शेषफल प्रमेय – Remainder Theorem In Hindi
यदि p(x) एक बहुपद (Bahupad) हो, जिसका घात (n > 1) हो तथा इसको (x – a) से भाग दिया जाता है, तो शेषफल p(a) होता है। जैसे:- x – a = 0 इसलिए x = a
Note:-
किसी बहुपद p(x) में ( x + a) से भाग देने पर शेषफल P (-a) होता है।
किसी बहुपद p(x) में ( ax + b) से भाग देने पर शेषफल P (-b /a) होता है।
बहुपद(Class 10 Ex 2.3)
गुणनखंड प्रमेय – Factor Theorem In Hindi
यदि p(x) कोई बहुपद हो, जिसकी घात (n > 1) हो तथा इसको (x – 1) से भाग देने पर शेषफल P(a) = 0 हो तो (x – a), p(a) का एक गुणनखंड होता है। यदि हमे किसी बहुपद का गुणनखंड पता हैं तो हम शून्यक ज्ञात कर सकते हैं।
उदाहरण :- जाँच करें कि क्या x – 3 बहुपद x³ – 3x² + 2x – 6 का एक गुणनखंड है।
हल:- यहां P(x) = x³ – 3x² + 2x – 6
हम जानते हैं कि यदि (x – 3), P(x) का एक गुणनखंड है तो शेषफल 0 होगा।
x – 3 का शून्यक x – 3 = 0 होगा तब x = 3 होगा
इसलिए P(x) में x = 3 रखने पर,
P(3) = (3)³ – 3(3)² + 2(3) – 6
P(3) = 27 – 3(9) + 6 – 6
P(3) = 27 – 27 + 6 – 6
P(3) = 0
बहुपद(Class 10 Ex 2.3)
अब शेषफल 0 प्रापरिमेय व्यंजक किसे कहते हैं?
यदि P(x) और q(x) दो Bahupad हो और q(x) ≠ 0, तो P(x) / q(x) को परिमेय व्यंजक कहा जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य – Important Facts About Bahupad
1. बहुपद को घात के बढ़ते या घटते क्रम में लिखना बहुपद का मानक रूप कहलाता है।
बहुपद के चर की सबसे बड़ी घात बहुपद की घात कहलाती है।
दो बहुपदों का योगफल, अंतर और गुणनफल हमेशा एक बहुपद होता है लेकिन दो बहुपदों का भाग हमेशा बहुपद नही होता।
द्विघात बहुपद में शुन्यकों की संख्या दो होती है जिन्हें α (अल्फा) और β (बीटा) कहा जाता है।
त्रिघात बहुपद में शुन्यकों की संख्या तीन होती है जिन्हें α (अल्फा) β (बीटा) और γ (गामा) कहते है।
प्रत्येक बहुपद एक परिमेय व्यंजक होता है, लेकिन प्रत्येक परिमेय व्यंजक एक बहुपद नही होता।
P(x) और q(x) बहुपद हो और q(x) ≠ 0, तो P(x) / q(x) एक परिमेय व्यंजक होता है तथा यह बहुपद तभी होगा, जब q(x), P(x) का एक गुणनखंड होगा।
P(x) / q(x), q(x) ≠ 0 का गुणात्मक व्युत्क्रम q(x) / P(x) होता है जब P(x) ≠ 0।
किसी भी बहुपद का शून्य के साथ गुणा शून्य ही होता है।
P(x) / q(x) लघुतम रूप में तभी कहलाएगा, जब P(x) तथा q(x) का महत्तम समपवर्त्तक ( Hcf ) 1 हो।