ओ सदानीरा निबंध का सारांश

Bseb Class 12th Hindi Chapter 7 ओ सदानीरा
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ओ सदानीरा

लेखक- जगदीशचन्‍द्र माथुर

लेखक परिचय
जन्म-16 जुलाई 1917 निधन- 14 मई 1978
जन्म स्थान- शाहजहाँपुर उत्तरप्रदेश
शिक्षा- एम.ए (अंग्रेजी) इलाहाबाद विश्वविद्यालय | 1941 में आई. सी. ए परीक्षा उत्तीर्ण | प्रशिक्षण के लिए अमेरिका गए और बाद में शिक्षा सचिव हुए |
सम्मान – विद्या वारिधि की उपाधि से विभूषित, कालिदास अवार्ड और बिहार राजभाषा पुरस्कार से सम्मानित।
कृतियाँ- मेरी बांसुरी, भोर का तारा, ओ मेरे सपने, कोणार्क, बंदी, शारदीया, पहला राजा, दशरथ नन्दन, कुंवर सिंह की टेक, गगन सवारी, दस तस्वीरें।

O Sadanira class 12 hindi

ओ सदानीरा निबंध का सारांश

प्रस्तुत निबंध “ओ सदानीरा” जगदीश चन्द्र माथुर द्वारा लिखी पुस्तक ”बोलते क्षण” से लिया गया है जिसमें उन्होंने गंडक नदी और उसके किनारे की संस्कृति और जीवन प्रवाह को दिखाया है।

गंडक चंपारण में बहने वाली नदी है जो अपना बहाव क्षेत्र और रास्ता बदल लिया करती है। भगवान बुद्ध के समय में इस क्षेत्र में घना जंगल था जिससे पानी वृक्ष की जड़ों में रुका रहता था। बाढ़ आती थी लेकिन इतना प्रचंड नहीं आती थी। एक बार गयासुद्दीन तुगलक ने हरिसिंह देव पर आक्रमण करने के लिए जंगलों को काटा तब से जंगल कटते चले गए।

 

 

गंडक प्राचीन और अतीत के बीच की कड़ी है।बहुत से महात्माओं और संतों ने इसके किनारे तप और तेज पाया होगा लेकिन गंडक कभी गंभीर नहीं बन सकी जिसके कारण इसके किनारे पर तीर्थस्थल भी स्थायी नहीं रह सके।

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गंडक ने कोई स्मृतियाँ नहीं छोड़ी। भवन, मंदिर घाट कुछ भी नहीं। हवाई जहाज से देखने पर गंडक घाटी के दोनों ओर बहुत सारे ताल दिखाई पड़ते है। जिनमें से एक सरैयामन ताल है जिसके चारों और काफी बड़ा जंगल है और इसके बीच में द्वीप भी है। गंडक नदी का जल सदियों से चंचल रहा है। इसने कई तीर्थ तोड़े है जो अब खंडहर दिखाई पड़ते है।

भैसालोटन में भारतीय इंजीनीयर जंगल के बीच निर्माण कार्य कर रहे है। ये नहरें लेखक को नारायण की भुजाएँ प्रतीत होती है और बिजली के तारों का जाल उनका चक्र प्रतीत हो रहा है। लेखक मन ही मन इंजीनीयरों को, मजदूरों को नमस्कार करता है।

लेखक कहते हैं ओ सदानीरा ! ओ चक्रा ! ओ नारायणी ! ओ महागंडक ! युगों से दीन-हीन जनता तुम्हें इन नामों से संबोधित करती रही है लेकिन तेरी चॅचल धारा ने आराधना के कसूमों को ठूकरा दिया है लेकिन अब जिस मंदिर का निर्माण हो रहा है उसकी नींव बहुत गहरी है जिसे तू ठूकरा नहीं पाएगी।

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