Bihar board class 12th Poilitcal Science chapter 3

Bihar board class 12th Poilitcal Science chapter 3

1. योजना आयोग के क्या कार्य हैं?

(2013A)

 योजना आयोग के निम्नलिखित कार्य है

(i) पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण करना

(ii) स्रोतों का अवलोकन करना

(iii) योजनाओं की प्राथमिकता निश्चित करना

(iv) योजनाओं के लक्ष्यों को प्राप्त करना

(v) योजनाओं के बीच में प्रगति प्राप्त करना व मूल्यांकन करना

(vi) योजनाओं की प्रक्रिया में आने वाली बाधाओं को दूर करना

(vii) विभिन्न प्रकार की सलाह प्रदान करना

था?

12th Political Science chapter 3

2. प्रथम पंचवर्षीय योजना के क्या उद्देश्य थे ?

[2013A)

 प्रथम पंचवर्षीय योजना का समय 1951 से 1956 तक का था। खाद्य के क्षेत्र में अत्यधिक अभाव था। देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार खेती को ही माना जाता था। देश का अधिकांश भाग ग्रामों में था जो कि खेती पर निर्भर रहते थे अतः कृषि के विकास को ही प्रथम पंचवर्षीय योजना में प्राथमिकता मिली। इसी योजना में बाँध निर्माण और सिंचाई के क्षेत्र में निवेश किया गया। इन सभी का उद्देश्य सिंचाई के साधन को बढ़ाकर कृषि के क्षेत्र में पैदावार बढ़ाना था।

3. ‘नियोजन द्वारा विकास’ संबंधी नेहरू के विचारों के उद्देश्य क्या थे

? /2015A/

. “नियोजन द्वारा विकास” संबंधी नेहरू के विचारों का उद्देश्य-नेहरू समाजवादी विचारधारा से प्रभावित थे। उन्होंने नियोजन के द्वारा देश के विकास का रास्ता चुना। इसके पीछे मुख्य ध्येय थे-

(i) आर्थिक क्षेत्र में राज्य के प्रतिबंधों को बढ़ाना।

(ii) विदेशी पूँजी व तकनीकी के प्रवेश पर रोक लगाना।

(iii) निजी क्षेत्र को निर्यात्रत करके सार्वजनिक क्षेत्र को प्रोत्साहन देना।

(iv) मिश्रित अर्थव्यवस्था का प्रतिमान स्थापित करना।

(v) यदि आवश्यक हो तो जनहित में कानून की शक्ति से तथा उचित मुआवजा देकर निजी सम्पत्ति का राष्ट्रीयकरण करना।

9A

12th Political Science chapter 3

4. आदेशित अर्थव्यवस्था और मिश्रित अर्थव्यवस्था में अंतर बताइए।

[20/5A]

आदेशित अर्थव्यवस्था सोवियत संघ जैसे समाजवादी राज्य में सारे अर्थव्यवस्था

पर उसका एकमात्र आदेशित अर्थव्यवस्था प्रभुत्व स्थापित हो गया, निजी अर्थव्यवस्था वर्जित कर दी गई। मिश्रित अर्थव्यवस्था राज्य के कठोर नियंत्रण के अधीन निजी अर्थव्यवस्था बनी रहती है। सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के उद्यमों के बीच प्रतियोगिता और सहयोग भी होते हैं।

12th Political Science chapter 3

5. विकास संबंधी नेहरू एवं गाँधी के विचारों में अंतर स्पष्ट करें।

(2015A)

 गाँधीजी के विकास प्रतिमान में भौतिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक व सांस्कृतिक स्तरों पर भी विकास पर जोर दिया गया है। कुटीर उद्योग धंधे के महत्त्व को समझा गया। भारी स्तर पर औद्योगिकरण न हो, क्योंकि इससे बेकारी बढ़ेगी, कृषि के विकास को सार्वजनिक महत्त्व दिया गया है। इसके विपरीत नेहरू ने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विकास को कोई स्थान नहीं दिया है। सारा जोर भारी औद्योगिकरण पर है। मिश्रित अर्थव्यवस्था की प्रशंसा की गई है।

6. योजना अवकाश का अर्थ बताइए।

[2015A.2016A)

 तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-66) के बाद क्रम में व्यवधान पड़ गया। इसलिए (01) एक वर्षीय योजनाएँ बनी, जिन्होंने 1966-67, 1967-68 तथा 1968-69 के अवधि को लिया। चौथी पंचवर्षीय योजना 1969-1974 तक चली। तीन वर्ष की अवधि में (03) तीन वार्षिक योजनाएँ आयीं। पंचवर्षीय योजनाओं का क्रम ही टूट गया। इसी को योजना अवकाश का नाम दिया गया।

12th Political Science chapter 3

7. पंचवर्षीय योजना क्या है?

[2016A/

. पंचवर्षीय योजना द्वारा विचार किए गए विकास के नमूने की प्रमुख विशेषताओं का मुख्य उद्देश्य पोषणकारी आर्थिक विकास के लिए एक स्वस्थ बुनियाद प्रदान करना, लाभदायक रोजगार के लिए बढ़ते हुए अवसर तथा जनता के लिए जीवन स्तर तथा श्रम की शर्तों को सुधारना है।

पंचवर्षीय योजनाएँ व्यक्तिगत पहल, सहकारी तथा संयुक्त प्रयत्नों के विषय क्षेत्र को विस्तृत करती है। आर्थिक तत्त्य को अवश्य ही अधिक महत्त्व देना होगा, परंतु सामाजिक क्षेत्र के कुछ पहलुओं की हम उपेक्षा नहीं कर सकते।

इस प्रकार पंचवर्षीय योजना विकास की एक कड़ी है।

8. श्वेत क्रांति से क्या तात्पर्य है?

(2013A. 2017A)

श्वेत क्रांति का सम्बंध दूध उत्पादन आन्दोलन से है। गुजरात के आणंद (आनन्द) नामक शहर में सहकारी दूध उत्पादन “अमूल” अवस्थित है। अमूल से गुजरात के करीब 25 लाख दूध उत्पादकों ने अपने को जोड़कर श्वेत क्रांति. को आगे बढ़ाया। ग्रामीण विकास एवं गरीबी उन्मूलन की दृष्टि से अमूल नाग का यह सहकारी आन्दोलन देश के लिए एक अनूठा और कारगर मॉडल है।

9. हरित क्रांति पर टिप्पणी लिखें।

[2013A,2019A]

भारत में हरित क्रांति की शुरुआत 1967-68 में किया गया। भारत में एम० एस० स्वामीनाथन को इसका जनक माना जाता है। हरित क्रांति का अभिप्राय देश में सिंचित एवं असिंचित कृषि क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाले संकर तथा बौने बीजों के उपयोग से फसल के उत्पादन में वृद्धि करना है। हरित क्रांति के फलस्वरूप गेहूँ, गन्ना, मक्का तथा बाजरा आदि फसलों में प्रति हेक्टेयर उत्पादन एवं कुल उत्पादकता में काफी वृद्धि हुई।

अथवा, हरित क्रांति क्या है?

[2017A]

10. आर्थिक न्याय से आप क्या समझते हैं?

(20241, 20148.20208.2021A)

 आर्थिक न्याय का अर्थ नागरिक को धन प्राप्त करने और उसका जीवन में प्रयोग करने के समान अवसर देने से है। इसमें यह भी निहित है कि जो व्यक्ति असहाय है, वृद्ध या बेकार है या धन प्राप्त नहीं कर सकता। समाज को उनकी मदद करनी चाहिए।

11. साम्यवादी अर्थव्यवस्था एवं पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में क्या अंतर है?

(2021A)

1. साम्यवादी अर्थव्यवस्था और पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में निम्नलिखित अंतर है

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साम्यवादी अर्थव्यवस्था

पूँजीवादी अर्थव्यवस्था

(i) इसमें उत्पादन, आपूर्ति और कीमत सबका निर्णय सरकार द्वारा लिया जाता है।

(i) इसमें उत्पादन, आपूर्ति और सबका निर्णय बाजार द्वारा होती है।

(ii) सभी सम्पत्तियों पर सरकार का नियंत्रण रहता है।

(ii) सभी सम्पत्तियों पर निजी उद्यमी का नियंत्रण रहता है।

(iii) उत्पादन का लाभ जनता के बीच वितरित होती है।

(iii) उत्पादन का लाभ निजी पूँजीपति को मिलता है।

12. बंदी प्रत्यक्षीकरण क्या है?

(2021A)

. बंदी प्रत्यक्षीकरण एक प्रकार का कानूनी आज्ञापत्र होता है। जिसका अर्थ है शरीर सामने पेश करो। इस द्वारा न्यायालय बंदी बनाने वाले अधिकारियों को यह आदेश देता है कि बंदी बनाए गए व्यक्ति को निश्चित तिथि और स्थान पर न्यायालय में उपस्थित किया जाए, जिससे न्यायालय यह निर्णय कर सके कि किसी व्यक्ति को बंदी बनाए जाने का कारण वैध है या अवैध।

13. सामाजिक न्याय क्या है?

[2014A, 2018A, 2019A,2022A)

. सामाजिक असमानताओं को समाप्त करके सामाजिक क्षेत्र में हर एक आदमी को समान अवसर देना सामाजिक न्याय है। अर्थात् समाज में सभी व्यक्ति समान समझा जाना चाहिए और सबको अपने जीवन के विकास के लिए समान अवसर मिलना चाहिए। व्यक्तियों के बीच उनके सामाजिक

स्तर को लेकर ऊँच-नीच आदि की भावनाएँ नहीं देनी चाहिए।

14. हरित क्रांति के किन्हीं दो सकारात्मक परिणाम लिखें।

(20224)

. (i) हरित क्रांति से भारतीय पारंपरिक कृषि का स्वरूप बदल गया और आधुनिक कृषि के रूप में विश्व स्तर पर भारतीय कृषि में वृद्धि हो रही थी।

(ii) हरित क्रांति से गेहूँ के उत्पादन में काफी वृद्धि हुई थी और पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश जैसे-राज्य कृषि की दृष्टि से सम्पन्न हुए थे।

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15. विकास के दो मॉडल कौन से हैं? भारत के द्वारा विकास का कौन-सा मॉडल अपनाया गया?

(2022A)

15. विकास के दो मॉडल है- 1. उदारवादी पूँजीवादी मॉडल 2. समाजवादी मॉडल।

भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था के मॉडल को अपनाया गया है। जिसमें उदारवादी-पूंजीवादी मॉडल और समाजवादी मॉडल दोनों के क्षेत्र आते हैं। औद्योगीकरण और कृषि दोनों को समान रूप से महत्त्व देने का निर्णय लिया गया।

2A/

वीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

1. राजनीतिक न्याय क्या है?

(2014A)

1. राजनीति न्याय का अर्थ है कि राज्य की राजनीतिक व्यवस्था और प्रक्रिया में किसी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं हो और सबको उसमें भाग लेने की स्वतंत्रता एवं समान अवसर प्राप्त हो। इस कारण लोकतंत्र राजनीतिक न्याय के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है और अधिनायकवाद को राजनीतिक न्याय का विलोम कहा जाता है। राजनीतिक न्याय के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-

(i) शासनप्रणाली का प्रतिनिधिमूलक होना

(ii) सब वयस्कों को मताधिकार प्राप्त होना

(iii) नियमानुसार निष्पक्ष चुनाव होना

(iv) चुनावों में सभी नागरिकों को प्रत्याशी बनाने का अधिकार होना

(v) राज्य के सर्वाधिक पदों पर सभी नागरिकों को चुने जाने, नियुक्त

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2. हरित क्रांति के दो सकारात्मक एवं दो नकारात्मक परिणामों का वर्णन करें।

2A/

. सामान्य तौर पर क्रांति शब्द का प्रयोग राजनीतिक संदर्भों में किया जाता है। भारत को 1965-67 के बीच खाद्यान्न के क्षेत्र में गंभीर संकट का सामना करना पड़ा। 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान अमेरिका ने भारत के लिए अन्न निर्यात पर रोक लगाई तथा 1966 में भारत को अकाल के कारण गंभीर संकट का सामना करना पड़ा। इस स्थिति में कृषि क्षेत्र में एक नई रणनीति अपनाने की आवश्यकता महसूस होने लगी। इस क्रांति के मुख्य जनक एम० एस० स्वामीनाथन रहे हैं। भारत में हरित क्रांति के द्वारा कृषि क्षेत्र में नई तकनीकी के उपयोग पर बल दिया जाने लगा। उच्च गुणवत्ता के बीच उर्वरक, कीटनाशक आदि के प्रयोग पर जोर दिया गया। विद्युत और डीजल पम्पसेट, ट्रैक्टर, थ्रेसर, मशीन आदि के उपयोग में किसानों ने काफी दिलचस्पी दिखलाई। परिणामस्वरूप भारत में हरित क्रांति को अपेक्षित सफलता मिली।

सकारात्मक पहलू – हरित क्रांति के निम्नलिखित सकारात्मक पहलू बतलाये

जा सकते हैं-

(i) हरित क्रांति के कारण खाद्यान्न उत्पादन में गुणात्मक वृद्धि हुई। अन्न के मामले में भारत आत्मनिर्भर हो गया।

(ii) हरित क्रांति के कारण कृषि व्यवसाय भी लाभदायक समझा जाने लगा। किसानों को सम्मानजनक ढंग से देखा जाने लगा तथा पड़े लिखे लोग भी कृषि कार्य के लिए प्रेरित हुए। नकारात्मक पहलू -उपर्युक्त सकारात्मक पहलू के बावजूद हरित क्रांति के निम्नलिखित नकारात्मक पहलू भी बतलाये जा सकते हैं-

नकारात्मक पहलू-

(i) कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण के उपयोग के कारण रोजगार के अवसरों में कमी आई। परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ी और मजदूर शहरों की ओर पलायन होने लगे।

(ii) अत्यधिक उर्वरक के उपयोग से भूमि की स्वभाविक उत्पादन क्षमता में कमी आई। इसका बुरा असर कुछ दिनों के बाद देखने को मिली

 3. नियोजन का अर्थ बताइए तथा इसके महत्त्व का विवेचन करें।

[2015A] 

 किसी भी राष्ट्र के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक विकास
के लिए युक्तियुक्त नियोजन अत्यावश्यक है, जिसके द्वारा अपूर्व उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। नियोजित विकास सम्पूर्ण समाज एवं सामाजिक व्यवस्था के उत्थान के लाभ को सामने रखता है जिससे नागरिक एक बेहतर एवं अधिक मानवीय जीवन व्यतीत कर सके। नियोजित विकास एक ऐसी भौतिक वास्तविकता एवं मानसिक स्थिति है जिसमें एक समाज सामाजिक, आर्थिक एवं संस्थागत प्रक्रिया के विशिष्ट संयोजन से बेहतर जीवन के साधन प्राप्त करता है। इसके लिए सभी समाजों को निम्नलिखित तीन लक्ष्य होने चाहिए- (i) भोजन, स्वास्थ्य, आवास एवं सुरक्षा जैसी साधनों की उपलब्धता एवं वितरण को बढ़ाना। (ii) जीवन स्तर को बढ़ाने के लिए उच्च आय, अधिक रोजगार, बेहतर शिक्षा एवं सांस्कृतिक तथा मानवीय मूल्यों पर पर्याप्त ध्यान देना। (iii) आर्थिक और सामाजिक विकल्पों की उपलब्धता में वृद्धि करना।
अगस्त, 1947 में भारत की स्वतंत्रता से पहले ही 1940 तथा 1950 के दशक में नियोजन के पक्ष में पूरे विश्व में व्यापक जन समर्थन मिला था। 1944 में भारत में उद्योगपतियों ने नियोजित अर्थव्यवस्था चलाने का एक संयुक्त प्रस्ताव तैयार किया था। इसे ‘बाम्बे प्लान’ कहा जाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने नियोजित विकास के लिए सम्यक् नीति बनायी। इसके सुखद परिणाम आ रहे हैं। नियोजित विकास की राजनीति का ही नतीजा है कि देश ने सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा अन्यान्य सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की है। राष्ट्र के विकास को नई ऊर्जा प्राप्त हो रही है तथा निरन्तर उन्नति के शिखर की ओर अग्रसर है। गरीबी उन्मूलन, शिक्षा का प्रसार, नारी सशक्तिकरण, सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए जन-जागरण आदि अनेक सार्थक कदम उठाए गए हैं। इसके फलस्वरूप विकास एवं समृद्धि के वातावरण का निर्माण हुआ है।

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4. राष्ट्र निर्माण का अर्थ बताइए।

[2024A, 2017A]

[2016A]

. अन्तर्राष्ट्रीय जगत में जब कोई राष्ट्र स्वतंत्र होकर नए सिरे से जन्म लेता है तब उस राष्ट्र के समक्ष सबसे पहला कार्य राष्ट्र निर्माण का होता है और इसके लिए वह जन्म के दिन से ही प्रयासरत हो जाता है। किसी भी ऐसे राष्ट्र के लिए राष्ट्र निर्माण कोई आसान काम नहीं है। नए राष्ट्र के लिए राष्ट्र निर्माण का पथ चुनौतीपूर्ण होता है।
राष्ट्र में रहने वाले सभी लोगों का सर्वांगण विकास हो और राष्ट्र निर्णयन की प्रक्रिया में उनकी भी भागीदारी सुनिश्चित हो- किसी भी नए राष्ट्र के लिए ये अहम प्रश्न होते हैं। विश्व के ऐसे विभिन्न राष्ट्रों द्वारा राष्ट्रनिर्माण के लिए उठाए गए कदमों के विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि राष्ट्रनिर्माण का पहला उद्देश्य राष्ट्र की एकता और अखण्डता है। किसी भी ऐसे राज्य की एकता और अखण्डता यदि प्रभावित हुई तो उसके समक्ष संकटों का समूह खड़ा हो जाता है और वह टूटने की स्थिति में आ जाता है। राष्ट्र निर्माण का दूसरा उद्देश्य लोकतंत्र की हिफाजत करना होता है।

3A)

5. मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है? भारत के संदर्भ में वर्णन करें।

(2017)

. स्वतंत्र भारत ने विकास संबंधी पूँजीवादी और समाजवादी मॉडलों में किसी को नहीं अपनाया। यह सर्वविदित है कि पूँजीवादी मॉडल में विकास संबंधी कार्य पूर्णरूपेण निजी क्षेत्र के भरोसे होता है। भारत ने इसमें विश्वास नहीं किया और समाजवादी मॉडल को भी नकार दिया जिसमें निजी सम्पत्ति को समाप्त कर दिया जाता है तथा हर तरह के उत्पादन पर राज्य का नियंत्रण स्थापित होता है। भारत ने दोनों तथाकथित मॉडलों में से कुछ बातों को ले लिया और इन्हें भारत में मिले जुले रूप से लागू किया गया। इसी कारण से भारतीय अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था कहा जाता है।

यहाँ वस्तुओं के मूल्य, माँग और आपूर्ति के अनुसार निर्धारित होते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में उत्पादन के निजी स्वामित्व का अर्थ उद्योग तथा लाभ प्रेरित उत्पादन होता है।

6. भारत में नीति आयोग के संगठन एवं कार्यों की विवेचना कीजिए।

3A/

. नीति आयोग भारत सरकार द्वारा गठित एक नया संस्थान है जिसे योजना आयोग के स्थान पर बनाया गया है।
नीति आयोग का पूरा नाम राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान है अर्थात् National Institute for Transforming India इसका गठन 1 जनवरी 2015 में किया गया। यह संस्थान सरकार के Think tank के रूप में सेवाएँ प्रदान करेगा और उसे निर्देशात्मक एवं नीतिगत गतिशीलता प्रदान करेगा। नीति आयोग केन्द्र और राज्य स्तरों पर सरकार को नीति के प्रमुख कारकों के संबंध में प्रासंगिक महत्त्वपूर्ण एवं तकनीकी परामर्श उपलब्ध कराएगा। इसमें आर्थिक मोर्च पर राष्ट्र और अन्तर्राष्ट्रीय आयात देश के भीतर साथ-ही-साथ अन्य देशों की बेहतरीन पद्धतियों का प्रसार एवं नीति विचारों का समावेश और विशिष्ट विषयों पर आधारित समर्थन से सम्बंधित मामले होंगे। योजना आयोग और नीति आयोग में मूलभूत अन्तर है। इससे केन्द्र से राज्य की तरफ चलने वाले एकपक्षीय नीतिगत क्रम को एक महत्त्वपूर्ण विकासवादी परिवर्तन के रूप में राज्यों की वास्तविक और सतत् भागीदारी से बदल दिया जाएगा।

नीति आयोग ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने के लिए तंत्र विकसित करेगा और इसे उत्तरोत्तर उच्च स्तर तक पहुंचाएगा।

7. राष्ट्रीय विकास परिषद के क्या कार्य है?

[20258.2017)

[20148,2019A]

 योजना संबंधी मामलों में केन्द्र तथा राज्यों के मध्य समायोजन की स्थापना के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद नामक एक महत्त्वपूर्ण संगठन की रचना की गयी है। प्रधानमंत्री इस परिषद का अध्यक्ष होता है।

राष्ट्रीय विकास परिषद के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं। (i)

(ii) राष्ट्रीय योजनाओं की प्रगति पर समय-समय पर विचार करना । राष्ट्रीय विकास को प्रभावित करने की आर्थिक तथा सामाजिक नीतियों संबंधी विषयों पर विचार करना।

(iii) राष्ट्रीय योजना के निर्धारित कदम एवं उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सुझाव देना ।

(iv) राष्ट्रीय योजना के निर्माण के लिए तथा इसके साधनों के निध रिण के लिए पथ प्रदर्शक सूत्र निश्चित करना ।

(v) योजना आयोग द्वारा तैयार की गयी राष्ट्रीय योजना पर विचार करना।

(vi) समय-समय पर योजना के कार्य की समीक्षा करना तथा राष्ट्रीय योजना में प्रतिपादित उद्देश्यों तथा कार्यक्रमों, लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आवश्यक उपायों की सिफारिश करना।

8. वित्त विधेयक क्या है?

[2019A)

 वित्त विधेयक भी एक सरकारी विधेयक होता है। साधारणतः वित्त विधेयक ऐसे विधेयक को कहते हैं जो आय या व्यय से संबंधित है। वित्त विधेयक में आगामी वित्तीय वर्ष में किसी नये प्रकार के कर लगाने या कर में संशोधन आदि से संबंधित विषय शामिल होते हैं। अतः वे सभी मामले जिनका संबंध वित्तीय मुद्दों से हैं वित्त विधेयक है। सामान्यतः यह विधेयक वार्षिक बजट लोकसभा में पेश के किए जाने के बाद तत्त्वकाल लोकसभा में पेश किया जाता है। सभी धन विधेयक नहीं होते हैं। परंतु सभी वित्त विधेयक धन विधेयक नहीं होते हैं। धन विधेयक की तरह वित्त विधेयक भी पहले लोकसभा में पेश किया जाता है। वित्त विधेयक के संबंध में राज्यसभा और लोकसभा को वहीं शक्तियाँ प्राप्त है जो धन विधेयक के संबंध में है। लेकिन धन विधेयक से अलग वित्त विधेयक को राज्यसभा स्वीकृत या अस्वीकृत कर सकता है। वित्त विधेयक संसद में पेश किये जाने के 75 दिनों के अंदर संसद से पास हो जाना और राष्ट्रपति से स्वीकृति भी मिल जाना आवश्यक है

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