Bihar board class 12th political science chapter 1
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
1. एक-दलीय व्यवस्था क्या है? [2013A,2014A/
जिस राजनीतिक व्यवस्था में केवल एक राजनीतिक दल हो उसे एक दलीय व्यवस्था कहा जाता है। विश्व में सिर्फ भारत ही एक मात्र ऐस। देश नहीं है जो एक दल के प्रभुत्व से गुजरा हो। विश्व के अनेक देश में एक दल का शासन एवं प्रभुत्व रहा है।
2. एक-दलीय प्रभुत्व व्यवस्था क्या है? [2015A/
निःसंदेह एक दलीय प्रभुत्त्व प्रणाली का लोकतांत्रिक चरित्र पर खराब असर पड़ता है। एकल दलीय प्रभुत्व व्यवस्था से देश में तानाशाही शासन को बढ़ावा मिल ता है। वह लोकतांत्रिक मूल्यों जैसे-राजनीतिक स्वतंत्रता, समानता, विचारों की अभिव्यक्ति, दबाव समूह की राजनीतिक गतिविधियाँ, प्रेस, मिडि या आदि की पूर्ण स्वतंत्रता में विश्वास नहीं करती है। वह सत्ता को लोगों पर अपनी विचारधारा को थोपने का माध्यम बनाती है।
3. वामपंथी दल से क्या तात्पर्य है?(2016A)
वामपंथी दल वर्तमान स्थिति को बदलकर नयी स्थिति लाना चाहता है, ता कि समाज के दुर्बल, पिछड़े, शोषित, दमित व विपन्न वर्गों का कल्याण हो सके। ये दल सर्वहारा वर्ग के अधिनायकवादी लोकतंत्र में विश्वास क रती है। यह कम्युनिस्ट निजी पूँजी और पूँजीपतियों को पूर्णतया अनावश् यक और समाज विरोधी मानते हैं। ये जबरन भी पूँजीपतियों से हक छीन कर मजदूरों और किसानों को देने के पक्षधर है।
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4. एकल आधिपत्य दल व्यवस्था क्या है? [2016A/
ऐसी व्यवस्था में देश में तो कई पार्टियाँ होती हैं किंतु किसी एक बहुत विशाल पार्टी के पास सत्ता होती है अतः अन्य पार्टियाँ सत्ता में भार्ग दारी नहीं कर सकती। जैसे स्वतंत्रता के बाद केवल कांग्रेस पार्टी सत्ता में रही।
उसे 1952 के पहले, 1957 के दूसरे व 1967 के तीसरे आम चुनावों में विशाल बहुमत मिला। अन्य पार्टियाँ इतनी कमजोर थीं कि वे कांग्रेस से प्रतियोगिता करके सत्ता में नहीं आ सकते थे।
5. भारत में दलीय व्यवस्था पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। [2018A]
दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत में भी दलीय व्यवस्था पायी जाती है। भारत में बहुदलीय व्यवस्था अपनायी गई है। बहुदलीय व्यवस्था में गठबंधन की सरकार बनाने की गुंजाइश होती है। भारत में लगभग 750 से अधिक छोटे-बड़े राजनीतिक दल हैं।
भारतीय दलीय व्यवस्था में तीन तरह के दल हैं राष्ट्रीय राजनीतिक दल, राज्य स्तरीय राजनीतिक दल एवं क्षेत्रीय राजनीतिक दल। सभी तरह के राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं और दलों के लोग चुनाव जीतकर विधायिका में अपना भूमिका निभाते हैं। ये राजनीतिक दल नागरिकों को जागरूक करते हैं। देश में राज नीतिक स्थायित्व प्रदान करते हैं।
6. राजनीतिक दल सरकार में कैसे भागीदारी करते हैं? [2019A)
लोकतंत्र में राजनीतिक दल एक आधार स्तम्भ होता है। लोकतांत्रिक देशों में सरकार के सफल संचालन के लिए राजनीतिक दलों का होना आवश्यक है। भारत में राजनीतिक दल सरकार में भागीदार अनेक तरह से करते हैं। सरकार बनाने के लिए सभी राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं
। सरकार बनाकर राजनीतिक दल ही सरकार को चलाने का काम करते हैं। चुनाव हारने वाली राजनीतिक दल विपक्ष की भूमिका निभाते हैं। राजनीतिक दल ही लोगों को सरकारी मशीनरी से जोड़ते हैं और लोगों तक सरकार की योजनाओं को पहुँचाते हैं। राजनीतिक दल ही जनता की इच्छा एवं आवश्यकता को सरकार तक पहुँचाती है।
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7. एक दलीय प्रभुत्व का अर्थ क्या है? [2019A]
साधारणतः देखा जाता है कि बहुत से ऐसे देश हैं जिसमें कई तरह के पार्टियाँ होती है किन्तु किसी एक ही पार्टी या कई पाटियों के समूह के पास सता होती है। शेष पार्टियाँ सता में भागीदारी नहीं कर सकती है।
जैसे-स्वतंत्रता के बाद केवल कांग्रेस पार्टी के पास ही सत्ता रही। उसे 1952 के पहले 1957 के दूसरे व 1967 के तीसरे आम चुनावों में विशाल बहुमत मिला। अन्य पार्टियाँ इतनी कमजोर थी की वे कांग्रेस से प्रतियोगिता करके सत्ता में नहीं आ सकते थे।
8. भारत में निर्वाचन का उत्तरदायित्व किस पर है? [2019A]
भारत में चुनावी प्रक्रिया संपन्न करने के लिए भारतीय संविधान में एक सदस्यीय चुनाव आयोग के गठन की व्यवस्था की गई है जिसका प्रमुख उत्तरदायित्व या कार्य विभिन्न स्तर पर स्वतंत्र रूप से या शांति पूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न कराना है। इस समय चुनाव आयोग तीन स्शदस्यीय है। जिसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त है व दो अन्य चुनाव आयुक्त हैं।
9. निर्वाचन व्यवस्था में चार सुधार बताएँ। [2021A)
(i) समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली लागू किया जाना चाहिए। इससे राजनीतिक दलों को उसी अनुपात में सीटे मिलेगी जिसः अनुपात में उन्हें वोट मिलेगी।
(ii) संसद और विधानमण्डलों में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों पर आरक्षण मिलनी चाहिए।
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10. एकात्मक व्यवस्था से आप क्या समझते हैं? [2022A/
एकात्मक व्यवस्था राजनीतिक संगठन की एक प्रणाली है। इस प्रणाली के अंतर्गत या तो सरकार का केवल एक स्तर होता है या सरकार की इकाइयाँ-केंद्र के अधीनस्थ होती है। केंद्र सरकार प्रांतीय या स्थानीय सरकारों को आदेश पारित कर सकती है। ब्रिटेन, नेपाल में एकात्मक व्यवस्था की सरकारें हैं।
11. स्वतंत्रता से आप क्या समझते हैं? (2022A/
स्वतंत्रता अंग्रेजी शब्द लिबर्टी (Liberty) का हिन्दी रूपांतरण है, जिसका अर्थ है बंधनों का अभाव या मुक्ति। स्वतंत्रता में व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार कार्य करने की छूट होती है।
12. दलीय प्रणाली के विभिन्न प्रकारों को लिखें। [2023A)
दलीय प्रणाली लोकतंत्र का आधार है और यह जनता और सरकार के बीच एक कड़ी है। दलीय प्रणाली तीन प्रकार की श्रेणियाँ हैं (i) एक दलीय प्रणाली (ii) द्वि दलीय प्रणाली (iii) बहुदलीय प्रणाली।
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13. निर्वाचन आयोग के दो कार्य लिखें। [2023A/
निर्वाचन आयोग एक स्थायी संवैधानिक निकाय है। इसके दो कार्य प्रमुख
(1) मतदाता सूची तैयार कर्ता और (ii) चुनाव सम्पन्न कराना . भारत की दलीय व्यवस्था के चार लक्षण निम्न हैं-
14. भारत की दलीय व्यवस्था के चार लक्षण का उल्लेख करें [2024A]
भारत में बहुदलीय व्यवस्था स्थापित है।
भारतीय राजनीति में प्रारंभ से ही साम्प्रदायिक एवं क्षेत्रीयता का भाव विद्यमान रहा।
15. एकल संक्रमणीय मत प्रणाली क्या है? [2024A]
एकल संक्रमणीय मत प्रणाली में मतदाता रैंक (1, 2, 3, ——) की पसंद के अनुसार अपना मत डालता है। मतदाताओं के पास उम्मीदवारों को रैंक (पसंद संख्या) करने का विकल्प होता है। साथ-ही-साथ उसकी पहली पसंदीदा उम्मीदवार को हटा दिया जाता है तो भी उसका मत उसकी पसंद के अनुसार स्थानांतरित किया जा सकता है। भारत में राष्ट्रपति का चुनाव एकल प्रणाली द्वारा होता है।
16. लोक कल्याणकारी राज्य क्या है (2025A)
लोक कल्याणकारी राज्य वह व्यवस्था होती है जिसमें सरकार नागरिकों की भलाई के लिए काम करती है। इसमें सरकार गरीबों, बीमारों और जरूरतमंदों को स्वास्थ्य, शिक्षा और बेरोजगारी भत्ता जैसी सामाजिक सेवाएँ उपलब्ध कराती है, जिनका खर्च करों से उठाया जाता है।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
1. भारत में एकल आधिपत्यशाली दल व्यवस्था को परिभाषित करें।
किसी भी राजनीतिक व्यवस्था पर उसके ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का लंबे समय तक प्रभाव बना रहता है। भारत में दलीय व्यवस्था के संदर्भ में यह बात स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होती है। स्वतंत्रता की लड़ाई भारत में कांग्रेस के मंच पर से लड़ी गयी। विभिन्न विचारधारा के लोग मात्र स्वतंत्रता प्राप्त निर्माणतथा
इसकी समस्याएँ यहाँ यह अंतर करना आवश्यक है कि भारत में एकदलीय वर्चस्व की व्यवस्था थी, न कि साम्यवादी देशों की तरह एकदलीय व्यवस्था। साम्यवादी देशों में साम्यवादी दल के अतिरिक्त दूसरा दल होता ही नहीं है, जबकि भारत में बहुदलीय व्यवस्था थी।
दलों की संख्या अधिक थी, किंतु वे कमजोर थे। उनके बीच कांग्रेस एक बड़े दल के रूप में थी जिसका लाभ उसे राजनीतिक और संबैधानिक आधार पर मिलता था। एकदलीय वर्चस्व के कारण संघवाद, प्रजातंत्र संविधानवाद आदि के साथ
उचित व्यवहार न किया गया।
संसद भी अपने उचित दायित्व के निर्वाह में कामयाब नहीं रही। यही कारण है कि 1977 में अप्रत्याशित रूप से एकदलीय वर्चस्व के विरुद्ध जनता ने जनादेश दिया। उपर्युक्त बातों के बावजूद कुछ लोगों का कहना है कि संविधान क्रियान्वयन के प्रारंभिक काल में एकदलीय वर्चस्व ने राष्ट्र को संगठित, एकीकृत तथा प्रभावी बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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2. भारत में चुनाव आयोग के कार्यों का वर्णन करें।या
भारत के निर्वाचन आयोग के कार्यों का वर्णन करें।
निर्वाचन आयोग एक स्थायी संवैधानिक निकाय है। संविधान के अनुसार निर्वाचन आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गई थी। यह भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचनों की व्यवस्था सुनिश्चित करता है।
देश की संसद, राज्य विधानमंडल, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचनों का कार्य निर्वाचन आयोग करता है। निर्वाचन आयोग के निम्नलिखित कार्य हैं
(1) चुनाव सम्पन्न कराना
(ii) चुनाव क्षेत्रों के परिसीमन करना
(iii) मतदाता सूची तैयार करना
(iv) राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना
(२) राजनीतिक दलों को चुनाव चिन्ह प्रदान करना
( vi) चुनावों में नामांकन पत्र की जाँच करना
( vii) राजनीतिक दलों के विवादों का न्याय निर्णयन
(viii) चुनाव प्रक्रिया के संबंध में सरकार को सुझाव देना (ix) मतदाता को राजनीतिक शिक्षा प्रदान करना
(x) अर्द्ध न्यायिक कार्य करना।
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