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सिपाही की माँ
1.बिशनी और मुन्नी को किसकी प्रतीक्षा है, वे डाकिए की राह क्यों देखती है?
उत्तर- बिशनी और मुन्नी को अपने घर के इकलौते बेटे मानक की प्रतीक्षा है। वे उसकी चिट्ठी आने के इंतजार में डाकिए की राह देखती है।
2.बिशनी मानक को लड़ाई में क्यों भेजती है?
उत्तर- बिशनी के घर की हालत बहुत खराब है। उसे अपनी बेटी का ब्याह भी करना है। इसलिए वह मानक को लड़ाई में भेजती है।
3.सप्रसंग व्याख्या करें – यह भी हमारी तरह गरीब आदमी है।
उत्तर- प्रसंग-प्रस्तुतगद्यांश हिन्दी साहित्य के प्रमुख कथाकर एवं नाटककार मोहन राकेश द्वारा रचित उनके एकांकी ‘सिपाही की माँ’ से अवतरित है। यहाँ एक माँ अपने बेटे को गलत कार्य करने से रोक रही है। व्याख्या- मानक को मारने के लिए उसके पीछे एक सिपाही आता है। वह मानक को हर हाल में मारना चाहता है। लेकिन तभी मानक खड़ा हो जाता है और उसी को मारने लगता है। यह देखकर उसकी माँ उसे रोकती हुई कहती है कि तू इसे नहीं मारेगा ! यह भी हमारी तरह गरीब है। अर्थात् युद्ध में जो सिपाही लड़ते और मरते हैं। उनका युद्ध से कोई लेना-देना नहीं होता है। वे तो अपनी छोटी-छोटी मजबूरियों के कारण युद्ध में शामिल होते हैं जिसके बदले में उन्हें अपनी जान तक गंवानी पड़ती है।
4. वर-घर देखकर ही क्या करना है, कुंती? मानक आए तो कुछ हो भी। तुझे पता ही है, आजकल लोगों के हाथ कितने बढ़े हुए हैं।
उत्तर-प्रसंग-पूर्ववत्। बिशनी से मिलने उसकी पड़ोसन कुन्ती आती है और वह मुन्नी के लिए रिश्ता ढूँढने की बात कहती है। तब बिशनी उसे अपनी मजबूरी बताती है। व्याख्या- बिशनी कुंती से कहती है कि वर देखकर कोई लाभ नहीं है क्योंकि हमारे पास रुपए तो है नहीं जो विवाह किया जा सके। इसलिए जब मानक आएगा तभी कुछ हो सकता है। वैसे भी आजकल शादी-ब्याह में बहुत अधिक खर्चे होते हैं। अर्थात् बिशनी स्पष्ट कहती है कि उसके पास रुपए-पैसे बिल्कुल भी नहीं हैं इसलिए जब उसका बेटा आएगा तभी शादी के बारे में कुछ सोचा जा सकता है।
5.नहीं, फौजी वहाँ लड़ने के लिए हैं, वे नहीं भाग सकते। जो फौज छोड़कर भागता है, उसे गोली मार दी जाती है।
उत्तर- प्रसंग-पूर्ववत्। यहाँ बर्मा से आई लड़कियाँ फौज के नियमों के बारे में बता रही हैं। व्याख्या- जब मुन्नी बर्मा से आई लड़कियों से पूछती है कि फौजी युद्ध से भागकर नहीं आ सकते तब उनमें से एक लड़की कहती है कि फौजी वहाँ लड़ने के लिए गए हैं। वे वहाँ से भाग नहीं सकते हैं। अगर कोई भागने की कोशिश भी करता है तो उसे गोली मार दी जाती है।
6.‘भैया मेरे लिए जो कड़े लाएँगे, वे तारों और बंतो के कड़ों से भी अच्छे होंगे न’ मुन्नी के इस कथन को ध्यान में रखते हुए उसका परिचय आप अपने शब्दों में दीजिए।
उत्तर- मुन्नी ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी को एक प्रमुख पात्र है। मुन्नी सिपाही मानक की बहन और बिशनी की पुत्री है। उसकी उम्र इस लायक हो गई है कि शादी की जा सके। वह एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखती है। उसके सारे सपने उसके भाई सिपाही मानक के साथ जुड़े हुए हैं। वह गाँव की लड़कियों को कड़े पहने देखकर अपने माँ से कहती माँ भैया मेरे लिए जो कड़े लायेंगे वे तारों और बंतों के कड़ों से भी अच्छे होंगे ना। मुन्नी अपने भाई से बेइंतहा प्रेम करती है। अपने भाई के लड़ाई में जाने के बाद मानक की चिट्ठी का इंतजार बड़ी बेसब्री से करती है। वह स्वभाव से भोली, निश्छल एवं साहसी है। क्योंकि उसके सारे सपने अरमान उसके भाई मानक के साथ जुड़े हुए हैं और वही पूरा करने वाला भी है।
7.बिशनी मानक की माँ है, पर उसमें किसी भी सिपाही की माँ को ढूँढ़ा जा सकता है। कैसे?
उत्तर- बिशनी मोहन राकेश द्वारा लिखित ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी की प्रमुख पात्र है। एकांकी के दूसरे भाग में बिशनी स्वप्न में जो घटना घटती है उसमें जो संवाद होता है उस संवाद से उसमें किसी भी सिपाही की माँ को ढूँढ़ा जा सकता है। जब सिपाही मानक को खदेड़ते हुए विशनी के पास ले जाता है तो मानक की गले से लिपट जाता है और सिपाही के पूछने पर कि इसकी तू क्या लगती है विशनी का जवाब आता है-मैं इसकी माँ हूँ। मैं तुझे इसे मारने नहीं दूँगी। तब सिपाही का जवाब आता है यह हजारों का दुश्मन है वे उसको खोज रहे हैं तब बिशनी कहती है-तू भी तो आदमी है तेरा भी घर-वार होगा। तेरी भी माँ होगी। तू माँ के दिल को नहीं समझता। मैं अपने बच्चे को अच्छी तरह से जानती हूँ। साथ ही जब मानक पलटकर सिपाही पर बन्दूक तान देता है तब बिशनी मानक को यह कहती है कि बेटा। तू इसे नहीं मारेगा। तुझे तेरी माँ की सौगन्ध तू इसे नहीं मारेगा इन संवादों से पता चलता है कि बिशनी मानक को जितना बचाना चाहती है उतना ही उस सिपाही को भी जो उसके बेटे को मारने के लिए खदेड़ रहा था। उसका दिल दोनों के लिए एक है। अत: उसमें किसी भी सिपाही की माँ को ढूँढ़ा जा सकता है।
8.एकांकी और नाटक में क्या अन्तर है? संक्षेप में बताएँ।
उत्तर-एकांकी और नाटक में निम्नलिखित अंतर है
1.एकांकी में एक ही अंक होते हैं और उस एक अंक में एक से अधिक दृश्य होते हैं जबकि नाटक में एक से अधिक अंक या एक्ट होते हैं और प्रत्येक अंक कई दृश्यों में विभाजित होकर . प्रस्तुत होता है।
2.एकांकी नाटक में एकल कथा होती है अर्थात् वहाँ केवल आधिकारिक कथा प्रासंगिक नहीं। साथ ही नाटक में आधिकारिक कथा आकार की दृष्टि से छोटी होती है तथा कोई एक लक्ष्य लेकर चलती है।
3.एकांकी और नाटक में क्रिया व्यापार की सत्ता प्रधान होती है। इसे संघर्ष या द्वन्द्व कहा. जाता है। यही कथा और पात्र को लक्ष्य तक पहुँचाता है। एकांकी में यह क्रिया व्यापार सीधी रेखा में चलता है लेकिन नाटक में प्रायः टेढ़ी-सीधी रेखा चलती है। नाटक में इतर प्रसंगों के लिये अवसर होता है लेकिन एकांकी में भटकने की गुंजाइश नहीं होती है।
4.एकांकी में यथासाध्य जरूरी स्थितियों को ही कहने की चेष्टा की जाती है जबकि नाटक में देशकाल और वातावरण को थोड़े विस्तार से चित्रित करने का अवसर होता है।
5.भारतीय दृष्टि से नाटक में कथा को नियोजित संघटित करने के लिए अर्थ, प्रकृति, कार्यावस्था और नाट्य सन्धि का विधान किया गया है लेकिन एकांकी में इनकी आवश्यकता नहीं पड़ती है।
9.आपके विचार में इस एकांकी का सबसे सशक्त पात्र कौन है और क्यों?
उत्तर- मेरे विचार से ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी का सबसे सशक्त पात्र बिशनी है। सम्पूर्ण एकांकी में बिशनी धूरी का कार्य करती है जिसके चारों तरफ एकांकी के सभी पात्र घूमते हुए नजर आते हैं। उसे सम्पूर्ण एकांकी का केन्द्र बिन्दुः भी कहा जा सकता है। बिशनी एक माँ है। माँ के सारे गुण एवं लक्षण उसमें वर्तमान हैं। इकलौते सिपाही बेटे को वह फौज में भेजने में जरा भी संकोच नहीं करती है। साथ ही पुत्र के प्रति ममता सहन ही परिलक्षित होती है मानक के पत्र की प्रतीक्षा पर भी वह पुत्र की कुशलता के प्रति चिन्तित है। बिशनी एक अविवाहित पुत्री की माँ है। पुत्री के विवाह की चिन्ता ही उसके सारे दुखों का कारण है। यह सहज और स्वाभाविक है। वह एक भारतीय एवं ग्रामीण नारी की प्रतिमूर्ति है। भला एक भारतीय नारी को अपनी जवान पुत्री की चिन्ता क्यों न हो। पुत्री को अपना भार नहीं समझती। बार-बार प्रत्येक अवसर पर वह उसके माथे को चूम लेती है। वह उसे एक वरदान के रूप में मानती है। बिशनी माँओं में माँ है। वह एक सामान्य माँ नहीं है। अपने पुत्र की चिन्ता उसे है। साथ ही दूसरे के पुत्र का भी उतना ही ख्याल रखती है। वह हर हाल में दुश्मन सिपाही की अपने पुत्र से रक्षा करने का सशक्त प्रयास करती है। किसी भी हाल में वह मानक को उसे मारने नहीं देती। धक्के खाकर भी वह बार-बार और जोरदार विरोध करती है। बिशनी में एक सहज ग्रामीण नारी के गुण भी कभी-कभी दिखाई पड़ते हैं। गाँव के चौधरी के प्रति उसका विचार सामान्य नारी के समान है। वह चौधरी की किसी बात पर भरोसा नहीं करती लेकिन उसमें कोई कपट दिखाई नहीं पड़ता वह निष्कपट है। वह एक अच्छी माँ, अच्छी पड़ोसन और अच्छी अभिभावक है। एक अच्छी नारी के सभी अच्छे गुण उसमें वर्तमान हैं। अत: बिशनी इस एकांकी की सबसे सशक्त पात्र हैं।
10.दोनों लड़कियाँ कौन हैं?।
उत्तर- ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी में दो लड़कियों के नाम से दो पात्र हैं। एक को पहली लड़की व दूसरी को दूसरी लड़की के रूप में संबोधित किया गया है। दोनों लड़कियाँ बर्मा की रंगून नगर की है। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जब जापानी व हिन्दुस्तानी सेना बर्मा में युद्ध कर रही थी तब वहाँ भयंकर रक्तपात हुआ था। लाखों बर्मा निवासी घर-द्वार छोड़कर भारत की सीमा में घुस आये थे। उन्हीं में से दो लड़कियों ने अपने परिवार के ग्यारह सदस्यों के साथ दुर्गम एवं बीहड़ जंगलों एवं दलदलों को पार करते हुए भारत में प्रवेश किया था। उन्हीं दोनों लड़कियों की भेंट इस एकांकी की मुख्य पात्र बिशनी से हो जाती है एवं खाने के लिए अन्न की माँग करती है। बिशनी इन्हें भर कटोरा चावल देती है।
11.कुन्ती का परिचय आप किस तरह देंगे?
उत्तर- कुन्ती “सिपाही की माँ” शीर्षक एकांकी में एक प्रमुख पात्र है। यह एक अच्छी पड़ोसन के रूप में रंगमंच पर प्रस्तुत हुई है। यद्यपि कुन्ती की भूमिका थोड़े समय के लिये है। तब भी उसे थोड़े में आँका नहीं जा सकता। वह बिशनी की पुत्री मुन्नी के विवाह के लिये चिन्नित है। वह स्वयं मुन्नी के लिये वर-घर खोजने को भी तैयार है। वह बिशनी को सांत्वना भी देती है। बिशनी के पुत्र मानक के बर्मा की सकुशल लौटने की बात भी वह करती है। बिशनी के प्रति उसकी सहानुभूति उसके शब्दों में स्पष्ट दिखाई पड़ती है। वह कहती है तू इस तरह दिल क्यों हल्का कर रही है। कुन्ती बर्मा के लड़कियों के प्रति थोड़ा कठोर दिखाई देती है। उनके हाव-भाव एवं पहनावे तथा भिक्षाटन पर थोड़ा क्रुद्ध भी हो जाती है। उनका इस तरह से भिक्षा माँगना कतई अच्छा नहीं लगता है। यह कहती भी है-‘हाय रे राम ! ये लड़कियाँ कि….!.
12.मानक और सिपाही एक दूसरे को क्यों मारना चाहते हैं?
उत्तर- मानक वर्मा की लड़ाई में भारत की ओर से अंग्रेजों के साथ लड़ने गया था। और दूसरी ओर के पक्ष जापानी थे। सेना एक दूसरे का दुश्मन है। क्योंकि वे अपने-अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। मानक और सिपाही अपने को एक दूसरे का दुश्मन समझते हैं इसलिए वे एक-दूसरे को मारना चाहते हैं।
13.मानक स्वयं को वहशी और जानवर से भी बढ़कर क्यों कहता है?
उत्तर- ‘सिपाही की माँ” शीर्षक एकांकी में मानक एक फौजी है। वह बर्मा में हिन्दुस्तानी फौज की ओर से जापानी सेना से युद्ध कर रहा है। मानक और दुश्मन सिपाही एक-दूसरे को घायल करते हैं। मानक भागता हुआ अपनी माँ के पास आता है। दुश्मन सिपाही उसका पीछा करते हुए वहाँ पहुँच जाता है। मानक की माँ मानक को बचाना चाहती है। इस पर दुश्मन सिपाही मानक को वहशी और जानवर कहकर पुकारते हैं। मानक का पौरुष जग उठता है तो घायल अवस्था में भी वह खड़ा होकर सिपाही को मारने का प्रयास करता है और क्रोध की स्थिति में वह स्वयं को वहशी और जानवर से भी बढ़कर कहता है। मानक का ऐसा कहना अतिशयोक्ति नहीं है। समय और परिस्थिति के अनुसार उसका कहना यथार्थ है? दर्शकों की नजर में मानक की उक्ति प्रभावकारी एवं आकर्षक है।
14.मुन्नी के विवाह की चिन्ता न होती तो मानक लड़ाई पर न जाता, वह चिन्ता भी किसी लड़ाई से कम नहीं है? क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपना पक्ष दें
उत्तर- हम इस कथन से पूर्णतः सहमत हैं कि चिन्ता भी किसी लड़ाई से कम नहीं है। उसके भीतर एक लड़ाई चलती रहती है अर्थात् वह मानसिक रूप से बेचैन रहता है। जिस प्रकार युद्ध में घात-प्रतिघात का दौर चलता है उसी प्रकार उसके मन में भी ऐसी ही स्थिति बनी रहती है। बिशनी और मानक को मुन्नी के विवाह की चिन्ता है, इसीलिए मानक लड़ाई पर गया है। यह चिन्ता भी किसी लड़ाई के समान ही है क्योंकि इस कारण उन्हें बहुत से प्रयास करने पड़ते हैं। युद्ध के समान ही जब तक यह चिन्ता समाप्त नहीं हो जाती तब तक इससे पीड़ित लोग परेशान ही रहते हैं।
15.सिपाही के घर की स्थिति मानक के घर से भिन्न नहीं है, कैसे। स्पष्ट करें।
उत्तर- “सिपाही की माँ” शीर्षक एकांकी में सिपाही एवं मानक दो ऐसे पात्र हैं जिनके घर की स्थिति एक-दूसरे से भिन्न नहीं है। मानक के घर में माँ और कुँआरी बहन मुन्नी है। मानक की माँ मानक का समाचार पाने की चिन्ता में सदा परेशान रहती है। मानक की माँ एक साधारण निम्न मध्यवर्गीय महिला है। मानक की बहन मुन्नी अपने भाई के आने की प्रतीक्षा बेसब्री से करती है। घर में गरीबी है। मुन्नी का विवाह मानक की आय पर ही निर्भर है। घर की स्थिति ऐसी है कि अगर युद्ध में मानक को कुछ हो गया तो उसकी माँ एवं छोटी बहन मुन्नी का इस धरती पर रहने का कोई अर्थ नहीं। घर का सारा दारोमदार मानक पर निर्भर है। वर्मा में युद्ध चल रहा है, यह जानकर मानक की माँ की स्थिति बहुत ही बुरी हो जाती है। सपने में वह बहुत बुरी घटना को देखती है। दूसरे सिपाही के घर की स्थिति भी मानक के घर की स्थिति में समान है। सिपाही की माँ बर्मा में युद्ध का समाचार सुनकर पागल हो गई है। पत्नी सिपाही के मरने पर फाँसी लगाकर जान देने की घोषणा पहले ही कर चुकी है। उसके पेट में छ: माह का बच्चा भी है। दोनों घरों की समान स्थिति का संकेत मानक की माँ स्वयं उस समय देती है जब मानक सिपाही को जान से मारने पर आमादा है। मानक की माँ कहती है-“यह भी हमारी तरह गरीब आदमी है।”
16.पठित एकांकी में दिए गए रंग-निर्देशों की विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर- पठित एकांकी में दिए गए रंग-निर्देशों में निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ हैं
रंगमंचयिता-एकांकी में दिए गए अधिकांश रंग-निर्देश रंगमंच पर इसकी प्रस्तुति की दृष्टि में बहुत ही महत्वपूर्ण है।
अभिनव में सहायक-ये रंग-निर्देश अभिनय में भी सहायक है। कई स्थानों पर तो अभिनय की स्थितियों का भी वर्णन है।
सरल तथा सहज-अधिकांश रंग-निर्देश सरल तथा सहज है जिन्हें आसानी से अपनाया जा सकता है।
चित्रात्मकता-ये रंग-निर्देश चित्रात्मकता से पूर्ण है। इन्हें पढ़ते समय समस्त दृश्य आँखों के समक्ष आ जाते हैं।
कथ्य विस्तार में सहायक-कई स्थानों पर रंग-निर्देशों के सहारे कथ्य को आगे बताया गया है।
पात्रों का चरित्र-चित्रण-कुछ रंग-निर्देश ऐसे भी हैं जिनके द्वारा लेखक ने पात्रों की चरित्रगत विशेषताओं को उजागर किया है
17.“सिपाही की माँ’ की संवाद योजना की विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर- ‘सिपाही की माँ’ एकांकी की संवाद योजना की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
सरल तथा सहज-एकांकी की संवाद योजना अत्यन्त सरल तथा सहज हैं जिन्हें पाठक या श्रोता सहजता से समझ लेता है।
संक्षिप्तता-संक्षिप्तता इस एकांकी की संवाद योजना की प्रमुख विशेषता अधिकांश संवाद कुछ शब्दों या एक-दो वाक्यों के हैं।
भावपूर्ण-एकांकी के अधिकांश संवाद भावपूर्ण है।
कथानक को आगे बढ़ाने में सहायक-एकांकी के अधिकतर संवाद कथानक को निश्चित प्रवाह के साथ आगे बढ़ाने में सहायक हैं।
रोचकता-एकांकी में प्रयुक्त संवाद रोचकता से भरपूर हैं जिससे कथानक में बोझिल या दुरुहता नहीं आई है।
पात्रानुकूल-संवाद पूर्णतः पात्रानुकूल है जिससे पात्रों की मनःस्थिति तथा चरित्र के समझने में कोई कठिनाई नहीं होती है। कुछ संवाद तो पात्रों की क्रियाओं को भी व्यक्त करते हैं।