Alankar Kise Kahate Hain – अलंकार की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण

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– वह साहित्यक तत्व जो भाषा या काव्य की शोभा को बढ़ाते है उसे Alankar Kahate Hain तथा उसके अर्थ का प्रभाव बढ़ जाता है। 
अलंकार शब्द दो शब्दांशों के योग से बनता है – ‘अलं’ + ‘कृ’। अतः अलंकार से तात्पर्य है – जो आभूषित करता हो।
Types Of Alankar In Hindi – अलंकार के प्रकार  
1) शब्दालंकार
यदि किसी काव्य या साहित्य के वाक्यों को विशेष शब्दों से अलंकृत किया जाता है, तो अलंकृत करने वाले उन कारकों को शब्दालंकार कहा जाता है। ऐसे वाक्यों में शब्दों का प्रयोग सांस्कृतिक शैली में किया जाता है।
उदाहरण के लिए –
कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय।
वा खाये बौराय नर, वा पाये बौराय।।
भुजबल भूमि भूप बिन किन्ही।
शब्दालंकार के कितने प्रकार हैं ?
शब्दालंकार के छः प्रकार हैं:
(क) अनुप्रास अलंकार
अनुप्रास शब्द दो शब्दांशों से मिल कर बना है – अनु (बार-बार) + प्रास (वर्ण)। अर्थात जिस वाक्य में वर्णों की आवृति बार-बार होने से शब्दों की सुंदरता बढ़ती है, वहाँ प्रयोग हुए अलंकार को अनुप्रास अलंकार कहा जाता है।
उदाहरण के लिए,
विमल वाणी ने वीणा ली , कमल कोमल कर में सप्रीत।
चारुचंद्र की चंचल किरणें , खेल रही है जल थल में।
(ख) यमक अलंकार
जब किसी वाक्य में समान शब्दों की बार-बार आवृति होती है, लेकिन उनके अर्थ भिन्न होते हैं तो उन्हें यमक अलंकार कहा जाता है। उदाहरण के लिए,
कहै कवि बेनि बेनि व्याल की चुराई लीनी।
काली घटा का घमंड घटा।
(ग) श्लेष अलंकार
जब किसी वाक्य में प्रयुक्त एक ही शब्द में कई अर्थ छिपे होते हैं, तो उसे श्लेष अलंकार कहा जाता है।
उदाहरण के लिए,
रहिमन पानी राखिए , बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे , मोती मानुष चून।
(पानी = सम्मान या जल)
(घ) वक्रोक्ति अलंकार
‘वक्रोक्ति’ दो शब्दों से मिल कर बना है – ‘वक्र + उक्ति’ अर्थात ‘टेढ़ी बात’। 
ऐसे वाक्यों में वक्ता कुछ और कहना चाहता है लेकिन सुनने वाला उसका मतलब कुछ और समझ लेता है।
उदाहरण के लिए,
एक कह्यौ ‘वर देत भव, भाव चाहिए चित्त’।
सुनि कह कोउ ‘भोले भवहिं भाव चाहिए ? मित्त’ ।।
(ङ) वीप्सा अलंकार
सम्मान, आश्चर्य, घृणा या डर जैसे भावों को व्यक्त करने के लिए या कथन में रोचकता लाने के लिए एक समान शब्दों को दुहराया जाता है तो उसे वीप्सा अलंकार कहा जाता है।
उदाहरण के लिए,
फिर चहक उठे ये पुंज-पुंज।
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल।
(च) प्रश्न अलंकार
यदि कथन में प्रश्न काव्य या पद्द के रूप में हों, तो उसे प्रश्न अलंकार  कहते हैं। कविताओं के बीच में हमें ये अलंकार अक्सर देखने को मिलते हैं।
उदाहरण के लिए,
उसके आशय की थाह मिलेगी किसको,
जन कर जननी ही जान न पाई जिसको?
(2) अर्थालंकार
काव्य में अर्थ को अलंकृत करने वाले तत्वों को अर्थालंकार कहा जाता है।
अर्थालंकार के कितनेप्रकार (भेद) हैं?
विभिन्न समय (16-17वीं सदी) के भाषाविदों और कवियों ने अर्थालंकार के 35 से लेकर 115 प्रकारों ( या रूपों) की विवेचना की है।
आज के समय में कुछ लोग अर्थालंकार के प्रथम 3 ही प्रकारों की चर्चा करते हैं। लेकिन वास्तव में, आधुनिक व्याकरण में अर्थालंकार के 7 प्रकारों का अध्ययन किया जाता है।
(क) उपमा अलंकार
जब दो भिन्न वस्तुओं के समान गुण के कारण, उनकी समानता बतायी जाती है तो वहाँ उपमा अलंकार का प्रयोग होता है। जैसे –
समय घोड़े की गति-सा भागा जा रहा था।
(उपमेय = समय । उपमान = घोड़े की गति)
ख) रूपक अलंकार
जब दो भिन्न वस्तुओं में समान गुण होते हैं और उनकी उपमा भी दी जाती है। लेकिन उपमेय को उपमान के जैसा नहीं बल्कि वही बताया जाता है, तो वहाँ रूपक अलंकार का प्रयोग होता है। जैसे–
पायो जी मैंने राम-रतन धन पायो।
यहाँ पर राम (ईश्वर) को ‘धन के जैसा’ नहीं बल्कि ‘धन’ ही बताया गया है।
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ग) उत्प्रेक्षा अलंकार
जब किसी वाक्य में किसी वस्तु की कल्पना उसके संभावित रूप में की जाती है तो वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग होता है। ऐसी कल्पना और विवेचना में न तो पूरी तरह संदेह होता है और न ही पूरी तरह निश्चय। जैसे–
जान पड़ता है नेत्र देख बड़े-बड़े, हीरकों में गोल नीलम हैं जड़े।
घ) अतिशयोक्ति अलंकार
यदि किसी वाक्य में किसी चीज का वर्णन काफी बढ़ा-चढ़ा कर किया जाता है या उसकी तुलना ऐसी चीज से की जाती है जो संभव न हो,  तो ऐसे में प्रयुक्त अलंकार को अतिशयोक्ति अलंकार कहा जाता है। जैसे–
देख लो साकेत नगरी है यही। स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही।
ङ) पुनरुक्ति अलंकार
काव्य में जब एक ही शब्द की लगातार आवृति होती है, और उनके अर्थ भी एक समान होते हैं, तो प्रयुक्त अलंकार को पुनरुक्ति अलंकार कहा जाता है। जैसे –
सूरज है कुछ बुझा-बुझा, भोजन है कुछ जला-जला।
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च) अन्योक्ति अलंकार
काव्य में जब किसी चीज की उपमा दी जाती है, जिसमें उदाहरण वाली चीज प्रत्यक्ष होती है, लेकिन वास्तविक चीज छिपी हुई होती है, तो ऐसे तत्वों को अन्योक्ति अलंकार कहा जाता है। जैसे-
खोता कुछ भी नहीं यहां पर केवल जिल्द बदली पोथी।
उदाहरण: जिल्द, पोथी/किताब | वास्तविक विषय: जीवन/संसार, ज्ञान/धर्म)
छ) मानवीकरण अलंकार
जब अन्य प्राणियों या निर्जीव चीजों का वर्णन मानवीय रूपों या भावनाओं में किया जाता है, तो ऐसे वाक्यों में प्रयुक्त अलंकारों को मानवीकरण अलंकार कहा जाता है। जैसे –
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
सागर के उर पर नाच नाच करती है, लहरें मधुर गान।
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Importance Of Alankar In Hindi – अलंकार का महत्व
आरंभिक काल से ही काव्य-शास्त्र में अलंकारों का विशेष महत्व रहा है। संस्कृत के बाद, हिन्दी के विद्वानों ने भी काव्यों में अलंकारों को विशेष स्थान दिया है।
आधुनिक काल में लोगों ने अलंकार का प्रयोग कम कर दिया था, जिससे भाषा में उदासीनता आने लगी थी। लेकिन हाल के कुछ वर्षों से हिन्दी साहित्यकारों और कवियों ने फिर से इसमें रुचि दिखाई है, जिससे काव्यों की शोभा और सौन्दर्य वापस लौट रही है।
Conclusion – अलंकार हिंदी व्याकरण के सबसे महत्वपूर्ण विषय में से एक है अलंकार हिंदी वाक्यांश को सुंदर और आकर्षक बनाने मदद करते हैं यहां पर आप अलंकार से जुड़ी हुई सभी जानकारी जैसे Alankar Kya Hote Hain, Alankar Ke Prakar, Niyam और विशेषताएं उदाहरण सहित पढ़ सकते हैं।
Alankar Kise Kahate Hain
FAQs About Alankar Kya Hai In Hindi
Q1. अलंकार से आप क्या समझते हैं ?
Ans : अलंकार ऐसे शब्द होते हैं जो वाक्यांश की सुंदरता को बढ़ाने और अर्थ को स्पष्ट रूप से प्रकट करने में मदद करते हैं, उसे Alankar Kahate Hain
Q2. हिंदी व्याकरण में अलंकार कितने होते हैं ?
Ans : Hindi Vyakaran Mein Alankar 10 होते हैं – अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिशयोक्ति, वक्रोक्ति।
Q3. अलंकार का शाब्दिक अर्थ क्या होता है ?
Ans : अलंकार का का शाब्दिक अर्थ गहना और आभूषण होता है जो शब्दों के लिए आभूषण का ही एक रूप है।
Q4 अलंकार के मुख्य अंग कितने होते हैं ?
Ans : Alankar Ke 4 Mukhya Ang Hote Hain – उपमेय, उपमान, साधारण धर्म और वाचक शब्द।
Q5. अलंकार का उद्देश्य क्या होता है ?
Ans : Alankar Ka Udeshy भाषा की सुंदरता को बढ़ाने और प्रभावी रूप से प्रकट करना होता है।
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