बढ़ाना चाहता था इसी से उसकी खोई प्रतिष्ठा प्राप्त होने की संभावना थी। ऐसा हिटलर समझता था । हिटलर की विदेश नीति के मूलतत्व में अपमानजनक वर्साय संधि को समाप्त करना, जर्मनी को एक सूत्र में बाँधना तथा जर्मन साम्राज्य का विस्तार करना था। यूरोप में साम्यवाद को रोकना चाहता था। इन सब नीतियों को लागू कर हिटलर अपनी प्रतिष्ठा प्राप्त करना चाहता था और .. वह अपनी नीतियों को कार्यान्वयन में सक्रिय हो गया।
राष्ट्रसंघ से पृथक होना-वर्साय की कठोरता और अपमानजनक संधि से जर्मन आहत थे । राष्ट्रसंघ का सदस्य बने रहने से जर्मनी को कोई लाभ नहीं था। अतः उसने 1933 ई० में जेनेवा निःशस्त्रीकरण की शर्ते सभी राष्ट्रों पर समान रूप से लागू करने की मांग की परन्तु जब उसे सफलता नहीं मिली तो उसने 1933 ई० में राष्ट्रसंघ की सदस्यता छोड़ने की घोषणा कर दी।
वर्साय की संधि को भंग करना-हिटलर ने वर्साय की संधि को मानने से इन्कार कर दिया, उसे नहीं मानते हुए संधि की धज्जियाँ उड़ा दी और 1935 ई० से वर्साय की संधि को मानने से इन्कार कर दिया ।
नाजीवादी दर्शन निरंकुशता का समर्थक एवं लोकतंत्र का विरोध था। विवेचना कीजिए।
उत्तर-
नाजी दर्शन सर्वाधिकारवाद या निरंकुशता का समर्थक था। वह सारी शक्ति एक व्यक्ति अथवा राज्य में केन्द्रित करना चाहता था । इसलिए यह जनतंत्रात्मक व्यवस्था एवं लोकतंत्र का विरोधी था । नाजी दर्शन में संसदीय संस्थाओं के लिए कोई स्थान नहीं था। नाजी सारी शक्ति एक महान और शक्तिशाली नेता के हाँथों में सौंप देने की बात करते थे।
(i) लोकतंत्र का विरोध-जर्मनी में सत्ता सँभालने के बाद ही हिटलर ने सारी शक्तियाँ अपने हाथों में केन्द्रित कर ली तथा एक तानाशाह बन बैठा । उसने प्रेस तथा वाक् अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया एवं विरोधी दलों का पूर्णतः सफाया कर दिया। उसने शिक्षण संस्थाओं तथा जनसंचार पर भी प्रतिबंध लागू किया। इस प्रकार जर्मनी में लोकतांत्रिक आवाज को दफन करने का प्रयास हुआ जो बाद में राष्ट्र के लिए घातक सिद्ध हुआ।
Jarmani me najivad ka uday
matric exam
