लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions) 1. बलबन की उपलब्धियों का मूल्यांकन करें। [2014A, 2017A]
दिल्ली के आरंभिक तुर्क शासकों में बलबन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बलवन अपना राजनैतिक जीवन इल्तुतमिश के दास के रूप में शुरू किया और शीघ्र अपनी योग्यता के बल पर दिल्ली सल्तनत का प्रधानमंत्री और नासीरूद्दीन की मृत्यु के बाद सुल्तान बन गया। वह अपनी सल्तनतकाल में नया राजत्व का सिद्धांत लागू किया जो ईरानी शासकों से प्रभावित था। उसने केन्द्रीय सैन्य विभाग का गठन किया और सामंतों पर अंकुश लगाया। उसकी न्याय व्यवस्था से सामंत भी अछुते नहीं थे। उसने आंतरिक विद्रोह का दमन किया और मंगोल आक्रमणकारियों को भारत में प्रवेश करने से रोक दिया। बलबन सल्तनत को शक्तिशाली अवश्य बनाया परंतु उसकी मृत्यु के बाद उसके शासन और वंश का अवसान हो गया।
2. अकबर कालीन भू-राजस्व व्यवस्था का संक्षेप में वर्णन कीजिए। [2019A]या, अकबर की भूमि बंदोबस्त प्रणाली का मूल्यांकन करें। [2018A] (i) अकबर के भू-राजस्व संबंधी सुधार एक कुशल प्रशासनिक होने के नाते अकबर समझता था कि जब तक भू-राजस्व व्यवस्था में सुधार नहीं होगा, राजकीय कोष रिक्त ही रहेगा क्योंकि भू-राजस्व ही राजकीय आय का सबसे बड़ा स्त्रोत था। इसलिए उसने राजा टोडरमल से इस संबंध में सहायता ली। अकबर जानता था कि शेरशाह के काल में भी टोडरमल ने अभूतपूर्व भू-सुधार किए थे।
(ii) टोडरमल का जब्ती प्रबंध – 1581 ई० में अकबर ने टोडरमल की भू-व्यवस्था जब्ती प्रणाली लागू कर दी।
(iii) भूमि की पैमाइश उसने रस्सी के गजों के स्थान पर 41 अंगुल वाले बाँस के गज का प्रयोग किया।
(iv) भूमि का वर्गीकरण-उत्पादक क्षमता के आधार पर भूमि का वर्गीकरण किया गया-
(a) पोलज (Polege) – जिस भूमि पर हर साल बुआई होती है।
(b) परती (Parti)- जिस भूमि पर कुछ वर्षों बुआई न हुई हो।
(c) चाचर (Chachar) – दो या तीन साल के बाद बोई गई भूमि।
(d) बंजर (Banjar) – अधिक समय तक खाली पड़ी भूमि। Class 12th history chapter 5
3. आइन-ए-अकबरी के विषय में आप क्या जानते हैं? यह कितने भागों में विभाजित है?[2018A,2022A,2024AJ
17वीं शताब्दी में भारत के भूमि-प्रबन्ध का अध्ययन करने के लिए, आईन-ए-अकबरी सबसे अधिक विश्वसनीय, आवश्यक एवं बहुमूल्य पुस्तक है। मूलरूप में यह अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल द्वारा लिखी गई, ‘अकबरनामा’ का तीसरा खण्ड है। वास्तव में अकबरनामा तकनीकी दृष्टि से एक इतिहास की पुस्तक है जबकि आईन-ए-अकबरी आईन-ए-अकबरी में सरकार के विभागों तथा विभिन्न पदाधिकारियों के साथ ही साधारण लोगों की समस्याओं तथा उस समय के अकाल, विपदा आदि की भी जानकारी मिलती है। मुगल साम्राज्य का भौगोलिक सर्वेक्षण तथा सभी प्रान्तों में आँकड़ों पर आधारित विवरण आईन-ए-अकबरी से मिलती है।
Class 12th history chapter 5 4. आइन-ए-अकबरी के अनुसार भूमि को किन-किन वर्गों में वर्गीकृत किया [2023A]
आइन-ए-अकबरी के अनुसार भूमि को चार भागों में बाँटा गया था-
(i) पोलज सबसे अधिक उपजाऊ भूमि
(ii) पड़ौती भूमि एक वर्ष खाली छोड़कर खेती योग्य भूमि
(iii) चाचर यह भूमि तीन या चार वर्षों तक खाली छोड़ी जाती थी।
(iv) बंजर कभी कभार खेती वाली भूमि।
5. अकबर का जन्म कब और कहाँ हुआ था? [2023A]
अकबर का जन्म 15 अक्टूबर, 1542 ई० में अमरकोट के किले में हुआ था।
6. इब्न बतूता ने दास प्रथा के संबंध में क्या लिखा है? [2025A]
इब्न बतूता ने भारत यात्रा के दौरान देखा कि दास और दासियों का उपयोग मुख्य रूप से घरेलू कार्यों के लिए किया जाता था। दास पालकी या डोली उठाते थे और दासियाँ अक्सर सुल्तान या अमीरों के लिए संगिनी बनंती थीं तथा संगीत और नृत्य प्रस्तुत करती थीं। उन्होंने यह भी बताया कि कई दासियाँ युद्धों और अभियानों में बंदी बनाकर लाई जाती थीं। इब्न बतूता ने विशेष रूप से सिंध से लाई गई दासियों का जिक्र किया है जिन्हें उपकार के रूप में सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक को दिया गया था। सुल्तान कभी-कभी दासियों का प्रयोग अपने अमीरों की निगरानी के लिए भी करता था।
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7. चाचर और बंजर भूमि किसे कहते थे? [2025A]
चाचर वह भूमि होती थी जिसे तीन या चार वर्षों तक खाली छोड़ा जाता था। बंजर भूमि वह थी जिस पर पाँच वर्षों या उससे अधिक समय से खेती नहीं की गई हो।
8. लगान वसूली के लिए खेत बटाई और लाँग बटाई पद्धति क्या थी? [2025A]
खेत बटाई पद्धति में बीज बोने के बाद खेतों को बाँट लिया जाता था। लाँग बटाई पद्धति में फसल काटने के बाद उसका ढेर बनाकर उसे बाँटा जाता था और उसी के अनुसार, लगान वसूला जाता था।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions) 1. ‘दीन-ए-इलाही’ पर एक संक्षिप्त निबंध लिखें। [2015A]
अकबर ने धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनायी थी। अकबर ने विभिन्न धर्मों के विचारों को जानने के लिए सभी धर्मों के विद्वानों से विचार विमर्श किया और इस निष्कर्ष पर पहुँचा की सभी धर्मों में अच्छाइयाँ हैं, मगर कोई धर्म संपूर्ण नहीं है। उसमें सभी धर्मों को अच्छे-अच्छे सिद्धांतों को मिलाकर एक नये धर्म की नींव डाली और उसका नाम दीन-ए-इलाही रखा। इस धर्म में पीर, पैगम्बरों तथा देवी-देवताओं को स्थान नहीं था। इन सबका स्थान अकबर ने ही ग्रहण कर लिया था। इस धर्म के द्वारा वह हिन्दू और मुसलमानों के बीच एकता कायम करना चाहता था। इस धर्म को स्वीकार करनेवाला एक मात्र हिन्दू बीरबल था। दीन-ए-इलाही के प्रमुख सिद्धांत इस प्रकार हैं-
(i)ईश्वर एक है, तथा अकबर उसका पैगम्बर है।
(ii) अनुयायियों को अकबर को साष्टांग प्रणाम करना पड़ता था।
(iii) सूर्य तथा अग्नि की उपासना अत्यावश्यक थी।
(iv) अनुयायियों को अपने जीवन काल में ही अपना मृतभोज देना होता था।
(v) मांस भक्षण का निषेध था।
(vi) अल्लाह हो अकबर तथा जल्लेह जलालहु का अभिवादन में प्रयोग करना।
(vii) वर्षगाँठ पर प्रीतिभोज का आयोजन।
(viii) सम्राट द्वारा धार्मिक दीक्षा।
(ix) बहेलियों, मछुआरों तथा कसाइयों के साथ भोजन करने की आज्ञानथी। लेनपूल के अनुसार, अकबर का धर्म दीन-ए-इलाही या ईश्वरीय धर्म सभी धर्मों के प्रमुख तत्त्वों को लेकर बनाया गया धर्म था।