Class 12th Biology chapter 2 notes
पुष्प की विशेष संरचना :-
आवृतबीजी पौधो का विशिष्ट लक्षण उसमें पुष्पो का उत्पन्न होना है।
प्रमुखत सभी पुष्प में चार चक्र पाए जाते है
- – बाह्यदलपुंज (Calyx)
- – दलपुंज (Corolla)
- – पुमंग (androecium)
- – जायांग (gyneceum)
बाह्यदल पुंज (Calyx)
यह पुष्प का सबसे प्रथम चक्र होता है, जो मुख्यत हरे रंग का होता है।
इसके बाह्यदलपुंज अनेक बाह्यदलो (Sepal) से मिलकर निर्मित होता है। यह फूलो को छिपा कर रखता है
दलपुंज (corolla) :-
पुष्प का दूसरा प्रमुख भाग होता है जो अनेक दलो (Petals) से मिलकर निर्मित है। यह फूलो का आकर्षित हिस्सा होता है
यह अपने तरफ कीटों को आकर्षित करता है
पुमंग (Androecium)–
पुमंग पुष्प का तीसरा प्रमुख चक्र है, यह एक से अधिक पुकेसरों (stamens) से मिलकर बना होता है। पुमंग पुष्प का नर भाग होता है।
मुख्यत पुंकेसर के दो भाग होते हैं:-
- परागकोष
- पुतन्तु (filament)
जायांग (Guynoecium)
यह पुष्प का चौथा चक्र है। यह पुष्प का मादा होता है। जायांग एक या एक से अधिक स्त्रीकेसरो (Carpel) से मिलकर बने होते है। इसके तीन भाग होते है।
- वर्तिकाग्र
- वर्तिका
- अण्डाशय
Sexual Reproduction in Flowering Plants
- आवृतबीजी पौधो मे पुष्प लैंगिक जनन अंग होता है।
- पुष्प मे नरअंग के रूप मे पुकेंसर तथा मादा अंग के रूप में स्त्रीकेसर होता है।
- पुकेंसर व जायांग के भीतर अर्द्धसूत्री विभाजन के बाद परागकण एवं महाबीजाणु का निर्माण होता है।
- नर युग्मकोभिद से नर युग्मक बनता है।
- नर युग्मक एवं अण्ड कोशिका के संयुग्मन से युग्मनज (zygote) बनता है।
- निषेचन बाद युग्मनज से परिपूर्ण बीजाण्ड को बीज कहते हैं।
- बीज के अंकुरण से नये पौधे का निर्माण निर्माण होता है।
ये सभी घटनाएँ क्रमिक रूप से तीन अवस्थाओं में पूर्ण होती है।
- निषेचन पूर्व घटना
- निषेचन
- निषेचन पश्चू घटना
पुमंग(Androecium)
पुमंग पुष्प का नर जननांग है। पुमंग की इकाई को पुंकेसर या लघुबीजाणुपर्ण कहते है | आवृतबीजी पुष्पो का पराग कोष दो पालियो वाला होता है
अत: आवृतबीजी परागकोष द्विपालित संरचना है। प्रत्येक परागकोष पालि में दो प्रकोष्ठ होते हैं, इन्हें परागपुट या लघुबीजाणुधानी कहते हैं।
लघुबीजधानियो के अन्दर परागकणों या लघुबीजाणुओं का निर्माण होता है
पराग कोष की संरचना
एक परागकोष द्विपालित होता है, प्रत्येक मे दो कोष्ठ होता है। पूर्ण परागकोष एक चतुष्कोणीय संरचना होती है।
इसके चारो कोनो पर एक लघुबीजाणुधानी होती हैं। लघुवीजाणुधानियों में लघुबीजाणुओ अर्थात परागकण का निर्माण होता है।

लघुबीजाणुधानी संरचना
लघुबीजाणुधानी नि० लि० चार परतों से मिलकर बनी होती है:-
- बाह्य त्वचा (epidermis)- यह सबसे बाहरी एक परतीय चपटी सतह है।
- अंतस्थीसियम- यह दूसरी एक परतीय होती है। ये परागकोष के स्फूटन मे सहायक होती है।
- मध्यपरत – यह परत 3-5 स्तरीय होती है।
- टेपीटम – ये पिरामिड आकार की एक स्तरीय परत है।

Class 12th Biology chapter 1 notes