समाजवाद एवं साम्यवाद(2)

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समाजवाद एवं साम्यवाद

 

 समाजवाद एवं साम्यवाद का  क्वेश्चन आंसर इस पेज में दिया गया है तथा समाजवाद एवं साम्यवाद का मॉडल पेपर भी वेबसाइट पर आपको आसानी से मिल जाएगा l

समाजवाद-एवं-साम्यवाद

समाजवाद एवं साम्यवाद(2)

1. पूँजीवाद क्या है ?
उत्तर – कल – कारखाने एवं उत्पादन के सामानों का स्वामित्व व्यक्तिगत हाथों में रहना ही पूँजीवाद है । अर्थात् पूँजी का स्रोत व्यक्ति विशेष के हाथों में होता है ।
2 . खूनी रविवार क्या है ?
उत्तर– जनवरी 1905 को रूसी जनता का समूह ‘ रोटी दो ‘ के नारे के साथ सड़क पर प्रदर्शन करने लगी । जार ने उनपर गोलियों की बौछार करवा दी । हजारों की मौत हो गयी । इसलिये इसे खूनी रविवार कहते हैं ।
3. अक्टूबर क्रांति क्या है?
उत्तर – लेनिन के नेतृत्व में रूस में जार के खिलाफ ( करेन्सकी ) तख्तापलट का निश्चय किया गया । पेट्रोगाद के रेलवे स्टेशन , बैंक , डाकघर , टेलीफोन केन्द्र , कचहरी तथा अन्य सरकारी भवनों । पर अधिकार कर लिया गया । करेन्सकी भाग गया । इसे ही अक्टूबर क्रांति कहते हैं ।
4. सर्वहारा वर्ग किसे कहते है ?
उत्तर – रूसी समाज का वैसा वर्ग जिसमें किसान , मजदूर , मेहनतकश जनता एवं गरीब लोग शामिल हों , को सर्वहारा वर्ग कहते हैं ।
5. क्रांति के पूर्व रूसी किसानों की स्थिति कैसी थी ?
उत्तर – क्रांति के पूर्व रूसी किसानों की स्थिति बहुत ही दयनीय थी । खेत छोटे – छोटे और पुरानी ढंग से खेती करते थे ।

समाजवाद एवं साम्यवाद(2)

समाजवाद-एवं-साम्यवाद लघु उत्तरीय प्रश्न ( 60 शब्दों में उत्तर दें ) : –

1. रूसी क्रांति के किन्ही दो कारणों का वर्णन करें ।
उत्तर 
( 1 ) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन : – रूसी राजा ( जार ) को ईश्वर का प्रतिनिधि मानता था और उसे आम जनता की सुख – दुःख की कोई चिन्ता नहीं थी । गलत सलाहकारों के कारण जार की स्वेच्छाचारिता बढ़ती गयी और जनता की स्थिति बद से बदतर होती गयी ।
( 2 ) कृषकों की दयनीय स्थिति : – रूस में बहुसंख्यक कृषक ही थे । छोटे – छोटे खेत थे । पुराने ढंग से खेती करते थे । करों के बोझ से दबे पूँजी का पर्याप्त अभाव था । ऐसे में उनके पास क्रांति के अलावा कोई रास्ता नहीं था ।

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2 . रूसीकरण की नीति क्रांति हेतु कहाँ तक उत्तरदायी थी ?
उत्तर – क्रांति के अनेक कारणों में रूसीकरण की नीति भी एक प्रमुख कारण था । रूस में विभिन्न सम्प्रदाय एवं भाषा के लोग रहते थे । यहाँ मुख्यतः स्लाव जाति के लोग थे । इसके अलावा फिनलैंड , पोलैंड , जर्मनी यहूदी इत्यादि राष्ट्री के लोग भी रहते थे । ये भिन्न – भिन्न भाषा बोलते थे तथा इनका रस्म – रिवाजे भी अलग – अगल थे । जार – निकोलस द्वितीय ने देश पर रूसीकरण की नीति थोप दी । इसके अनुसार देश के लोगों पर रूसी भाषा शिक्षा प्रति उनका आक्रोश बढ़ता गया ।
3. साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी , कैसे ?
4. उत्तर – साम्यवाद निश्चित रूप से एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी । इसके अनुसार कार्य के अनुसार वेतन । इस व्यवस्था में उत्पादन के सभी साधनों , कारखानों तथा विपणन में मजदूरों ( सरकार ) का एकाधिकार था । ऐसी व्यवस्था में उत्पादन किसी व्यक्ति विशेष के लिये न होकर पूरे वर्ग के लिये था । समाज के भौतिक एव वैचारिक उत्थान के लिये कार्य होते थे । इस प्रकार साम्यवाद ने सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में एक नवीन विचारधारा की शुरुआत की ।इतिहास की दुनियाँ

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5 . प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया , कैसे ?
उत्तर -1905 ई 0 में ऐतिहासिक युद्ध में जापान ने रुस को बुरी तरह पराजित कर दिया । इसके पूर्व निरंकुश जार विभिन्न मोर्चा पर अपनी विफलता रूसी जनता से छुपाती रही । रास एशिया के छोटे से देश से पराजित हो गया । महानता का भ्रम जाता रहा । फटेहाल थे – मांदे सैनिक जब वापस लौटे तो जनता स्तब्ध रह गयी । फलस्वरूप इस पराजय ने क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया ।

समाजवाद-एवं-साम्यवाद दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( 150 शब्दों में उत्तर दें )

1 . रूसी क्रांति के कारणों की विवेचना करें ।
उत्तर – रूसी क्रांति के कई कारण थे जिनमें से कुछ निम्न थे –
( 1 ) जार की निरंकुशता और अयोग्यता : – इस समय रूस में एक कठोर राजनैतिक संरचना थी । राजा विशेषाधिकार छोड़ने के लिए तैयार नहीं था । जनता की कोई चिन्ता नहीं थी।
( 2 ) कृषकों की दयनीय स्थिति : – रूस में बहुसंख्यक कृषक थे । उनकी स्थिति बहुत देयर्नीय थीं । छोटे – छोटे खेत , पुरानी विधियों से खेती और पूँजी का अभाव । उनके पास क्र.ति के अलावा और कोई रास्ता नहीं था ।
( 3 ) मजदूरों की दयनीय स्थिति : – मजदूरों को दिन – रात काम करना पड़ता था । लेकिन मजदूरी बहुत कम थी । उनके पास कोई राजनैतिक अधिकार न थे । वे हड़ताल भी नहीं कर सकते थे ।
( 4 ) रूसीकरण की नीति : – रूस में अनेक राष्ट्रीयता , सम्प्रदाय , भाषा और संस्कृति के निवासी थे । जार ने सनी पर रूसी भाषा शिक्षा और संस्कृति लादने का प्रयास किया जिससे आक्रोश बढ़ता चला गया ।
( 5 ) औद्योगीकरण की समस्या और विदेशी घटनाओं का प्रभाव : – रूस में कुछ ही क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण उद्योगों का संकर्षण था । राष्ट्रीय पूँजी का अभाव था और रूस की पराजय क्रीमिया और जापान के हाथों भी क्रान्ति के प्रमुख कारणों में से एक थे ।

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2. नई आर्थक नीति क्या हैं ?
उत्तर -1921 ई ० में लेनिन ने एक नई आर्थिक नीति की घोषणा की । नई आर्थिक नीति में निम्नांकित प्रमुख बातें थीं-
( i ) किसानों से अनाज लेने के स्थान पर एक निश्चित कर लगाया गया । बचा हुआ अनाज किसान का था ।
( ii ) सिद्धान्त यह था कि जमीन राज्य की है परन्तु व्यावहारिक तौर पर किसानों की थी ।
( iii ) 20 से कम कर्मचारियों वाले उद्योगों को व्यक्तिगत रूप से चलाने का अधिकार मिल गया था ।
( iv ) उद्योगों को विकेन्द्रीकरण किया गया था ।
( v ) विदेशी पूँजी भी सीमित रूप से आमंत्रित किया गया ।
( vi ) व्यक्तिगत संपत्ति और जीवन की बीमा भी राजकीय एजेंसी द्वारा शुरू किया गया ।
( vii ) विभिन्न स्तरों पर बैंक खोले गये
( vii ) ट्रेड यूनियन की अनिवार्य सदस्यता समाप्त कर दी गयी । इस नई आर्थिक नीति के द्वारा लेनिन ने उत्पादन की कमी को नियंत्रित किया ।
3. रूसी क्रांति के प्रभावों की विवेचना करें ।
उत्तर – रूसी क्रांति के प्रभाव :
( i ) इस क्रांति के पश्चात श्रमिक अथवा सर्वहारा वर्ग की सत्ता रूस में स्थापित हो गयी और इसने अन्य क्षेत्रों में भी आन्दोलन को प्रोत्साहन दिया
( ii ) रूसी क्रांति के पश्चात विश्व दो विचारधारा में विभक्त हो गया । साम्यवादी विश्व एवं पूँजीवादी विश्व छ । यूरोप भी पूर्वी यूरोप एवं पश्चिमी यूरोप में विभाजित हो गया ।
( iii ) फिर पूँजीवादी और सोवियत रूस के बीच शीत युद्ध की शुरुआत हुई और
( iv ) रूसी क्रांति के पश्चात आर्थिक आयोजन के रूप में एक नवीन आर्थिक मोडल आया । आगे पूँजीवादी देशों ने भी परिवर्तित रूप में इस मॉडल को अपना लिया । इस प्रकार स्वयं पूंजीवाद के चरित्र में भी परिवर्तन आ गया ।
( v ) इस क्रांति की सफलता ने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेश मुक्ति को भी प्रोत्साहन दिया क्योंकि सोवियत रूस की साम्यवादी सरकार ने एशिया और आफ्रीका के देशों में होने वाले राष्ट्रीय आंदोलन को वैचारिक समर्थन प्रदान किया ।

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4. कार्ल मार्क्स की जीवनी एवं सिद्धान्तों का वर्णन करें ।

उत्तर – मार्क्स का जन्म 5 मई , 1818 ई 0 को जर्मनी में राइन प्रति के लिए ट्रियर नगर में एक यहूदी परिवार में हुआ था । कार्ल मार्क्स के पिता हेनरिक मार्क्स एक प्रसिद्ध वकील थे । माक्र्स ने बोन विश्वविद्यालय में विधि की शिक्षा ग्रहण की और 1836 में बर्लिन विश्वविद्यालय चले आये जहाँ उनके जीवन को नया मोड़ मिला । 1843 ई 0 में उन्होंने बचपन किया । एंगेल्स के विचारों से प्रभावित होकर माक्स ने श्रमिक वर्ग के कष्टों एवं उनकी कार्य की दशाओं पर गहन विचार किया । 1848 ई 0 में एंगेल्स के विचारों से प्रभावित होकर और उसके साथ मिलकर साम्यवादी घोषणा पत्र प्रकाशित किया जिसे आधुनिक समाजवाद का जनक कहा जाता है । 1887 ई 0 में मार्क्स ने ‘ दास – कैपिटल ‘ नामक पुस्तक की रचना की जिसे ” समाजवादियों का बाइबिल कहा जाता है ।
मार्क्स ने कुछ सिद्धान्त दिये :
( i )द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धान्त
( ii ) वर्ग संघर्ष का सिद्धान्त
(iii)इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या
( iv ) मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धान्त
( v ) . राज्यहीन व वर्गहीन समाज की स्थापना ।
कार्ल मार्क्स ने मजदूरों को कहा कि वे अपनी मुक्ति स्वयं ही और अपने प्रयत्नों द्वारा ही प्राप्त कर सकते हैं । अधिकार के बिना कर्त्तव्य नहीं और कर्तव्य के बिना अधिकार नहीं ।

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5. यूरोपियन समाजवादियों के विचारों का वर्णन करें ।

उत्तर – फ्रांसिसी विचारक सेट साइमन प्रथम यूरोपियन समाजवादी था जिसने समाजवादी विचारधारा के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई । उनके विचार में राज्य और समाज को इस ढंग से संगठित करना चाहिए कि लोग एक – दूसरे का शोषण करने के बदले मिलजुलकर प्रकृ ति का उपयोग करें तथा समाज के गरीब वर्ग के भौतिक एवं नैतिक उत्थान के लिये कार्य करना चाहिए । साइमन के अनुसार प्रत्येक को उसकी क्षमता के अनुसार तथा प्रत्येक को था । उसके अनुसार श्रमिकों को छोटे नगर अथवा कस्बों में काम करना चाहिये । परन्तु इसकी योजना प्लॉग्स का निर्माण असफल रहा । फ्रांसीसी यूटोपियन चिन्तकों में बुईब्सां ने राजनीति में भाग लिया । उसके सुधार अत्यन्त व्यावहारिक थे । उसके अनुसार आर्थिक सुधारों को प्रभावकारी बनाने के लिये पहले राजनीतिक सुधारों की आवश्यकता है । यूटोपियन चिन्तक बिट्रिश उद्योगपति रावट ओवन के अनुसार संतुष्ट अमिक ही वास्तविक अमिक है । अतः यूटोपियन चिन्तकों ने वर्ग संघर्ष के बदले वर्ग समन्वय पर बल दिया । इन्होंने पूँजी और प्रेम के बीच संबंधों की समस्याओं के निराकरण करने का प्रयास किया । इन चिंतकों का अपना योगदान है ।

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