अम्ल, क्षारक एवं लवण
Bihar Board Class 10 Science Chapter 2 Solutions
प्रश्न 1) आपको तीन परखनलियाँ दी गई हैं। इनमें से एक में आसवित जल एवं शेष दो में से एक में अम्लीय विलयन तथा दूसरे में क्षारकीय विलयन है।
यदि आपको केवल लाल लिटमस पत्र दिया जाता है तो आप प्रत्येक परखनली में रखे गए पदार्थों की पहचान कैसे करेंगे?
उत्तर) सर्वप्रथम हम प्रत्येक परखनली में लाल लिटमस पत्र की एक-एक पट्टी डालेंगे। जिस परखनली में पट्टी का रंग नीला हो जायेगा उसमें क्षारकीय विलयन होगा। शेष दोनों परखनलियों में लाल लिटमस पत्र की पट्टी का रंग लाल ही रहता है अर्थात् इनमें से एक परखनली में आसवित जल तथा एक परखनली में अम्लीय विलयन है। अब हम क्षारकीय विलयन में से थोड़ा-थोड़ा विलयन इन दोनों परखनलियों में डालकर पुनः लाल लिटमस पत्र की पट्टी डालते हैं। जिस परखनली में पट्टी का रंग पुनः नीला हो जाता है उसमें आसवित जल है तथा जिस परखनली में पट्टी का रंग अपरिवर्तित रहता है उसमें अम्लीय विलयन उपस्थित है।
Table of Contents
अनुच्छेद 2.1 पर आधारित
प्रश्न 1) पीतल एवं ताँबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने चाहिए?
उत्तर) दही एवं खट्टे पदार्थों की प्रकृति अम्लीय होती है। यदि इन पदार्थों को पीतल एवं ताँबे के बर्तनों में रखते हैं तो ये धातु से अभिक्रिया करके धात्विक लवण बनाते हैं जिसके कारण भोजन दूषित हो जाता है। यदि कोई व्यक्ति इस दूषित भोजन को खाता है तो वह बीमार पड़ सकता है।
प्रश्न 2) धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यतः कौन-सी गैस निकलती है? एक उदाहरण के द्वारा समझाइए। इस गैस की उपस्थिति की जाँच आप कैसे करेंगे?
उत्तर) धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यतः हाइड्रोजन गैस निकलती है।
उदाहरणार्थः
Zn (s) + H2SO4 (aq) → ZnSO4 + H2(g)
हाइड्रोजन गैस की उपस्थिति की जाँच हम ज्वाला परीक्षण से करेंगे। हाइड्रोजन गैस के निकट जलती हुई मोमबत्ती तीव्रता से जलने लगती है।
प्रश्न 3) कोई धातु यौगिक ‘A’ तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है तो बुदबुदाहट उत्पन्न होती है। इससे उत्पन्न गैस जलती मोमबत्ती को बुझा देती है।
यदि उत्पन्न यौगिकों में से एक कैल्सियम क्लोराइड है, तो इस अभिक्रिया के लिए :: संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर) CaCO3 + dil.2HCl → CaCl2 + CO2 + H2O
धातु यौगिक ‘A’ कैल्सियम कार्बोनेट है। जब यह तनु HCl से अभिक्रिया करता है तो कैल्सियम क्लोराइड, जल एवं कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है जो जलती हुई मोमबत्ती को बुझा देती
अनुच्छेद 2.2 पर आधारित
प्रश्न 1) HCl, HNO3 आदि जलीय विलयन में अम्लीय अभिलक्षण क्यों प्रदर्शित करते हैं, जबकि ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोज जैसे यौगिकों के विलयनों में अम्लीयता के अभिलक्षण नहीं प्रदर्शित होते हैं?
उत्तर) HCl, HNO3 आदि जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयन (H+) उत्पन्न करते हैं जो उनकी अम्लीयता को प्रकट करते हैं परन्तु ग्लूकोज़ एवं ऐल्कोहॉल आदि यौगिक जलीय विलयन में H+ आयन उत्पन्न नहीं करते इसलिए ये अम्लीयता का अभिलक्षण भी प्रदर्शित नहीं करते हैं।
प्रश्न 2) अम्ल का जलीय विलयन क्यों विद्युत का चालन करता है?
उत्तर) अम्ल जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयन (H+ ) देते हैं तथा विद्युत इन्हीं आयनों के द्वारा चालन करती है।
प्रश्न 3) शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को क्यों नहीं बदलती है?
उत्तर) शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को इसलिए नहीं बदलती; क्योंकि शुष्क HCl गैस में हाइड्रोजन आयन (H+) आयन नहीं होते इसलिए यह अम्लीयता का अभिलक्षण प्रदर्शित नहीं करती है।
प्रश्न 4) अम्ल को तनुकृत करते समय यह क्यों अनुशंसित करते हैं कि अम्ल को जल में मिलाना चाहिए, न कि जल को अम्ल में?
उत्तर) अम्ल एवं जल की क्रिया अत्यन्त ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है; अत: यह अनुशंसित किया जाता है कि अम्ल को जल में मिलाना चाहिए न कि जल को अम्ल में। जल को अम्ल में मिलाने पर अत्यधिक ऊष्मा उत्सर्जित होने के कारण विस्फोट भी हो सकता है।
प्रश्न 5) अम्ल के विलयन को तनुकृत करते समय हाइड्रोनियम आयन (H3 O+) की सांद्रता कैसे प्रभावित हो जाती है?
उत्तर) अम्ल के विलयन को तनुकृत करते समय हाइड्रोनियम आयन (H3 O+) की सांद्रता में प्रति इकाई आयतन में कमी हो जाती है।
प्रश्न 6) जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में आधिक्य क्षारक मिलाते हैं तो हाइड्रॉक्साइड आयन (OH–) की सांद्रता कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर) जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में आधिक्य क्षारक मिलाते हैं तो हाइड्रॉक्साइड आयन (OH–) की सांद्रता बढ़ जाती है।
अनुच्छेद 2.3 पर आधारित
प्रश्न 1) आपके पास दो विलयन ‘A’ एवं ‘B’ हैं। विलयन ‘A’ के pH का मान 6 है एवं विलयन ‘B’ के pH का मान 8 है।
किस विलयन में हाइड्रोजन आयन की सांद्रता अधिक है? इनमें से कौन अम्लीय है तथा कौन क्षारकीय?
उत्तर) विलयन ‘A’ में हाइड्रोजन आयन (H+) की सांद्रता अधिक है। विलयन ‘A’ अम्लीय जबकि विलयन ‘B’ क्षारकीय है।
प्रश्न 2) H+ (aq)आयन की सांद्रता का विलयन की प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर) विलयन में H+ (aq) आयन की सांद्रता बढ़ने पर विलयन अधिक अम्लीय होता है जबकि H+ (aq) आयन की सांद्रता घटने पर विलयन अधिक क्षारकीय होता है।
प्रश्न 3) क्या क्षारकीय विलयन में H+(aq) आयन होते हैं? अगर हाँ, तो यह क्षारकीय क्यों होते हैं?
उत्तर) हाँ, क्षारकीय विलयन में भी H+(aq) आयन होते हैं, परन्तु क्षारकीय विलयन में H+ (aq) आयनों की मात्रा अम्लों में उपस्थित H+ (aq) आयनों की मात्रा से बहुत कम होती है, इसलिए ये क्षारकीय होते हैं।
प्रश्न 4) कोई किसान खेत की मृदा की किस परिस्थिति में बिना बुझा हुआ चूना (कैल्सियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्सियम कार्बोनेट) का उपयोग करेगा?
उत्तर) यदि खेत की मृदा का pH मान 7 से नीचे अर्थात् 6, 5, 4, 3, 2, 1 है तो किसान इसे उदासीन करने के लिए इसमें बिना बुझा हुआ चूना (कैल्सियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्सियम कार्बोनेट) का उपयोग करेगा।
अनुच्छेद 2.4 पर आधारित
प्रश्न 1) CaOCl2 यौगिक का प्रचलित नाम क्या है?
उत्तर) CaOCl2यौगिक का प्रचलित नाम ब्लीचिंग पाउडर (विरंजक चूर्ण) है।
प्रश्न 2) उस पदार्थ का नाम बताइए जो क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है।
उत्तर) बुझा हुआ चूना [Ca(OH)2] क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है।
प्रश्न 3) कठोर जल को मृदु करने के लिए किस सोडियम यौगिक का उपयोग किया जाता
उत्तर) कठोर जल को मृदु करने के लिए सोडियम कार्बोनेट (NaCO3) का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 4) सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर क्या होगा? इस अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर) जब सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट के विलयन को गर्म किया जाता है तो यह सोडियम कार्बोनेट और कार्बन डाइऑक्साइड गैस देता है।
प्रश्न 5) प्लास्टर ऑफ पेरिस की जल के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर: प्लास्टर ऑफ पेरिस (CaSO4 ½ H2O) जल के साथ अभिक्रिया करके जिप्सम (CaSO4.2H20) बनाता है और लगभग आधे घंटे में जम कर ठोस बन जाता है।
CaSO4 ½ H2O + 1 ½ H2O → CaSO4.2H2O
प्लास्टर ऑफ पेरिस) (जल) जिप्सम
अभ्यास
प्रश्न 1) कोई विलयन लाल लिटमस को नीला कर देता है, इसका pH संभवतः क्या होगा?
(a) 1
(b) 4
(c) 5
(d) 10
उत्तर:
(d) 10
प्रश्न 2) कोई विलयन अंडे के पिसे हुए कवच से अभिक्रिया कर एक गैस उत्पन्न करता है जो चूने के पानी को दूधिया कर देती है। इस विलयन में क्या होगा?
(a) NaCl
(b) HCl
(c) LiCl
(d) KCl
उत्तर:
(b) HCl
प्रश्न 3) NaOH का 10mL विलयन,HCl के 8mLविलयन से पूर्णतः उदासीन हो जाता है। यदि हम NaOH के उसी विलयन का 20 mLलें तो इसे उदासीन करने के लिए HCI के उसी विलयन की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी?
(a) 4 mL
(b) 8 mL
(c) 12 mL
(d) 16 mL
उत्तर)
(d) 16 mL
प्रश्न 4) अपच का उपचार करने के लिए निम्न में से किस औषधि का उपयोग होता है?
(a) एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक)
(b) ऐनालजेसिक (पीड़ाहारी)
(c) ऐन्टैसिड
(d) एंटीसेप्टिक (प्रतिरोधी)
उत्तर)
(c) ऐन्टैसिड
प्रश्न 5) निम्न अभिक्रिया के लिए पहले शब्द-समीकरण लिखिए तथा उसके बाद संतुलित समीकरण लिखिए
(a) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल दानेदार जिंक के साथ अभिक्रिया करता है।
(b) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मैग्नीशियम पट्टी के साथ अभिक्रिया करता है।
(c) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल ऐलुमिनियम चूर्ण के साथ अभिक्रिया करता है।
(d) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल लौह के रेतन के साथ अभिक्रिया करता है।
उत्तर)
(a) जिंक + सल्फ्यूरिक अम्ल (तनु) → जिंक सल्फेट + हाइड्रोजन गैस
Zn + dil.H2SO4 → ZnSO4 + H2(g)
(b) मैग्नीशियम + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (तनु) → मैग्नीशियम क्लोराइड + हाइड्रोजन गैस
Mg + dil.2HCl → MgCl2 + H2(g)
(c) ऐलुमिनियम + सल्फ्यूरिक अम्ल (तनु) → ऐलुमिनियम सल्फेट + हाइड्रोजन गैस
2Al+ dil.3H2SO4 → Al2(SO4)3 + 3H2(g)
(d) आयरन + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (तनु) → आयरन क्लोराइड + हाइड्रोजन गैस
2Fe + dil.6HCl → 2FeCl3 + 3H2(g)
प्रश्न 6) ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोज जैसे यौगिकों में भी हाइड्रोजन होते हैं लेकिन इनका वर्गीकरण अम्ल की तरह नहीं होता है। एक क्रियाकलाप द्वारा इसे साबित कीजिए।
उत्तर) एक कॉर्क में दो कीलें लगाकर कॉर्क को 6 वोल्ट बैटरी – 100 ml के एक बीकर में रख देते हैं।
चित्र के अनुसार दोनों कीलों को 6 वोल्ट की एक बैटरी से जोड़ देते हैं जो एक बल्ब तथा स्विच से भी सम्बद्ध है। बीकर
अब हम ऐल्कोहॉल तथा ग्लूकोज के विलयनों को बारी-बारी से बीकर में डालते हैं तथा विद्युत कील प्रवाह हेतु स्विच चालू करते हैं।
प्रेक्षण:
हम देखते हैं कि बल्ब नहीं जलता। अत: ग्लूकोज रबड़ कॉर्क और एल्कोहॉल विलयनों में विद्युत चालन नहीं होता।
परन्तु: हम जानते हैं कि अम्लों में विद्युत चालन सम्भव है। परिणाम एल्कोहॉल और ग्लूकोज को अम्लों में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 7) आसवित जल विद्युत का चालक क्यों नहीं होता जबकि वर्षा जल होता है?
उत्तर) आसवित जल विद्युत का चालक नहीं होता जबकि वर्षा जल होता है, क्योंकि आसवित जल में H+ आयन अलग नहीं होते जबकि वर्षा के जल में H+ आयन आसानी से अलग हो जाते हैं। ये H+ आयन ही विद्युत का चालन करते हैं।
प्रश्न 8) जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता है?
उत्तर) जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय नहीं होता, क्योंकि अम्ल की अम्लीय प्रकृति H+ आयनों के कारण होती है तथा ये H+ आयन केवल जलीय विलयन में ही प्रकट होते हैं।
प्रश्न 9) पाँच विलयनोंA,B,C,D व E की जब सार्वत्रिक सूचक से जाँच की जाती है तो pH के मान क्रमशः 4,1,11,7 एवं 9 प्राप्त होते हैं। कौन-सा विलयन
(a) उदासीन है?
(b) प्रबल क्षारीय है?
(c) प्रबल अम्लीय है?
(d) दुर्बल अम्लीय है?
(e) दुर्बल क्षारीय है?
pH के मानों को हाइड्रोजन आयन की सांद्रता के आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर)
(a) विलयन ‘D’ उदासीन है। pH = 7
(b) विलयन ‘C’ प्रबल क्षारीय है। pH = 11
(c) विलयन ‘B’ प्रबल अम्लीय है। pH =1
(d) विलयन ‘A’ दुर्बल अम्लीय है। pH = 4
(e) विलयन ‘E’ दुर्बल क्षारीय है। pH =9
उपर्युक्त pH मानों के हाइड्रोजन आयन की सांद्रता का आरोही क्रम निम्नवत है
प्रश्न 10) परखनली ‘A’ एवं ‘B’ में समान लंबाई की मैग्नीशियम की पट्टी लीजिए। परखनली ‘A’ में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) तथा परखनली ‘B’ में ऐसिटिक अम्ल (CH3COOH) डालिए। दोनों अम्लों की मात्रा तथा सांद्रता समान हैं। किस परखनली में अधिक तेजी से बुदबुदाहट होगी तथा क्यों?
उत्तर) परखनली ‘A’ में अधिक तेज़ी से बुदबुदाहट होगी; क्योंकि HCl, CH3COOH की अपेक्षा प्रबल अम्ल है। इसीलिए परखनली ‘A’ में Mg, HCl के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करके मैग्नीशियम क्लोराइड (MgCl2) तथा हाइड्रोजन (H2) गैस उत्पन्न करता है।
प्रश्न 11) ताजे दूध के pH का मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके pH के मान में क्या परिवर्तन होगा? अपना उत्तर समझाइए।
उत्तर) ताजे दूध का pH मान 6 होता है परन्तु दही बन जाने पर इसके pH मान में कमी होगी तथा इसकी अम्लीय प्रकृति बढ़ जायेगी। इसकी जाँच हम इस तथ्य से कर सकते हैं कि ताजा दूध मीठा होता है परन्तु दही खट्टा होता है।
प्रश्न 12) एक ग्वाला ताजे दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाता है।
(a) ताजा दूध के pH के मान को 6 से बदलकर थोड़ा क्षारीय क्यों बना देता है ?
(b) इस दूध को दही बनने में अधिक समय क्यों लगता है ?
उत्तर)
(a) दूध बेचने वाला ताजे दूध के pH को 6 से बदलकर थोड़ा क्षारीय बना देता है; क्योंकि ऐसा करने से दूध अधिक समय तक खराब नहीं होगा।
(b) यह दूध दही बनने में अत्यधिक समय लेता है; क्योंकि दूध को क्षारीय से अम्लीय होने में अधिक समय लगेगा, जबकि यदि दूध का pH 6 ही होता तो यह अपेक्षाकृत कम समय में ही दही में परिवर्तित हो जाता।
प्रश्न 13) प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र-रोधी बर्तन में क्यों रखा जाना चाहिए? इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर) प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र-रोधी बर्तन में रखा जाता है; क्योंकि यह आर्द्रता/नमी/जल के सम्पर्क में आकर बड़ी तीव्रता से जिप्सम में परिवर्तित हो जाता है जो कि एक बहुत ही कठोर पदार्थ है। अभिक्रिया का समीकरण निम्नवत् है
प्रश्न 14) उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर) अम्ल एवं क्षारक की अभिक्रिया के परिणामस्वरूप लवण तथा जल प्राप्त होते हैं तथा इस अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरणार्थः
- सोडियम हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण - पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण
प्रश्न 15.
धोने का सोडा एवं बेकिंग सोडा के दो-दो प्रमुख उपयोग बताइए।
उत्तर:
धोने का सोडा के दो प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं।
इसका उपयोग काँच, साबुन एवं कागज़ उद्योगों में होता है।
इसका उपयोग बोरेक्स जैसे सोडियम यौगिक के उत्पादन में होता है। बेकिंग सोडा के दो प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं
इसका उपयोग बेकिंग पाउडर बनाने में किया जाता है।
इसका उपयोग सोडा-अम्ल अग्निशामक में किया जाता है।
प्रश्न 14) धोने का सोडा एवं बेकिंग सोडा के दो – दो प्रमुख उपयोग बताइए ।
उत्तर) धोने के सोडा के उपयोग-
(1) इसका उपयोग काँच, साबुन एवं कागज उद्योगों में होता है।
(2) इसका उपयोग घरों में साफ-सफाई के लिए होता है।
बेकिंग सोडा के उपयोग-
(1) इसका प्रमुख उपयोग बेकरी में उपयोग आने वाले बेकिंग पाउडर बनाने में होता है।
(2) इसका उपयोग सोडा-अम्ल अग्निशामक में किया जाता है।
TOPICS
Class 10 Science Chapter 2: अम्ल, क्षारक एवं लवण
अम्ल:- अम्ल आयनिक यौगिक होते हैं, जो पानी में घुलने पर धनात्मक हाइड्रोजन आयन (H+) उत्पन्न करते हैं।
अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं। उदाहरण:- HNO3, H2SO4
अम्ल के गुण :-
- अम्ल प्रकृति में संक्षारक होते हैं।
- ये विद्युत के सुचालक होते हैं।
- इनका पीएच मान हमेशा 7 से कम होता है।
- पानी में घुलने पर ये पदार्थ हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करते हैं।
क्षार:- क्षार वे पदार्थ होते हैं जो जलीय विलियन में डाले जाने पर OH– देते हैं। उदाहरण:-NaOH → (Na+) + (OH-)
क्षार के गुण :-
- क्षार स्वाद मे कड़वे होते हैं।
- इसका pH मान हमेशा 7 से अधिक होता है।
- पानी में घुलने पे ये OH-आयन देता है।
- क्षार में लाल लिटमस पेपर को नीला करने की क्षमता होती है।
# आयनीकरणीय यौगिक और गैर-आयनीकरण योग्य यौगिक
एक आयनीकरणीय यौगिक जब पानी में या उसके पिघले हुए अवस्था में घुल जाता है,लगभग पूरी तरह से आयनों में वियोजित हो जाता है। उदाहरण: NaCl, HCI, KOH, आदि।
एक गैर-आयनीकरणीय यौगिक घुलने पर आयनों में अलग नहीं होता है पानी या उसकी पिघली हुई अवस्था में। उदाहरण: ग्लूकोज, एसीटोन, आदि।
# अम्ल और क्षार का अरहेनियस सिद्धांत :-
- आरेनियस अम्ल – जल में घुलने पर वियोजित होकर H+ (aq) या H30+ आयन देता है।
- आरेनियस क्षार – जल में घुलने पर वियोजित होकर OH- आयन देता है।
उदाहरण :–
अम्ल | क्षार |
---|---|
हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCI) | सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) |
सल्फ्यूरिक एसिड (H2SO4) | पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) |
नाइट्रिक एसिड (HNO3) | कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड (Ca(OH)2) |
# ब्रोंस्टेड लोरी सिद्धांत
- ब्रोंस्टेड एसिड एक H+ (aq) आयन डोनर होता है।
- ब्रोंस्टेड बेस एक H+ (aq) आयन स्वीकर्ता है।
उदाहरण :
प्रतिक्रिया में: HCI (aq) + NH3 (aq) → NH+4(aq) + Cl-(aq)
HCl → ब्रोंस्टेड एसिड और Cl-: इसका संयुग्म एसिड
NH3 → ब्रोंस्टेड बेस और NH+4: इसका संयुग्मित अम्ल
# सूचक (Indicators)
सूचक किसी दिए गए विलयन में अम्लया क्षारक की उपस्थिति दर्शाते हैं इनका रंग या गंध अम्लीय या क्षारक माध्यम में बदल जाता है ।
सूचक के प्रकार :-
वैसे तो संसूचक बहुत प्रकार के होते है । परन्तु इनके समान्य प्रकार इस प्रकार है :
(i) प्राकृतिक संसूचक ( Natural Indicator ) :- वे सूचक जो प्राकृतिक स्रोतों के प्राप्त होते है प्राकृतिक संसूचक कहलाते है । जैसे – लिटमस, हल्दी, चाइना रोज, लाल गोभी आदि।
लिटमस : लिटमस विलयन बैंगनी रंग का रंजक होता है जो थैलाफाइटा समूह के लाईकेन (Lichen ) के पौधे से निकला जाता है | लिटमस विलयन जब न तो अम्लीय होता है न ही क्षारकीय, तब इसका रंग बैगनी होता है ।
लिटमस पत्र : लिटमस पत्र दो रंगों का होता है नीला एवं लाल | अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है जबकि क्षार लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता है ।
हल्दी : हल्दी भी एक अन्य प्रकार का प्राकृतिक सूचक है । यह पीला रंग का होता है, कई बार आपने देखा होगा जब किसी सफ़ेद कपड़ों पर सब्जी का दाग लग जाता है और जब इसे साबुन ( क्षारीय प्रकृति ) से धोते है तो यह उस दाग के धब्बे को भूरा – लाल कर देता है । ” अम्ल के साथ हल्दी के रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता है । ” क्षारक के साथ इसका रंग भूरा – लाल हो जाता है।
(ii) संश्लेषित संसूचक (Synthetic Indicator) :- ये वे सूचक है जो प्राकृतिक नहीं होते अपितु ये रसायनिक पदार्थों द्वारा बनाए गए होते है । जैसे – मेथिल ऑरेंज एवं फिनोल्फ्थलीन आदि । इनका उपयोग अम्ल एवं क्षारक की जाँच के लिए होता है ।
(iii) गंधीय संसूचक ( Olfactory Indicator ) :- कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं जिनकी गंध अम्लीय या क्षारकीय माध्यम में बदल जाती है। ऐसे पदार्थों को गंधीय(Olfactory) सूचक कहते हैं । जैसे – वैनिला, प्याज एवं लौंग आदि
(iv) सार्वत्रिक सूचक (Universal Indicator) :- सार्वत्रिक सूचक अनेक सूचकों का मिश्रण होता है लिटमस, मेथिल ऑरेंज एवं फिनोल्फ्थलीन आदि जैसे सूचकों के उपयोग से किसी विलयन के केवल अम्लीय या क्षारीय प्रकृति का । पता लगाया जा सकता है परन्तु इस सार्वत्रिक सूचक के प्रयोग से अम्ल या क्षारक की प्रकृति के साथ – साथ उनकी प्रबलता की माप का माप भी बताता है
भौतिक परीक्षण :- अम्ल या क्षार की पहचान करने के लिए दो संभावित भौतिक परीक्षण दिए गए हैं।
(i) स्वाद :- अम्ल का स्वाद खट्टा होता है जबकि क्षार का स्वाद कड़वा होता है। स्वाद की विधि की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि अम्ल या क्षार दूषित या संक्षारक हो सकते हैं।
उदाहरण: दही, नींबू का रस, संतरे का रस और सिरका सभी खट्टे हैं। क्योंकि इनमें अम्ल होते हैं, इन यौगिकों का स्वाद खट्टा होता है। बेकिंग सोडा का स्वाद खट्टा होता है। यह एक नींव का उदाहरण है।
(ii) अम्ल और क्षार द्वारा संकेतकों पर प्रभाव :- एक संकेतक एक रासायनिक पदार्थ है जो एसिड या बेस के संपर्क में लाए जाने पर मुख्य रूप से रंग या गंध में भौतिक गुणों में परिवर्तन दिखाता है। नीचे आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले संकेतक और उनके द्वारा प्रदर्शित विभिन्न रंगों का उल्लेख किया गया है:
a). लिटमस
- उदासीन विलयन में – बैंगनी
- अम्लीय विलयन में – लाल
- क्षारकीय विलयन में – नीला
लिटमस कागज की पट्टियों के रूप में भी दो रूपों में उपलब्ध है – लाल लिटमस और नीला लिटमस। अम्ल नम नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है। एक क्षार नम लाल लिटमस पेपर को नीला कर देता है।
b). मिथाइल ऑरेंज
- एक तटस्थ समाधान में – नारंगी
- अम्लीय घोल में – लाल
- नियादी समाधान में – पीला
c). फेनोल्फथेलिन
- एक तटस्थ समाधान में- बेरंग
- अम्लीय विलयन में – रंगहीन रहता है
- मूल समाधान में – गुलाबी
# एसिड-बेस प्रतिक्रियाएं
न्यूट्रलाइजेशन रिएक्शन तब होता है जब एक एसिड बेस के साथ प्रतिक्रिया करता है। नमक और पानी इस प्रतिक्रिया के अंतिम उत्पाद हैं। इस मानक दृष्टिकोण में एक एसिड-बेस न्यूट्रलाइजेशन रिएक्शन को डबल-रिप्लेसमेंट रिएक्शन के रूप में तैयार किया जाता है।
अम्ल, क्षारक एवं लवण
a). धातुओं के साथ अम्ल और क्षार की प्रतिक्रिया
आम तौर पर अम्ल, धातुओं के साथ अभिक्रिया करके नमक और हाइड्रोजन गैस बनाते हैं। क्षार, सामान्य रूप से, धातुओं के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते हैं और हाइड्रोजन गैस का उत्पादन नहीं करते हैं।
b). धातु के साथ अम्ल की प्रतिक्रिया
कार्बोनेट और बाइकार्बोनेट धातु कार्बोनेट या धातु बाइकार्बोनेट के साथ प्रतिक्रिया करने पर अम्ल कार्बन डाइऑक्साइड, साथ ही धातु के लवण और पानी का उत्पादन करते हैं। सोडियम क्लोराइड, कार्बन डाइऑक्साइड और पानी तब बनता है जब सोडियम कार्बोनेट हाइड्रोक्लोरिक एसिड के साथ इंटरैक्ट करता है। कार्बन डाइऑक्साइड गैस को चूने के पानी में प्रवाहित होने देने से यह दूधिया हो जाता है।
c) .अम्ल की क्षार के साथ प्रतिक्रिया
- धातु आक्साइड और हाइड्रॉक्साइड के साथ प्रतिक्रिया
- अम्ल धातु ऑक्साइड या धातु हाइड्रॉक्साइड क्षारीय प्रकृति के होते हैं।
- अम्ल + क्षार लवण → जल + ताप
- H2SO4 + MgO → MgSO4 + H2O
- 2HCI + Mg (OH)2 → MgCl2 + 2H20
- क्षार के साथ गैर-धातु ऑक्साइड की प्रतिक्रिया
- अधातु ऑक्साइड अम्लीय प्रकृति के होते हैं
- क्षार + अधातु ऑक्साइड → नमक + पानी + ऊष्मा
- 2NaOH + CO2 → Na2CO3 + H2O
# अम्ल और क्षार की ताकत
- प्रबल अम्ल या क्षार: जब किसी अम्ल या क्षार की दी गई मात्रा के सभी अणु पानी में पूरी तरह से अलग हो जाते हैं, तो उनके संबंधित आयन, एसिड के लिए H+(aq) और क्षार के लिए OH- (aq) बनते हैं।
- दुर्बल अम्ल या क्षार: जब केवल कुछ ही अणुओं की दी गई मात्रा अम्ल या क्षार अम्ल के लिए अपने संबंधित आयनों, H+(aq) को प्रस्तुत करने के लिए पानी में अलग हो जाते हैं और आधार के लिए ओएच (OH-)aq)
- तनु अम्ल: प्रति इकाई आयतन में कम संख्या में H+(aq) आयन होते हैं।
- सांद्र अम्ल: इसमें प्रति इकाई आयतन में अधिक संख्या में H+(aq) आयन होते हैं
# यूनिवर्सल इंडिकेटर
एक सार्वभौमिक संकेतक में 0 से 14 तक की पीएच सीमा होती है जो एक समाधान की अम्लता या क्षारीयता को इंगित करती है। एक उदासीन विलयन का pH = 7 होता है
दैनिक जीवन में पीएच का महत्व :-
- पौधों और जानवरों की पीएच संवेदनशीलता : पौधे और जानवर पीएच के प्रति संवेदनशील होते हैं। महत्वपूर्ण जीवन प्रक्रियाएं जैसे भोजन का पाचन, एंजाइम और हार्मोन के कार्य एक निश्चित पीएच मान पर होते हैं।
- मिट्टी का पीएच : पौधों या फसलों की वृद्धि के लिए इष्टतम मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.0 है।
- पाचन तंत्र में पीएच : पाचन की प्रक्रिया हमारे पेट में एक विशिष्ट पीएच पर होती है जो 1.5 – 4 होती है। भोजन पचते समय एंजाइमों की परस्पर क्रिया का पीएच हमारे पेट में एचसीआई से प्रभावित होता है।
- दांतों की सड़न में पीएच : दाँत क्षय तब होता है जब दाँत पीएच 5.5 और नीचे के अम्लीय वातावरण के संपर्क में आते हैं।
- जानवरों और पौधों द्वारा आत्मरक्षा का पीएच : अम्लीय पदार्थों का उपयोग जानवरों और पौधों द्वारा आत्मरक्षा तंत्र के रूप में किया जाता है। उदाहरण के लिए, मधुमक्खी और बिछुआ जैसे पौधे आत्मरक्षा के लिए अत्यधिक अम्लीय पदार्थ का स्राव करते हैं। इन स्रावित अम्लीय पदार्थों का एक विशिष्ट पीएच होता है। अम्ल, क्षारक एवं लवण
# लवण
लवण एक अम्ल के ऋणायन और एक क्षार के धनायन का संयोजन होता है। उदाहरण – KCI, NaNO3, CaSO4, आदि।
लवण आमतौर पर एक अम्ल और एक क्षार की उदासीनीकरण प्रतिक्रिया द्वारा तैयार किए जाते हैं।
लवण का पीएच :-
- प्रबल अम्ल और प्रबल क्षार के लवण की प्रकृति उदासीन होगी। PH = 7(लगभग।)
- दुर्बल अम्ल और प्रबल क्षार के लवण की प्रकृति क्षारीय होगी। Ph> 7
- प्रबल अम्ल और दुर्बल क्षार के लवण की प्रकृति अम्लीय होगी। PH <7
कुछ उपयोगी लवण :-
(i) सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक, NaCl) :- सोडियम हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की आभिक्रिया से सोडियम क्लोराइड प्राप्त होता है | NaOH + HCl → NaCl + H2O
(ii) सोडियम हाइड्रॉक्साइड ( कॉस्टिक सोडा, NaOH ) :– सोडियम हाइड्रॉक्साइड को क्लोर-ऐल्कली विधि द्वारा बनाया जाता है इस विधि में सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन का विधुत अपघटन करा कर सोडियम तथा क्लोरीन को अलग-अलग प्राप्त किया जाता है फिर सोडियम धातु को जल से अभिक्रिया करा कर सोडियम हाइड्रॉक्साइड प्राप्त किया जाता है।
2Nacl → 2Na + Cl2
2Na + 2H2 O → 2NaOH +H2
सोडियम हाइड्रॉक्साइड के उपयोग :–
- साबुन तथा अपमार्जक बनाने में
- कागज बनाने में
- प्रयोगशाला में अभिकार्मक के रूप में
हाइड्रोजन गैस के उपयोग :–
- वनस्पति तेल का हाइड्रोजनीकरण कर उन्हें वनस्पति ही में परिणत करने में
- हैबर विधि द्वारा अमोनिया बनाने में
क्लोरीन गैस का उपयोग :–
- कपड़ो एवं कागज को विरंजित करने में
- कीटाणु नाशक होने के कारण पेय जल को करने में
- विरंजक चूर्ण बनाने में
(iii) सोडियम बाइकर्बोंनेट या सोडियम हाइड्रोजन कार्बोंनेट (खाने का सोडा, NaHCO3) :- सोडियम बाइकर्बोंनेट को अमोनिया सोडा विधि या साल्वे विधि द्वारा तैयार किया जाता है आमानया सोडा विधि या साल्वे विधि में अमोनिया गैस से संतृप्त जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करने के फलस्वरूप सोडियम बाइकार्बोंनेट प्राप्त होता है |
NaCl + H2O + CO2 + NH3 → NH4Cl + NaHCO3+ HCl
सोडियम बाइकर्बोंनेट के उपयोग :–
- पावरोटी को स्पंजी या मुलायम बनाने में
- पेट की अम्लीयता कम करने की औषधि के रूप में
- अग्निशामक यंत्रों में
- रसोईघर में खाने के सोडा का उपयोग खस्ता व्यंजन बनाने के लिए
(iv) सोडियम कार्बोंनेट या धोने के सोडा (Na2CO3⋅10H2O) :- सोडियम कार्बोंनेट को अमोनिया-सोडा विधि या साल्वे विधि से तैयार किया जाता है | अमोनिया-सोडा विधि या साल्वे विधि में अमोनिया गैस से संतृप्त सोडियम क्लोराइड के संतृप्त जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करनें पर सोडियम बाइकर्बोंनेट प्राप्त होता है |
NaCl + H2O + CO2 + NH3 → NH4Cl + NaHCO3+ HCl
सोडियम बाइकर्बोंनेट को गर्म करके सोडियम कार्बोंनेट प्राप्त किया जाता है
सोडियम कार्बोंनेट के उपयोग :–
- कपड़ा धोने में
- काँच, कागज साबुन आदि के उत्पादन में
- जल का स्थायी करापन दूर करने में
- प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में
- विरंजक चूर्ण [ CaOCl2 ब्लीचिंग पाउडर
(v) प्लास्टर ऑफ पेरिस [(CaSO4 )2⋅H2O] या कैल्सियम सल्फेट हेमिहाइड्रेट (CaSO4 ⋅ H2O ) :– जिप्सम को 120° C तक सावधानीपूर्वक गर्म करने के फलस्वरूप प्लास्टर ऑफ पेरिस बनता है |
प्लास्टर ऑफ पेरिस के उपयोग :–
- मूर्ति बनाने में
- टूटी हुई हडियों को बैठने एवं जोड़ने में पटियों के रूप में
अम्ल, क्षारक एवं लवण