1. स्थायी बंदोबस्त से कंपनी को क्या लाभ हुए? (2013A, 2015A, 2016A)
स्थायी व्यवस्था से कंपनी को निम्न लाभ हुए
(i) स्थायी बंदोबस्त से कुछ समय के लिए बंगाल की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
(ii) कंपनी के समक्ष आर्थिक अस्थिरता की स्थिति समाप्त हो गयी और कंपनी की आय निश्चित हो गई।
(iii ) कम्पनी को भारत में जमींदार के रूप में राजभक्त वर्ग मिल गया।
(iv) लगान वसूली में होने वाला अपव्यय समाप्त हुआ और प्रशासनिक खर्चों में कटौती हुई।
2. रैयतवाड़ी व्यवस्था की विशेषताओं को लिखें। [2019A]
भूराजस्व की यह व्यवस्था 1812 में मद्रास और बंबई में स्थापित की गयी। इस व्यवस्था की मुख्य विशेषता किसान और सरकार के मध्य बिचौलिया का अभाव था। किसान को ही, भू-स्वामी मानकर उसके साथ लगान तय किया गया। किसान को अपनी उपज का 1/2 भाग लगान के रूप में देना था। सरकार इस अनुपात में वृद्धि भी कर सकती थी। किसान लगान नहीं चुकाने की स्थिति में जमीन छोड़ सकता था या इसे बेचकर, गिरवी रखकर लगान चुका सकता था। इस व्यवस्था का कृषि और कृषकों पर बुरा प्रभाव पड़ा।
3. संधाल विद्रोह पर एक टिप्पणी लिखें। (2021A)
सरकारी अधिकारियों, जमींदारों, व्यापारियों तथा महाजनों द्वारा शोषित होकर संथालों ने विद्रोह कर दिया। यह विद्रोह 1855-56 में प्रारंभ हो गया। इस विद्रोह का नेतृत्व सिद्धू तथा कान्हु ने किया था। विद्रोह गतिविधियों के तहत संथालों ने जमींदारों तथा महाजनों के घरों को लूटा, खाद्यान्न को छिना, सरकारी अधिकारियों ने विद्रोह को दबाने के लिए मार-पिट करके उनका दमन प्रारंभ किया जिससे ये विद्रोही और अधिक उग्र हो गये। सिद्धू तथा कान्हु को संथालों ने ईश्वर के भेजे हुये दूत माना और उन्हें विश्वास था कि ये इन शोषणों से मुक्ति दिलायेंगे। संथाल अस्त्र-शस्त्र, तीर-कमान, भाला, कुल्हाड़ी आदि लेकर एकत्रित हुए और अंग्रेजों (सरकारी अधिकारियों) तथा जमींदारों से धमकी के साथ अपनी माँगें रखी। सरकारी अधिकारियों ने इस चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया तो संथालों ने जमींदारों, साहूकारों तथा सरकारी अधिकारियों के विरोध में सशस्त्र विद्रोह आरंभ कर दिया।
4. भारत में उपनिवेशों की स्थापना के चार कारण लिखें। [2021.A.2024A)
(i) भारत में कच्चे माल की अधिकता;
(ii) भारत में विस्तृत बाजार होना;
(iii) भारत में सस्ते मजदूरों की उपलब्धता;
(iv) भारत में राजनीतिक एकता की कमी;
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5. झूम खेती के बारे में आप क्या जानते हैं? [2018A, 2020A, 2022A]
झूम कृषि एक आदिम प्रकार की कृषि है जिसमें पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है और साफ की गई भूमि को पुराने उपकरणों (लकड़ी के हलों आदि) से जुताई करके बीज बो दिये जाते हैं। फसल पूर्णतः प्रकृति पर निर्भर होती है और उत्पादन बहुत कम हो पाता है। कुछ वर्षों तक (प्रायः दो या तीन वर्ष तक) जब तक मिट्टी में उर्वरता विद्यमान रहती है इस भूमि पर खेती की जाती है। इसके पश्चात् इस भूमि को छोड़ दिया जाता है जिस पर पुनः पेड़-पौधे उग आते हैं। अब अन्यत्र जंगली भूमि को साफ करके कृषि के लिए नई भूमि प्राप्त की जाती है और उस पर भी कुछ ही वर्ष तक खेती की जाती है।
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6. उपनिवेशवाद का क्या अर्थ है? [2022A]
उपनिवेशवाद का मूल अर्थ है किसी समृद्ध एवं शक्तिशाली देश द्वारा किसी निर्बल परंतु प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण देश पर अपना राजनीतिक सत्ता स्थापित करना। इसमें उपनिवेश के लोग विदेशी सत्ता द्वारा शासित होते हैं। जैसे-भारत पर अंग्रेजों द्वारा उपनिवेश कायम करना।
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7. सहायक संधि से आप क्या समझते हैं? [2023A)
सहायक संधि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और भारतीय रियासतों के बीच की संधि थी। इसके अनुसार भारतीय रियासतों को ब्रिटिश सत्ता की सर्वोच्चता स्वीकारनी होती थी। इसके बदले कंपनी उस राज्य की सुरक्षा के लिए ब्रिटिश रेजीडेंट के अधीन एक सैन्य टुकड़ी उस रियासत में रखता था
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8. प्लासी का युद्ध कब और किसके मध्य हुआ था? (20234)
प्लासी का युद्ध 2.3 जून, 1757 ई० को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के सेनापति रॉबर्ट क्लाइव एवं बंगाल के नवाय की सेना के बीच हुआ था। इसमें बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला पराजित एवं कंपनी विजयी हुई थी।
9. बंगाल में स्थायी बन्दोबस्त की कोई दो विशेषताओं को लिखें। (2024A)
स्थायी बंदोबस्त अंग्रेजी सरकार द्वारा लागू की गई भू-राजस्व प्रणाली थी। इसे बंगाल में लार्ड फार्नवालिस द्वारा 22 मार्च, 1793 ई० को लागू किया गया था। इसमें कर वसूली का अधिकार स्थानीय जमींदार को दिया गया था। इसमें सरकार और किसानों के बीच जमींदार वर्ग लाया गया। यह व्यवस्था किसानों के शोषण का कारण बना।
10. स्थायी बंदोबस्त कब और किस क्षेत्र में लागू किया गया? (2025A)
स्थायी मंदोबस्त 1793 में बंगाल क्षेत्र में लागू किया गया। यह एक भूमि राजस्व प्रणाली थी, जिसमें भूमि के मालिकों को स्थायी रूप से भूमि का मालिकाना हक दिया गया और उन्हें निश्चित राजस्व का भुगतान करना था। इस प्रणाली ने ब्रिटिश शासन के तहत कृषि उत्पादन को स्थिर करने और राजस्व संग्रह को आसान बनाने में मदद की।
11. ‘दक्कन दंगा आयोग’ का गठन क्यों किया गया? (2025A)
दक्कन दंगा आयोग’ का गठन 1875 में दक्कन क्षेत्र में हुए दंगों की जांच के लिए किया गया। इसका उद्देश्य दंगों के कारणों का पता लगाना और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों का अध्ययन करना था। आयोग ने दंगों के पोछे के सामाजिक तनाव और आर्थिक असमानताओं को उजागर किया, जिससे भविष्य में ऐसे घटनाओं को रोकने के उपाय सुझाए जा सकें।
12. सहायक संधि किसने और कब लागू की? [2025A)
सहायक संधि लॉर्ड वेलेजली ने 1798 में लागू की थी।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
1. स्थायी व्यवस्था के गुण दोषों की विवेचना कीजिये। (2017A)
अथवा, स्थायी बंदोबस्त से आप क्या समझते हैं? इसके लाभ एवं हानियों का वर्णन करें। (2014A)
1. कार्नवालिस ने लगान के निर्धारण एवं इसकी वसूली के लिए 1793 में एक योजना बनाई, जिसे स्थायी बंदोबस्त के नाम से जाना जाता है। इसके अनुसार जमींदार को जमीन का मालिक स्वीकार कर लगान के बदले निश्चित अवधि के लिए जमीन देने की व्यवस्था थी। यह व्यवस्था बिहार, बंगाल और उड़ीसा में लागू किया गया था। इस व्यवस्था में जमीन पर जमींदारों का पैतृक अधिकार हो गया। किसानों का जमीन पर से स्वामित्व समाप्त हो गया। जमींदार को निश्चित अवधि में किसान से वसूले गये लगान का 10/11 भाग कंपनी के कोष में जमा कराना था। 1/11 भाग जमींदार खर्च के लिए अपने पास रख सकता था। निश्चित समय पर लगान नहीं जमा करने पर जमींदारी निलाम करने की व्यवस्था की गयी।
स्थायी व्यवस्था से लाभ स्थायी व्यवस्था से कंपनी और जमींदार दोनों लाभान्वित हुए। साथ ही, कृषि का विकास भी हुआ, परंतु किसानों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा।
(i) कंपनी की आय निश्चित होना कंपनी को प्रतिवर्ष होने वाली आय का अनुमान हो गया। इससे अस्थिरता की स्थिति समाप्त हो गयी। अधिक लगान की वसूली और इसमें होनेवाले कम खर्च से कंपनी की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो गयी।
(ii) जमींदार वर्ग का उदय इस व्यवस्था के परिणामस्वरूप कंपनी और किसानों के मध्य बिचौलिए के रूप में एक जमींदार वर्ग का उदय हुआ। यह वर्ग का अंग्रेजों का समर्थक बना रहा।
(iii) जमींदारों को लाभ स्थायी व्यवस्था से जमींदार लाभान्वित हुए। जमीन पर उनका पैतृक अधिकार हो गया। किसान उनके रैयत बन गये। वसूले गये लगान में हिस्सा मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुयी।
(iv) कृषि का विकास लगान निश्चित होने से किसान और जमींदार दोनों ने कृषि के विकास में रुचि ली।
स्थायी व्यवस्था से हानि :
(1) कंपनी को घाटा लगान निश्चित करते समय जमीन की माप एवं उत्पादन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया था। इसलिए उत्पादन बढ़ने और कृषि क्षेत्र के विस्तार से होनेवाली आय का लाभ जमींदारों ने उठाया।
(ii) किसानों की दुर्दशा स्थायी व्यवस्था का सबसे बुरा प्रभाव कृषकों पर पड़ा। जमींदार उनका मनमाना आर्थिक एवं शारीरिक शोषण करने लगे।
(iii) सामाजिक विषमता का विकास स्थायी व्यवस्था ने सुविधा संपन्न जमींदार वर्ग और सुविधाविहीन किसानों का वर्ग तैयार किया। प्रथम वर्ग ने अपने हितों की रक्षा के लिए सदैव अंग्रेजों का साथ दिया, इससे सामाजिक विद्वेष बढ़ा।
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2. भारत में कृषि के व्यवसायीकरण पर प्रकाश डालें। (2019A)
कृषि के व्यवसायीकरण का अर्थ होता है कृषि उत्पादन में उन फसलों को अधिक उपजाना जो व्यवसाय में कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं जैसे कपारा, गन्ना, जूट आदि। 19वीं शताब्दी में अंग्रेजी सरकार द्वारा भारतीय कृषि का भी व्यवसायीकरण किया। अंग्रेजों को जय अमेरिका से कपास की आपूर्ति ठप हो गई तो यह भारत में कर्पास उत्पादन को प्रोत्साहित किया। यहाँ के किसान बड़े पैमाने पर कपास की खेती करने लगे तथा इंग्लैंड स्थित बड़े-बड़े सूती कारखानों के लिए कच्चा माल के रूप में कपास इंग्लैंड जाने लगा।
भारत में कृषि के व्यवसायीकरण का सबसे दुखद पहलू यह है कि इससे भारतीय किसानों की हालत और दयनीय हो गई। वे कर्जदारों, सूदखोरों के चंगुल में फँस गए। भारतीय कृषि का व्यवसायीकरण भारतीय किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए नहीं बल्कि अंग्रेजी कारखानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए की गई थी। भारतीय किसानों को मजबूरीवश कपास की खेती करनी पड़ती थी। कपास के उत्पादन लागत की कीमत से भी कम कीमत पर कपास अंग्रेजों के एजेंट द्वारा खरीदा जाता था। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति और दयनीय हो गई। कपास की खेती के लिए कर्ज लेकर किसान दिनोंदिन कर्जदारों के चंगुल में फँसते चले गए।
भारत में कृषि के व्यवसायीकरण से यहाँ के कुटीर उद्योगों में प्रमुख बुनकरी उद्योग भी नष्ट हो गई। बुनकरों को कच्चा माल के रूप में कपास मिलना बंद हो गया। सारा कपास इंग्लैंड निर्यात किया जाने लगा। इससे भारत में बेरोजगारी, भूखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि भारत में कृषि के व्यवसायीकरण भारत के लिए अभिशाप साबित हुआ। किसान, बुनकर बेरोजगार हो गए। इससे सिर्फ अंग्रेजों को फायदा हुआ।
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3. स्थायी बंदोबस्त पर एक लघु निबंध लिखें। (2023A)
अंग्रेजी शासन काल के दौरान लार्ड कार्नवालिस ने 1793 ई० में स्थायी बंदोबस्त भू-राजस्व व्यवस्था लागू किया। इसका मुख्य उद्देश्य इंग्लैंड के ढंग पर जमींदारों का एक ऐसा नया वर्ग तैयार करना था जो अंग्रेजी राज्य के लिए आधार का काम करे। यह व्यवस्था बंगाल, बिहार के क्षेत्रों पर लागू किया गया था। इसमें जमींदारों को भूमि का स्वामी बना दिया गया तथा किसानों को रैयत। किसानों से भू-राजस्व वसूल किये गए रकम का 10/11 भाग कंपनी तथा 1/11 भाग जमींदार रखते थे। यह व्यवस्था मुख्य रूप से एक निश्चित भू-राजस्व प्राप्त करने के लिए लागू किया गया था। इस व्यवस्था के कारण भारतीय किसानों की स्थिति और दयनीय हो गई। भू-राजस्व वसूली के नाम पर किसानों का बड़े पैमाने पर जमींदारों द्वारा शोषण बढ़ गया। कई प्रकार के उन पर कर लगाकर तथा नजराना आदि की वसूली लाठी के बल पर होने लगा। सरकार, पुलिस, कानून भी जमींदारों का पक्ष लेते थे। इस प्रकार यह व्यवस्था भारतीय किसानों के शोषण का एक जरिया बन गया।
4. प्लासी युद्ध के कारणों एवं परिणामों का वर्णन करें।
प्लासी की लड़ाई 1757 ई० भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण लड़ाई है। इसने भारत पर अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। यह धोखे और फरेब से लड़ा गया सबसे महत्वपूर्ण युद्ध था। इसके निम्न कारण थे-
(i) बंगाल की समृद्धि भारतीय प्रांतों में बंगाल सर्वाधिक समृद्धि वाला प्रांत था। ढाका का मलमल, यहाँ का नील कपास तथा जूट आदि की खेती से अंग्रेज व्यापार द्वारा काफी धन कमा रहे थे। अतः बंगाल पर अपना दबदबा कायम करने के लिए अंग्रेजों ने यह युद्ध लड़ा।
(ii) सिराजउद्दौला का अनिश्चित उत्तराधिकार अलीवर्दी खाँ ने सिराजुद्दौला को अपना उत्तराधिकारी बनाया था। परंतु शौकतजंग अंग्रेजों से मिल कर समर्थन माँगने लगा। इससे प्लासी युद्ध हुआ।(iii) शाही फरमान का दुरुपयोग मुगल सम्राट फर्रुखसियर द्वारा 1717 ई० में एक शाही फरमान द्वारा कंपनी को बंगाल में बिना टैक्स दिये व्यापार करने का अधिकार था। अंग्रेजों द्वारा इस फरमान का उपयोग व्यक्तिगत व्यापार में भी किया जाने लगा जिससे प्लासी के युद्ध की स्थिति उत्पन्न हुई।
(iv) काल कोठरी की घटना 20 जून, 1756 ई० को 146 अंग्रेज बंदियों को एक छोटी सी कोठरी में कैद कर लिया गया था। इसमें से 123 व्यक्ति दम घुटने से मर गए। यह घटना हॉलवेल नामक बचे अंग्रेज ने बताई। इससे अंग्रेज क्रोधित हो गए तथा मद्रास से क्लाइव के नेतृत्व में अंग्रेज सेना बंगाल की ओर बढ़ी।23 जून, 1857 को प्लासी के मैदान में युद्ध हुआ। सिराजुद्दौला पराजित हुआ। मीर जाफर के पुत्र मीरन ने इसे मार डाला।