Bihar Board Class 12th history Solutions Chapter 1-हड़प्पा का पुरातत्व स्थल नोटस | hadappa sabhyata ka puratatv question answer | बिहार board

Bihar Board Class 12th history Solutions Chapter 1-

हड़प्पा का पुरातत्व स्थल नोटस 

1. हड़प्पावासियों द्वारा व्यवहत सिंचाई के साधनों का उल्लेख करें।(2013A,2016A)
ans- प्राचीन काल में सिन्धु प्रदेश में वनस्पति प्रचुर मात्रा में थी जो वर्षा को आकर्षित करती थी। उन दिनों सिन्धु में प्रतिवर्ष बाढ़ आती थी जो अपने साथ इतनी अधिक जलोढ़ मिट्टी लाती थी जितनी की मिस्त्र में नील नदी भी नहीं लाती थी।
सिन्धु नदी को सिन्धु प्रदेश का वरदान समझा जाता था। लोग बाढ़ के मैदानों में गेहूँ तथा जौ बो देते थे और अगले वर्ष की बाढ़ से पहले अप्रैल मास में उसे काट लेते थे। उस समय नहरें नहीं थीं। संभवतः नदी का पानी नालों के माध्यम से खेतों में सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता था। कुल मिलाकर हड़प्पावासी सिंचाई के लिए पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर थे।

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2. इतिहास लेखन में अभिलेखों का क्या महत्त्व है? (2013A,2016A,2018A)
ans – वैदिक काल के पश्चात् खासकर मौर्यकाल से पूर्व मध्यकाल तक इतिहास लेखन में अभिलेखों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। अभिलेख उसे कहा जाता है जो कि पाषाण, धातु या मिट्टी के बरतनों आदि पर खुदे होते हैं।
अभिलेखों में तत्कालीन शासक अपनी उपलब्धियों, क्रियाकलाप, व्यक्ति एवं राजधर्म आदि के बारे में लिखवाते थे। मौर्यकालीन शासक अशोक भारत के विभिन्न भागों में स्तम्भों तथा शिलाओं पर अभिलेख खुदवाये थे।
अशोक के इन्हीं अभिलेखों के द्वारा हम सम्राट अशोक के धम्म, धम्म प्रचार के उपाय, मानवता की सेवा के विचार आदि को भली-भाँति समझ सके हैं। अशोक के अभिलेखों के आधार पर ही डी० आर० भण्डारकर ने अशोक का सम्पूर्ण इतिहास लिखने का प्रयास किया है।

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3. पुरातत्त्व से आप क्या समझते हैं?[2015A 2019A)
ans -पुरातत्त्व वह विज्ञान है, जिसके माध्यम से पृथ्वी के गर्भ में छिपी हुई सामग्रियों की खुदाई कर अतीत के लोगों के भौतिक जीवन का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। किसी भी जाति की सभ्यता के इतिहास का ज्ञान प्राप्त करने में पुरातत्त्व एक प्रमुख साधन के रूप में है। पुरातात्विक सामग्री के आधार पर ही सिन्धुघाटी सभ्यता की कहानी लिखी गई है।
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4. अभिलेख किसे कहते हैं? अभिलेखों के दो महत्व बताइए।/2020,20291)
ans- अभिलेख पत्थर, धातु आदि की सतहों पर उत्कीर्ण किये गये पातन सामग्री को कहते हैं। इसका प्रयोग प्राचीन काल से ही हो रहा है। यह मुख्य रूप से शासकों का राज्यादेश होता था।
सबसे प्राचीन अभिलेख अशोक के प्रस्तर अभिलेख है। सोना, चाँदी, पीतल, ताँबा, लोहा आदि पर लिखित अभिलेख पाये गये हैं। अभिलेख किसी भी कालखंड के जानकारी प्राप्त करने का प्राथमिक स्रोत माना जाता है।

 

5. मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार के विषय में लिखें। [20/9A,2021A]
ans – मोहनजोदड़ों का विशाल स्नानागार पक्की ईटों के स्थापत्य का सुंदर नमूना है। यह स्नानागार 11.88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चौड़ा और 2.45 मीटर गहरा है। दोनों सिरों पर हौज की सतह तक सोड़ियाँ बनी हुई है।
इसके चारों तरफ छोटे-छोटे कमरे बने हुए हैं। इस स्नानागार का प्रयोग आनुष्ठानिक स्नान के लिए होता था। यह एक सार्वजनिक स्नानागार था।

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6. उत्खनन से आप क्या समझते हैं? [2021A]
ans- उत्खनन उस प्रक्रिया को कहा जाता है जिसमें किसी पुराने टोले को खुदाई कर पुरानी सभ्यता की जानकारी हासिल की जाती है। यह क्षैतिज और उच्र्ध्वाधर दो प्रकार से किया जाता है।
इसमें प्राचीन कालीन पुरावशेष जैसे अभिलेख, मुण मूर्तियाँ, सिक्के, भवन अवशेष आदि पाये जाते हैं। इसी के आधार पर इतिहासकार एवं पुरातत्त्ववेत्ता उसका काल निर्धारण करते हैं।

 

7. हड़प्पा लिपि के बारे में आप क्या जानते हैं? [2021A]
ans- हड़प्पा लिपि मुख्यतः चित्र लिपि है। विद्वान अभी तक इस लिपि को पड़ नहीं पाए हैं। इसमें कुल मिलाकर 250 से 400 लिपि के संकेत मिले हैं। यह लिपि दाई से बाई फिर चाई से दाई लिखी जाती थी।
इस लिपि से संबंधित कोई अभिलेख न मिलने के कारण ही हड़प्पा सभ्यता को आद्य ऐतिहासिक काल में रखा गया है।

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8. मोहनजोदड़ो के अन्नागार के विषय में लिखें। [2019A]
अथवा, विशाल अन्नागार पर टिप्पणी लिखें। (2022A)
ans- मोहनजोदड़ों में विशाल अन्नागार के साक्ष्य मिले हैं। ये अन्नागार छ:: कमरों के दो कतारों में मिले हैं। इन अन्नागार के बाहर चबूतरे भी मिले हैं जहाँ अनाजों की सुखाया जाता था। इन अल्लागारों में किसानों से कर के रूप में अनाज प्राप्त कर उसे रखा जाता था। फसलों की बर्बादी या उत्पादक कम होंने पर नगर के लोगों में यहाँ के अनाज वितरण किया जाता होगा।

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9. लोथल कहाँ है? इतिहास अध्ययन में इस स्थान का क्या महत्व है? [2022A)
ans- लोथल गुजरात में स्थित एक हड़प्पाकालीन जगह है। इतिहास अध्ययन में जब हम हड़प्पाकालीन लोगों के बाहरी दुनिया से व्यापार एवं संपर्क के बारे में जानने की कोशिश करते हैं तो लोथल से हमें कई साक्ष्य मिले हैं।
जैसे- बेलनाकार मुहरें, युग्ल शवाधान एवं गोदीबाड़ा आदि।
10. हड़प्पा सभ्यता की जल निकास प्रणाली का वर्णन करें। (2019A.2020A)
अथवा, हड़प्पा सभ्यता की जल निकास प्रणाली की दो विशेषताएँ बतायें।

ans-  हड़प्पा सभ्यता की जल निकास प्रणाली काफी विकसित थी। नगरों में नियोजित जल निकास प्रणाली आधुनिक नगर योजना के समान थी। यहाँ के नगरों में घरों, नालियों एवं सड़कों का एक साथ नियोजित रूप से निर्माण कराया गया था।

सड़कों की तरह नालियों भी एक दूसरे को समकोण पर काटती थी। घरों से पानी गली के नाली में तथा वहाँ से शहर के मुख्य नाली में जाती थी। नालियों में जगह-जगह चहबच्चे बने होते थे जिससे कूड़ा-कचरा मुख्य नाले में नहीं जाता था।

 

11. सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन दो सभ्यताओं के नाम बतायें।(20224)
ans-  सिन्धु घाटी सभ्यता के समकालीन दो सभ्यताएँ निम्नलिखित थी-

@ दजला फूरात नदी के तट पर बसा मेसोपोटामिया को सभ्यता
@ नील नदी के किनारे बसा मिश्र की सभ्यता। 

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12. सिन्धु घाटी सभ्यता में शवों के दाह संस्कार के कितने प्रकार थे ? /2022A
ans.- सिन्धु घाटी सभ्यता में शवों के दाह संस्कार के निम्न प्रकार थे हडप्पा में मिले कब्रिस्तान (R-37) में मृतकों को पूर्णरूप से दफनाने के साक्ष्य मिले हैं
(ii) बहवलपुर में आंशिक शवाधान के साक्ष्य मिले हैं। यहाँ शवों को खुले में पशु पक्षियों को खाने के लिए छोड़ दिया जाता था। बाद में उनके अस्थियों को चुनकर आआंशिक शवाधान किया जाता था।(iii) तीसरा प्रकार था शवों को जलाकर भस्मों को घड़े में रखकर समाधियों में गाड़ा जाता था।
(iv) लोथल से युग्मशवाधान यानी पति-पत्नी को एक साथ दफनाने के साक्ष्य मिले हैं।
13. कार्बन-14 विधि से आप क्या समझते हैं? (2015A, 2021A, 2022A)
अथवा, कार्बन-14 विधि क्या हैं? (2023A)
ans- तिथि निर्धारण की वैज्ञानिक विधि को कार्बन-14 विधि कहा जाता है। इस विधि की खोज अमेरिका के प्रख्यात रसायनशास्त्री बी एफ० लिबी द्वारा सन् 1946 ई० में की गई। इस विधि के अनुसार किसी भी जीवित वस्तु में कार्बन-12 एवं कार्बन-14 समान मात्रा में पाया जाता है। मृत्यु अथवा विनाश की अवस्था में C-12 तो स्थिर रहता है, मगर C-14 का निरन्तर क्षय होने लगता है। जिस पदार्थ में कार्बन- 14 की मात्रा जितनी कम होती है, वह उतना ही प्राचीनतम माना जाता है।

14. हड़प्पा सभ्यता के 4 प्रमुख नगरों केन्द्रों के नाम बतायें। (2022A, 2023A,2024A)

ans-  हड़प्पा सभ्यता के चार प्रमुख केंद्र निम्नलिखित है (1) हड़प्पा (1) मोहनजोदड़ो (iii) लोथल (iv) कालीबंगा। पे सभी हाय के प्रमुख नगर थे। उदष्णा एवं मोहनजोदड़ो को इस सभ्यता की जुद राजधानी भी कहा जाता था।

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15. हड़प्पा सभ्यता की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख करें। [2023A)
ans- हड्प्णा सध्यता के दो विशेषता निम्न 

(1) यह भारत की प्रथम नगरीय सभ्यता थी।
(ii) इस सभ्यता के नगरों की बसावट जाल पद्धति के आधार पर था। इसमें सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थी तथा नालियों का जाल बिछा हुआ था।

16. ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि में क्या अंतर है? [2024A/
ans- ब्रांझी और खरोष्ठी लिपि में अंतर निम्न हैं-
(1) ब्राह्मी लिपि देवनागरी, बांग्ला आदि लिपियों का मूल रूप है, जबकि खरोष्ठी लिपि यूनानी लिपि से मेल खाती है।
(i) ब्राह्मी लिपि का प्रयोग उत्तर-भारत, पूर्वी भारत व दक्षिणी भारत में होता था, जबकि खरोष्ठी लिपि का प्रयोग पश्चिमोत्तर भारत (वर्तमान में पाकिस्तान, अफगानिस्तान) में किया जाता था।

 

17. हड़प्पा कालीन सिचाई के दो साधनों को बताइए।[2024A)
ans- प्राचीन काल में सिन्धु प्रदेश में बनस्पति प्रचुर मात्रा में थी जो वर्षा को आकर्षित करती थी। यहाँ भवन निर्माण तथा ईटिं पकाने के लिए काफी लकड़ी उपलब्ध होती थी, परंतु कालांतर में कृषि विस्तार, बड़े पैमाने पर चराई तथा ईधन की प्राप्ति के कारण प्राकृतिक वनस्पति नष्ट हो गई। जन दिनों सिन्धु में प्रतिवर्ष बाद आती थी जो अपने साथ इतनी अधिक जलोद मिट्टी लाती थी जितनी की मिस्र में नील नदी भी नहीं लाती थी। सिन्धु नदी को सिन्धु प्रदेश का वरदान समझा जाता था। लोग बाढ़ के मैदानों में गेहूँ तथा जी बो देते थे और अगले वर्ष की बाढ़ से पहले अप्रैल मास में उसे काट लेते थे। उस समय नहरें नहीं थीं। संभवतः नदी का पानी नालों के माध्यम से रखेतों में सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता था। कुल मिलाकर हड़प्पावासी सिंचाई के लिए पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर थे।

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18. सिन्धु घाटी सभ्यता में उत्पादित होने वाले चार प्रमुख कृषि उत्पादों के नाम लिखें। [2025A]
ans- सिन्धु घाटी सभ्यता में मुख्यतः गेहुँ, जौ, तिल और चना जैसे कृषि उत्पाद उगाए जाते थे। इसके अलावा चावल और कपास भी उगाए जाते थे। 
19. आहत सिक्के क्या थे?
ans- आहत सिक्के पुराने समय के, पहले सिक्के थे जो छठी सदी ई०पू० से मिलते हैं। इन्हें धातु की चादर को काटकर बनाया जाता था और इन पर ठप्पे से निशान बनाए जाते थे, कोई लेख नहीं होता था। ये चाँदी और तांबे जैसी धातुओं से बनते थे और इनके आकार त्रिकोण, चतुर्भुज, पंचकोण, षट्‌कोण, गोल या अंडाकार होते थे। 

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