Class 12th history chapter 7 question answer

Class 12th history chapter 7 question answer

Class 12th history chapter 7
लघु  उत्तरीय प्रश्न ( short Answer Type Questions)
1. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसने और कैसे की? (2017A)
 विजयनगर दक्षिण में हिन्दुओं का एक साम्राज्य था। जो बहमनी साम्राज्य के दक्षिण में स्थित था। मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में सन् 1336 में हरिहर तथा बुक्का ने मुस्लिम आक्रमण को रोकने के उद्देश्य से तुंगभद्रा नदी के दक्षिण किनारे पर इस राज्य की स्थापना की थी। यह लगभग 200 वर्ष तक चलता रहा। इसने शीघ्र ही उन्नति की तथा यह कृष्णा नदी से कुमारी अन्तरीप तक फैल गया। विजयनगर का सबसे प्रसिद्ध राजा कृष्णदेव राय था। यह सन् 1509 से 1529 ई० तक विजयनगर का शासक रहा। वह बड़ा योग्य, दयालु, कुशल व विद्वान राजा था। सन् 1565 ई० में बहमनी साम्राज्य के राज्यों ने एक होकर विजयनगर पर आक्रमण किया तथा विजयनगर के अंतिम राजा रामराजा को मौत के घाट उतार दिया। तालीकोटा के युद्ध में हारने के बाद विजयनगर राज्य छिन्न-भिन्न हो गया।
2. प्राचीन भारत में वर्ण व्यवस्था पर प्रकाश डालिए। [2019A]
 प्राचीन काल में वर्ण व्यवस्था व्यक्ति के पेशा तथा रंग पर आधारित था। यह जाति व्यवस्था की तरह कठोर न होकर व्यक्ति के सामाजिक गतिशीलता की अनुमति   देता था। इस प्रणाली के तहत व्यक्तियों को 4 श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया था अर्थात् ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। प्रत्येक वर्ण को अपने दायित्व तथा मानदंडों का  पालन करना था।
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3. बिरुपाक्ष मंदिर की दो विशेषताएँ बताएँ। [2020A]
  विरूपाक्ष मंदिर की दो विशेषताएँ निम्न हैं:
(i) यह मंदिर हम्पी में स्थित है। यह मंदिर शिव के दूसरे रूप विरूपाक्ष और उनकी पत्नी देवी पंपा का है।
(ii) रावण द्वारा लंका ले जाने के दौरान शिवलिंग को यहाँ रखने से यह विरूपाक्ष मंदिर बना।
4. आयंगर व्यवस्था के विषय में आप क्या जानते हैं? (2025 .20194.2021A)
आयंगर व्यवस्था विजयनगर साम्राज्य के ग्रामीण प्रशासन की व्यवस्था थी। प्रशासन की सबसे छोटी इकाई गाँव या उर होती थी। आयंगर व्यवस्था के तहत प्रत्येक उर या ग्राम को एक स्वतंत्र ईकाई के रूप में संगठित किया गया था। इस पर शासन के लिए बारह शासकीय व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता था। इन्हीं बारह शासकीय अधिकारियों के समूह को ‘आयंगर’ कहा जाता था। इस समूह को गाँवों से कर इकट्ठा करने, भूमि बेचने तथा छोटे-मोटे मामलों में न्याय करने का अधिकार था।
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5. कमल महल कहाँ है? इसका क्या उपयोग था (20224) (2025A,2023A)
कमल महल विजयनगर की एक सुंदर इमारत है। इस महल की ऊपरी संरचना कमल की तरह दिखती है। अतः 19 वीं सदी के अंग्रेज यात्रियों ने इसका नामकरण कमल महल किया। इसका उपयोग संभवतः एक परिषदन के रूप में होता था जहाँ राजा अपने परामर्शदाताओं से मिलता था। कमल महल के समीप ही हाथियों का एक अस्तबल बना हुआ था। यह लंबाई में एक विशाल इमारत थी एवं स्थापत्य का एक विशाल नमुना भी था। कमल महल एवं हाथियों के अस्तबल के स्थापत्य पर भी इस्लामी भवन निर्माण कला का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।
6. गोपुरम से आप क्या समझते हैं? [2023A]
 गोपूरम मंदिरों के प्रवेश द्वार को कहा जाता है। विजयनगर शासकों ने मंदिरों में गोपूरम का निर्माण कराया। ये अत्यधिक विशाल एवं ऊँचे होते थे। ये संभवतः सम्राट   की ताकत की याद दिलाते थे जो ऊँची मीनार बनाने में सक्षम थे।
7. विजयनगर साम्राज्य पर शासन करनेवाले किन्हीं दो वंशों के नाम बताइए
विजयनगर साम्राज्य पर शासन करने वाले दो वंश निम्न हैं
(i)संगम वंश प्रमुख राजा हरिहर एवं बुक्का
(ii) तुलुव वंश प्रमुख राजा कृष्ण देवराय।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
1. विजयनगर साम्राज्य के चरमोत्कर्ष एवं पतन पर एक संक्षिप्त निबंध लिखें। [2017A]
 विजयनगर साम्राज्य की स्थापना चौदहवीं शताब्दी (1336 ई०) में हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों द्वारा की गयी थी। विजयनगर जब अपने चरमोत्कर्ष पर थी उस समय उसका साम्राज्य उत्तर में कृष्णा नदी से लेकर प्रायद्वीप के सुदूर दक्षिण तक फैला हुआ था। कृष्णदेव राय विजयनगर साम्राज्य के सबसे महानत्तम शासक और वास्तविक संस्थापक थे उसने 1509 से 1530 तक शासन किया। जिस समय कृष्णदेव राय शासन की बागडोर अपने हाथों में ली उस समय उसके सामने कई समस्यायें थी, उसने बुद्धि और बल से उन पर विजय प्राप्त की। कृष्णदेव राय ने अपने सभी शत्रुओं को पराजित कर अपने साम्राज्य को दक्षिण भारत का सबसे शक्तिशाली साम्राज्य में परिणत कर दिया। कृष्णदेव राय के दरबार में आठ महान कवि रहते थे। तेनाली राम और कृष्णदेव राय की कहानियाँ तो जग प्रसिद्ध है। सिंचाई के लिए बड़े-बड़े जलाशय बनबा कर खेती को प्रोत्साहित किया।
2. कृष्णदेव राय की उपलब्धियों का वर्णन करें। (2019A)
1) एक शासक के रूप में कृष्णदेव राय एक कुशल शासक राजनीतिज्ञ तथा कला संरक्षक भी थे। इन्होंने सत्ता का विकेंद्रीकरण कर अपने साम्राज्य को अनेक भागों में विभाजित किया। प्रत्येक भाग में एक गवर्नर की नियुक्ति की। इन्होंने प्रजा की भलाई के लिए कई कार्य किए। इन्होंने व्यापार की सुविधा के लिए अनेक बंदरगाह पर अच्छी व्यवस्था की।
2 एक साहित्यकार के रूप में- कृष्णदेव राय स्वयं एक महान विद्वान और कवि थे। इन्होंने तेलुगु भाषा में ‘आमुक्तमाल्यदा’ नामक कविता लिखी। इनके दरबार में अनेक साहित्यकारों को संरक्षण प्रदान था। तेलुगु कवि अल्लसानी पेड्डना राज कवि थे।
3 एक कला प्रेमी के रूप में कृष्णदेव राय महान कला प्रेमी थे। इन्होंने विरूपाक्ष मंदिर के गोपुरम की मरम्मत करवाई। इन्होंने कृष्ण स्वामी मंदिर का निर्माण करवाया। इन्होंने नागलापुर नामक नगर बसाया। सिंचाई के लिए अनेक तालाब बनवाए।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि कृष्णदेवराय एक कुशल शासक के साथ-साथ एक साहित्यकार, कला प्रेमी तथा प्रजा के हितैषी थे।
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3. विजनयनगर साम्राज्य की उपलब्धियों की जानकारी दें। [2018A.2021A)अथवा, विजयनगर साम्राज्य की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन करें।[2025A.2014A] अथवा, विजयनगर की स्थापत्य कला की विशेषतायें लिखें।[2013A,2016A.2018A,2020,2024A)
 विजयनगर के शासकों ने स्थापत्य कला के विकास में प्रशंसनीय योगदान दिया। दक्षिण भारत में मंदिर निर्माण शैली का चरमोत्कर्ष विजयनगर के शासकों के काल में ही प्राप्त हुआ। इस शैली के सर्वोत्कृष्ट उदाहरणों में देवराय द्वितीय द्वारा निर्मित ‘हजारा मंदिर’ और कृष्ण देवराय द्वारा निर्मित ‘विठ्ठल स्वामी’ के मंदिर का नाम लिया जा सकता है। ये मंदिर चोल काल में विकसित द्रविड़ शैली में ही है लेकिन इनमें कुछ नई विशेषताएँ भी शामिल है।  एक अतिरिक्त मंदिर था जिसमें देवता की पत्नी की विशेष रूप से आराधना की जाती थी। इनके अतिरिक्त मंदिर में प्रवेश द्वार बने थे। गोपुरम और मंदिर के स्तम्भों के अलंकार पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया। वास्तव में स्तम्भ की विविध तथा जटील सजावट विजयनगर शैली की सबसे बड़ी विशेषता थी। विजयनगर स्थापत्य शैली की मूर्तियाँ और स्तम्भ एक ही पत्थर को काटकर निर्मित की जाती थी। विजयनगर शैली के भवन तुंगभद्रा नदी से दक्षिण क्षेत्र में फैले हुए हैं। इनमें कांचीपूरम् का ‘एकाग्रनाथ मंदिर’ तथा तापत्री स्थित ‘रामेश्वरम् मंदिर’ अपने सुन्दर सुन्दर गौपुरों के कारण अत्यन्त प्रसिद्ध हैं।विजयनगर के शासकों द्वारा अनेक महलों एवं राजप्रासादों का भी निर्माण हुआ, जिनमें से कुछ के अवशेष साम्राज्य की राजधानी विजयनगर (हम्पी) में देखे जा सकते हैं।
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