1. अलबरूनी पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। (2017A,2018A,2020A)
अलबरूनी महमूद गजनवी के दरबार का प्रसिद्ध इतिहासकार था। भारत पर महमूद के आक्रमणों के समय वह महमूद की सेना के साथ भारत आया था। यहाँ उसने भारतीय सभ्यता व संस्कृति से प्रभावित होकर भारतीय साहित्य का अध्ययन किया। अलबरूनी ने अपने अनुभवों को तथा महमूद के आक्रमणों के विनाशकारी प्रभावों का वर्णन अपनी पुस्तक ‘किताब-उल-हिन्द’ में किया है।
2. भारत आने वाले चार विदेशी यात्री एवं उनके यात्रा वृत्तान्तों के नाम लिखें। [2020A, 2021A1
भारत आने वाले चार विदेशी यात्री एवं उनके यात्रा वृतांत निम्न हैं:
(i) अलबरूनी-किताब-उल-हिंद,
(ii) इब्नबतूता रेहला
(iii) मेगास्थनिज-इंडिका (iv) फाहियान बौद्ध राज्यों का अभिलेख।
Class 12th history chapter 9
3. किताब-उल-हिन्द की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। [2023A)
अरबी में अलबरूनी द्वारा लिखी गई यह पुस्तक कुल 80 अध्यायों में विभक्त है। इसकी दो विशेषताएँ निम्न हैं-
(i) इसके 80 अध्यायों में से अधिकांश नक्षत्र विद्या विषय की विषय वस्तु पर आधारित है।
(ii) इसके 9 वें अध्याय में जाति-प्रथा एवं वर्ण व्यवस्था परं प्रकाश डाला है।
Class 12th history chapter 9
4. फाहियान कौन था? वह भारत कब आया? [2024A)
फाहियान एक चीनी बौद्ध भिक्षु, यात्री, लेखक एवं अनुवादक थे। वे 399 ई० में भारत आए थे।
5. मध्यकालीन भारत में इटली से आनेवाले दो यात्रियों के नाम बतायें। (2024A/
मध्यकालीन भारत में इटली से आए दो यात्रियों का नाम इस प्रकार है-
(i) निकोलो काण्टी (विजयनगर), (ii) मनूची।
6. अल-बिरुनी ने जाति व्यवस्था के संबंध में क्या लिखा है? [2025A)
अल-बिरुनी एक प्रसिद्ध मुस्लिम विद्वान, ने भारत की जाति व्यवस्था के बारे में लिखा है कि यह एक जटिल सामाजिक संरचना है, जिसमें विभिन्न जातियाँ और उपजातियाँ शामिल हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जाति व्यवस्था ने भारतीय समाज में सामाजिक असमानता को बढ़ावा दिया और लोगों के बीच भेदभाव को जन्म दिया। उनके विचारों ने भारतीय समाज की विविधता और जटिलता को उजागर किया।
Class 12th history chapter 9
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
1. कुतुबुद्दीन ऐबक की उपलब्धियों का वर्णन करें।
कुतुबुद्दीन भारत में दिल्ली सल्तनत का संस्थापक के रूप में जाना जाता है। वह 1192 से 1206 ई तक मुहम्मद गौरी के प्रतिनिधि के रूप में शासन किया। इस काल में उसने उल्लेखनीय सैनिक उपलब्धियाँ प्राप्त की थी। एक शासन के रूप में ऐबक की उपलब्धियों को सभी इतिहासकारों ने सराहा है। भारत में ऐबक की गतिविधियों को तीन चरणों में विभक्त किया जा सकता है। 1192 से 1206 तक उसने उत्तरी भारत में मुहम्मद गौरी के सहायक के रूप में तुर्की की सत्ता की स्थापना में सक्रिय योगदान दिया। 1206 से 1208 तक उसने चलदौज और कुबाया जैसे प्रतिद्वन्द्वियों से संबंध निर्धारित करने और दिल्ली सल्तनत को एक निश्चित अस्तित्व दिलाने का प्रयास किया। तीसरे चरण में 1208 से 1210 के बीच उसने भारत के स्वतंत्र शासक के रूप में कार्य किया। इसी काल में दिल्ली सल्तनत की रूप रेखा प्रस्तुत हुई और ऐबक ने गौरी द्वारा विजित क्षेत्रों को सुरक्षित एवं संगठित बनाए रखा।