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Bihar Board Class 9 History Chapter 3 – वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1. फ्रांस की राजक्रांति किस ई० में हुई ?
(क) 1776
(ख) 1789
(ग) 1776
(घ) 1832
उत्तर- (ख) 1789
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 Solutions – फ्रांस की क्रान्ति
प्रश्न 2. बैस्टिल का पतन कब हुआ?
(क) 5 मई, 1789
(ख) 20 जून, 1789
(ग) 14 जुलाई, 1789
(घ) 27 अगस्त, 1789
उत्तर- (ग) 14 जुलाई, 1789
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 Solutions – फ्रांस की क्रान्ति
प्रश्न 3. प्रथम एस्टेट में कौन आते थे?
(क) सर्वसाधारण
(ख) किसान
(ग) पादरी
(घ) राजा
उत्तर- (ग) पादरी
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 Solutions – फ्रांस की क्रान्ति
प्रश्न 4. द्वितीय एस्टेट में कौन आते थे?
(क) पादरी
(ख) राजा
(ग) कुलीन
(घ) मध्यमवर्ग
उत्तर- (ग) कुलीन ।
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 Solutions – फ्रांस की क्रान्ति
प्रश्न 5. तृतीय एस्टेट में इनमें से कौन थे?
(क) दार्शनिक
(ख) कुलीन
(ग) पादरी
(घ) न्यायाधीश
उत्तर- (क) दार्शनिक
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 Solutions – फ्रांस की क्रान्ति
प्रश्न 6. बोल्टेमर क्या था?
(क) वैज्ञानिक
(ख) गणितज्ञ
(ग) लेखक
(घ) शिल्पकार
उत्तर- (ग) लेखक
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 Solutions – फ्रांस की क्रान्ति
प्रश्न 7. रूसो किस सिद्धान्त का समर्थक था?
(क) समाजवाद
(ख) जनता की इच्छा
(ग) शक्ति पृथक्करण
(घ) निरंकुशता (General Will)
उत्तर- (ख) जनता की इच्छा
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 Solutions – फ्रांस की क्रान्ति
प्रश्न 8. मांटेस्क्यू ने कौन-सी पुस्तक लिखी?
(क) समाजिक संविदा
(ख) विधि का आत्मा
(ग) दास केपिटल
(घ) वृहत ज्ञानकोष
उत्तर- (ख) विधि का आत्मा
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 Solutions – फ्रांस की क्रान्ति
प्रश्न 9. फ्रांस की राजक्रांति के समय वहाँ का राजा कौन था ?
(क) नेपोलियन
(ख) लुई चौदहवाँ
(ग) लुई सोलहवाँ
(घ) मिराब्यो
उत्तर- (ग) लुई सोलहवाँ
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 Solutions – फ्रांस की क्रान्ति
प्रश्न 10. फ्रांस में स्वतंत्रता दिवस कब मनाया जाता है ?
(क) 4 जुलाई
(ख) 14 जुलाई
(ग) 21 अगस्त
(घ) 31 जुलाई
उत्तर- (ख) 14 जुलाई
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 Solutions – फ्रांस की क्रान्ति
रिक्त स्थान की पूर्ति करें-
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 Solutions – फ्रांस की क्रान्ति
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लुई सोलहवाँ सन् 1774 ई० में फ्रांस की गद्दी पर बैठा।
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स्टेट जेनरल लुई सोलहवाँ की पत्नी थी। 3. फ्रांस की संसदीय संस्था को मेरी अन्तोयनेत कहते थे।
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ठेका पर टैक्स वसूलने वाले पूँजीपतियों को टैक्सफार्मर कहा जाता था।
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शक्ति पृथक्करण के सिद्धन्त की स्थापना मांटेस्क्यू ने की।
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रूसो की प्रसिद्ध पुस्तक ‘सामाजिक संविदा’ है।
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27 अगस्त, 1789 को फ्रांस की नेशनल एसेम्बली ने मानव और नागरिकों के अधिकार की घोषणा थी।
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जैकोबिन दल का प्रसिद्ध नेता मैक्समिलियन राब्स पियर था।
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दास प्रथा का अंतिम रूप से उन्मूलन 1848 ई० में हुआ।
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फ्रांसीसी महिलाओं को मतदान का अधिकार सन् 1946 ई० में मिला।
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 Solutions – फ्रांस की क्रान्ति
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 – लघु उत्तरीय प्रश्न
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 Solutions – फ्रांस की क्रान्ति
प्रश्न 1. फ्रांस की क्रांति के राजनैतिक कारण क्या थे?
उत्तर- फ्रांस की क्रांति के पीछे कई महत्वपूर्ण राजनैतिक कारण थे। राजा लुई XVI की निरंकुश शासन प्रणाली और कुशासन ने जनता में असंतोष पैदा किया। प्रशासनिक भ्रष्टाचार और अक्षमता ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। जनप्रतिनिधि संस्था एस्टेट्स जनरल को 175 वर्षों तक न बुलाए जाने से लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित हुई। अत्यधिक केंद्रीकृत शासन व्यवस्था और स्थानीय स्वायत्तता के अभाव ने जनता की समस्याओं को और बढ़ा दिया। राजदरबार की फिजूलखर्ची और विलासिता, विशेष रूप से रानी मेरी अंतोनेत के प्रभाव ने, जनता के गुस्से को और भड़काया। ये सभी कारक मिलकर एक ऐसा राजनीतिक माहौल तैयार करने में सहायक रहे, जिसने अंततः क्रांति को जन्म दिया।
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 Solutions – फ्रांस की क्रान्ति
प्रश्न 2. फ्रांस की क्रांति के सामाजिक कारण क्या थे?
उत्तर- फ्रांस की क्रांति के पीछे गहरे सामाजिक कारण थे। समाज का तीन असमान वर्गों में विभाजन मुख्य समस्या थी। पहले दो वर्गों (पादरी और अभिजात) को अनुचित विशेषाधिकार और कर छूट प्राप्त थी, जबकि तीसरे वर्ग, जो जनसंख्या का 90% था, पर अत्यधिक कर बोझ था और उन्हें सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता था। भूमि और संपत्ति का असमान वितरण भी एक बड़ी समस्या थी। शिक्षित मध्यम वर्ग में बढ़ता असंतोष, किसानों और मजदूरों की दयनीय स्थिति, और सामाजिक गतिशीलता का अभाव ने समाज में तनाव पैदा किया। ये सामाजिक असमानताएं और भेदभाव क्रांति के लिए उर्वर भूमि तैयार करने में सहायक रहे, जिससे अंततः पुरानी व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह हुआ।
Bihar Board Class 9 History Chapter 3 Solutions – फ्रांस की क्रान्ति
प्रश्न 3. क्रांति के आर्थिक कारणों पर प्रकाश डालें।
उत्तर- फ्रांस की क्रांति के पीछे कई गंभीर आर्थिक कारण थे। राज्य का दिवालियापन और भारी विदेशी कर्ज ने आर्थिक संकट पैदा कर दिया था। असमान और अन्यायपूर्ण कर व्यवस्था ने स्थिति को और बिगाड़ दिया, जिसमें किसानों और आम जनता पर अत्यधिक कर बोझ था। दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर भारी कर ने जीवन को और कठिन बना दिया। औद्योगिक क्रांति के कारण बढ़ती बेरोजगारी ने समस्या को और बढ़ा दिया। व्यापार पर अनेक प्रतिबंध और कर, जैसे गिल्ड व्यवस्था और प्रांतीय आयात कर, ने आर्थिक विकास को रोक दिया। इसके अलावा, कृषि संकट और खाद्य पदार्थों की कमी ने जनता के कष्टों को और बढ़ा दिया। ये सभी आर्थिक समस्याएं मिलकर जनता में व्यापक असंतोष का कारण बनीं, जो अंततः क्रांति का एक प्रमुख कारक बन गया।
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प्रश्न 4. फ्रांस की क्रांति के बौद्धिक कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर- फ्रांस की क्रांति के पीछे महत्वपूर्ण बौद्धिक कारण थे। प्रबोधन काल के दार्शनिकों और विचारकों ने क्रांति के लिए वैचारिक आधार तैयार किया। मॉन्टेस्क्यू ने अपनी पुस्तक ‘द स्पिरिट ऑफ लॉज’ में ‘शक्ति पृथक्करण सिद्धांत’ प्रस्तुत किया, जो निरंकुश शासन के विरुद्ध था। वोल्टेयर ने धार्मिक असहिष्णुता और अंधविश्वास की कड़ी आलोचना की। रूसो ने ‘सामाजिक समझौता सिद्धांत’ के माध्यम से लोकतंत्र का समर्थन किया। दिदेरो के ‘विश्वकोश’ ने नए वैज्ञानिक और दार्शनिक विचारों का प्रसार किया। फिजियोक्रेट्स जैसे क्वेस्ने और तुर्गो ने आर्थिक सुधारों की मांग की। इन विचारों का प्रसार पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों के माध्यम से हुआ, जिसने जनता में जागृति लाई और क्रांति के लिए मानसिक आधार तैयार किया।
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प्रश्न 5. ‘लेटर्स-डी-केचेट’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- ‘लेटर्स-डी-केचेट’ फ्रांस के राजा द्वारा जारी किए जाने वाले विशेष आदेश पत्र थे। ये पत्र राजा को बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने और कैद करने का अधिकार देते थे। इनका उपयोग अक्सर राजनीतिक विरोधियों, असंतुष्ट नागरिकों या धार्मिक अल्पसंख्यकों को दबाने के लिए किया जाता था। ये पत्र निरंकुश राजशाही का प्रतीक थे और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर एक गंभीर आघात थे। फ्रांसीसी क्रांति के दौरान इन पत्रों के दुरुपयोग ने जनता में भारी असंतोष पैदा किया, जो अंततः क्रांति के कारणों में से एक बना।
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प्रश्न 6. अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का फ्रांस की क्रांति पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम ने फ्रांसीसी क्रांति को कई तरह से प्रभावित किया। फ्रांसीसी सैनिकों ने अमेरिकी युद्ध में भाग लिया और वहाँ लोकतांत्रिक विचारों से प्रभावित हुए। लौटने पर, उन्होंने इन विचारों को फ्रांस में फैलाया। अमेरिकी क्रांति ने फ्रांसीसी लोगों को यह दिखाया कि एक सफल क्रांति संभव है। इसने स्वतंत्रता, समानता और लोकतंत्र के विचारों को बढ़ावा दिया। हालाँकि, अमेरिकी युद्ध में फ्रांस की भागीदारी ने उसकी आर्थिक समस्याओं को भी बढ़ाया, जो बाद में क्रांति का एक कारण बना। कुल मिलाकर, अमेरिकी क्रांति ने फ्रांसीसी लोगों को प्रेरित किया और उनके क्रांतिकारी विचारों को मजबूत किया।
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प्रश्न 7. ‘मानव एवं नागरिकों के अधिकार से’ आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- मानव एवं नागरिकों के अधिकारों की घोषणा’ फ्रांसीसी क्रांति का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज था, जो 26 अगस्त 1789 को पारित किया गया। इसने सभी नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे के सिद्धांतों को स्थापित किया। इस घोषणा ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकार को मान्यता दी। इसने यह भी घोषित किया कि सरकार की शक्ति जनता से आती है। यह दस्तावेज फ्रांस में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की नींव बना और विश्व भर में समान अधिकारों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गया।
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प्रश्न 8. फ्रांस की क्रांति का इंग्लैण्ड पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- फ्रांसीसी क्रांति ने इंग्लैंड पर गहरा प्रभाव डाला। शुरुआत में, इंग्लैंड में कुछ बुद्धिजीवियों ने क्रांति का स्वागत किया, लेकिन बाद में आतंक के शासन के दौरान इसका विरोध हुआ। क्रांति ने इंग्लैंड में सुधार की मांग को बढ़ावा दिया, जिसके परिणामस्वरूप 1832 का सुधार अधिनियम पारित हुआ। इसने मतदान अधिकारों का विस्तार किया और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में सुधार लाया। फ्रांस के साथ युद्ध ने इंग्लैंड में राष्ट्रवाद को भी बढ़ावा दिया। हालांकि, क्रांति के डर ने इंग्लैंड में कुछ दमनकारी कानूनों को भी जन्म दिया। कुल मिलाकर, फ्रांसीसी क्रांति ने इंग्लैंड में राजनीतिक और सामाजिक सुधारों की प्रक्रिया को तेज किया।
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प्रश्न 9. फ्रांस की क्रांति ने इटली को प्रभावित किया, कैसे?
उत्तर- फ्रांसीसी क्रांति ने इटली को कई तरह से प्रभावित किया। इस समय इटली कई छोटे-छोटे राज्यों में बँटा हुआ था। क्रांति के बाद नेपोलियन के इटली अभियान ने इटालवी लोगों में राष्ट्रीय एकता की भावना जगाई। फ्रांसीसी शासन ने इटली में कई सामाजिक और प्रशासनिक सुधार लागू किए, जैसे सामंती व्यवस्था का अंत और कानून का समान प्रयोग। इन परिवर्तनों ने इटालवी लोगों में स्वतंत्रता और एकता की इच्छा को बढ़ावा दिया। हालाँकि नेपोलियन की हार के बाद पुरानी व्यवस्था फिर से लागू हुई, लेकिन क्रांति के विचार इटली में जड़ जमा चुके थे। ये विचार 19वीं सदी में इटली के एकीकरण आंदोलन के लिए प्रेरणा बने।
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प्रश्न 10. फ्रांस की क्रांति से जर्मनी कैसे प्रभावित हुआ?
उत्तर- फ्रांसीसी क्रांति ने जर्मनी पर गहरा प्रभाव डाला। उस समय जर्मनी लगभग 300 छोटे-छोटे राज्यों में बँटा हुआ था। नेपोलियन के आक्रमण और शासन ने इन राज्यों की संख्या घटाकर 38 कर दी, जिससे भविष्य में एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। फ्रांसीसी क्रांति के ‘स्वतंत्रता’, ‘समानता’ और ‘बंधुत्व’ के आदर्शों ने जर्मन लोगों में राष्ट्रीय चेतना जगाई। नेपोलियन द्वारा लाए गए सुधारों, जैसे सामंती व्यवस्था का अंत और कानूनी सुधार, ने जर्मनी में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शुरू की। इन परिवर्तनों ने जर्मन राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया, जो बाद में जर्मनी के एकीकरण का आधार बना।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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प्रश्न 1. फ्रांस की क्रांति के क्या कारण थे?
उत्तर- फ्रांस की क्रांति (1789) के कई महत्वपूर्ण कारण थे:-
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सामाजिक कारण: फ्रांस का समाज तीन वर्गों में बँटा था। पहले दो वर्गों (पादरी और अभिजात) को विशेषाधिकार प्राप्त थे, जबकि तीसरा वर्ग (90% आबादी) भारी करों और भेदभाव से पीड़ित था।
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राजनीतिक कारण: राजा लुई XVI का निरंकुश शासन, प्रशासनिक भ्रष्टाचार, और कानून में असमानता ने जनता में असंतोष पैदा किया।
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आर्थिक कारण: राजदरबार की फिजूलखर्ची, असमान कर व्यवस्था, और खाली राजकोष ने आर्थिक संकट पैदा किया। किसानों और मध्यम वर्ग पर भारी कर बोझ था।
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बौद्धिक कारण: दार्शनिकों जैसे रूसो, वोल्टेयर और मॉन्टेस्क्यू के विचारों ने लोगों में जागृति लाई। उन्होंने राजतंत्र, चर्च और सामाजिक असमानताओं की आलोचना की।
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प्राकृतिक आपदाएँ: 1788-89 में खराब फसल और अकाल ने लोगों की कठिनाइयाँ बढ़ा दीं।
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अमेरिकी क्रांति का प्रभाव: अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम ने फ्रांसीसी लोगों को प्रेरित किया और उनकी आर्थिक समस्याओं को बढ़ाया।
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तात्कालिक कारण: राजा द्वारा तीसरे वर्ग की मांगों की अनदेखी और बास्तील के पतन ने क्रांति को तीव्र किया।
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प्रश्न 2. फ्रांस की क्रांति के परिणामों का उल्लेख करें।
उत्तर- फ्रांस की क्रांति के निम्नलिखित महत्वपूर्ण परिणाम हुए:-
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पुरातन व्यवस्था का अंत: क्रांति ने निरंकुश राजतंत्र और सामंती व्यवस्था को समाप्त कर दिया। ‘स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व’ के आदर्शों को बढ़ावा मिला।
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संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना: राजा के दैवी अधिकार का सिद्धांत समाप्त हुआ और लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना हुई।
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मानवाधिकारों की घोषणा: 1789 में ‘मानव और नागरिक अधिकारों की घोषणा’ ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और समानता के सिद्धांतों को स्थापित किया।
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धर्मनिरपेक्ष राज्य: चर्च की शक्ति कम हुई और धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिला।
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प्रशासनिक सुधार: न्यायपालिका, शिक्षा व्यवस्था और स्थानीय प्रशासन में महत्वपूर्ण सुधार हुए।
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आर्थिक परिवर्तन: सामंती अधिकारों और गिल्ड प्रथा का अंत हुआ, जिससे व्यापार और उद्योग को बढ़ावा मिला।
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सामाजिक समानता: जन्म पर आधारित विशेषाधिकारों का अंत हुआ और सामाजिक गतिशीलता बढ़ी।
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राष्ट्रवाद का उदय: फ्रांसीसी राष्ट्रवाद को बढ़ावा मिला, जो बाद में पूरे यूरोप में फैला।
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यूरोप पर प्रभाव: क्रांति के विचारों ने यूरोप के अन्य देशों में भी क्रांतिकारी और सुधारवादी आंदोलनों को प्रेरित किया।
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नए संस्थानों का निर्माण: राष्ट्रीय असेंबली, नया कैलेंडर, और मीट्रिक प्रणाली जैसे नए संस्थान स्थापित हुए।
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महिला अधिकार: हालांकि तत्काल प्रभाव सीमित था, लेकिन क्रांति ने महिला अधिकारों के लिए आंदोलन की नींव रखी।
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वैश्विक प्रभाव: फ्रांसीसी क्रांति के विचारों ने दुनिया भर में स्वतंत्रता और लोकतंत्र के आंदोलनों को प्रेरित किया।
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प्रश्न 3. फ्रांस की क्रांति एक मध्यमवर्गीय क्रांति थी, कैसे?
उत्तर- फ्रांस की क्रांति को मध्यमवर्गीय क्रांति इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें मध्यम वर्ग की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण थी। मध्यम वर्ग शिक्षित और सम्पन्न होने के बावजूद सामाजिक सम्मान और राजनैतिक अधिकारों से वंचित था। उन्हें कुलीनों के समान अधिकार नहीं मिलते थे और राज्य के सभी बड़े पद कुलीनों के लिए सुरक्षित थे। मध्यम वर्ग का मानना था कि सामाजिक स्थिति का आधार योग्यता होनी चाहिए, न कि वंश। इसी कारण क्रांति का प्रमुख नारा ‘समानता’ बना, जिसे मध्यम वर्ग ने आगे बढ़ाया। मध्यम वर्ग के शिक्षित लोगों ने तत्कालीन व्यवस्था के दोषों को उजागर किया और जनमानस में आक्रोश पैदा किया। फ्रांसीसी बुद्धिजीवियों जैसे मांटेस्क्यू, वोल्टेयर और रूसो ने बौद्धिक आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसने क्रांति के लिए वैचारिक आधार तैयार किया। अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक शोषण की आलोचना करते हुए मुक्त व्यापार का समर्थन किया। इन सभी कारणों से मध्यम वर्ग में राजा और कुलीन वर्ग के प्रति असंतोष बढ़ा, जो अंततः क्रांति का रूप ले लिया।
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प्रश्न 4. फ्रांस की क्रांति में वहाँ के दार्शनिकों का क्या योगदान था?
उत्तर- फ्रांस की क्रांति में वहाँ के दार्शनिकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। मांटेस्क्यू ने अपनी पुस्तक ‘विधि की आत्मा’ में शक्ति के पृथक्करण का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार के तीनों अंग – कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका – अलग-अलग होने चाहिए। वोल्टेयर ने चर्च और राजतंत्र की आलोचना की और कहा कि शासन प्रजाहित में होना चाहिए। रूसो ने अपनी पुस्तक ‘सामाजिक संविदा’ में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था का समर्थन किया और जनमत को सर्वोच्च माना। उन्होंने कहा कि राज्य जनता की आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए है। दिदरो ने ‘वृहत् ज्ञान कोष’ के माध्यम से निरंकुश राजतंत्र, सामंतवाद और जनता के शोषण की आलोचना की। अर्थशास्त्री क्वेजनों और तुर्गो ने आर्थिक शोषण की आलोचना करते हुए मुक्त व्यापार का समर्थन किया। इन दार्शनिकों के विचारों ने जनता में जागरूकता पैदा की और क्रांति के लिए वैचारिक आधार तैयार किया, जिससे लोगों में परिवर्तन की इच्छा जागृत हुई और वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने को तैयार हुए।
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प्रश्न 5. फ्रांस की क्रांति की देनों का उल्लेख करें।
उत्तर- फ्रांस की क्रांति 1789 ई. में हुई और इसने न केवल फ्रांस बल्कि पूरे विश्व को प्रभावित किया। इस क्रांति की प्रमुख देनें निम्नलिखित हैं:-
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स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांत विश्व भर में फैले।
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मानवाधिकारों की घोषणा ने व्यक्तिगत अधिकारों को महत्व दिया।
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निरंकुश राजतंत्र का अंत हुआ और लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की नींव रखी गई।
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सामंती व्यवस्था और कुलीनतंत्र का अंत हुआ, जिससे समाज में समानता बढ़ी।
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धर्म और राज्य के बीच पृथक्करण की अवधारणा विकसित हुई।
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राष्ट्रवाद की भावना का उदय हुआ, जो बाद में यूरोप और अन्य देशों में फैली।
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शिक्षा और न्याय व्यवस्था में सुधार हुए।
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महान दार्शनिकों की पुस्तकें जैसे मांटेस्क्यू की ‘विधि का आत्मा’ और रूसो की ‘सामाजिक संविदा’ ने नए विचारों को जन्म दिया।
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प्रश्न 6. फ्रांस की क्रांति ने यूरोपीय देशों को किस तरह प्रभावित किया।
उत्तर- फ्रांस की क्रांति ने यूरोपीय देशों को निम्नलिखित तरीकों से प्रभावित किया:-
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राजतंत्र के विरुद्ध आंदोलन: कई यूरोपीय देशों में निरंकुश राजतंत्र के खिलाफ विरोध शुरू हुआ।
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सामंती व्यवस्था का अंत: फ्रांस की तरह अन्य देशों में भी सामंती व्यवस्था को समाप्त करने के प्रयास हुए।
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राष्ट्रीयता की भावना: नेपोलियन के अभियानों ने यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना को जगाया।
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इटली और जर्मनी का एकीकरण: क्रांति के विचारों ने इटली और जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया को प्रेरित किया।
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संवैधानिक सुधार: इंग्लैंड में 1832 का रिफॉर्म एक्ट फ्रांसीसी क्रांति से प्रेरित था।
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पोलैंड का पुनर्जन्म: क्रांति ने पोलैंड के लोगों में स्वतंत्रता की आकांक्षा जगाई।
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लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रसार: स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्श यूरोप भर में फैले।
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सामाजिक परिवर्तन: कई देशों में सामाजिक वर्ग व्यवस्था को चुनौती दी गई।
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प्रश्न 7. फ्रांस की क्रांति एक युगान्तकारी घटना थी’ इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर- फ्रांस की क्रांति 1789 में एक युगान्तकारी घटना थी, जिसने न केवल फ्रांस बल्कि पूरे यूरोप और विश्व के इतिहास को प्रभावित किया। यह क्रांति प्राचीन व्यवस्था का अंत और आधुनिक युग का आरंभ थी। इसने सामंती व्यवस्था और निरंकुश राजतंत्र को समाप्त कर लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना की। क्रांति ने समाज में व्याप्त असमानता को चुनौती दी और स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों को स्थापित किया। इसने चर्च के प्रभुत्व को कम किया और धर्मनिरपेक्ष राज्य की अवधारणा को बढ़ावा दिया। क्रांति ने राष्ट्रवाद की भावना को जन्म दिया, जो बाद में यूरोप के अन्य देशों में फैली। इसने मानवाधिकारों की घोषणा के माध्यम से व्यक्तिगत अधिकारों को महत्व दिया। फ्रांस की क्रांति ने शिक्षा, न्याय व्यवस्था और प्रशासन में सुधार किए। इन सभी कारणों से फ्रांस की क्रांति को एक युगान्तकारी घटना माना जाता है, जिसने आधुनिक लोकतांत्रिक समाजों के विकास का मार्ग प्रशस्त किया।
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प्रश्न 8. फ्रांस की क्रांति के लिए लुई सोलहवाँ किस तरह उत्तरदायी था?
उत्तर- लुई सोलहवाँ फ्रांस की क्रांति के लिए कई तरह से उत्तरदायी था। वह एक अयोग्य और निरंकुश शासक था, जिसने अपने शासन में कई गंभीर गलतियाँ कीं। उसकी निरंकुश शासन शैली ने जनता में असंतोष पैदा किया। उसने ‘मेरी इच्छा ही कानून है’ जैसे कथनों से अपनी स्वेच्छाचारिता को प्रदर्शित किया। लुई की पत्नी मेरी अन्तोयनेत की फिजूलखर्ची और राजकार्य में अनुचित हस्तक्षेप ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। राजा के दरबार में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनावश्यक खर्च ने राज्य की आर्थिक स्थिति को कमजोर किया। लुई ने स्वायत्त शासन की मांगों को नजरअंदाज किया और केंद्रीकृत शासन को बनाए रखा। उसने प्रशासनिक सुधारों को लागू करने में विफलता दिखाई और आर्थिक संकट से निपटने में असमर्थ रहा। इन सभी कारणों से जनता में राजतंत्र के प्रति विरोध बढ़ा और अंततः क्रांति का मार्ग प्रशस्त हुआ। लुई की अनिर्णय की स्थिति और समय पर उचित कदम न उठाने की अक्षमता ने भी क्रांति को बल दिया।
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प्रश्न 9. फ्रांस की क्रांति में जैकोबिन दल का क्या भूमिका थी?
उत्तर- जैकोबिन दल ने फ्रांस की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई:-
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यह दल 1789 में स्थापित हुआ और क्रांति के उग्र वामपंथी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता था।
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इसके सदस्य मुख्यतः छोटे दुकानदार, कारीगर और मजदूर थे, जो समाज के निम्न और मध्यम वर्ग का प्रतिनिधित्व करते थे।
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मैक्सिमिलियन रोबेस्पियर इस दल का प्रमुख नेता था।
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जैकोबिन ने 1792 में खाद्य संकट और महंगाई के मुद्दे पर जन-विद्रोह का नेतृत्व किया।
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1793 में जैकोबिन ने सत्ता संभाली और “आतंक का शासन” स्थापित किया।
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उन्होंने राजतंत्र को समाप्त कर गणतंत्र की स्थापना की और लुई सोलहवें को मृत्युदंड दिया।
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जैकोबिन ने सार्वभौमिक मताधिकार लागू किया और समानता के सिद्धांत को बढ़ावा दिया।
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उन्होंने शिक्षा, धर्म और प्रशासन में कई क्रांतिकारी सुधार किए।
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हालांकि, उनकी अत्यधिक कठोर नीतियों के कारण 1794 में रोबेस्पियर को गिरफ्तार कर मृत्युदंड दिया गया।
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प्रश्न 10. नेशनल एसेम्बली और नेशनल कन्वेंशन ने फ्रांस के लिए कौन-कौन से सुधार पारित किए ?
उत्तर- नेशनल एसेम्बली द्वारा किए गए सुधार:-
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‘मानव और नागरिकों के अधिकारों की घोषणा’ पारित की गई।
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व्यक्तिगत स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई।
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संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना की गई।
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शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत अपनाया गया।
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निजी संपत्ति के अधिकार को मान्यता दी गई।
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कानून के समक्ष समानता का सिद्धांत लागू किया गया।
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नेशनल कन्वेंशन द्वारा किए गए सुधार:-
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राजतंत्र का अंत कर गणतंत्र की स्थापना की गई।
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सार्वभौमिक मताधिकार लागू किया गया (21 वर्ष से अधिक उम्र के सभी पुरुषों को)।
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फ्रांसीसी गणराज्य का नया कैलेंडर लागू किया गया।
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शिक्षा व्यवस्था में सुधार किए गए।
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चर्च की संपत्ति का राष्ट्रीयकरण किया गया।
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सामंती अधिकारों को समाप्त किया गया।
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