Bihar Board Class 11th jagrnath Chapter 10

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Bihar Board Class 11th jagrnath Chapter 10

जगरनाथ पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर
Class 11th jagrnath
प्रश्न 1.
कवि को क्यों लगता है कि कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है?
उत्तर-
कवि अपने बचपन के बीते दिनों की तुलना वर्तमान औद्योगिक क्रान्ति, बौद्धिक जागरण और वैश्विकता के प्रभाव से जो असमानता की खाई बन-सी गयी है, तत्सबन्धित परिवर्तनों से कवि को आशंका होती है कि कहीं-न-कहीं, कुछ-न-कुछ गड़बड़ी अवश्य है। जीवन-मूल्यों के क्षरण और मानवीय अस्तित्व और अस्मिता को संकट में घिरते हुए देखकर कवि व्यथित है।
इस संबंध में कवि जगरनाथ भाई से प्रश्नोत्तर की आकांक्षा लिए हुए पत्र शैली में कविता के माध्यम से संवाद स्थापित कर अपनी शंका-समाधान चाहता है। प्रश्नोत्तर की जगह जगरनाथ भाई की खामोशी उसे चिन्ता में डाल देता है और उसका ध्यान सामाजिक विषमता से होने वाली गड़बड़ियों पर आकृष्ट हो जाता है। बौद्धिक विकास के क्रम में मानवीय जीवन में। जो उतार-चढ़ाव प्रतिबिम्बित होता है, वह गड़बड़ी का स्पष्ट संकेत है।
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प्रश्न 2.
“वह बनसुग्गों की पाँत थी
जो अभी-अभी उड़ गई हमारे उपर से
वह है तो है
नहीं है तो भी चलती रहती है जिंदगी”
-इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट करें और इसकी काव्य चेतना पर भी विचार रखें।
उत्तर-
प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ ‘नई कविता’ आन्दोलन के ध्वजवाहक और अपनी पीढ़ी के प्रतिनिधि कवि श्री केदारनाथ सिंह द्वारा विरचित ‘जगरनाथ’ शीर्षक कविता से उद्धत है। पस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि ने समाज में पल रहे परजीवी-ललबबुओं पर व्यंग-वाण चलाया है। समाज में रहने वाले इन सामाजिक भार बन चुके मनुष्य रूपी मृग से कवि को कोई आशा नहीं है।
पालतू सुग्गे की तुलना में बनसुग्गे केवल देखने और क्षति पहुँचाने के लिए है। समाज में पल रहे ललबुओं की फौज भी सामाजिक विद्रूपता फैलाती हैं, उनसे समाज किसी प्रकार लाभान्वित नहीं हो सकता। बनसुग्गों के समान ही ये कभी यहाँ और कभी वहाँ निरूद्देश्य भटकते हैं। इन सामाजिक बनसुग्गों के रहने और नहीं रहने से कोई तब्दिली नहीं आ सकती, ऐसा कवि का अभिमत है।
इन पंक्तियों में रूपकातिशयोक्ति अलंकार का कुशलता पूर्वक प्रयोग हुआ है। ‘बनसुग्गों’ सामाजिक ललबबुओं का, ‘पांत’ जमात का उपमान है। ‘बनसुग्गा’ भोजपुरी भाषा का शब्द है। ‘ललबबुओं के लिए यह सुन्दर व्यंगात्मक प्रयोग है। भाषा, शैली और शिल्प पर चौकन्नी सजगता के कारण गहरे यथार्थ बोध का स्वाभाविक संप्रेषण होता है। कवि ने जीवन के मूल्यों में हास की ओर संकेत किया है। साथ ही समाज में पल रहे ललबबुओं पर अपने व्यंगवाणों की वर्षा की है। कवि केदानाथ सिंह ने इन पंक्तियों में बनसुग्गों पर कटाक्ष; क्रान्तिकारी हथौड़े से नहीं बल्कि मृत्यु संशोधन, निपुण वैध की भाँति रोगी की नाजुक स्थिति की ठीक-ठाक जानकारी प्राप्त कर उसकी रूची के अनुसार उचित पथ्य की व्यवस्था की है, जिससे इन पंक्तियों की जीवंतता सहज की दृष्टिगोचर होता है।
प्रश्न 3.
कवि को आसमान में लाल-पीले डैने वाले पक्षियों को देखकर राहत मिलती है तो वह बनसुग्गों की पाँत की उपेक्षा क्यों करता है? आप इसका क्या कारण समझते हैं?
उत्तर-
कविवर केदार नाथ सिंह प्रगतिशील विचारधारा के कवि हैं। कवि आधुनिक परिवेश में जी रहा है। कवि की मुलाकात अपने बचपन के साथी भाई जगरनाथ से होती है। भाई जगरनाथ से अपना और उसका हाल-चाल लेते हुए कवि के माथे के ऊपर से बनसुग्गों की फौज गुजरती है। कवि उसे देखकर कहता है कि जिस प्रकार समाज में पल रहे परजीवियों के रहने या न रहने का कोई महत्व नहीं है ठीक उसी प्रकार बनसुग्गों को चले जाने का कोई महत्व नहीं है।
अचानक कवि को आकाश में उड़ते हुए लाल-पीले डैनेवाले पक्षियों अर्थात् मनुजता के पुजारी की ओर जाता है और उसे आशा की किरण स्पष्ट नजर आती है। निराशा का बादल छूटते ही मानव-मन आशा की सप्तरगिनी सपने देखकर सहज ही आत्मविभोर हो जाता है। वह पीछे घूमकर नहीं देखना चाहता अर्थात निराशा के अंधकूप में वह पुनः नहीं जाना चाहता है। मानव स्वभाववश कवि आसमान में लाल-पीले डैने वाली पक्षियों (आशा की किरण) को देखकर बनसुग्गों (निराशा की बदली) की उपेक्षा करता है।
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प्रश्न 4.
कवि को अपने शब्दों से झूठ की गंध आने का संशय क्यों होता है?
उत्तर-
कवि अपनी मूल धरती-गाँवों और वहाँ की जिन्दगी को भूला नहीं है। आधुनिक समय में गँवई जीवन के बदलते स्वरूप को रेखांकित करते हुए कवि कहता है कि आजादी के पूर्व और आजादी के बाद का गाँव, दोनों में काफी असमानता है। कवि अपने बचपन के बीते दिनों की स्मृति के आधार पर तत्सम्बन्धित प्रश्न भाई जगरनाथ से करता है। सुख-सुविधाओं की आधुनिकतम वस्तुओं को निस्सार बताकर गवई जीवन को सरस, सहज और विनोदपूर्ण बताते हुए कवि प्रश्नोत्तर की आशा भाई जगरनाथ से करता है।
भाई जगरनाथ की ओर आशा पूर्ण निगाहों से देखते कवि को उनके चेहरे पर दुनिया भर की मूक बेबसी और लाचारी स्पष्टतः झलकती है। जगरनाथ भाई का मौन से उत्पन्न जबाब जिसमें आधुनिक जीवन के जड़ तक फैल चुके ईष्या, द्वेष, संकीर्णता, स्वार्थपरता, घृणा तथा सामाजिक विषमता के चिह्न का स्पष्ट छाप उभर आती है। जगरनाथ भाई को उत्तर न देकर खामोशी धारण कर लेने के कारण कवि को अपने शब्दों से झूठ की गंध आने का संशय उत्पन्न होता है।
प्रश्न 5.
जगरनाथ की चुप्पी और उसके होठों के फड़कने में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-
कवि के अनुसार निश्चल ग्रामीण, बौद्धिक छल-बल वाले शहरी से आशंकित रहते है। कवि ग्रामीण जीवन और गाँव के निश्चल ग्रामीणों के प्रति अपना भावुकतापूर्ण विचार व्यक्त किया है। उन्होंने आधुनिकतम सुख-सुविधाओं की बनसुग्गा कहते हुए निस्सार किया है। कवि अपने आपको जगरनाथ भाई के स्तर में लाकर दूरी को पाटने का अथक प्रयास करता है। जगरनाथ भाई अपने गँवई स्वभाव से उबर नहीं पाते जिस कारण होठ तो फड़फड़ाता है परन्तु प्रस्फुटित नही हो पाते, जिसे देखकर कवि का हृदय फट पड़ता है।
प्रश्न 6.
कवि को अपनी दिनचर्या से असंतोष क्यों हैं?
उत्तर-
कवि वृति से प्राध्यापक हैं, इसका पता जगरनाथ भाई से वार्तालाप के क्रम में चलता है। अतीत की गवई स्मृतियाँ कवि के मनः मस्तिष्क-पटल पर चलचित्र की भाँति विचरण करने लगती है। कवि को गाँव-गबई के प्रति सहज और निश्चल प्रेम की अनुभूति होती है। शहरी वातावरण में फैले ईया, द्वेष, लकीर्णता, स्वार्थपरता, घृणा आदि के कारण कवि का मन उच्चाटपूर्ण संशय में पड़ जाता है। कवि प्राध्यापक होने के नाते केवल खानापूर्ति के लिए वर्ग में जाकर बक-बक कर आता है और अवसर हाथ आते ही एक-दो झपकियाँ भी मार लेता है।
इस प्रकार कवि व्यवस्था की गड़बड़ी के कारण उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों की कर्तव्यहीनता पर चोट करता है। व्यवस्था की गड़बड़ी के कारण व्यक्ति कार्य-निष्पादन निष्ठा के साथ नहीं करता है। चूंकि लेखक भी इसी व्यवस्था का एक अंग है, जिसमें व्यक्ति अपने जिम्मेवारी को ढंग से नहीं निभा पाता। कवि चाहता है कि उच्च पदासीन लोग अपने आदर्शों से समाज में एक मिसाल कायम करना चाहिए परन्तु ऐसा संभव नहीं हो पाता है, यह कवि के लिए असंतोष का विषय है।
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प्रश्न 7.
जगरनाथ को जाते हुए कवि को ऐसा क्यों लगता है कि वह उसे चीरता-फाड़ता हुआ जा रहा है?
उत्तर-
कविवर केदार नाथ सिंह ने गाँव-गवई की आँचल में पल रहे निश्छलता का यहाँ बिंबात्मक चित्र उपस्थित किया है। कवि अपने लंगोटिया मित्र जगरनाथ से उसका हाल-चाल पूछता है। ललाट पर गुम्मट, नीम के पेड़ और उसे नीचे बँधी बकरियों के संदर्भो में भी वह प्रश्न पूछता है। प्रत्युत्तर न पाकर वह असहज अवस्था में अपने सामान्य दिनचर्या की चर्चा करता है। कवि की वाणी मे दुनियाँ भर की बेबसी और लाचारी स्पष्टतः दृष्टिगोचर होता है। कवि अपने को जगरनाथ भाई के स्तर पर लाकर उससे संवाद स्थापित कर अपने संशय को दूर करना चाहता है। जगरनाथ भाई अपने गँवई स्वभाव से उबर नहीं पाते और नि:शब्द ही चले जाते हैं।
इस प्रकार गँवई जिन्दगी में शहरी जीवन की अपेक्षा हीन-भावना की बहुलता जगरनाथ भाई के मौन और कातर नेत्रों से सहज की दृष्टिगोचर होता है। जगरनाथ की खामोशी पूर्ण जाना शहर और गाँव के बीच की खाई को परिलक्षित करता है। भाई जगरनाथ जो कवि के बचपन का साथी है। समय के अन्तराल ने जहाँ एक को जीवन की बुलन्दी के शिखर पर पहुंचा दिया है, वहीं दूसरा दारूण-दशा झेलने को अभिशप्त मानवीय जीवन के बीच फैल चुके स्वार्थपरता, संकीर्णता, द्वेष, घृणा, अविश्वास का प्रतीक बनकर जगरनाथ भाई कवि को चीरता-फाड़ता जाता हुआ दिखाई पड़ता है।
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प्रश्न 8.
कविता का नायक कौन है?
उत्तर-
कविवर केदार नाथ सिंह द्वारा विरचित ‘जगरनाथ’ शीर्षक कविता का नायक भाई जगरनाथ हैं।
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प्रश्न 9.
कविता का शीर्षक ‘जगरनाथ’ क्यों है?
उत्तर-
शीर्षक किसी भी रचना-भवन का मुख्य द्वारा होता है। शीर्षक पढ़कर ही पाठक सर्वप्रथम उस रचना के मूल तथ्य और कव्य से परिचित होता हैं। शीर्षक की लघुता में ही रचना की गुरूता या विशालता-व्यापकता मुख्य बिंदु के रूप में केंद्रित रहती है। रचनाकार शीर्षक का चयन मुख्य पात्र, मुख्य घटना, घटना-स्थल मुख्य उद्देश्य या मुख्य बिन्दु के आधार पर करता है। शीर्षक की सफलता, औचित्य या सार्थकता के सम्बन्ध में सभी विद्वान एकमत हैं कि शीर्षक को लघु, सटीक, मुख्य विचार या भाव अभिव्यंजक तथा सार्थक होना चाहिए।
प्रस्तुत व्यंगात्मक कविता का जगरनाथ का काल्पनिक पात्र है। सम्पूर्ण कविता पर जगरनाथ के जीवन का सारगर्भित तथ्य छाया हुआ है। वह कविता के कवि का लंगोटिया दोस्त है। भाई जगरनाथ कविता के मूल कथ्य का केन्द्र बिन्दु है जिसके माध्यम से कवि सामाजिक परिवर्तन और उसके प्रभाव को इंगित करता है। सम्पूर्ण कविता जगरनाथ के इर्द-गिर्द ताना-बाना बुनती दृष्टिगोचर होती है।
कवि ने जगरनाथ के माध्यम से ग्रामीण और शहरी वातावरण के बीच की खाई, व्यवस्था का दोष तथा ग्रामीण जीवन की संघर्षपूर्ण किन्तु निश्चल हृदय की संवेदनशीलता हमारे अंतस् पर रेखांकित किया है। साथ ही साथ शीर्षक ‘जगरनाथ’ गाँव की जिन्दगी की महत्ता को प्रदर्शित करता है और गवई भाषा के प्रति कवि की श्रद्धा को भी परिलक्षित करता है।

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प्रश्न 10.
इस कविता में आपको प्रिय लगती पंक्तियाँ कौन-कौन-सी है और क्यों?
उत्तर-
कविवर केदार नाथ सिंह ने प्रस्तुत कविता ‘जगरनाथ’ में गवई किसान के जीवन और संस्कृति को प्रतिबिम्बित किया है। महानगर में रहने-जीने और वहाँ के विषयों-कथ्यों का इस म कविता में समावेश के साथ-साथ मूल धरती-गाँवों की जिन्दगी की सच्चाईयों का यथार्थ चित्रण कवि ने किया है।
कविता का शीर्षक जगन्नाथ के बदले ठेठ भोजपुरी गवई शब्द ‘जगरनाथ’ का प्रयोग कर कवि ने ग्रामीण भाषा के प्रति श्रद्धा को व्यक्त किया है। प्राध्यापक जैसे उच्च पद पर पदासीन और शहरी वातावरण में रहने वाला कवि गाँव-गवई के संगी-साथियों को नहीं भूला है। लम्बे अरसे के बाद भाई जगरनाथ से उसकी मुलाकात होती है तो वह आत्मीय भाव से पूछता है कैसे हो भाई जगरनाथ?
कितने बरस बाद तुम्हें देख रहा हूँ। कवि बाल्यावस्था में देखे गए नीम के पेड़ के नीचे बँधी बकरी जो कभी रहा करती थी उसको भी नहीं भूला है। जन्मभूमि के एक-एक वस्तु से कवि अपना प्यार और लगाव स्पष्ट करते हुए भाई जगरनाथ से पूछता है

 

कैसा है वह नीम का पेड़
जहाँ बंधाती थी तुम्हारी बकरी?
कवि प्रकृति के प्रति प्रेम प्रदर्शित करते हुए उसके अनूठे उपहार ‘आम’ की चर्चा करता है। कवि कहता है कि आम का खुशबू और निराला स्वाद मन को आनंदातिरेक और वातावरण को सुवासित करता है। आम की महत्ता का चर्चा करते हुए कवि कहता है-
क्या शुरू हो गया आम का पकना?
यह एक अजब-सा फल है मेरे भाई
सोचो तो एक स्वाद और खुशबू से
भर जाती है दुनियाँ।
इस प्रकार प्रस्तुत कविता गँवई और कसबाई जिन्दगी की विस्मयजनक वास्तविकता का उत्कृष्ट मानवीय दस्तावेज है। यह कविता हमारे जातीय और सामाजिक जीवन का दर्पण भी है। यह हमारे संक्रमणशील समाज के अंत: सघंर्षों तथा उसकी जीजीविषा का साक्ष्य भी है।

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प्रश्न 11.
कवि का पेशा क्या है?
उत्तर-
कविवर केदार नाथ सिंह वृत्ति से विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं। उनकी वृत्ति का पताजगरनाथ भाई से उनके वार्तालाप के क्रम में चलता है।
प्रश्न 12.
कविता में जगरनाथ के ललाट पर उगे और गुम्मट का विवरण क्यों दिया है?
उत्तर-
बहुत दिनों बाद जगरनाथ भाई से कवि की मुलाकात होती है, जिसके ललाट पर गुम्मट-सा उग आया है जो उसे कर्मठता तथा दीनता का प्रतीक है। जगरनाथ भाई के ललाट पर उभरी-गुम्मट हमारे संक्रमणशील समाज के अंत: संघर्षों तथा उसकी जिजीविषा का साक्ष्य भी है यह गुम्मट सामाजिक विषमता का विद्रूप चित्र है।
गुम्मट के माध्यम से कवि का अभीष्ट है-दलित, शोषित और पीड़ित ग्रामीण कृषक-जीवन की संवेदनाओं को लोगों के सामने रखना तथा उसकी मार्मिकता के संबंध में कुछ करने और सोचने के लिए उन्हें बाध्य करना। कविता में जगरनाथ के ललाट पर उग आए गुम्मट का विवरण सारगर्भित और उद्देश्यपूर्ण है।
प्रश्न 13.
कविता में जगरनाथ का केवल चित्रण है और कवि का एकालापी वक्तव्य, जबकि कविता का शीर्षक ‘जगरनाथ’ है। यहाँ जगरनाथ का वक्तव्य क्यों नहीं आ सका?
उत्तर-
कविता में जगरनाथ का केवल चित्रण है और कवि का एकालापी वक्तव्य; जबकि कविता का शीर्षक ‘जगरनारथ’ है। वस्तुतः जगरनाथ इस कविता का काल्पनिक पात्र है जिसके माध्यम से कवि ने सामज ने व्याप्त साधनहीनता का सफल, सार्थक और मुख्य भावाभिव्यंजन चित्र खींचा है। कवि ने ग्रामीण जीवन के शोषण, उत्पीड़न तथा गरीबी के साये में घुट-घुटकर जी रहे एक गरीब किसान के जीवन की व्यथा-कथा का अंकन किया है। भाई जगरनाथ को मूक रखकर कवि ग्रामीण जीवन के दुःख दर्द का दस्तावेज पाठकों के सामने यथार्थ रूप में चित्रित किया है। इस कविता में समाज के दलित-शोषित जीवन का मूक प्रतिबिंब खींचा गया है।

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प्रश्न 14.
कविता में प्रश्नवाचक चिन्हों के प्रयोग बहुत है। उसकी सार्थकता पर विचार कीजिए।
उत्तर-
कवि केदार नाथ सिंह रचित ‘जगरनाथ’ शीर्षक कविता ग्रामीण जीवन की एक यथार्थवादी कविता है। इस चर्चित कविता में कवि ने जगरनाथ भाई के माध्यम से जीवन-मूल्यों के क्षरण और मानवीय अस्तित्व और अस्मिता के संकट का सजीव चित्रण किया है। अपने बचपन के बीते दिनों को याद करते हुए वर्तमान से तुलना कर कवि जगरनाथ भाई से प्रश्नोत्तर की आकांक्षा लिए हुए पत्र-शैली में कविता के माध्यम से संवाद स्थापित करना चाहता है। प्रश्नोत्तर की आकांक्षा में जगरनाथ भाई से बराबर आग्रह कर अपने संशय को दूर करना चाहता है।
कवि प्रश्नों के माध्यम से बौद्धिक विकास के क्रम में मानवीय जीवन में उतार-चढ़ाव की जानकारी लेना चाहता है। भाई जगरनाथ के उत्तर से ही कवि को ग्राम-परिवेश का पूरा सामाजिक, आर्थिक तथा परिवारिक परिदृश्य हमारे सामने साकार करना चाहता है। प्रश्नों के प्रयोग से यह कविता काल्पनिक तथा अस्वाभाविक न होकर बिल्कुल स्वाभाविक तथा यथार्थवादी बन गया है। कवि के द्वारा प्रश्नवाचक चिन्हों के प्रयोग ने इस कविता पर कहीं भी आदर्श का रंग नहीं चढ़ने दिया है। साथ ही प्रश्नों का भरमार कर कवि ग्रामीण समस्याओं के प्रति अपनी खोजी सोच को परिलक्षित करने का सार्थक प्रयास किया है।
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प्रश्न 15.
कविता का शीर्षक है ‘जगरनाथ’ जिसका शुद्ध रूप जगन्नाथ है। शीर्षक में इस तद्भव रूप का प्रयोग कवि ने क्यों किया है?
उत्तर-
रूप जगरनाथ का प्रयोग कर कविता के माध्यम से एक दृष्टांत प्रस्तुत करने का प्रयास किया है कि शहरी ललकों से ओत-प्रोत होने के बावजूद अपने गाँव-गवई की भावुकतापूर्ण स्मृति उनके भीतर संजो रखा है। उनकी जमीन, उनका परिवेश और उनके संबंधों का राग उनके भीतर बदस्तूर महफूज है। तद्भव रूप जगरनाथ का प्रयोग से दुनिया में अंतर्विभाजन की कोई फाँक इस कविता में कही नहीं दिखती है।
प्रस्तुत शीर्षक ‘जगरनाथ’ कवि के गाँव की जिन्दगी के प्रति लगाव तथा गाँवों में व्याप्त साधनहीनता को प्रतिबिंबित करता है। कवि ने जगन्नाथ के स्थान पर उसका तद्भव रूप जगरनाथ का प्रयोग कर ग्रामीण भाषा के प्रति अपनी श्रद्धा को व्यक्त किया है। यहाँ प्रस्तुत कविता का शीर्षक ‘जगरनाथ’ ऊपर कही बातों की तस्दीक-सी करती है।
जगरनाथ भाषा की बात।
प्रश्न 1.
बक-बक, अभी-अभी में कौन-सा समास है?
उत्तर-
द्वन्द्व।
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प्रश्न 2.
बक-बक करना, ठीक ही होना, इस तरह के कई मुहावरे कविता में हैं। आप उन मुहानवरों को छाँट कर लिखिए और उनका वाक्य-प्रयोग कीजिए।
उत्तर-
जगरनाथ शीर्षक कविता में निम्नलिखित मुहावरे आये हैं-
  • बक-बक करना-कुछ मेरी भी सुनोगे कि बक-बक करते रहोगे?
  • ठीक ही होना-आमदनी’ बस ठीक ही है, चल जाता है।
  • समय मिलना-क्या करू, काम का इतना बोझ है कि समय नहीं मिल पाता आने का।
  • मार लेना-तुम देखते रह जाओगे और कोई तुम्हारा पाकेट मार लेगा।
  • होंठ फड़कना-मरते समय वह कुछ कहना चाह रहा था, लेकिन बस होंठ फड़क कर रह गये।
प्रश्न 3.
कविता में प्रयुक्त अव्ययों को चुन कर लिखें।
उत्तर-
जगरनाथ शीर्षक कविता में निम्नलिखित अव्यय प्रयुक्त हुए हैं
बक-बक, अभी-अभी, आजकल, जाओ-जाओ, चीड़ता-फड़ता, इस तरह आदि।
ललाट, पेड़, क्लास, पाँत, आसमान, राहत, बारिश, खुशबू, साथी।
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प्रश्न 4.
इन शब्दों को पर्यायवाची लिखों?
उत्तर-
ललाट-कपाल, क्लास-वर्ग, पाँत-पंक्ति, आसमान-गगन, राहत-आराम, बारिश-वर्षा, खुशबू-सुगन्ध, साथी-मित्र।
प्रश्न 5.
कविता में कई सर्वनाम हैं। आप उन सर्वनामों को छाँटें और बताएं कि वे किस प्रकार के सर्वनाम हैं?
उत्तर-
  • मैं, तुम, वह – पुरुषवाचक सर्वनाम
  • मेरा, तुम्हारा – संबंधवाचक सर्वनाम
  • क्या, क्यों – प्रश्नवाचक सर्वनाम
  • यह, वह, जहाँ – निश्चयवाचक सर्वनाम
  • कोई, कौन – अनिश्चयवाचक सर्वनाम
  • स्वयं, आप – निजवाचक सर्वनाम।
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प्रश्न 6.
कवि यहाँ उत्तम पुरुष की भूमिका में हैं। उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष और अन्य पुरुष का अंतर वाक्य प्रयोग द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर-
पुरुष (Person) सर्वनाम (जिन शब्दों का संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होता है) के भेद हैं। इनकी संख्या तीन है-
उत्तम पुरुष-जिस सर्वनाम से वक्ता या लेखक का बोध हो। जैसे-मैं, हम। मैं खाता हूँ। हम टहलते हैं।
मध्यम पुरुष-जिस सर्वनाम से सुनने वाले का बोध हो। जैसे-तू, आप, तुम, तुमलोग। तू कहाँ गया था? आप बैठिये। तुम लोग जा रहे हो।
अन्य पुरुष-जिस सर्वनाम से वक्ता या श्रोता के अतिरिक्त किसी अन्य का बोध हो, अर्थात् जिसके बारे में वक्ता कहे और श्रोता सुने, वह अन्य पुरुष है। जैसे-वह, यह, जो, सो, कुछ, कौन, कोई, वे, वे लोग, वे सब आदि।
  • वह – वह चला गया।।
  • यह – यह टलेगा नहीं।
  • जो – जो करना हो, जल्दी करो।
  • सो – जो अच्छा लगे, सो करो।
  • कुछ – कुछ भूल गया है।
  • कौन – कौन पुकार रहा है?
  • कोई – कोई आने वाला है।
  • वे – वे बहुत अच्छे हैं।
  • वे लोग/वे सब – वे लोग/वे सब बस म के हैं, काम के नहीं
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
जगरनाथ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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प्रश्न 1.
‘जगरनाथ’ कविता में प्रकृति वर्णन का परिचय दें।
उत्तर-
जगरनाथ’ कविता में केदारनाथ सिंह ने जगरनाथ के माध्यम से प्रकृति को भी याद किया है। वह नीम के पेड़ के विषय में जगरनाथ से पूछता है जहाँ बकरी उसकी बँधती थी। फिर वह आम के विषय में पूछता है कि आम पकने लगे हैं या नहीं। वार्तालाप के बीच सिर पर से वनसुग्गों की एक टोली गुजर जाती है और मन में हरापन दौड़ जाता है। आसमान में पक्षियों को उड़ते देखने पर उसको बहुत राहत अनुभव होती है। प्रकृति-चित्र के इन चन्द टुकड़ों के सहारे कवि ने प्रकृति को याद किया है। इसमें सीधा वर्णन नहीं प्रकृति-चित्रों का स्मरण है।
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प्रश्न 2.
कवि की जिज्ञासाएँ क्या हैं? स्पष्ट करें।
उत्तर-
लेखक हालचाल पूछने के क्रम में जगरनाथ से अनेक जिज्ञासाएँ करता है। इनमें कई तरह के प्रश्न हैं। प्रथमतः कवि उसका हालचाल पूछता है-कैसे हो जगरनाथ भाई? फिर बच्चों का समाचार पूछता है-बच्चे कैसे हैं? फिर उसके घर के सामने खड़े नीम के पेड़ के विषय में जिज्ञासा करता है। यह क्रम आगे बढ़ता है और उसके स्वास्थ्य के विषय में, वर्षा होने के विषय में, आमों के पकने के विषय में कवि जिज्ञासाएँ करता चला जाता है। इस तरह कवि ने जिज्ञासा के वृत्त में जगरनाथ, उसके घ र और गाँव की प्रकृति तथा मौसम को समेटा है।
जगरनाथ लघु उत्तरीय प्रश्न
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प्रश्न 1.
‘जगरनाथ’ कविता में कवि की दिनचर्या का संक्षेप में विवेचन करें।
उत्तर-
‘जगरनाथ’ कविता में कवि जगरनाथ का हालचाल पूछता है और संवाद पैदा करने हेतु अपने विषय में बताता जाता है। इसी क्रम में वह अपनी दिनचर्या बतलाता है कि वह क्लास में बकझक कर आता है अर्थात् पेशे से वह अध्यापक है। पढ़ाने के काम से फुरसत मिलने पर दिन में भी एक झपकी मार लेता है। खाता-पीता है और सब मिलाकर ठीक-ठाक दिनचर्या के सहारे जीवन चल रहा है।
प्रश्न 2.
कवि अपनी ही बातों में झूठ की गन्ध की बात क्यों कहता है?
उत्तर-
कवि के मन में एक चोर बैठा है नकली आत्मीयता या दिखावेपन का उसे लगता है कि जगरनाथ उसके खोखले आत्मीयतापूर्ण शब्दों की सच्चाई अनुभव कर रहा है और इसीलिए चुप है। इसी की प्रतिक्रिया में उसका असली रूप बाहर आ जाता है।
जगरनाथ अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कवि की जिज्ञासाओं के उत्तर में जगरनाथ क्या कहता है?
उत्तर-
जगरनाथ कोई उत्तर नहीं देता है। उसके ओठ फड़फड़ा कर रह जाते हैं और वह अजीब दृष्टि से कवि को ताकता है जिसे कवि सह नहीं पाता है।
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प्रश्न 2.
‘जगरनाथ’ कविता में कवि ने किस तत्त्व को केन्द्र में रखा है?
उत्तर-
‘जगरनाथ’ कविता में कवि ने जगरनाथ से आत्मीयता का सम्बन्ध स्थापित करने की चेष्टा को केन्द्र में रखा है।
प्रश्न 3.
जगरनाथ द्वारा कवि की भावना की प्रतिक्रिया में क्या उत्तर प्राप्त होता है?
उत्तर-
जगरनाथ कोई उत्तर नहीं देता है। उसके मन में यह स्नेह नहीं मात्र प्रदर्शन है। इसलिए यह अविश्वसनीय है। दोनों के धरातल दो हैं अत: बचपन की आत्मीयता का उल्लास उसके मन
में ही उमड़ता।
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प्रश्न 4.

विता के अन्त में जगरनाथ क्या करता है?
उत्तर-
वह कवि को ऐसी दृष्टि से ताकत हुआ चला जाता है जो दृष्टि कवि को भीतर तक . -काड़ देती है।
प्रश्न 5.
जगरनाथ शीर्षक कविता में किस परिवेश का चित्रण हुआ है?
उत्तर-
जगरनाथ शीर्षक कविता में गवई (ग्रामीण) परिवेश का चित्रण हुआ है।
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प्रश्न 6.
जगरनाथर किसका प्रतीक है?
उत्तर-
जगरनाथ सामान्य आदमी का प्रतीक है।
प्रश्न 7.
जगरनाथ शीर्षक कविता में कौन-सा बोध है?
उत्तर-
जगरनाथ शीर्षक कविता में यथार्थबोध और सौन्दर्य बोध दोनों पाई जाती है।
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