Bihar board class 12th political science chapter 4
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions) 1. मैकमोहन रेखा क्या है? [2013A]
भारत एवं चीन की सीमा रेखा को मैकमोहन रेखा कहते हैं। यह रेखा 1914 ई० में शिमला में निर्धारित की गयी थी। इसकी उतरी पूर्वी सीमा की लंबाई 4224 किमी० है।
class 12th political science chapter 4 2. 1954 में हुए भारत-चीन संधि की विशेषता बताइए। [2015A)
1954 में भारत चीन संधि की विशेषता- भारत का पड़ोसी एक शक्तिशाली देश चीन है, जो संयुक्त राष्ट्रसंघ में स्थायी सदस्य भी है। चीन के साथ हमारे देश की मित्रता एवं मधुर संबंध बनाए रखना राष्ट्र के उज्वल भविष्य के लिए अच्छा संकेत माना जाता है। इसी उद्देश्य से 1954 ई० के जून महीने में चीनी प्रधानमंत्री “चाऊ एन लाई” भारत की यात्रा पर आए एवं भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने चीन की यात्रा की। उसी समय यह नारा दिया गया “हिंदी-चीनी भाई-भाई। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर चले सैन्य विवाद को समाप्त कर दिया गया। दोनों देशों के बीच मित्रता एवं व्यापार की संधि हुई, जिसकी प्रस्तावना में पाँच बिंदु रखे गए, जिसे पंचशील कहा गया। जो इस प्रकार है-
(i) एक-दूसरे की प्रादेशिक अखण्डता व प्रभुसत्ता का आदर करना
(ii) किसी पर आक्रमण न करना
(iii) एक-दूसरे के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप न करना
(iv) समानता व परस्पर लाभ तथा
(v) शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व।
class 12th political science chapter 4 3. भारत-पाक संबंध पर एक टिप्पणी लिखें। (2025A,2014,2017A)
14 अगस्त, 1947 तक पाकिस्तान का भू-भाग भारत का अभिन्न अंग था। लेकिन ब्रिटिश कूटनीति और मुस्लिम लीग की हठधर्मिता के कारण उसी दिन 1947 में पाकिस्तान एक अलग राज्य के रूप में स्थापित हो गया। अपने जन्मकाल से लेकर आज तक पाकिस्तान भारत के प्रति तनावपूर्ण रवैया अपनाता रहा है। चाहे वह कश्मीर की समस्या हो, भारत-पाक के संबंधों को सुधारने के लिए कई समझौते हुए जिसमें शिमला का समझौता आदि शामिल है। फिर भी पाकिस्तान अपनी रवैया का त्याग नहीं कर रहा है। पिछले कुछ समय से दोनों देशों के नेताओं में हुई वार्ता के फलस्वरूप भारत-पाक संबंधों में फिर सुधार आता दिखाई दे रहा है। पाक अधिकृत कश्मीर सहित भारत के कई स्थानों से पाकिस्तान के कई नगरों तक सीधी बस सेवा अप्रैल, 2005 से प्रारंभ होने का प्रस्तावित योजना इसका उदाहरण है।
class 12th political science chapter 4 4. भारत की परमाण्विक नीति के मुख्य सिद्धांत क्या हैं? [2020A)
भारत ने 2003 में परमाण्विक नीति को अंगीकार किया था। इस नीति के अनुसार भारत किसी भी देश पर परमाणु हमला तब तक नहीं करेगा जबकि वह देश भारत पर हमला नहीं कर देता है। भारत द्वारा मई 1974 में एवं मई 1998 में परमाणु परीक्षण किया था जिसके कारण विश्व समुदाय ने भारत के ऊपर कई तरह के प्रतिबन्ध लगाये थे इसी कारण भारत विश्व समुदाय से कहा था भारत एक जिम्मेदार देश है और वह अपने परमाणु हथियारों का किसी देश के खिलाफ पहले इस्तेमाल नहीं करेगा।
5. भारतीय विदेश नीति के तीन या चार अनिवार्य कारक बताइये। (2021A)
भारतीय विदेश नीति के अनिवार्य कारक (तत्व) है- (i) भौगोलिक स्थिति, (ii) इतिहास, (iii) परंपराएँ, (iv) संस्कृति, (v) आर्थिक विकास का स्तर, (vi) सैनिक बल और (vii) अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियाँ आदि।
class 12th political science chapter 4 6. कारगिल युद्ध के कारण बतायें। (2022A)
1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुई युद्ध को कारगिल युद्ध के नाम से जाना जाता है। कारगिल युद्ध के निम्नलिखित कारण थे-
(i) कारगिल की ऊँची पहाड़ियों पर पाकिस्तान के सैनिकों द्वारा कब्जा किया जाना
(ii) नियंत्रण रेखा के जरिये घुसपैठ करने की साजिश।
(iii) भारतीय नियंत्रण रेखा से पाकिस्तानी सैनिकों को हटाने आदि कारणों से कारगिल युद्ध हुआ।
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7. भारत की विदेश नीति के दो सैद्धान्तिक आधार लिखें। [2022A)
भारतीय विदेश नीति के मुख्य सैद्धांतिक आधार हैं-
(i) अंतर्राष्ट्रीय शाति और सुरक्षा बनाए रखना
(ii) साम्राज्यवाद का विरोध करना
(iii) रंगभेद नीति के खिलाफ खड़ा होना
(iv) अंतर्राष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण और राजनीतिक समाधान का प्रचार करना।
class 12th political science chapter 4 8. तिब्बत का पठार भारत और चीन के बीच तनाव का मुद्दा कैसे बना? (2022A)
बौद्ध धर्म के लोग ‘तिब्बत को संसार की छत’ और वहाँ के धर्मगुरु दलाई लामा को जीवित ईश्वर के तौर पर मानते हैं। 1951 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया और तिब्बत के एक शिष्टमंडल से एक संधि पर जबरन हस्ताक्षर करवा लिया जिसके अधीन तिब्बत की सम्प्रभुता चीन के अंतर्गत आ गया। तिब्बत के धार्मिक गुरु दलाई लामा भाग कर भारत आ गये जहाँ भारत ने उन्हें शरण भी दिया। चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया और उसे बाहरी दुनिया से बिलकुल काट दिया। जिससे तिब्बत की भाषा, संस्कृति, धर्म और परंपरा पर संकट आ गया। जिसका भारत ने विरोध किया। इन्हीं कारणों से भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ा।
भारत-पाक के मध्य हुआ समझौता शिमला समझौता कहलाता है। युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान के संबंधों को सामान्य बनाने के लि 3 जुलाई, 1972 को दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच शिमला में समझौता हुआ। दोनों देशों ने निम्न करार किया-
(i) दोनों देशों ने एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखण्डता एवं राजनैतिक स्वतं के विरुद्ध धमकी न देने या हथियारों के प्रयोग न करने की चक वद्धता की।
(ii) दोनों देश आपसी मतभेद शांतिपूर्ण तरीके से करेंगे।
(iii) दोनों देश आपसी द्वि-पक्षीय संबंधों को बताने हेतु-
class 12th political science chapter 4 10. सहयोगी संघवाद क्या है? [2024A)
दो या दो से अधिक स्वतंत्र राष्ट्रों को साथ लाकर एक बड़ी इकाई गठित कान सहयोगी संघवाद कहलाता है। इसमें दोनों स्वतंत्र राष्ट्र अपनी खुशहाली बढ़ाने का रास्ता अख्यितार करते हैं। इस व्यवस्था वाले देश में आम तौर पर प्रांतों के समान अधिकार होता है और वे केन्द्र के बरवक्स ज्यादा ताकतवर होते हैं।
class 12th political science chapter 4 subjective 11. असम समझौता क्या है? (2025A)
असम समझौता 1985 में केंद्र सरकार, असम सरकार और असम आंदोलन के नेताओं के बीच किया गया एक समझौता था। इसका उद्देश्य बांग्लादेश से अवैध रूप से आने वाले प्रवासियों को रोकना और असम के लोगों में सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक पहचान की रक्षा करना था।
class 12th political science chapter 4 12. पंचशील के सूत्रों की चर्चा करें। [2025A]
पंचशील के पाँच प्रमुख सिद्धांत हैं-
(i) एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान
(ii) एक-दूसरे पर हमला न करना
(iii) एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना
(iv) बराबरी और पारस्परिक लाभ
(v) शातिपूर्ण सह-अस्तित्व
class 12th political science chapter 4 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
1. भारत-चीन संबंध पर टिप्पणी लिखें। (2013A)
भारत और चीन दोनों ही एशिया के महान देश हैं, जिनकी सभ्यताएँ पुरानी हैं। दोनों एक दूसरे के करीब हैं। पिछली शताब्दी में दोनों ने एक ही साथ राजनीतिक परिवर्तन को देखा। 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ तो चीन 1949 में साम्यवादी व्यवस्था के रूप में उदित हुआ। भारत को चीन के इस परिवर्तन से काफी उम्मीद थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ‘हिन्दी-चीनी-भाई-भाई’ एवं पंचशील समझौते के साथ दोनों देशों के बीच संबंधों की नींव रखी, किन्तु कुछ ही दिनों के बाद चीन ने भारत के साथ विश्वासघात किया। अपनी प्रसारवादी नीति के आधार पर तिब्बत पर नियंत्रण स्थापित किय तथा भारत के भूखण्ड पर अपना दावा किया। अन्ततः 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया। इसमें भारत को शर्मनाक हार का सामन करना पड़ा तथा भारत का एक बड़ा भू-भाग चीन के कब्जे में हो गया। उस समय से दोनों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं। वार्तायें होती हैं किन्तु समाधान को उम्मीद नहीं की जाती।
नेपाल में वह माओवादियों के नाम पर भारत विरोधी वातावरण का निर्माण कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का चीन विरोध करता है, जबकि भारत चीन को वास्तविक चीन के प्रतिनिधि के रूप में सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए मदद कर चुका है। आतंकवाद, परमाणु कार्यक्रम आदि में चीन खुलेआम पाकिस्तान की मदद करता रहा है। इस प्रकार भारत-चीन के संबंधों में आने वाले परिवर्तनों की संभावना नहीं दीख रही है।
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2. भारत के पड़ोसी देशों के साथ सम्बंधों का विवेचन करें। (2015A]
अपने पड़ोसी देशों के साथ सुनिश्चित आधार पर संबंध स्थापित करना प्रत्येक राज्य की प्रथम आवश्यकता होती है। पड़ोसी राज्यों से मैत्रीपूर्ण संबंध सैनिक दृष्टि से समर्थ राज्यों के लिए भी आवश्यक हो जाते हैं। यदि अपने पड़ोसी देशों से मधुर संबंध रहे तो संबंधित राज्य मानसिक चिन्ताओं और तनाव के वातावरण से मुक्त होकर अपने साधनों का अधिकांश विकास संबंधी कार्यों में लगा सकता है। भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, म्यांमार, श्रीलंका और बांग्लादेश मुख्य हैं। पाकिस्तान और चीन को छोड़कर भारत के संबंध अन्य सभी पड़ोसी राज्यों से मधुर रहे हैं। भारत ने हमेशा नेपाल, भूटान, बांग्लादेश तथा अन्य पड़ोसी देशों के विकास में पर्याप्त योगदान दिया है। कभी कभार इन पड़ोसी देशों से संबंध बिगाड़ने का प्रयास बाह्य शक्तियाँ करती रही हैं।अटल बिहारी वाजपेयी के शब्दों में, “भारत अपने पड़ोसी के साथ शांति और मित्रता से रहना चाहता है। आकार और जनसंख्या बड़े होने पर भी वह छोटे देशों के साथ समानता के आधार पर सहयोग करना चाहता है। 3. पंचशील के पाँच सिद्धांतों का प्रतिपादन भी भारत की शांतिप्रियता का द्योतक है। 1954 के बाद से भारत की विदेश नीति को पंचशील के सिद्धांतों ने एक नयी दिशा प्रदान की। पंचशील से अभिप्राय है- आचरण के पाँच सिद्धांत जिस प्रकार बौद्ध धर्म में ये व्रत एक व्यक्ति के लिए होते हैं उसी प्रकार आधुनिक पंचशील के सिद्धांतों द्वारा राष्ट्रों के लिए दूसरे के साथ आचरण के संबंध निश्चित किये गये। ये सिद्धांत निम्नलिखित हैं-(i) एक-दूसरे की प्रादेशिक अखण्डता और सर्वोच्च सत्ता के लिए पारस्परिक सम्मान की भावना, (ii) अनाक्रमण, (iii) एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना, (iv) समानता एवं पारस्परिक लाभ तथा (v) शांति-पूर्ण सह-अस्तित्व।
3. पंचशील क्या है? इसके सूत्रों का वर्णन करें। (2013A,2015A, 2016A,2017A,2020A]
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पंचशील के इन सिद्धांतों का प्रतिपादन सर्वप्रथम 29 अप्रैल 1954 को तिब्बत के संबंध में भारत और चीन के बीच हुए एक समझौते में किया गया था। 28 जून 1954 को चीन के प्रधानमंत्री चाऊ-एन-लाई तथा भारत के प्रधानमंत्री नेहरू ने पंचशील में अपने विश्वास को दोहराया। एशिया के प्रायः सभी देशों ने पंचशील के सिद्धांत को स्वीकार कर लिया। अप्रैल 1955 में बाण्डंग सम्मेलन में इन पंचशील के सिद्धांतों को पुनः विस्तृत रूप दिया गया। बाण्डुंग सम्मेलन के बाद विश्व के अधिसंख्य राष्ट्रों ने पंचशील सिद्धांत को मान्यता दी और उसमें आस्था प्रकट की। इस प्रकार पंचशील को संपूर्ण विश्व की मान्यता प्राप्त हो गयी। पंचशील के सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिए निःसंदेह आदर्श भूमिका का निर्माण करते हैं।
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4. भारत की विदेश नीति का वर्णन करें। (2025A,2017A,2020A] अथवा, भारतीय विदेश नीति के मुख्य आधार क्या है?
भारत की विदेश नीति की प्रमुख आधार (i) गुट निरपेक्षता (Non-alignment)- दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात् विश्व दो गुटों में विभाजित हो गया। इसमें से एक पश्चिमी देशों का गुट था और दूसरा साम्यवादी देशों का। दोनों महाशक्तियों ने भारत को अपने पीछे लगाने के काफी प्रयास किए, परंतु भारत ने दोनों ही प्रकार के सैनिक गुटों से अलग रहने का निश्चय किया और तय किया कि वह किसी सैनिक गठबन्धन का सदस्य नहीं बनेगा, स्वतंत्र विदेश नीति अपनाएगा तथा प्रत्येक राष्ट्रीय महत्त्व के प्रश्न पर स्वतंत्र तथा निष्पक्ष रूप से विचार करेगा। (ii) उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद का विरोध (Opposition of colonialism and Imperialism) – साम्राज्यवादी देश दूसरे देशों की स्वतंत्रता का अपहरण करके उनका शोषण करते हैं। संघर्ष और युद्धों का सबसे बड़ा कारण साम्राज्यवाद है। भारत स्वयं साम्राज्यवादी शोषण का शिकार रहा है। द्वितीय महायुद्ध के बाद एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमेरिका के अधिकांश राष्ट्र स्वतंत्र हो गए। पर साम्राज्यवाद का अभी पूर्ण विनाश नहीं हो पाया है। भारत ने एशियाई और अफ्रीकी देशों की एकता का स्वागत किया है। (iii) अन्य देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध (Friendly relation with other countries) – भारत की विदेश नीति की अन्य विशेषता यह है कि भारत विश्व के अन्य देशों से अच्छे संबंध बनाने के लिए सदैव तैयार रहता है। भारत ने न केवल मित्रतापूर्ण संबंध एशिया के देशों से ही बढ़ाए हैं बल्कि उसने विश्व के अन्य देशों से भी संबंध बनाए हैं। भारत के नेताओं ने कई बार स्पष्ट घोषणा की है कि भारत सभी देशों से मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करना चाहता है। (iv) पंचशील और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व (Panchsheel and peaceful coexistence) पंचशील का अर्थ है पाँच सिद्धांत। ये सिद्धांत हमारी विदेश नीति के मूल आधार हैं। इन पाँच सिद्धांतों के लिए “पंचशील” शब्द का प्रयोग सबसे पहले 24 अप्रैल 1954 ई० को किया गया था। ये ऐसे सिद्धांत हैं कि यदि इन पर विश्व के सब देश चलें तो विश्व में शांति स्थापित हो सकती है।
5. भारत की परमाणु नीति के क्या उद्देश्य है? (2022A)
भारत परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों में गीना जाता है। वर्ष 2003 में भारत ने परमाणु नीति को अपनाया। भारत की परमाणु नीति का मुख्य उद्देश्य हैं-
(1) पहले उपयोग नहीं करना अर्थात् भारत किसी देश पर परमाणु हमला तब तक नहीं करेगा जब तक शत्रु देश भारत के ऊपर हमला नहीं करेगा। (ii)परमाणु नीति को मजबूत बनाना। जिससे की दुश्मन के मन में भय हमेशा बना रहे।
(iii) दुश्मन देश पर जबरदस्त ढंग से हमला करना ताकि दुश्मन देश इस हमले से उबर नहीं पाये।
(iv) लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए परमाणु हमले की कार्यवाही के अधिकार सिर्फ जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि को ही होगी हलांकि परमाणु कमांडो अथॉरिटी का सहयोग जरूरी होगा।
(v) परमाणु रहित देशों के खिलाफ सद्भावना रखना। अर्थात् जिन देशों के पास परमाणु हथियार नहीं है उनके खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करना।
class 12th political science chapter 4 6. समकालीन विश्व में भारत की विदेश नीति के निर्धारक तत्व बतायें। [2023A]
विदेश नीति प्रत्येक देश की वह योजना है जिसके अन्तर्गत राष्ट्र अपने हितों एवं अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। भारतीय विदेश नीति के निर्धारक तत्वों में उन तत्वों को सम्मिलित किया गया है जो विदेश नीति की योजना बनाने में सहायक सिद्ध हुए हैं जो निम्न प्रकार हैं-
(i) जनसंख्या-जनसंख्या विदेश नीति का मुख्य तत्व होता है। जनसंख्या के अनुसार ही बाजार व्यवस्था निर्धारित होती है।
(ii) भूमि का क्षेत्र भौगोलिक क्षेत्र देश्ख को मजबुती प्रदान करने का कार्य करता है। यह किसी राष्ट्र के विदेश नीति का क्रियान्वयन में उसका सहायक तत्व होता है।
(iii) आर्थिक एवं सैन्य शक्ति जो देश जितना विकसित होता है उसकी नीति या उसके आदेश का पालन सभी भली-भांति तरीके से मानते हैं। इसलिए भारतीय विदेश नीति के निर्धारण में आर्थिक एवं सैन्य शक्ति को विशेष महत्व दिया गया है।
(iv) शासन प्रणाली-भारत में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली है जो विश्व के कई देशों को भारतीय विचारधारा स्वीकार करने हेतु प्रेरित करता है।
(v) संस्कृति-भारतीय विदेश नीति में बुद्ध तथा गाँधी के आदशों के साथ कौटिल्य का शक्तिशाली राजा का सिद्धान्त भारत का पथ प्रदर्शन करता है।
(vi) वैश्विक वातावरण वैश्विक के उपरांत जब सम्पूर्ण विश्व एक दूसरे से जुड़ गया। ऐसे में वैश्विक काल भी विदेश नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण हो गए हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद आज कई मायनों में विश्व व्यवस्था बदल चुकी है जिसे ध्यान में रखकर भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार हेतु प्रयास करता है।
आज की भारत की विदेश नीति में ये अवयव विद्यमान है परन्तु ये तत्व निरंतर परिवर्तित होते हैं। आधुनिक समय में राष्ट्र हित को ध्यान में रखकर नीतियों का निर्धारण आवश्यक है।
class 12th political science chapter 4 7. भारत की विदेश नीति के निर्माण में पं० नेहरू की भूमिका स्पष्ट कीजिए। (2024A)
भारत की विदेश नीति के निर्माण में पं० जवाहरलाल नेहरू की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। वे अंतरिम सरकार में विदेश मंत्री भी थे। वे साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद और फासिस्टवाद के प्रबल विरोधी थे, जिसकी छाप विदेश नीति पर स्पष्ट दिखती है। संविधान सभा में पं० नेहरू ने अभिभाषण में कहा था- “किसी भी देश की विदेश नीति की आधारशिला उसके राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा होती है और भारत की विदेश नीति का भी ध्येय यही है।” भारत ने तत्कालीन गुटबंदी से अलग गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई। गुटबंदी से अलग रहने के कारण उसे दोनों ही गुटों से आर्थिक व तकनीकी सहायता मिलती रही क्योंकि कोई भी गुट नहीं चाहता था भारत दूसरे गुट के प्रभाव क्षेत्र में आ जाए। भारत ने पंचशील सिद्धांत अपनाए- (i) एक-दूसरे की अखण्डता और प्रभुसत्ता को बनाए रखना। (ii) एक-दूसरे पर आक्रमण न करना। (iii) एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना। (iv) शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के सिद्धांत को मानना। (v) आपस में समानता और मित्रता की भावना को बनाए रखना।