बातचीत
1.अगर हम में वाक्शक्ति न होती तो क्या होता ?
उत्तर- अगर हममे वाक्शक्ति न होती तो यह समस्त सृष्टि गूंगी प्रतीत होती । सभी लोग चुपचाप बैठे रहते , हम जो बोलकर सुख और दुःख का अनुभव करते है , वाक्शक्ति न होने के कारण हम वो नही कर पाते ।
2. बातचीत के सम्बन्ध में वेन जॉनसन और एडिशन के क्या विचार है ?
उत्तर – बातचीत के सम्बन्ध में वेन जॉनसन का राय है की बोलने से ही मनुष्य के सही रूप का पता चल पता है । अगर मनुष्य चुप – चाप रहे तो उसके गुण तथा अवगुण का पता नही चल पायेगा । एडिसन का राय है की असल बातचीत सिर्फ दो व्यक्तियों में हो सकती है , जिसका तात्पर्य यह हुआ कि वो एक दुसरे से दिल बोल के बात कर सकते है , अगर वहां कोई तीसरा व्यक्ति आता है तो फिर वो बाते खुल कर नहीं हो पाती है ।
3. ‘ आर्ट ऑफ़ कन्वर्सेशन ‘ क्या है ?
उत्तर- यह बात करने की एक ऐसी कला होती है जिसमे बातचीत के दौरान चतुराई के साथ प्रसंग छोड़े जाते है जिन्हें सुनकर अत्यंत सुख मिलता है । यह कला यूरोप के लोगो में ज्यादा पाई जाती है ।
4. मनुष्य की बातचीत का उत्तम तरीका क्या हो सकता है ? इसके द्वारा वह कैसे अपने लिए सर्वथा नविन संसार की रचना कर सकता है ?
उत्तर – मनुष्य में बातचीत का सबसे उत्तम तरीका उसका आत्म वार्तालाप है । मनुष्य अपने अन्दर ऐसी शक्ति विकसित करे जिसके कारण वह अपने आप से बात कर लिया करे । आत्म वार्तालाप इसलिए जरुरी है ताकि क्रोध पर नियंत्रण पाया जा सके जिससे दुसरो को कष्ट न पहुचे । क्योकि हमारी भीतर की मनोवृति नए रंग दिखाया करती है । वह हमेसा बदलती रहती है । इन्सान को चाहिए कि वो अपने जिह्वा पर काबू रखे तथा अपने मधुर वाणी से दुसरे को प्रसन्न । ऐसा करने से किसी से न तो कटुता रहेगी और ना ही किसी से बैर । इससे दुनिया खुबसूरत हो जाएगी । यही बातचीत का उत्तम तरीका है ।
5. व्याख्या करे
( a ) हमारी भीतरी मनोवृति नये नये रंग दिखाती है । वह प्रपंचात्मक संसार का एक बड़ा भारी आइना है , जिसमे जैसी चाहो वैसी सूरत देख लेना कोई दुर्घट बात नहीं है ।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित पाठ बातचीत ‘ से ली गई है । मनुष्य की भीतरी मनोवृति प्रत्येक क्षण नए – नए रंग दिखाती है अर्थात उसमे नए नए विचार आते रहते है । वह इन प्रपंचो से पूर्ण संसार एक बड़ा आईना है जिसमे ऐसी घटना को भी देखा जा सकता है जिसके घटित होने की आशा न हो । अर्थात हमारी भीतरी मनोवृति हमे संसार के समस्त अच्छे – बुरे कार्यों से अवगत कराती है । तक उसका गुण दोष प्रकट नही
( b ) सच है जब तक मनुष्य बोलता नहीं होता ।