इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड संस्कृत कक्षा 10 पाठ 11 व्याघ्रपथिककथा (Vyaghra pathik katha in hindi) के प्रत्येक पंक्ति के अर्थ के साथ उसके वस्तुनिष्ठ और विषयनिष्ठ प्रश्नों के व्याख्या को पढ़ेंगे।
1. व्याघ्रपथिक कथा से क्या शिक्षा मिलती है ? अथवा, व्याघ्नपथिक कथा में मूल संदेश क्या है ?
उत्तर⇒ नारायण पण्डित विरचित हितोपदेश के नीतिकथाग्रन्थ के मित्रलाभखण्ड से ली गयी कथा ‘व्याघ्रपण्डित’ है । इस कथा में एक पथिक वृद्ध व्याघ्र द्वारा दिये गये प्रलोभन में पड़ जाता है। वृद्ध व्याघ्र हाथ में सुवर्णकंकण लेकर पथिक को अपनी ओर आकृष्ट करता है। पथिक निर्धन होने के बावजूद व्याघ्र पर विश्वास नहीं करता । तब व्याघ्र द्वारा सटीक तर्क दिये जाने पर पथिक संतुष्ट होकर कंकण ले लेना उचित समझता है। व्याघ्र द्वारा स्नान कर ग्रहण करने की बात स्वीकार कर पथिक महाकीचड़ में गिर जाता है और व्याघ्र द्वारा मारा जाता है। इस कथा में संदेश और शिक्षा यही है कि नरमक्षी प्राणियों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए और अपनी किसी भी समस्या का समाधान ऐसे व्यक्ति द्वारा नजर आये तब भी उसके लोभ में नहीं फँसना चाहिए
2. व्याघ्रपथिक कथा पाठ का पाँच वाक्यों में परिचयं दें।
उत्तर⇒ यह कथा नारायणपंडित रचित प्रसिद्ध नीतिकथाग्रन्थ ‘हितोपदेश’ के प्रथम भाग ‘मित्रलाभ’ से संकलित है । इस कथा में लोभाविष्ट व्यक्ति की दुर्दशा का निरूपण है । आज के समाज में छल-छद्म का वातावरण विद्यमान है जहाँ अल्प वस्तु के लोभ से आकृष्ट होकर लोग अपने प्राण और सम्मान से वंचित हो जाते हैं। यह उपदेश इस कथा से मिलता है कि वंचकों के चक्कर में न पड़ें।
3. वृद्ध बाघ ने पथिकों को फंसाने के लिए किस तरह का भेष रचाया ?
उत्तर⇒ वृद्ध बाघ ने पथिकों को फंसाने के लिए एक धार्मिक का भेष रचाया । उसने स्नान कर और हाथ में कुश लेकर तालाब के किनारे पथिकों से बात कर उन्हें दानस्वरूप सोने का कंगन पाने का लालच दिया ।
4. पथिक वृद्ध बाघ की बातों में क्यों आ गया ?
उत्तर⇒ पथिक ने सोने के कंगन की बात सुनकर सोचा कि ऐसा भाग्य से ही मिल सकता है, किन्तु जिस कार्य में खतरा हो उसे नहीं करना चाहिए। फिर लोभवश उसने सोचा कि धन कमाने के कार्य में खतरा तो होता ही है। इस तरह वह लोभ से वशीभूत होकर बाघ की बातों में आ गया।
5. वृद्ध बाघ पथिक को पकड़ने में कैसे सफल हुआ था ? अथवा, बाघ ने पथिक को पकड़ने के लिए क्या चाल चली ?
उत्तर⇒ वृद्ध बाघ ने एक धार्मिक का भेष रचकर तालाब के किनारे पथिकों को सोने का कंगन लेने के लिए कहा। उस तालाब में अधिकाधिक कीचड़ था। एक लोभी पथिक उसकी बातों में आ गया। बाघ ने लोभी पथिक को स्वर्ण कंगन लेने से पहले तालाब में स्नान करने के लिए कहा। उस बाघ के बात पर विश्वास कर जब पथिक तालाब में घूसा, वह अधिकाधिक कीचड़ में धंस गया और बाघ ने उसे पकड़ लिया।
6. पथिक को फंसाने के लिए वृद्ध बाघ ने क्या तर्क दिया ?
उत्तर⇒ पथिक लोभी तथा चालाक था। उसे फंसाने के लिए वृद्ध बाघ ने कहा कि मैं युवावस्था में अति हिंसक था। अनेक गायों और मनुष्यों का वध किया करता था। परिणामस्वरूप मेरे पत्र और पत्नी मर गए और मैं अब वंशहीन हैं। किसी धार्मिक व्यक्ति का उपदेश का पालन कर अब मैं स्वच्छ हृदयवाला, दानी और गले हुए नख-दंतवाला वृद्ध हूँ। इसलिए मुझपर विश्वास किया जा सकता है ।
7. धार्मिक व्यक्ति ने वृद्ध बाप को क्या उपदेश दिया ?
उत्तर⇒ वद्ध बाघ अतिदराचारी था। यवावस्था में अनेक गायों और मनष्यों के वध करने के पाप के कारण वह नि:संतान और पत्नीविहीन हो गया था। तब एक धार्मिक व्यक्ति ने पापमुक्त होने के लिए बाघ को उपदेश दिया कि आप दान-पुण्य करें।
8.नारायण पंडित रचित व्याघ्रपथिककथा पाठ का मल उद्देश्य क्या है ?
उत्तर⇒ व्याघ्रपथिककथा का मूल उद्देश्य यह है कि हिंसक जीव अपने स्वभाव को नहीं छोड़ सकता। इस कथा के द्वारा नारायणपंडित हमें यह शिक्षा देते हैं कि दुष्टों की बातों पर लोभ में आकर विश्वास नहीं करना चाहिए । सोच-समझकर ही काम करना चाहिए। इस कथा का उद्देश्य मनोरंजन के साथ व्यावहारिक ज्ञान देना है।
9.’व्याघ्र-पथिक कथा को संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर⇒ यह मेरा है वह दूसरों का है अर्थात् यह मेरा परिवार है वह दूसरे का परिवार है, ऐसा संकुचित बुद्धिवाले कहते हैं, किन्तु उदार विचार वाला पुरुष के लिए तो समस्त संसार ही अपना कुटुम्ब है। यह भारत की नीति है और इस नीति से आज संसार में शांति स्थापित किया जा सकता है।