1857 की क्रांति भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। इसमें पहलो बार अंग्रेजों का मुकाबला भारतीय राजाओं से हुआ। इस क्रांति के निम्न कारण थे
(1) विदेशी शासन के प्रति घृणा 1857 की क्रांति का मुख्य कारण था लोगों में विदेशी शासन के प्रति घृणा होने लगी थी।
(ii) डलहौजी की साम्राज्यवादी नीति डलहौजी की हड़प नीति, कुप्रशासन का आरोप, दत्तक पुत्र के नियम में बदलाव के कारण सतारा, नागपुर, झाँसी, अवध, आदि का अंग्रेजी साम्राज्य में विलय कर लिया गया। इससे यहाँ के स्थानीय शासक और जनता अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की शुरुआत की।
(iii) भारत का आर्थिक शोषण 1857 के क्रांति का एक मुख्य कारण था भारत का आर्थिक शोषण। इससे लोगों ने क्रांति की।
(iv) ईसाई मिशनरियों की भूमिका भारतीयों को ईसाई मिशनरियों द्वारा ईसाई बनाने की गतिविधि चल रही थी।
Class 12th history chapter 11 question answer
2. 1857 ई० की क्रांति के प्रभाव पर प्रकाश डालिए। [2013ए,2015ए,2016ए]
1857 के विद्रोह को अंग्रेजों ने क्रूरतापूर्वक दबा दिया परंतु इसके प्रभाव राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक जीवन पर पड़ा। राजनैतिक रूप से भारत का शासन सीधे क्राउन के अधीन लाया गया। सामाजिक स्तर पर अंग्रेजों ने अपने सुधारवादी नीतियों का परित्याग कर फूट डालो और शासन करो की नीति अपनानी शुरू की। आर्थिक स्तर पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया की सत्ता खत्म होने से अंग्रेज पूँजीपतियों द्वारा भारत में बड़े पैमाने पर पूँजी लगाया तथा भारत का आर्थिक दोहन में और वृद्धि हो गई।
3. 1857 की क्रांति के क्या परिणाम हुए? [2019ए]
. 1857 की क्रांति के निम्न परिणाम हुए-
(1)भारत की सत्ता ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन आगया।
(ii) भारत में गवर्नर जनरल की जगह वायसराय की नियुक्ति होने लगी।
(iii) सामरिक महत्त्व के ठिकानों पर यूरोपीय सैनिकों की नियुक्ति होने लगी।
(iv) भारत में सामाजिक-धार्मिक सुधार की नीति को अंग्रेजों ने त्याग दिया।
(v) अंग्रेजों ने भारत को हिन्दू मुस्लिम में बाँट कर फूट डालो और शासन करो की नीति अपनाई
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4. रानी लक्ष्मीबाई का जीवन वृत्त लिखें। [2020ए]
रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 1828 ई० में वाराणसी में हुआ था। इनका विवाह मराठा राज्य झांसी के गंगाधर राव के साथ हुआ था। अंग्रेजों द्वारा झांसी को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाने के विरुद्ध इन्होंने 1857 के विद्रोह में हिस्सा ली। इनका नाम भारतीय वीरांगणाओं में गिना जाता है। अंग्रेज सेनापति ह्यूरोज से लड़ते हुए इन्होंने वीरगति प्राप्त की। भारतीय इतिहास में इनका नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है।
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5. 1857 की क्रांति के धार्मिक कारणों की चर्चा करें। [2021ए]
1857 की क्रांति के धार्मिक कारण निम्न थे-
(i) ईसाई मिशनरियों द्वारा हिन्दू एवं इस्लाम धर्म की उग्र आलोचना करना;
(ii) अंग्रेजों द्वारा बाल विवाह, सती प्रथा को बंद करना तथा विधवा विवाह की आज्ञा देना।
(iii) भारतीय पारंपरिक शिक्षा पद्धति की जगह अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा पद्धति की शुरुआत;
(iv) भारतीयों के साथ रंग के आधार पर घृणा की दृष्टि से देखना।
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6. 1857 की क्रांति की असफलता के चार कारण लिखें। [2021ए,2024ए]
1857 की क्रांति की असफलता के चार कारण निम्नलिखित थे-
(i) विद्रोहियों में एकता का अभाव;
(ii) जनता में राष्ट्रीयता की भावना का अभाव
(iii) अनेक भारतीय नरेशों और सरदारों की अंग्रेजों के प्रति भक्ति।
(iv) विद्रोहियों को साधनों की अपेक्षाकृत कमी।
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7. तात्या टोपे कौन थे? उनकी मृत्यु कैसे हुई? [2021ए]
7. तात्या टोपे 1857 के विद्रोह के प्रमुख नायक थे। इनका मूल नाम रामचंद्र पांडया था। ये बाजीराव के दत्तक पुत्र नाना साहिब के सेनापति थे।
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8. वीर कुंवर सिंह का एक संक्षिप्त परिचय दें। [2022ए] [2018ए,2020,2021
अथवा, बाबू कुँवर सिंह कौन थे? 1857 की क्रांति का नेतृत्व पटना में किसने किया?[2022ए]
वीर कुंवर सिंह का जन्म बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर नामक गाँव में हुआ था। कुछ इतिहासकार उनकी जन्म तारीख 12 अप्रैल, 1782 बताते हैं तो कुछ 1778 के लगभग मानते हैं। उनके यहाँ जमींदारी चलती थी।
9. 1857 के क्रांति तात्कालिक कारण क्या था? [2018ए,2023ए]
1857 की क्रांति के तात्कालिक कारण के रूप में नये चर्बी वाले कारतूस के प्रयोग से यह क्रांति शुरू हुई। चर्बी वाले कारतूस को बनाने में गाय और सुअर की चर्बी का प्रयोग होता था। इससे सेना के हिन्दू और मुस्लिम विरोध करने लगे तथा 10 मई, 1857 को मेरठ से इस क्रांति की शुरुआत हुई।
10. 1857 की क्रांति में प्रमुख भूमिका निभानेवाली दो महिलाओं के नाम लिखिए। [2023ए]
10. 1857 की क्रांति के प्रमुख भूमिका निभाने वाली दो महिलाएँ निम्न थीं-
(i) झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई
11. बिहार में 1857 की क्रांति में भाग लेने वाले किन्हीं दो के नाम बताइए। [2023ए]
बिहार में 1857 की क्रांति में भाग लेने वाले दो के नाम निम्न हैं-
(i)बाबू वीर कुँअर सिंह जगदीशपुर, आरा
(ii) पीर अली जिल्दसाज, पटना सीटी
12. 1857 के विद्रोह के लिए डलहौजी की कौन दो प्रमुख नीतियाँ जिम्मेदार थीं? [2025ए]
1857 के विद्रोह के लिए डलहौजी की दो प्रमुख नीतियाँ जिम्मेदार थीं-‘लैप्स नीति’ और ‘साम्राज्य विस्तार नीति’। लैप्स नीति के तहत, डलहौजी ने बिना वारिस वाले राज्यों को ब्रिटिश साम्रां मिला लिया, जिससे कई राजाओं और रजवाड़ों में असंतोष पैदा हुआ। इसके अलावा साम्राज्य विस्तार नीति ने भारतीयों में ब्रिटिश शासन के प्रति नाराजगी को बढ़ाया।
वीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
1. 1857 की क्रान्ति के स्वरूप की विवेचना करें। [2015ए]
1857 की क्रान्ति का वास्तविक स्वरूप क्या था। इस विषय पर इतिहासकारों में पर्याप्त मतभेद है। अनेक अंग्रेज इतिहासकार इसे मात्र सैनिक विद्रोह मानते हैं, कुछ इसे हिन्दू-मुस्लिम षडयंत्र के रूप में देखते हैं। कुछ भारतीय और पाश्चात्य लेखकों ने इसे राष्ट्रीय विद्रोह अथवा भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम माना है। इस प्रकार इस क्रान्ति के स्वरूप को लेकर विभिन्न लोगों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये हैं जो इस प्रकार हैं-
(i) यह एक सैनिक विद्रोह था- अधिकांश ब्रिटिश लेखकों एवं कत्तिपय
भारतीय लेखकों ने इसे सैनिक विद्रोह कहा है। जॉन लारेन्स ने इसे सैनिक विद्रोह एवं उसका कारण चर्बी वाला कारतूस बताया है। चर्बी वाले कारतूस को लेकर मंगल पांडे द्वारा आरम्भ किये गये बगावत को सैनिकों ने विद्रोह का स्वरूप दे दिया।
(ii) यह एक सामंती विद्रोह था- इस क्रान्ति में कंपनी शासन द्वारा सताये गये देशी नरेशों और जमींदारों तथा तालुकदारों की मुख्य भूमिका थी। सैनिकों के साथ मिलकर नाना साहब, कुँवर सिंह, बेगम हजरत महल, झांसी की रानी इत्यादि ने अंग्रेजों से संघर्ष किया और अपने-अपने क्षेत्र में विद्रोहियों का नेतृत्व संभाला।
(iii) हिन्दू-मुस्लिम षडयंत्र- जेम्स आउट्म और टेलर जैसे अंग्रेजों ने इसे हिन्दू-मुस्लिम षडयंत्र के रूप में देखते हैं, परन्तु यह धारणा गलत है। इससे हिन्दू-मुसलमानों ने समान रूप से भाग लिया और दंड भी भुगता।
(iv) प्रथम स्वतंत्रता संग्राम- इंग्लैण्ड के कंजरवेटिव दल के नेता डिजरैली ने इसे राष्ट्रीय विद्रोह बताया है। वी०डी० सावरकर महोदय ने इसे भारत की स्वतंत्रता के लिए सुनियोजित संग्राम कहा है।
इस प्रकार 1857 की क्रान्ति का स्वरूप मिश्रित था। न तो यह पूर्णतः सिपाही विद्रोह, सामंती विद्रोह अथवा स्वतंत्रता संग्राम था। इसका आरंभ सिपाही विद्रोह से हुआ बाद में कम्पनी शासन से उत्पीड़ित अन्य वर्गों ने भी इसमें भाग लेकर कंपनी शासन को समाप्त करने का व्यापक प्रयास किया।
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2. 1857 ई० के विद्रोह के कारणों की विवेचना करें। (2025ए, 2018ए,2020ए]
1857 की क्रांति भारतीय इतिहास की एक महत्त्वपूर्ण घटना है। इसमें पहली बार अंग्रेजों का मुकाबला भारतीय राजाओं से हुआ। इस क्रांति के निम्न कारण थे-
(i) विदेशी शासन के प्रति घृणा- 1857 की क्रांति का मुख्य कारण था लोगों में विदेशी शासन के प्रति घृणा होने लगी थी। अंग्रेजी सत्ता का विदेशीपन लोगों को भड़काने का काम किया। अंग्रेजों द्वारा सरकारी नौकरियों में भारतीयों के साथ भेदभाव किया जाना भी मुख्य कारण रहा।
(ii) डलहौजी की साम्राज्यवादी नीति- डलहौजी की हड़प नीति, कुप्रशासन का आरोप, दत्तक पुत्र के नियम में बदलाव के कारण सतारा, नागपुर, झाँसी, अवध आदि का अंग्रेजी साम्राज्य में विलय कर लिया गया। इससे यहाँ के स्थानीय शासक और जनता अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की शुरुआत की।
(iii) भारत का आर्थिक शोषण- 1857 के क्रांति का एक मुख्य कारण था भारत का आर्थिक शोषण। सैनिकों, अधिकारियों के वेतन, सस्ते कच्चे माल को ब्रिटेन भेजने, भारत के उद्योगों का विनाश करके अंग्रेजों ने भारत का दिनों-दिन आर्थिक शोषण किया। इससे लोगों ने क्रांति की।
(iv) ईसाई मिशनरियों की भूमिका- भारतीयों को ईसाई मिशनरियों द्वारा ईसाई बनाने की गतिविधि चल रही थी। उनके इशारे पर ही शिक्षा में अंग्रेजी को प्राथमिकता दी गई। कई सामाजिक कुरीतियों जैसे सती प्रथा, विधवा पुनर्विवाह आदि के नियम बनाये गए। इससे भारतीयों में अंग्रेजों के प्रति नफरत पैदा हुई।
(v) तात्कालिक कारण- तात्कालिक कारण के रूप में नये चर्बी वाले कारतूस के प्रयोग से यह क्रांति शुरू हुई। चर्बी वाले कारतूस को बनाने में गाय और सुअर की चर्बी का प्रयोग होता था। इससे सेना के हिन्दू और मुस्लिम विरोध करने लगे तथा 10 मई, 1857 को मेरठ से इस क्रांति की शुरुआत हुई।
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3. 1857 के विद्रोह की विफलता के कारणों का उल्लेख करें। [2017ए]
अथवा, 1857 के विद्रोह की असफलता के कारण बतायें।
1857 की क्रान्ति दिसम्बर, 1858 तक दबा दिया गया। विद्रोही अपने प्रयास में सफल नहीं हो सके। यही कारण अंग्रेजों की सफलता के कारण बन गये।
(1) योग्य नेतृत्व का अभाव – विद्रोही नेता संघर्ष को एक संगठित और योजनाबद्ध स्वरूप प्रदान नहीं कर सके। विद्रोह के नेता बहादुर शाह जफर बृद्ध, कमजोर और असहाय थे। साहसी और वीर होते हुए
भी नेताओं में सेनापतित्व के गुण और कूटनीतिज्ञता का अभाव था। (ii) देशी राजाओं द्वारा अंग्रेजों की सहायता- विद्रोहियों को साथ देने
के बजाय सिंधिया, होल्कर, हैदराबाद के निजाम आदि ने सेना और धन से कंपनी की सहायता की। सिख और गोरखा सैनिकों ने तो विद्रोह को दबाने में प्रमुख भूमिका निभायी। सामन्तों के एक बड़े वर्ग ने भी सरकार का साथ दिया।
(iii) निश्चित उद्देश्य का अभाव – विद्रोहियों का कोई निश्चित उद्देश्य अथवा योजना नहीं था। अतः वे लम्बे समय तक सुनियोजित संघर्ष नहीं चला सके।
(iv) जनसमर्थन का अभाव – विद्रोह को भारत के सभी वर्गों का समर्थन नहीं मिल सका। सामंतों के अतिरिक्त शिक्षित मध्यम वर्ग, कृषकों की बड़ी संख्या, सेठ-साहूकार इससे अलग रहे। विद्रोह के प्रसार के साथ इसमें असामाजिक तत्त्वों के प्रवेश से भी विद्रोही जनसमर्थन खो बैठे।
(v) विद्रोहियों के पास सीमित संसाधन विद्रोहियों के अंग्रेजों के मुकाबले में पेशेवर सिपाहियों, धन, अस्त्र-शस्त्र का अभाव था। संचार व आवागमण के उचित साधन और उचित गुप्तचर व्यवस्था का भी अभाव था। इसके लाभ अंग्रेजों ने उठाया।
(vi) राष्ट्रीयता की भावना का अभाव विद्रोह की असफलता का एक प्रमुख कारण राष्ट्रीयता की भावना का अभाव था। सभी वर्ग अपने-अपने स्वार्थों की पूर्ति में ही लगा रहा।
(vii) अंग्रेजों के अनुकूल परिस्थिति- भारत की आंतरिक और अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थिति अंग्रेजों की सहायक बनी। सम्पूर्ण भारत पर अधिकार रहने से उन्हें सेना एवं धन की कमी नहीं हुई। समुद्र पर अंग्रेजों का एकछत्र अधिकार था। अतः 1857 के विद्रोह को अंग्रेजों ने सेना के बल पर कुचल दिया।