Biology class 12 chapter 1 notes
जनन :- जनन की वह प्रक्रिया है जिसमे सजीव अपने जैसे नए जीव उत्पति करते हैं । तथा पृथ्वी पर जीवन की निरंतरता को बनाए रखने के लिए मदद करते है । वह जनन कहलाता है
जनन जीवों का अस्तित्व बनाए रखता है । जनन की मूल घटना डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना है । इसके साथ – साथ दूसरी कोशिकाओं का सृजन भी होता है ।
डी० एन० ए० प्रतिकृति का प्रजनन में महत्त्व :-
कोशिका केन्द्रक में पाए जाने वाले गुणसूत्रों के डी.एन.ए. के अणुओं में आनुवांशिक गुणों का सुचना देता है जो जनक से संतति पीढ़ी में जाता है ।
डी.एन.ए. प्रतिकृति बनना भी पूर्णरूपेण विश्वसनीय नहीं होता है । अपितु इन प्रतिकृतियों में कुछ विभिन्नता उत्पन्न हो जाती हैं ,
विभिन्नता का महत्व :-
यदि एक समष्टि अपने निकेत ( परितंत्र ) के अनुकूल है , परन्तु निकेत में कुछ उग्र परिवर्तन ( ताप , जल स्तर में परिवर्तन आदि ) आने पर समष्टि का पूर्ण विनाश संभव है । परन्तु यदि समष्टि में कुछ जीवों में कुछ विभिन्नता होगी तो उनके जीने की कुछ संभावनाएं रहेंगी । अतः विभिन्नताएं स्पीशीज ( समष्टि ) की उत्तरजीविता को लम्बे समय तक बनाए रखने में उपयोगी है । विभिन्नता जैव विकास का आधार होती है ।
प्रजनन के प्रकार :-
[१] अलैंगिक प्रजनन
[२] लैंगिक प्रजनन
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अलैंगिक प्रजनन :- जनन की वह विधि जिसमें सिर्फ एकल जीव ही भाग लेते है , तो वह प्रक्रिया अलैंगिक प्रजनन कहलाता है ।
लैंगिक प्रजनन :- जनन की वह विधि जिसमें नर एवं मादा दोनों भाग लेते हैं ,तो वह प्रक्रिया लैंगिक प्रजनन कहलाता है ।
अलैंगिक प्रजनन |
लैंगिक प्रजनन |
एकल जीव द्वारा नए जीव उत्पन्न होता है । |
दो एकल जीव संयुग्मन कर नया जीव उत्पन्न करते हैं । |
जायगोट का निर्माण नहीं होता है । |
नर युग्मक व मादा युग्मक का निर्माण होता हैं । |
नया जीव पैतृक जीव के समान / समरूप होता है । |
नया जीव अनुवांशिक रूप से पैतृक जीवों के समान होता है |
सतत् गुणन के लिए यह एक बहुत ही उपयोगी प्रक्रम है । |
प्रजाति में विभिन्नताएँ उत्पन्न करने में सहायक होता है । |
यह निम्न वर्ग के जीवों में अधिक पाया जाता है । |
उच्च वर्ग के जीवों में पाया जाता है । |
अलैंगिक प्रजनन की विधियाँ :-
1. विखंडन :- इस प्रजनन प्रक्रम में एक जनक कोशिका दो या दो से अधिक संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाती है । उदाहरण :-
( क ) द्विविखंडन :- इसमे जीव दो कोशिकाओं में विभाजित होता है । उदाहरण :- अमीबा , लेस्मानिया
( ख ) बहुखंडन :– इसमे जीव बहुत सारी कोशिकाओं में विभाजित हो जाता है । उदाहरण :- प्लैज्मोडियम
2. खंडन :- इस प्रजनन विधि में सरल संरचना वाले बहुकोशिकीय जीव विकसित होकर छोटे – छोटे टुकड़ों में खंडित हो जाता है । ये टुकड़े वृद्धि कर नए जीव में विकसित हो जाते हैं । उदाहरण :- स्पाइरोगाइरा ।
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3. पुनरुद्भवन ( पुनर्जनन ) :- इस प्रक्रम में किसी कारणवश , जब कोई जीव कुछ टुकड़ों में टूट जाता है , तब प्रत्येक टुकड़ा नए जीव में विकसित हो जाता है । उदाहरण :- प्लेनेरिया , हाइड्रा ।
4. मुकुलन :- इस प्रक्रम में , जीव के शरीर पर एक उभार उत्पन्न होता है जिसे मुकुल कहते हैं । यह मुकुल पहले नन्हें फिर पूर्ण जीव में विकसित हो जाता है तथा जनक से अलग हो जाता है । उदाहरण :- हाइड्रा , यीस्ट ( खमीर ) ।
5. बीजाणु समासंघ :- कुछ जीवों के तंतुओं के सिरे पर बीजाणु धानी बनती है जिनमें बीजाणु होते हैं । बीजाणु गोल संरचनाएँ होती हैं जो एक मोटी भित्ति से रक्षित होती हैं । अनुकूल परिस्थिति मिलने पर बीजाणु वृद्धि करने लगते हैं ।
6. कायिक प्रवर्धन :- कुछ पौधों में नए पौधे का निर्माण उसके कायिक भाग जैसे जड़ , तना पत्तियाँ आदि से होता है , इसे कायिक प्रवर्धन कहते हैं ।
( a ) कायिक प्रवर्धन की प्राकृतिक विधियाँ :-
जड़ द्वारा :- डहेलिया , शकरकंदी
तने द्वारा :- आलू , अदरक
पत्तियों द्वारा :- ब्रायोफिलम की पत्तियों की कोर पर कलिकाएँ होती हैं , जो विकसित होकर नया पौधा बनाती है ।
( b ) कायिक प्रवर्धन की कृत्रिम विधियाँ :-
रोपण :- आम
कर्तन – गुलाब
लेयरिंग :- चमेली
द्विखण्डन तथा बहुखण्डन में अन्तर :-
द्विखण्डन | बहुखण्डन |
यह क्रिया अनुकूल परिस्थितियों में होती है । | यह क्रिया सामान्यतया प्रतिकूल परिस्थितियों में होती है । |
इसमें केन्द्रक दो पुत्री केन्द्रकों में विभाजित होता है । | इसमें केन्द्रक अनेक संतति केन्द्रकों में बँट जाता है । |
इसमें केन्द्रक विभाजन के साथ – साथ कोशाद्रव्य का बँटवारा हो जाता है । | यह सामान्यतया खाँच विधि से होता । इसमें केन्द्रकों का विभाजन पूर्ण होने के पश्चात् प्रत्येक संतति केन्द्रक के चारों ओर थोड़ा – थोड़ा कोशाद्रव्य एकत्र हो जाता है । |
एककोशिकीय जीव से दो सन्तति जीव बनते हैं । | इसमें एककोशिकीय जीव से अनेक सन्तति जीव ( जितने भागों में केन्द्रक का विभाजन होता है ) बनते हैं । |
उदाहरण :- अमीबा | उदाहरण :- प्लाज्मोडियम |


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