छंद की परिभाषा | Chhand ki paribhasha अक्षरों की संख्या, मात्रा, गणना, गति को क्रमबद्ध तरीके से लिखना छंद (Chhand kya hai in hindi) कहलाती हैं। छंद शब्द ‘चद’ धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है – खुश करना।
जिन छंद के चारों चरणों की मात्राएं एवं वर्ण एक-समान हो, वे सम मात्रिक छंद कहलाते हैं।
हरिगीतिका (इसके प्रत्येक चरण में 28 मात्राएं होती है) अहीर (इसके प्रत्येक चरण में 11 मात्राएं होती हैं)
अर्द्ध-सम मात्रिक छंद
जिन छंद के पहले और तीसरे तथा दूसरे और चौथे चरणों की मात्राओं या वर्णों में समानता हो, वे अर्द्धसम मात्रिक
छंद कहलाते हैं।
दोहा (इसके विषम चरण में 13 मात्राएं एवं सम चरण में 11 मात्राएं होती हैं) सोरठा (इसके विषम चरण में 11 मात्राएं एवं सम चरण में 13 मात्राएं होती हैं)
Chhand in hindi
विषम मात्रिक छंद जिन छंद में चार से अधिक छह चरण हो, और वह एक-समान न हो, तो वे विषम मात्रिक छंद कहलाते हैं।
कुण्डलिया (यह दोहा + रोला को जोड़कर बनता है) छप्पय (यह रोला + उल्लाला को जोड़कर बनता है)
चौपाई छंद की परिभाषा | चौपाई एक सम मात्रिक छंद है इसमें चार चरण होते हैं, और प्रत्येक चरण में 16 मात्राएं होती है। इसके पहले चरण की दूसरे चरण से, तीसरे चरण की तुक, चौथे चरण से मिलती है। इसके प्रत्येक चरण के अंत में यति होती है।
उदाहरण-
निरखि सिद्ध साधक अनुरागे।
सहज सनेहु सराहन लागे।।
होत न भूलत भाउ भरत को।
अचर-सचर चर-अचर करत को।।
Chhand in hindi
दोहा छंद की परिभाषा | दोहा एक अर्द्ध-सम मात्रिक छंद है। इसमें चार चरण होते हैं। इसके पहले और तीसरे चरण में 13-13 मात्राएं, दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएं होती हैं। चरण के अंत में यति होती है। इसके पहले और तीसरे चरणों के अंत में जगण नहीं होना चाहिए। दूसरे और चौथे (सम) चरणों के अंत में लघु होना चाहिए। इसके सम चरणों में तुक भी होना चाहिए।
उदाहरण-
मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोय।
जा तन की झाई परे, श्याम हरित दुति होय।।
Chhand in hindi
सोरठा छंद की परिभाषा | सोरठा एक अर्द्ध-सम मात्रिक छंद है। इसमें चार चरण होते हैं। इसके पहले और तीसरे चरण में 11-11 मात्राएं, दूसरे और चौथे चरण में 13-13 मात्राएं होती हैं। यति चरण के अंत में होती है। विषम चरण के अंत में लघु होना चाहिए। सम चरण के आरंभ में जगण नहीं होना चाहिए। इसके विषम चरण में तुक भी होती है। यह दोहे का उल्टा होता है।
उदाहरण-
कुंद इंद सम देह, उमा रमन करुना अयन।
जाहि दीन पर नेह, करहु कृपा मर्दन मयन।।
अलंकार के बारे में यहाँ पाएं!
Chhand in hindi
वर्णिक छंद | जिन छंद की रचना वर्णों की गणना के आधार पर होती है, उसे वर्णिक छंद या ‘वर्ण-वृत’ कहते हैं।
वर्णिक छंद के भेद दो प्रकार के होते हैं-
साधारण दण्डक
मुक्तक छंद | जिन छंद में वर्ण और मात्राओं की गणना न हो, उसे मुक्तक छंद कहते हैं।
उदाहरण-
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती मानुष चून।।
Chhand in hindi
मुक्तक छंद की विशेषताएं |
इसका प्रत्येक चरण अपने आप में स्वतंत्र होता है। इसमें एक चरण का दूसरे चरण से कोई संबंध नहीं होता है। यह छंद नियमवध्द नहीं होते है।