Bihar Board Class 9 Science Chapter 12 Solutions – ध्वनि

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प्रश्न शृंखला # 01

प्रश्न 1. किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है ?

उत्तर:- ध्वनि एक गतिज ऊर्जा का प्रकार है जो माध्यम के कणों की गति के रूप में वायु, पानी या ठोस पदार्थों में फैलती है। जब कोई वस्तु कंपन करती है, तो यह निकटवर्ती माध्यम के कणों को आगे-पीछे धकेलती है। ये कण अपने निकटवर्ती कणों को धक्का देते हैं, जिससे एक तरंग का गठन होता है। यह तरंग माध्यम के बीच से गुजरती है और आगे बढ़ती जाती है। जब यह तरंग हमारे कान तक पहुंचती है, तो कान की परदे कंपन करने लगते हैं, जिससे हम ध्वनि सुनते हैं।

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प्रश्न श्रृंखला # 02

प्रश्न 1. आपके विद्यालय की घंटी ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है ?

उत्तर:- जब घंटी को बजाया जाता है, तो यह कंपन करने लगती है। इस कंपन से घंटी के आस-पास की वायु के कण झटके से आगे-पीछे गति करने लगते हैं। यह कणों की गति वायु में संपीडन और विरलन की लहरें उत्पन्न करती है। ये संपीडन और विरलन की लहरें ही ध्वनि तरंगें हैं, जो वायु माध्यम में फैलती हैं और हमारे कानों तक पहुंचकर घंटी की ध्वनि सुनाई देती है।

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प्रश्न 2. ध्वनि तरंगों को यान्त्रिक तरंगें क्यों कहते हैं ?

उत्तर:- ध्वनि तरंगें किसी माध्यम के कणों की गति से उत्पन्न होती हैं और उसी माध्यम में फैलती हैं। माध्यम के बिना ध्वनि का संचरण संभव नहीं होता। यही कारण है कि ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें कहा जाता है, क्योंकि इनका संचरण किसी भौतिक माध्यम पर निर्भर करता है।

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प्रश्न 3. मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चन्द्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पायेंगे ?

उत्तर:- नहीं, चंद्रमा पर वायुमंडल या किसी अन्य माध्यम का अभाव है। ध्वनि तरंगों के संचरण के लिए कोई माध्यम होना आवश्यक है। चूंकि चंद्रमा पर वायु या कोई अन्य माध्यम नहीं है, इसलिए आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि नहीं सुन पाएंगे।

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प्रश्न श्रृंखला # 03

प्रश्न 1. तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है ?

(a) प्रबलता
(b) तारत्व।

उत्तर:-

(a) आयाम
(b) आवृत्ति।

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प्रश्न 2. अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है

(a) गिटार
(b) कार का हॉर्न।

उत्तर:- गिटार का तारत्व कार के हॉर्न से अधिक है क्योंकि गिटार के तारों से उत्पन्न ध्वनि की आवृत्ति कार के हॉर्न से अधिक होती है। जितनी अधिक आवृत्ति होगी उतना अधिक तारत्व होगा।

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प्रश्न श्रृंखला # 04

प्रश्न 1. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति, आवर्तकाल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है ?

 

उत्तर:- तरंगदैर्घ्य (λ) – यह दो लगातार संपीडनों या दो लगातार विरलनों के बीच की दूरी होती है। इसका मात्रक मीटर (m) है।

आवृत्ति (ν) – प्रति सेकंड होने वाले दोलनों की संख्या को आवृत्ति कहते हैं। इसका मात्रक हर्ट्ज (Hz) है।
आवर्तकाल (T) – एक पूर्ण दोलन पूरा करने में लिया गया समय आवर्तकाल कहलाता है। इसका मात्रक सेकंड (s) है।
आयाम (A) – माध्यम के कणों का विस्थापन जिसकी दोनों ओर वे गति करते हैं, उसे आयाम कहते हैं। इसका मात्रक मीटर (m) है।

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प्रश्न 2. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति उसके वेग से किस प्रकार सम्बन्धित है ?

उत्तर:-

ध्वनि तरंग का वेग (v), तरंगदैर्घ्य (λ) और आवृत्ति (ν) से निम्न समीकरण द्वारा सम्बन्धित है:
v = λ × ν

इस समीकरण से स्पष्ट है कि एक ही माध्यम में, ध्वनि का वेग तरंगदैर्घ्य और आवृत्ति के गुणनफल के बराबर होता है।

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प्रश्न 3. किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है। इस तरंग की तरंगदैर्घ्य परिकलित कीजिए।

हल:
ध्वनि तरंग की आवृत्ति (υ) = 220 Hz
ध्वनि तरंग का वेग (v) = 440 m/s
ध्वनि तरंग का वेग v = तरंगदैर्घ्य (λ) x आवृत्ति (υ)
λ = v/υ = 440/220 = 2 m
अतः इस तरंग की तरंगदैर्घ्य 2 m है।

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प्रश्न 4. किसी ध्वनि स्रोत से 450 m दूरी पर बैठा हुआ कोई मनुष्य 500 Hz की ध्वनि सुनता है। स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुँचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समय अन्तराल होगा?

 

हल:
दो क्रमागत संपीडनों के बीच का समय तरंग का समय अन्तराल होता है।
आवृत्ति (υ) = 1/T
या T = 1/υ = 1500 = 0.002 s

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प्रश्न श्रृंखला # 05

प्रश्न 1. ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अन्तर बताइए।

उत्तर:- ध्वनि की प्रबलता और तीव्रता दोनों अलग-अलग मात्रक हैं जो ध्वनि की गुणवत्ता को मापने में प्रयुक्त होते हैं।

प्रबलता (Loudness) – यह ध्वनि की वह गुणवत्ता है जिसे कान महसूस करता है। यह एक मनोवैज्ञानिक गुण है जो व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न हो सकता है। प्रबलता का मापन बेल (B) में किया जाता है। अधिक प्रबल ध्वनि को अधिक तेज़ माना जाता है।
तीव्रता (Intensity) – यह ध्वनि ऊर्जा का एक भौतिक मापन है। यह एकांक समय में एकांक क्षेत्रफल पर पड़ने वाली ध्वनि ऊर्जा की दर को दर्शाता है। इसका मापन वॉट/वर्गमीटर (W/m²) में किया जाता है। अधिक तीव्रता वाली ध्वनि अधिक तेज़ लगेगी।
दोनों गुणों में अंतर है कि तीव्रता एक वस्तुनिष्ठ मापन है जबकि प्रबलता व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है। एक ही तीव्रता की ध्वनि को अलग-अलग लोग अलग-अलग प्रबलता के रूप में महसूस कर सकते हैं।

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प्रश्न शृंखला # 06

प्रश्न 1. वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है ?

उत्तर:- विभिन्न माध्यमों में ध्वनि की गति का निर्धारण उस माध्यम की घनत्व और प्रत्यास्थता गुणधर्म पर निर्भर करता है। इनमें से लोहा सबसे अधिक घनत्व और प्रत्यास्थता वाला माध्यम है। इसलिए, लोहे में ध्वनि की गति सबसे अधिक होती है, उसके बाद जल का स्थान आता है और वायु में ध्वनि की गति सबसे कम होती है। ठोस पदार्थों में ध्वनि की गति गैसों और द्रवों की तुलना में काफी अधिक होती है। इसलिए, वायु, जल और लोहे में से लोहे में ध्वनि सबसे तेज चलती है।

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प्रश्न श्रृंखला # 07

प्रश्न 1. कोई प्रतिध्वनि 3 5 पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक पृष्ठ के बीच कितनी दूरी होगी ?

 

हल:
ध्वनि की चाल, v = 346 ms-1
प्रतिध्वनि सुनने में लिया गया समय t = 3 s
ध्वनि द्वारा चली गई दूरी = v x 1 = 346 x 3 = 1038 m
3s में ध्वनि ने स्रोत तथा परावर्तक पृष्ठ के बीच की दो गुनी दूरी तय की। अतएव स्रोत तथा परावर्तक पृष्ठ के बीच की दूरी = 1038 = 519 m

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प्रश्न शृंखला # 08

प्रश्न 1. कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं ?

उत्तर:- कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार इसलिए बनाई जाती हैं ताकि मंच पर उत्पन्न ध्वनि तरंगें समान रूप से सभी दिशाओं में फैल सकें। वक्राकार छत पर टकराने के बाद, ध्वनि तरंगें परावर्तित होकर हॉल के विभिन्न भागों में समान रूप से फैलती हैं। यदि छत समतल होती, तो मंच से निकलने वाली ध्वनि तरंगें केवल समानांतर दिशा में ही फैलतीं और हॉल के अन्य भागों में नहीं पहुंच पातीं। वक्राकार छत का डिज़ाइन ध्वनि तरंगों को हॉल के हर कोने तक पहुंचाने में सहायक होता है, जिससे दर्शकों को बेहतर श्रवण अनुभव मिलता है।

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प्रश्न श्रृंखला # 09

प्रश्न 1. सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परिसर क्या है ?

उत्तर:- सामान्य रूप से एक स्वस्थ मनुष्य के कान 20 हर्ट्ज़ से 20,000 हर्ट्ज़ (20 कHz) की आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों को सुन सकते हैं। इस परिसर को मानव श्रव्यता परिसर कहा जाता है। इस परिसर से बाहर की आवृत्तियों वाली ध्वनियां मनुष्य द्वारा सुनी नहीं जा सकतीं।

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प्रश्न 2. निम्न से सम्बन्धित आवृत्तियों का परिसर क्या है ?

(a) अवश्रव्य ध्वनि
(b) पराध्वनि।

उत्तर:- (a) अवश्रव्य ध्वनि – जिन ध्वनियों की आवृत्ति 20 हर्ट्ज़ से कम होती है, उन्हें अवश्रव्य ध्वनि कहा जाता है। मनुष्य इन ध्वनियों को सुन नहीं सकता।

(b) पराध्वनि – जिन ध्वनियों की आवृत्ति 20,000 हर्ट्ज़ (20 कHz) से अधिक होती है, उन्हें पराध्वनि कहा जाता है। ये भी मनुष्य के श्रवण क्षेत्र से बाहर होती हैं।

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प्रश्न श्रृंखला 10

प्रश्न 1. एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अन्दर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02 s के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।

हल:
उत्सर्जन तथा लौटने में लगा समय t = 102 s
खारे पानी में पराध्वनि की चाल v = 1531 m/s
पराध्वनि द्वारा चली गई दूरी = 2d
जहाँ d = चट्टान की दूरी
2d = ध्वनि की चाल x समय
= 1531 x 1.02
= 1561.62 m
d = 1564.62/2 = 780.81
अतः पनडुब्बी से चट्टान की दूरी 780.81 m है।

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अभ्यास

प्रश्न 1. ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है ?

उत्तर:- ध्वनि एक यांत्रिक गतिज ऊर्जा का प्रकार है जो किसी माध्यम के कणों के कंपन से उत्पन्न होती है। जब कोई वस्तु कंपन करती है, तो यह अपने आस-पास के माध्यम के कणों को विस्थापित करती है। ये विस्थापित कण अपने निकटवर्ती कणों को प्रभावित करते हैं, जिससे एक तरंग का निर्माण होता है। यही तरंग माध्यम में आगे बढ़ती है और जब यह हमारे कान तक पहुंचती है तो हम ध्वनि सुनते हैं।

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प्रश्न 2. एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं।

उत्तर:- जब कोई वस्तु कंपन करती है, तो यह अपने आगे की वायु को धक्का देकर संपीडित करती है, जिससे एक उच्च दाब का क्षेत्र (संपीडन) बनता है। जब वस्तु पीछे की ओर आती है, तो वायु कण विस्थापित होते हैं और निम्न दाब का क्षेत्र (विरलन) बनता है। ये संपीडन और विरलन लहरें माध्यम में आगे बढ़ती रहती हैं। इस प्रकार स्रोत के निकट संपीडन और विरलन की लहरें उत्पन्न होती हैं।

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प्रश्न 3. किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है ?

उत्तर:- एक विद्युत घंटी को एक बेलजार में लटकाकर और फिर धीरे-धीरे बेलजार से वायु निकालकर यह प्रदर्शित किया जा सकता है कि ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। जैसे-जैसे वायु निकलती जाती है, घंटी की ध्वनि धीरे-धीरे कमजोर होती जाती है। जब बेलजार से पूरी वायु निकाल दी जाती है, तो घंटी की कोई ध्वनि नहीं सुनाई देती, क्योंकि ध्वनि के संचरण के लिए कोई माध्यम नहीं बचा।

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प्रश्न 4. ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है ?

उत्तर:- ध्वनि तरंगों में माध्यम के कण केवल आगे-पीछे गति करते हैं और एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जाते। प्रत्येक कण अपनी विराम स्थिति से थोड़ा आगे और थोड़ा पीछे गति करता है लेकिन अपनी मूल स्थिति से कभी पूरी तरह नहीं हटता। इस प्रकार ध्वनि तरंगों में विक्षोभ का संचरण होता है लेकिन माध्यम के कणों का स्थानांतरण नहीं होता। इसलिए ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य प्रकृति की होती हैं।

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प्रश्न 5. ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है ?

उत्तर:- ध्वनि की गुणता (timbre) वह अभिलक्षण है जो किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे हमारे मित्र की आवाज पहचानने में हमारी सहायता करता है। गुणता ध्वनि की स्वरलहरी संरचना से संबंधित है जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनूठी होती है। यही कारण है कि हम अपने मित्रों और परिचितों की आवाज पहचान लेते हैं।

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प्रश्न 6. तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है ?

उत्तर:- तड़ित की चमक और गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं लेकिन प्रकाश की गति (3 x 10^8 m/s) ध्वनि की गति (344 m/s) की तुलना में बहुत अधिक होती है। इसलिए प्रकाश की तरंगें पहले पृथ्वी तक पहुंच जाती हैं और हम तड़ित की चमक देख लेते हैं। ध्वनि तरंगें धीमी होने के कारण कुछ समय बाद ही पहुँचती हैं, इसलिए हम गर्जन को देर से सुनते हैं।

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प्रश्न 7. किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परिसर 20 Hz से 20 Hz है। इन दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 ms-1 लीजिए।

हल:
ध्वनि तरंग के लिए –
वेग = तरंगदैर्घ्य x आवृत्ति
या v = λ x υ
ध्वनि का वायु में वेग (v) = 344 m/s

1. v = 20 Hz के लिए
λ1 = υ/v = 344/20 = 17.2m

2. v = 20,000 Hz के लिए,
λ1 = υ/v = 344/20,000 = 17.2 m
अतः कोई व्यक्ति 0.172 m से 17.2 m तरंगदैर्घ्य तक की तरंग सुन सकता है।

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प्रश्न 8. दो बालक किसी ऐलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए।

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प्रश्न 9. किसी ध्वनि स्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। एक मिनट में यह कितनी बार कम्पन करेगा?

हल:
आवृत्ति = 100 Hz (दिया है)
इसका तात्पर्य है कि ध्वनि स्रोत 1 सेकण्ड में 100 बार कम्पन करेगा। अतः एक मिनट में की गई कम्पन = 100 x 60 = 6000 बार

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प्रश्न 10. क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं ? इन नियमों को बताइए।

उत्तर:- हाँ, ध्वनि परावर्तन के वही नियम लागू होते हैं जो प्रकाश परावर्तन के लिए लागू होते हैं। ये नियम निम्नलिखित हैं:-

  • आपतन कोण – यह वह कोण होता है जिसे आपतन किरण परावर्तक पृष्ठ पर खिंचे गए अभिलम्ब से बनाती है।

  • परावर्तन कोण – यह वह कोण होता है जिसे परावर्तित किरण परावर्तक पृष्ठ पर खिंचे गए अभिलम्ब से बनाती है।

  • आपतन कोण और परावर्तन कोण समान होते हैं।

  • आपतन किरण, परावर्तित किरण और अभिलम्ब एक ही तल में होते हैं।

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प्रश्न 11. ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक पृष्ठ के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्रोत तथा परावर्तक पृष्ठ की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी –

(i) जिस दिन ताप अधिक हो ?
(ii) जिस दिन ताप कम हो ?

उत्तर:- जिस दिन ताप अधिक होगा, उस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी। ताप बढ़ने पर ध्वनि की गति बढ़ जाती है। अधिक गति के कारण ध्वनि तरंगें शीघ्र परावर्तित होकर वापस आएंगी। इसलिए उच्च ताप वाले दिन प्रतिध्वनि जल्दी सुनाई देगी। कम ताप के दिन ध्वनि की गति कम होगी और प्रतिध्वनि देरी से सुनाई देगी।

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प्रश्न 12. ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।

उत्तर:- ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग निम्नलिखित हैं:-

  • सोनार (SONAR) – यह एक उपकरण है जिसमें जल में स्थित वस्तुओं की दूरी और स्थिति का पता लगाने के लिए पराध्वनि तरंगों के परावर्तन का उपयोग किया जाता है।

  • स्टेथोस्कोप – डॉक्टर इस उपकरण का उपयोग रोगी के शरीर की ध्वनियों को सुनने के लिए करते हैं। शरीर की ध्वनियां बार-बार परावर्तित होकर डॉक्टर के कान तक पहुंचती हैं।

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प्रश्न 13. 500 मीटर ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी ? (g = 10 ms-1 तथा ध्वनि की चाल = 340 ms-1)

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प्रश्न 14. एक ध्वनि तरंग 339 ms-1 की चाल से चलती है। यदि इसकी तरंगदैर्घ्य 1.5 cm हो, तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी ? क्या यह श्रव्य होगी?

हल:
ध्वनि की चाल = 339 m/s
तरंगदैर्घ्य = 1.5 cm = 0.015 cm
ध्वनि की चाल = तरंगदैर्घ्य x आवृत्ति
v = λ x υ
υ = v/λ
= 339/10.15 = 22600 Hz
मनुष्य के लिए श्रव्यता परिसर 20 Hz से 20,000 Hz है। इस ध्वनि की आवृत्ति 20,000 Hz से अधिक है, अतः यह श्रव्य नहीं होगी।

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प्रश्न 15. अनुरणन क्या है ? इसे कैसे कम किया जा सकता है ?

उत्तर:- अनुरणन एक शब्द है जो किसी बंद स्थान में ध्वनि के बार-बार परावर्तित होने की घटना को दर्शाता है। यह तब होता है जब ध्वनि तरंगें किसी बंद कमरे की दीवारों से परावर्तित होकर उसी बिंदु पर वापस लौट आती हैं। इसे कम करने के लिए ध्वनि अवशोषक पदार्थों का उपयोग किया जाता है जो ध्वनि ऊर्जा को अवशोषित कर लेते हैं। ये पदार्थ जैसे कालीन, पर्दे, खुरदरे प्लास्टिक आदि हैं जिन्हें दीवारों और छत पर लगाया जाता है।

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प्रश्न 16. ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है ? यह किन कारकों पर निर्भर करती है ?

उत्तर:- ध्वनि की प्रबलता उसकी शक्ति का एक मापक है। यह मानव कान द्वारा उस ध्वनि के सुने जाने की क्षमता को दर्शाता है। ध्वनि की प्रबलता मुख्य रूप से तीन कारकों पर निर्भर करती है – ध्वनि का आयाम, दूरी और माध्यम। जितना अधिक ध्वनि का आयाम होगा, उतनी ही अधिक प्रबलता होगी। दूरी बढ़ने पर प्रबलता कम हो जाती है। साथ ही माध्यम भी प्रबलता को प्रभावित करता है।

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प्रश्न 17. चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है ? वर्णन कीजिए।

उत्तर:- चमगादड़ अपने शिकार की खोज के लिए पराध्वनि तरंगों का उपयोग करता है। यह लगातार उच्च आवृत्ति की पराध्वनि तरंगें उत्सर्जित करता रहता है। जब ये तरंगें किसी वस्तु से टकराती हैं तो वापस परावर्तित हो जाती हैं। चमगादड़ इन परावर्तित तरंगों का सटीक विश्लेषण करके शिकार की दिशा और दूरी का पता लगा लेता है। इस प्रकार वह अपने शिकार को पकड़ सकता है।

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प्रश्न 18. वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं ?

उत्तर:- पराध्वनि तरंगों का उपयोग वस्तुओं को धूल, गंदगी और चिकनाई से साफ करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में वस्तुओं को एक विशेष पराध्वनि विलयन में डुबोया जाता है। फिर इस विलयन में उच्च आवृत्ति की पराध्वनि तरंगें भेजी जाती हैं। इन तरंगों की गति से विलयन में उच्च दाब और तनाव बनता है जिससे गंदगी के कण वस्तुओं से अलग हो जाते हैं। इस प्रकार वस्तुएं पूरी तरह साफ हो जाती हैं।

प्रश्न 19. सोनार की कार्यविधि तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।

उत्तर:- सोनार (SONAR) एक ऐसा उपकरण है जिसमें पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। इसका पूरा नाम Sound Navigation And Ranging है। यह जल में डूबी हुई वस्तुओं की स्थिति, दिशा और गति का पता लगाने में उपयोगी है। इसमें एक प्रेषक होता है जो पराध्वनि तरंगें भेजता है और एक संग्राहक जो परावर्तित तरंगों को ग्रहण करता है। प्रेषित और परावर्तित तरंगों के बीच का समय अंतराल मापकर वस्तु की दूरी निकाली जाती है। सोनार का उपयोग समुद्र की गहराई, पनडुब्बियों, जहाजों आदि की खोज में किया जाता है। यह नौसेना और अंतरिक्ष विज्ञान में भी महत्वपूर्ण उपकरण है।

प्रश्न 20. एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5s पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625 m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।

हल:
पराध्वनि सुनने में लगा समय, t = 5 s
पनडुब्बी से वस्तु की दूरी, d = 3625 m
सोनार तरंगों द्वारा तय की गई कुल दूरी = 2d
पानी में ध्वनि की चाल, v = 2d/t
= 2×3625/5
= 1450 ms-1

प्रश्न 21. किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है ? वर्णन कीजिए।

उत्तर:- पराध्वनि तरंगों का उपयोग धातु के ब्लॉकों/पिंडों में दोषों और दरारों का पता लगाने के लिए किया जाता है। इस विधि में धातु के पिंड में पराध्वनि तरंगें प्रेषित की जाती हैं। यदि पिंड में कोई दोष या दरार होती है तो प्रेषित तरंगें उससे टकराकर परावर्तित हो जाती हैं। यह परावर्तन एक संग्राहक द्वारा ग्रहण किया जाता है। यदि कोई परावर्तन नहीं होता है तो समझा जाता है कि पिंड में कोई दोष नहीं है। इस प्रकार पराध्वनि विधि धातु सामग्रियों की गुणवत्ता जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

प्रश्न 22. मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है ? विवेचना कीजिए।

उत्तर:- मानव कान की कार्यप्रणाली बहुत ही जटिल और अद्भुत है। यह वायु में उत्पन्न होने वाले दाब परिवर्तनों (ध्वनि तरंगों) को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करता है। ये विद्युत संकेत मस्तिष्क तक पहुंचते हैं और मस्तिष्क इन्हें ध्वनि के रूप में व्याख्या करता है। बाहरी कान वायु में उत्पन्न होने वाली ध्वनि तरंगों को एकत्रित करता है। फिर ये कर्णपटह झिल्ली को कंपित करती हैं। कर्ण की अंदरूनी हड्डियां इन कंपनों को बढ़ा देती हैं। आंतरिक कर्ण में कर्णावर्त नामक अंग इन कंपनों को विद्युत संकेतों में बदल देता है जो श्रवण तंत्रिका से होते हुए मस्तिष्क तक पहुंचते हैं।

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