Class 12th Biology chapter 2 notes
जनन
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जनन के माध्यम से ही जाति की निरंतरता सदैव बनी रहती है।
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जीव जनन करते है और अपने समान संतान उत्पन्न करते हैं; जिससे उनकी संख्या में वृद्धि होती है।
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जनन से विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं और विभिन्नताओं सें विकास होता है।
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जनन के द्वारा ही किसी जीव की मृत्यु होने पर भी उसकी जाति का आस्तित्व बना रहता है।
जनन के प्रकार – यह निम्न प्रकार के होते हैं:-
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कायिक / वर्धी जनन (Vegetative Reproduction)
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अलैगिक जनन (Asexual Reproduction)
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लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)
कायिक जनन (Vegetative Reproduction)
जब किसी पौधे मे जड़, तने, पत्ती के द्वारा नये पौधे को जन्म दिया जाता है। तो उसे हम कायिक जनन/वर्धी जनन कहते है।
नये पौधे आकारकी व अनुवंशिकी रूप से अपने मातृ पौधे के एकदम समान होते हैं व इनके गुण अपने मातृ पौधे के एकदम समान होता है।
मातृ पौधे का वह भाग जो नये पौधे को बनाता है उसे कायिक प्रवर्ध कहते हैं, जो जड़, तनां व पत्ती इनमें से कोई भी हो सकता है।
कायिक जनन के प्रकार
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प्राकृतिक कायिक जनन
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कृत्रिम कायिक जनन
Class 12th Biology chapter 1 notes