जीव और समष्टियाँ

प्रश्न 1.शीत निष्क्रियता (हाइबर्नेशन) से उपरति (डायपाज) किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर
शीत निष्क्रियता (Hibernation) – यह इक्टोथर्मल या शीत निष्क्रिय जन्तुओं (cold-blooded animals), जैसे-एम्फिबियन्स तथा रेप्टाइल्स की शरद नींद (winter sleep) है। जिससे वे अपने आपको ठंड से बचाते हैं। इसके लिए वे निवास स्थान, जैसे-खोह, बिल, गहरी मिट्टी आदि में रहने के लिए चले जाते हैं। यहाँ शारीरिक क्रियाएँ अत्यधिक मन्द हो जाती हैं। कुछ चिड़ियाँ एवं भालू के द्वारा भी शीत निष्क्रियता सम्पन्न की जाती है।

उपरति (Diapause) – यह निलंबित वृद्धि या विकास का समय है। प्रतिकूल परिस्थितियों में झीलों और तालाबों में प्राणिप्लवक की अनेक जातियाँ उपरति में आ जाती हैं जो निलंबित परिवर्धन की एक अवस्था है।

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प्रश्न 2.अगर समुद्री मछली को अलवणजल (फ्रेशवाटर) की जलजीवशाला (एक्वेरियम) में रखा जाता है तो क्या वह मछली जीवित रह पाएगी? क्यों और क्यों नहीं?
उत्तर
अगर समुद्री मछली को अलवणजल (freshwater) की जल-जीवशाला में रखा जाए तो वह परासरणीय समस्याओं के कारण जीवित नहीं रह पाएगी तथा मर जाएगी। तेज परासरण होने के कारण रक्त दाब तथा रक्त आयतन बढ़ जाता है जिससे मछली की मृत्यु हो जाती है।

 

प्रश्न 3.लक्षण प्ररूपी (फीनोटाइपिक) अनुकूलन की परिभाषा दीजिए। एक उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर
लक्षण प्ररूपी अनुकूलन जीवों का ऐसा विशेष गुण है जो संरचना और कार्यिकी की विशेषताओं के द्वारा उन्हें वातावरण विशेष में रहने की क्षमता प्रदान करता है। मरुस्थल के छोटे जीव, जैसे-चूहा, सॉप, केकड़ा दिन के समय बालू में बनाई गई सुरंग में रहते हैं तथा रात को जब तापक्रम कम हो जाता है तब ये भोजन की खोज में बिल से बाहर निकलते हैं। मरुस्थलीय अनुकूलन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण ऊँट है। इसके खुर की निचली सतह,चौड़ी और गद्देदार होती है। इसके पीठ पर संचित भोजन के रूप में वसा एकत्रित रहती है जिसे हंप कहते हैं। भोजन नहीं मिलने पर इस वसा का उपयोग ऊँट ऊर्जा के लिए करता है। जल उपलब्ध होने पर यह एक बार में लगभग 50 लीटर जल पी लेता है जो शरीर के विभिन्न भागों में शीघ्र वितरित हो जाता है। उत्सर्जन द्वारा इसके शरीर से बहुत कम मात्रा में जल बाहर निकलता है। यह प्रायः सूखे मल का त्याग करता है।

प्रश्न 4.अधिकतर जीवधारी 45° सेंटीग्रेड से अधिक तापमान पर जीवित नहीं रह सकते। कुछ सूक्ष्मजीव (माइक्रोब) ऐसे आवास में जहाँ तापमान 100° सेंटीग्रेड से भी अधिक है, कैसे जीवित रहते हैं?
उत्तर
सूक्ष्मजीवों में बहुत कम मात्रा में स्वतन्त्र जल रहता है। शरीर से जल निकलने से उच्च तापक्रम के विरुद्ध प्रतिरोध उत्पन्न होता है। सूक्ष्मजीवों की कोशाभित्ति में ताप सहन अणु तथा तापक्रम प्रतिरोधक एंजाइम्स भी पाए जाते हैं।

 

प्रश्न 5.उन गुणों को बताइए जो व्यष्टियों में तो नहीं पर समष्टियों में होते हैं।
उत्तर
समष्टि (population) में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो व्यष्टि (individual) में नहीं पाए जाते। जैसे व्यष्टि जन्म लेता है, इसकी मृत्यु होती है, लेकिन समष्टि की जन्मदर (natality) और मृत्युदर (mortality) होती है। समष्टि में इन दरों को क्रमशः प्रति व्यष्टि जन्मदर और मृत्युदर कहते हैं। जन्म और मृत्युदर को समष्टि के सदस्यों के सम्बन्धों में संख्या में वृद्धि का ह्रास (increase or decrease) के रूप में प्रकट किया जाता है। जैसे- किसी तालाब में गत वर्ष जल लिली के 20 पौधे थे और इस वर्ष जनन द्वारा 8 नए पौधे और बन जाते हैं तो वर्तमान में समष्टि 28 हो जाती है तो हम जनन दर की गणना 8/20 = 0.4 संतति प्रति जल लिली की दर से करते हैं। अगर प्रयोगशाला समष्टि में 50 फल मक्खियों में से 5 व्यष्टि किसी विशेष अन्तराल (जैसे- एक सप्ताह) में नष्ट हो जाती हैं तो इस अन्तराल में समष्टि में मृत्युदर 5/50 = 0.1 व्यष्टि प्रति फलमक्खी प्रति सप्ताह कहलाएगी।

समष्टि की दूसरी विशेषता लिंग अनुपात अर्थात् नर एवं मादा का अनुपात है। सामान्यतया समष्टि में यह अनुपात 50 : 50 होता है, लेकिन इसमें भिन्नता भी हो सकती है जैसे- समष्टि में 60 प्रतिशत मादा और 40 प्रतिशत नर हैं।

निर्धारित समय में समष्टि भिन्न आयु वाले व्यष्टियों से मिलकर बनती है। यदि समष्टि के सदस्यों की आयु वितरण को आलेखित (plotted) किया जाए तो इससे बनने वाली संरचना आयु पिरैमिड (age pyramid) कहलाती है। पिरेमिड का आकार समष्टि की स्थिति को प्रतिबिम्बित करता है

  • क्या यह बढ़ रहा है,

  • स्थिर है या

  • घट रहा है।

UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 13 Organisms and Populations img-1

समष्टि का आकार आवास में उसकी स्थिति को स्पष्ट करता है। यह सजातीय, अन्तर्जातीय प्रतिस्पर्धा, पीड़कनाशी, वातावरणीय कारकों आदि से प्रभावित होता है। इसे तकनीकी भाषा में समष्टि घनत्व से स्पष्ट करते हैं। समष्टि घनत्व का आकलन विभिन्न प्रकार से किया जाता है।
किसी जाति के लिए समष्टि घनत्व (आकार) निश्चित नहीं होता। यह समय-समय पर बदलता रहता है। इसका कारण भोजन की मात्रा, परिस्थितियों में अन्तर, परभक्षण आदि होते हैं। समष्टि की वृद्धि चार कारकों पर निर्भर करती है जिनमें जन्मदर (natality) और आप्रवासन (immigration) समष्टि में वृद्धि करते हैं, जबकि मृत्युदर (death rate-mortality) तथा उत्प्रावसन (emigration) इसे घटाते हैं। यदि आरम्भिक समष्टि No है, Nt एक समय अन्तराल है तथा । बाद की समष्टि है तो
Nt = No + (B + I) – (D + E)
= No + B + 1 – D – E

समीकरण से स्पष्ट है कि यदि जन्म लेने वाले ‘B’ संख्या + अप्रवासी ‘1’ की संख्या (B + I) मरने वालों की संख्या ‘D’ + उत्प्रवासी ‘E’ की संख्या से अधिक है तो समष्टि घनत्व बढ़ जाएगा अन्यथा घट जाएगा।
UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 13 Organisms and Populations img-2

प्रश्न 6.अगर चरघातांकी रूप से (एक्स्पोनेन्शियली) बढ़ रही समष्टि 3 वर्ष में दोगुने साइज की हो जाती है तो समष्टि की वृद्धि की इन्ट्रिन्जिक दर (r) क्या है?
उत्तर
चरघातांकी वृद्धि (Exponential growth) – किसी समष्टि की अबाधित वृद्धि उपलब्ध संसाधनों (आहार, स्थान आदि) पर निर्भर करती है। असीमित संसाधनों की उपलब्धता होने पर समष्टि में संख्या वृद्धि पूर्ण क्षमता से होती है। जैसा कि डार्विन ने प्राकृतिक वरण सिद्धान्त को प्रतिपादित करते हुए प्रेक्षित किया था, इसे चरघातांकी अथवा ज्यामितीय (exponential or geometric) वृद्धि कहते हैं। अगर N साइज की समष्टि में जन्मदर ‘b’ और मृत्युदर ‘d’ के रूप में निरूपित की जाए, तब इकाई समय अवधि ‘t’ में समष्टि की वृद्धि या कमी होगी –
[latex s=2]\frac { dN }{ dt } =(b\quad -\quad d)\quad \times \quad N[/latex] मान लीजिए (b – a) =r है, तब
[latex s=2]\frac { dN }{ dt } =rN[/latex]

‘r’ प्राकृतिक वृद्धि की इन्ट्रिन्जिक दर (intrinsicrate) कहलाती है। यह समष्टि वृद्धि पर जैविक या अजैविक कारकों के प्रभाव को निर्धारित करने के लिए महत्त्वपूर्ण प्राचल (parameter) है। यदि समष्टि 3 वर्ष में दोगुने साइज की हो जाती है तो समष्टि की वृद्धि की इन्टिन्जिक दर 3r’ होगी।

 

प्रश्न 7.पादपों में शाकाहारिता (हार्बिवोरी) के विरुद्ध रक्षा करने की महत्त्वपूर्ण विधियाँ बताइए।
उत्तर

  1. पत्ती की सतह पर मोटी क्यूटिकल का निर्माण।

  2. पत्ती पर काँटों का निर्माण, जैसे- नागफनी।

  3. काँटों के रूप में पत्तियों का रूपान्तरण, जैसे-डुरेन्टा।

  4. पत्तियों पर कॅटीले किनारों का निर्माण।

  5. पत्तियों में तेज सिलिकेटेड किनारों का विकास।

  6. बहुत से पादप ऐसे रसायन उत्पन्न और भण्डारित करते हैं जो खाए जाने पर शाकाहारियों को बीमार कर देते हैं। उनकी पाचन का संदमन करते हैं। उनके जनन को भंग कर देते हैं। यहाँ तक कि मार देते हैं, जैसे- कैलोट्रोपिस अत्यधिक विषैला पदार्थ ग्लाइकोसाइड उत्पन्न करता है।

प्रश्न 8.ऑर्किड पौधा, आम के पेड़ की शाखा पर उग रहा है। ऑर्किड और आम के पेड़ के बीच पारस्परिक क्रिया का वर्णन आप कैसे करेंगे?
उत्तर
ऑर्किड पौधा तथा आम के पेड़ की शाखा सहभोजिता प्रदर्शित करता है। यह ऐसी पारस्परिक क्रिया है जिसमें एक जाति को लाभ होता है और दूसरी जाति को न लाभ और न हानि होती है। आम की शाखा पर अधिपादप के रूप में उगने वाले ऑर्किड को लाभ होता है जबकि आम के पेड़ को उससे कोई लाभ नहीं होता।

 

प्रश्न 9.कीट पीड़कों (पेस्ट/इंसेक्ट) के प्रबन्ध के लिए जैव-नियन्त्रण विधि के पीछे क्या पारिस्थितिक सिद्धान्त है?
उत्तर
कृषि पीड़कनाशी के नियन्त्रण में अपनाई गई जैव नियन्त्रण विधियाँ परभक्षी की समष्टि नियमन की योग्यता पर आधारित हैं। परभक्षी, स्पर्धा शिकार जातियों के बीच स्पर्धा की तीव्रता कम करके किसी समुदाय में जातियों की विविधता बनाए रखने में भी सहायता करता है। परभक्षी पीड़कों का शिकार करके उनकी संख्या को उनके वास स्थान में नियन्त्रित रखते हैं। गेम्बूसिया मछली मच्छरों के लार्वा को खाती है और इस प्रकार कीटों की संख्या को नियन्त्रित रखती है।

 

प्रश्न 10.निम्नलिखित के बीच अन्तर कीजिए
(क) शीत निष्क्रियता और ग्रीष्म निष्क्रियता (हाइबर्नेशन एवं एस्टीवेशन)
(ख) बाह्योष्मी और आन्तरोष्मी (एक्टोथर्मिक एवं एंडोथर्मिक)
उत्तर
(क) शीत निष्क्रियता और ग्रीष्म निष्क्रियता के बीच अन्तर
UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 13 Organisms and Populations img-3

(ख) बाह्योष्मी और आन्तरोष्मी के बीच अन्तर
UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 13 Organisms and Populations img-4

प्रश्न 11.निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए –
(क) मरुस्थलीय पादपों और प्राणियों का अनुकूलन, (2018)
(ख) जल की कमी के प्रति पादपों का अनुकूलन,
(ग) प्राणियों में व्यावहारिक (बिहेवियोरल) अनुकूलन,
(घ) पादपों के लिए प्रकाश का महत्त्व,
(ङ) तापमान और जल की कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन।
उत्तर
(क) 1. मरुस्थलीय पादपों के अनुकूलन इस प्रकार हैं –

  1. इनकी जड़ें बहुत लम्बी, शाखित, मोटी एवं मिट्टी के नीचे अधिक गहराई तक जाती हैं।

  2. इनके तने जल-संचय करने के लिए मांसल और मोटे होते हैं।

  3. रन्ध्र स्टोमैटल गुहा में धंसे रहते हैं।

  4. पत्तियाँ छोटी, शल्कपत्र या काँटों के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं।

  5. तना क्यूटिकिल युक्त तथा घने रोम से भरा होता है।

2. मरुस्थलीय प्राणियों के अनुकूलन इस प्रकार हैं –

  1. मरुस्थल के छोटे जीव, जैसे- चूहा, साँप, केकड़ा दिन के समय बालू में बनाई गई सुरंग में रहते हैं तथा रात को बिल से बाहर निकलते हैं।

  2. कुछ मरुस्थलीय जन्तु अपने शरीर के मेटाबोलिज्म से उत्पन्न जल का उपयोग करते हैं। उत्तरी अमेरिका के मरुस्थल में पाया जाने वाला कंगारू चूहा जल की आवश्यकता की पूर्ति अपनी आन्तरिक वसा के ऑक्सीकरण से करता है।

  3. जन्तु प्रायः सूखे मल का त्याग करता है।

  4. फ्रीनोसोमा तथा मेलोच होरिडस में काँटेदार त्वचा पाई जाती है।

(ख) जल की कमी के प्रति पादपों में अनुकूलन- ये मरुस्थलीय पादप कहलाते हैं। अत: इनका अनुकूलन मरुस्थलीय पादपों के समान होगा।

(ग) प्राणियों में व्यावहारिक अनुकूलन इस प्रकार हैं –

  1. शीत निष्क्रियता,

  2. ग्रीष्म निष्क्रियता,

  3. सामयिक सक्रियता,

  4. प्रवास आदि।

(घ) पादपों के लिए प्रकाश का महत्त्व इस प्रकार है –

  1. ऊर्जा का स्रोत,

  2. दीप्तिकालिक आवश्यकता,

  3. वाष्पोत्सर्जन,

  4. पुष्पन,

  5. पादप गति,

  6. पिग्मेंटेशन,

  7. वृद्धि

  8. कंद निर्माण आदि।

(ङ) 1. तापमान में कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन इस प्रकार है –

  1. शीत निष्क्रियता,

  2. सामयिक सक्रियता,

  3. प्रवास आदि।

2. जल की कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन इस प्रकार है –

  1. सूखे मल का त्याग करना।

  2. अपने शरीर के मेटाबोलिज्म से उत्पन्न जल का उपयोग करना।

  3. सूखे वातावरण को सहने की क्षमता।

  4. उत्तरी अमेरिका के मरुस्थल में पाया जाने वाला कंगारू चूहा जल की आवश्यकता की पूर्ति अपने आन्तरिक वसा के ऑक्सीकरण से करता है।

प्रश्न 12.अजैवीय (abiotic) पर्यावरणीय कारकों की सूची बनाइए।
उत्तर
अजैवीय पर्यावरणीय कारक (Abiotic Environmental Factors) – विभिन्न अजैवीय कारकों को निम्नलिखित तीन समूहों में बाँट सकते हैं –

  1. जलवायवीय कारक (Climatic factors) – प्रकाश, ताप, वायुगति, वर्षा, वायुमण्डलीय नमी तथा वायुमण्डलीय गैसें।

  2. मृदीय कारक (Edaphic factors) – खनिज पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ, मृदा जल तथा मृदा वायु।

  3. स्थलाकृतिक कारक (Topographic factors) – स्थान की ऊँचाई, भूमि का ढाल, पर्वत की दिशा आदि।

प्रश्न 13.निम्नलिखित का उदाहरण दीजिए –

  1. आतपोभिद् (हेलियोफाइट)

  2. छायोदभिद (स्कियोफाइट)

  3. सजीवप्रजक (विविपेरस) अंकुरण वाले पादप

  4. आन्तरोष्मी (एंडोथर्मिक) प्राणी

  5. बाह्योष्मी (एक्टोथर्मिक) प्राणी

  6. नितलस्थ (बैन्थिक) जोन का जीव।

उत्तर

  1. सूर्यमुखी

  2. फ्यूनेरिया

  3. राइजोफोरा

  4. पक्षी तथा स्तनधारी

  5. ऐम्फीबियन्स तथा रेप्टाइल्स

  6. जीवाणु, स्पंज, तारा मछली आदि।

प्रश्न 14.समष्टि (पॉपुलेशन) और समुदाय (कम्युनिटी) की परिभाषा दीजिए।
उत्तर

  1. समष्टि (Population) – किसी खास समय और क्षेत्र में एक ही प्रकार की स्पीशीज के व्यष्टियों या जीवों की कुल संख्या को समष्टि कहते हैं।

  2. समुदाय (Community) – किसी विशिष्ट आवास-स्थान की जीव-समष्टियों का स्थानीय संघ समुदाय कहलाता है।

प्रश्न 15.निम्नलिखित की परिभाषा दीजिए और प्रत्येक का एक-एक उदाहरण भी दीजिए –

  1. सहभोजिता,

  2. परजीविता,

  3. छद्मावरण,

  4. सहोपकारिता, (2018)

  5. अन्तरजातीय स्पर्धा।

उत्तर

  1. सहभोजिता (Commensalism) – यह ऐसी पारस्परिक क्रिया है जिसमें एक जाति को लाभ होता है और दूसरी जाति को न लाभ और न हानि होती है। उदाहरण-आम की शाखा पर उगने वाला ऑर्किड तथा ह्वेल की पीठ पर रहने वाला बार्नेकल।

  2. परजीविता (Parasitism) – दो जातियों के बीच पारस्परिक सम्बन्ध जिसमें एक जाति को लाभ होता है जबकि दूसरी जाति को हानि, परजीविता कहलाती है। उदाहरण-मानव यकृत पर्णाभ (लिवर फ्लूक)।

  3. छद्मावरण (Camouflage) – जीवों के द्वारा अपने आपको परभक्षी द्वारा आसानी से पहचान लिए जाने से बचने के लिए गुप्त रूप से रंगा होना, छद्मावरण कहलाता है। उदाहरण- कीट एवं मेंढक की कुछ जातियाँ।

  4. सहोपकारिता (Mutualism) – दो जातियों के बीच पारस्परिक सम्बन्ध जिसमें दोनों जातियों को लाभ होता है, सहोपकारिता कहलाती है। उदाहरण- शैवाल एवं कवक से मिलकर बना | हुआ लाइकेन।

  5. अन्तरजातीय स्पर्धा (Interspecies Competition) – जब निकट रूप से सम्बन्धित जातियाँ उपलब्ध संसाधनों (भोजन, आवास) के लिए स्पर्धा करती हैं जो सीमित हैं, अन्तरजातीय स्पर्धा कहलाती है। उदाहरण-गैलापैगोस द्वीप में बकरियों के आगमन से एबिंग्डन का विलुप्त होना। बार्नेकल बेलनेस के द्वारा बार्नेकल चैथेमैलस को भगाना।

प्रश्न 16.उपयुक्त आरेख की सहायता से लॉजिस्टिक (सम्भार तन्त्र) समष्टि वृद्धि का वर्णन कीजिए।
उत्तर
प्रकृति में किसी भी समष्टि के पास इतने असीमित साधन नहीं होते कि चरघातांकी वृद्धि होती रहे। इसी कारण सीमित संसाधनों के लिए व्यष्टियों में प्रतिस्पर्धा होती है। आखिर में योग्यतम् व्यष्टि जीवित बना रहेगा और जनन करेगा। प्रकृति में दिए गए आवास के पास अधिकतम सम्भव संख्या के पालन-पोषण के लिए पर्याप्त संसाधन होते हैं, इससे आगे और वृद्धि सम्भव नहीं है। उस आवास में उस जाति के लिए इस सीमा को प्रकृति की पोषण क्षमता (K) मान लेते हैं।
UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 13 Organisms and Populations img-5

किसी आवास में सीमित संसाधनों के साथ वृद्धि कर रही समष्टि आरम्भ में पश्चता प्रावस्था (लैग फेस) दर्शाती है। उसके बाद त्वरण और मंदन और अन्ततः अनन्तस्पर्शी प्रावस्थाएँ आती हैं। समष्टि घनत्व पोषण क्षमता प्रकार की समष्टि वृद्धि विर्हस्ट-पर्ल लॉजिस्टिक वृद्धि कहलाता है। इसे निम्न समीकरण के द्वारा निरूपित किया जाता है –
[latex s=2]\frac { dN }{ dt } [/latex] = rN = [latex s=2]\frac { K-N }{ K } [/latex] जहाँ, N = समय t में समष्टि घनत्व,
r = प्राकृतिक वृद्धि की दर,
K = पोषण क्षमता।

 

प्रश्न 17.निम्नलिखित कथनों में परजीविता को कौन-सा कथन सबसे अच्छी तरह स्पष्ट करता है?
(क) एक जीव को लाभ होता है।
(ख) दोनों जीवों को लाभ होता है।
(ग) एक जीव को लाभ होता है, दूसरा प्रभावित नहीं होता है।
(घ) एक जीव को लाभ होता है, दूसरा प्रभावित होता है।
उत्तर
(घ) एक जीव को लाभ होता है, दूसरा प्रभावित होता है।

प्रश्न 18.
समष्टि की कोई तीन महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ बताइए और व्याख्या कीजिए।
उत्तर
समष्टि की तीन महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ इस प्रकार हैं –

  1. समष्टि आकार और समष्टि घनत्व (population size and population density)

  2. जन्मदर (birth rate),

  3. मृत्युदर (mortality rate)।

व्याख्या (i) समष्टि आकार और समष्टि घनत्व – किसी जाति के लिए समष्टि का आकार स्थैतिक प्रायता नहीं है। यह समय-समय पर बदलता रहता है जो विभिन्न कारकों, जैसे- आहार उपलब्धती, परभक्षण दाब और मौसमी परिस्थितियों पर निर्भर करता है। समष्टि घनत्व बढ़ रहा है। अथवा घट रहा है कारण कुछ भी हो, परन्तु दी गई अवधि के दौरान दिए गए आवास में समष्टि का घनत्व चार मूलभूत प्रक्रमों में घटता-बढ़ता है। इन चारों में से दो (जन्मदर और आप्रवासन) समष्टि घनत्व को बढ़ाते हैं और दो (मृत्युदर और उत्प्रवासन) इसे घटाते हैं।
अगर समय t में समष्टि घनत्व N है तो समय t + 1 में इसका घनत्व Nt + 1 = Nt + (B + I) – (D + E) होगा।

उपरोक्त समीकरण में आप देख सकते हैं कि यदि जन्म लेने वालों की संख्या + आप्रवासियों की संख्या (B + I) मरने वालों की संख्या + उत्प्रवासियों की संख्या (D + E) से अधिक है तो समष्टि घनत्व बढ़ जाएगा, अन्यथा यह घट जाएगा।

(ii) जन्मदर – यह साधारणत: प्रतिवर्ष प्रति समष्टि के 1000 व्यक्ति प्रति जन्म की संख्या द्वारा व्यक्त की जाती है। जन्मदर समष्टि आकार तथा समष्टि घनत्व को बढ़ाता है।
UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 13 Organisms and Populations img-6

(iii) मृत्युदर – यह जन्मदर के विपरीत है। यह साधारणतः प्रतिवर्ष प्रति समष्टि के 1000 व्यक्ति प्रति मृत्यु की संख्या द्वारा व्यक्त की जाती है।
UP Board Solutions for Class 12 Biology Chapter 13 Organisms and Populations img-7

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