Class 12th history chapter 4

Class 12th history chapter 4

Class 12th history chapter 4
 लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Question)
1. महावीर के उपदेशों का वर्णन करें।[2014A]
 महावीर की शिक्षायें बड़ी सरल तथा सादा है। यह कर्म, उच्च आदशों तथा आवागमन के सिद्धांतों पर आधारित है। इनमें अहिंसा, मोक्ष, तपस्या, त्रिरत्न पर विशेष बल दिया है। संक्षेप में इसके मुख्य सिद्धांत निम्नलिखित हैं
(i) त्रिरत्न जैन धर्म में मनुष्य को तीन रत्नों के पालन पर जोर दिया गया है (i) सम्यक विश्वास, (ii) सम्यक ज्ञान, (iii) सम्येक आचरण। मनुष्य को सचित कर्मों से छुटकारा पाने के लिए इन्हें तीन रत्नों का पालन करना चाहिए।(ii) पांच महाव्रत महावीर स्वामी ने गृहस्थों के जीवन को पवित्र बनाने के लिए पांच महाव्रत बताये हैं (i) सत्य, (ii) अहिंसा, (iii) असत्येय, (iv) अपरिग्रह एवं (v) ब्रह्मचर्य।(iii) कर्म तथा पुनर्जन्म सिद्धांत जैन धर्म में कर्म तथा पुनर्जन्म सिद्धांत का बड़ा महत्त्व है। मनुष्य पूर्व जन्म के संचित कर्मों के अनुसार संसार में जन्म लेता है और एक के बाद दूसरे योनी में प्रवेश करता है। 
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2. दिगम्बर एवं श्वेताम्बर कौन थे?
 दिगम्बर एवं श्वेताम्बर दोनों जजैन धर्म के संप्रदाय थे। दिगम्बर मतानुस्तर लोग पूर्णतया नग्न रहकर तपस्या करते हैं तथा वस्त्र धारण को मोध के मार्ग में बाधक मानते हैं। इनके अनुसार आकाश हो वस्व है। श्वेताम्बर संप्रदाय के लोग श्वेत वस्त्र धारण करते हैं तथा वा धारण को मोक्ष की प्राप्ति में बाधक नहीं मानते हैं।
3. ‘त्रिपिटक’ के विषय में आप क्या जानते हैं?
  बौद्ध धर्म में बुद्ध के उपदेशों एवं बौद्ध धर्म से संबंधित ज्ञान के पिटारा को त्रिपिटक कहते हैं। यह तीन हैं (i) सूत्तपिटक-इसमें बुद्ध के जीवन का वर्णन है। (ii) विनयपि  (iii) अभिधम्म पिटक-इसमें बौद्ध दर्शन एवं शिक्षाओं का वर्णन है।
 4. बौद्ध धर्म के अष्टांगिक मार्ग के चार नाम बताइए
 गौतम बुद्ध ने लोगों को सांसारिक दुखों से मुक्ति के लिए निम्न अष्टांगिक मार्ग बताये।(i) सम्यक दृष्टि (ii) सम्यक संकल्प (iii) सम्यक वाक् (iv) सम्यक कर्मान्त
5. जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म में चार समानताओं को बताइए।
बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म की चार समानताएँ निम्न हैं
(i) दोनों निवृत्तिमार्गी यानी संसार त्याग पर जोर देते थे।
(ii) दोनों में कर्मवाद एवं पुनर्जन्म पर जोर दिया गया।
(iii) दोनों धर्म अहिंसा एवं मानववाद पर जोर देते थे।
(iv) दोनों संस्कृत की जगह जनभाषा में धर्म का प्रचार प्रसार किया।

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6. लिंगायत समुदाय की दो विशेषताएँ बताइएँ।
[2019A.2023A]
 लिंगायत समुदाय की दो विशेषताएँ निम्न हैं : (i) लिंगायत भारतवर्ष के प्राचीनतम् सनातन हिन्दू धर्म का एक हिस्सा है। यह मत भगवान शिव की स्तुति अराधना पर आधारित है।
7. महात्मा बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति एवं निर्वाण स्थल के नाम बताइए।[2023A]
 महात्मा बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति स्थल बोध गया में बोधीवृक्ष एवं निर्वाण स्थल कुशीनगर था।
8. जैन धर्म में पंच महाव्रत क्या था?
 महावीर स्वामी ने गृहस्थों के जीवन को पवित्र बनाने के लिए पाँच महाव्रत बताये हैं- (i) सत्य, (ii) अहिंसा, (iii) असत्येय, (iv) अपरिग्रह एवं (v) ब्रह्मचर्य।
9. बुद्ध के संदेश भारत के बाहर किन-किन देशों में फैले? दो नाम बताइए।[2023A]
बुद्ध के संदेश भारत के बाहर कई देशों में फैले थे। अशोक के काल में श्रीलंका, जावा, सुमात्रा, गुप्त काल में चीन, जापान तथा कोरिया तक इसका प्रसार हुआ।
10. थेरीगाथा क्या है?[2025A]
  थेरीगाथा एक बौद्ध धर्मग्रंथ है जिसमें भिक्षुणियों द्वारा रचित छंदों का संग्रह मिलता है। यह सुत्तपिटक के खुदक निकाय का हिस्सा है और पाली भाषा में लिखा गया है।
11. लिंगायत संप्रदाय से आप क्या समझते हैं?[2025A]
 लिंगायत समुदाय भारतवर्ष के प्राचीनतम् सनातन हिन्दू धर्म का एक हिस्सा है। यह मत भगवान शिव की स्तुति अराधना पर आधारित है। लिंगायत के ज्यादातर अनुयायी दक्षिण भारत में हैं। इस संप्रदाय की स्थापना 12वीं शताब्दी में बसवण्णां ने की थी।
12. महावीर स्वामी के पंच महाव्रत क्या है?[2025A]
महावीर स्वामी द्वारा बताए गए पंच महाव्रत इस प्रकार हैं-सत्य बोलना, अहिंसा का पालन करना, चोरी न करना (अस्तेय), धन-संपत्ति का मोह न करना (अपरिग्रह) और ब्रह्मचर्य का पालन करना।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
1. भगवान बुद्ध के उपदेशों का वर्णन करें।[2025A,2013A,2015A, 2016A,2019A, 2020A,2021A)
(i) चार आर्य सत्य महात्मा बुद्ध ने चार आर्य सत्यों दुख है, दुख समुदाय, दुख निरोध एवं दुख निरोध गामिनी प्रतिप्रदा का प्रतिपादन किया।
(ii) अष्टांगिक मार्ग महात्मा बुद्ध ने दुख निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग का प्रतिपादन किया। इसके आठ अंग हैं (क) सम्यक दृष्टि, (ख) सम्यक संकल्प, (ग) सम्यक वाणी, (घ) सम्यक कर्म, (ङ) सम्यक आजीविका, (च) सम्यक व्यायाम, (छ) सम्यक स्मृति और सम्यक समाधि।
(iii) अहिंसा पर बल महात्मा बुद्ध ने अहिंसा पर बल दिया। इन्होंने हिंसा की घोर निंदा की। मन, कर्म, वचन तीनों प्रकार की अहिंसा पर बल दिया।
2. महावीर की जीवनी एवं उपदेशों का वर्णन करें।[2018A,2020A, 2022A,2024A]
महावीर स्वामी को जैनधर्म का संस्थापक माना जाता है। इनका जन्म 540 ई०पू० में वैशाली के कुण्डग्राम में हुआ था। इनके पिता सिद्धार्थ क्षत्रिय कुल के प्रतिष्ठित सामन्त थे और माता त्रिशला वैशाली के लिच्छवि राजा चेटक की बहन थी। युवावस्था प्राप्त होने पर उनका विवाह यशोदा नामक सुंदर राजकुमारी से कर दिया गया। कुछ वर्षों तक गृहस्थ जीवन व्यतीत करने के बाद 30 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग कर संन्यासी हो गये। निरन्तर 13 वर्षों तक तपस्या के बाद जृम्भिका गाँव के समीप ऋजुपालिका नदी के उत्तरी तट पर शाल वृक्ष के नीचे महावीर स्वामी को ज्ञान प्राप्त हुआ। इसके बाद 30. वर्षों तक धर्म प्रचार करते रहे और 72 वर्ष की अवस्था में 468 ई०पू० में राजगीर के निकट पावापुरी में उन्हें निर्वाण प्राप्त हुआ
3. बौद्ध धर्म के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।[2014A, 2017A,2023A]
छठी शताब्दी ई०पू० से लेकर गुप्तकाल तक उन्नतिशील बौद्ध धर्म में गुप्तकाल के पश्चात पतन के लक्षण दृष्टिगोचर होने लगे जिसके कारण अग्रलिखित हैं-
(i) बौद्ध धर्म का परिवर्तितस्वरूप – कालांतर में बौद्ध धर्म में कई जटिलताएँ आ गई। बौद्धों ने कुछ हिंदू देवी-देवताओं को भी अपने धर्म में स्थानदेना प्रारंभ कर दिया। वज्रयान संप्रदाय ने टोने-टोटके को बढ़ावा दिया। इस प्रकार मूल स्वरूप में आये परिवर्तनों ने इसके पतन को बढ़ावा दिया।
(ii) संघ में भ्रष्टाचार पनपना- कालांतर में बौद्ध विहार भ्रष्टाचार के केंद्र बन गये। मठों में धन संग्रह होने लगा।
(iii) हिंदू धर्म में सुधार- शंकराचार्य, कुमारिल भट्ट तथा रामानुज आदि कुछ ऐसे हिंदू दार्शनिक हुए जिन्होंने हिंदू धर्म के दोषों को दूर किया।

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