जल – संसाधन ( 1.ख )

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वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर :
1. वृहत् क्षेत्र में जल की उपस्थिति के कारण पृथ्वी को क्या कहते हैं ?
( क ) उजला ग्रह ( ख ) नीला ग्रह ( ग ) हरा ग्रह ( घ ) लाल ग्रह
उत्तर– ( ख )

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2. कुल जल का कितना प्रतिशत भाग महाागरों में निहित है ?
( क ) 9.5 % ( ख ) 95.5 % ( ग ) 96.6 % ( घ ) 96 %
उत्तर– ( ग )

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3. देश के बाँधों को किसने ‘ भारत का मंदिर ‘ कहा था ?
( क ) महात्मा गाँधी ( ख ) डॉ . राजेन्द्र प्रसाद ( ग ) पंडित जवाहरलाल नेहरू ( घ ) स्वामी विवेकानंद उत्तर– ( ग )
4. प्राणियों के शरीर में कितना प्रतिशत जल की मात्रा होती है ?
( क ) 70 % ( ख ) 55 % ( 51 ) 60 % ( घ ) 65 % उत्तर– ( घ )
5. बिहार में अति जल – शोषण से किस तत्व का संकेन्द्रणा बढ़ने लगा है ?
( क ) आर्सेनिक ( ख ) फ्लोराइड ( ग ) क्लोराइड ( घ ) लोहा
उत्तर ( क )

 

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II . लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

1. बहुउद्देशीय परियोजना से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर – जब किसी परियोजना के विकास का उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण , सिंचाई , विद्युत उत्पादन , परिवहन , मनोरंजन के साथ ही साथ कई अन्य उद्देश्य होते हैं तब उन परियोजनाओं को बहुउद्देशीय परियोजना कहा जाता है ।

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2. जल – संसाधन के क्या – क्या उपयोग हैं ?

उत्तर – जल – संसाधन एक नवीकरणीय संसाधन हैं , जिसके विविध उपयोग हैं -( i ) पेयजल हेतु आवश्यक । ( ii ) घरेलू कार्यों में जरूरी । ( iii ) सिंचाई में उपयोग । ( iv ) उद्योगों के लिए आवश्यक । ( ४ ) स्वच्छता हेतु । ( vi ) अग्निशमन हेतु एवं ( vii ) मल – मूत्र विसर्जन हेतु आवश्यक है ।

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3. अंतरराज्यीय जल – विवाद के क्या कारण हैं ?

उत्तर – एक से अधिक राज्यों से होकर बहनेवाली बड़ी नदियों पर जब स्रोत के निकट ऊपरी भाग में बाँध बना दिया जाता है तब शेष राज्यों की नदी घाटियों में जल का अभाव हो जाता है जिससे जल संकट उत्पन्न होता है । यही अंतरराज्यीय जल विवाद का मूल कारण है ।

 

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4. जल – संकट क्या है ?
उत्तर – स्वीडिश वैज्ञानिक फाल्कन मार्क के अनुसार एक व्यक्ति को प्रतिदिन लगभग 1000 घन मीटर जल की आवश्यकता होती है । जब उसे इस मात्रा से कम जल मिलने लगता है तब इसे जल – संकट कहा जाता हैंl

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5. भारत की नदियों के प्रदूषण के कारणों का वर्णन करें ।
उत्तर – भारत की नदियों के प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं ( ) निकटवर्ती शहरों से नगरीय कूड़ा – करकट को नदी में गिराया जाना । ( ii ) नगरीय मल – जल को बिना स्वच्छ किए नदी में गिराना । ( iii ) नदियों के किनारे बसे औद्योगिक कारखानों से निकलने वाले अपशिष्टों एवं रसायनों को नदी में बहाना । ( iv ) मृत जीवों को नदियों में फेंक देना । ( v ) कृधि में प्रयुक्त कीटनाशकों , रसायनों एवं उर्वरकों का जल के साथ बहकर नदी में मिल जाना ।
.II.दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

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1. जल – संरक्षण क्या है ? इसके लिए क्या – क्या उपाय किए जा सकते हैं ?
उत्तर – वर्तमान समय में जल संकट दिन – प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है । उपलब्ध जल न केवल सीमित है बल्कि इसका अधिकांश हिस्सा प्रदूषित भी है जो कई बीमारियों का कारण भी बनता जा रहा है । अत : जल की उपलव्यता को बनाए रखना , उसे प्रदूषित होने से बचाना तथा प्रदूषित जल को स्वच्छ कर पुन : उपयोग लायक बनाना एवं वर्षा जल को संग्रहित करना ही ‘ जल संरक्षण ‘ है । जल संरक्षण का उद्देश्य स्वस्थ जीवन , खाद्यान्न सुरक्षा और उत्पादक क्रियाओं को सुनिश्चित करना है भारत सरकार ने जल संकट निवारण हेतु 1987 ई . में ‘ राष्ट्रीय जल नीति तैयार की जिससे 2002 में संशोधित कर ‘ राष्ट्रीय जल नीति 2002 ‘ नाम दिया गया ।
जल संरक्षण के लिए तीन मुख्य उपाय किए जा सकते हैं –
( i ) भूमिगत जल स्तर को बनाए रखना भूमिगत जल ही नलकूपों , कुओं , गाँवों , शहरों और खेतों में जल का स्रोत है । इसके स्तर को बनाए रखने तथा बढ़ाने के लिए वृक्षारोपण , वेटलैंड संरक्षण , वर्षा जल संचयन एवं खुली जगह या गैर – कंक्रीट जगह को छोड़ना आवश्यक है । संभर प्रबंधन किसी एक सहायक नदी की द्रोणी को जल संभर कहा जाता है । इसके प्रबंधन हेतु नदी द्रोणी क्षेत्र में उद्यान कृषि , जल कृषि , वृक्षारोपण कार्य किया जाना चाहिए ।
( ii ) तकनीकी उपाय – तकनीकी उपाय के अंतर्गत वैज्ञानिक आधुनिक उपायों को अमल में लाने की जरूरत है । ऐसे उपायों में ड्रिप सिंचाई , लिफ्ट सिंचाई , सूक्ष्म फुहार व्यवस्था , सीढ़ीनुमा खेती , प्रदूषित जल को पुन : उपयोग लायक बनाना एवं शहरी मल जल को वैज्ञानिक तरीकों द्वारा पुनः उपयोग लायक बनाना शामिल है ।

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2. वर्षा जल का मानव जीवन में क्या भूमिका है ? इसके संग्रहण एवं पुन : चक्रण की विधियों का उल्लेख करें ।
उत्तर — पृथ्वी पर उपलब्ध सागरीय जल लवणीय हैं जिसका सामान्य या दैनिक जीवन में उपयोग नहीं है तथा आंतरिक भागों में उपलब्ध जल का वितरण काफी असमान है । ऐसी स्थिति में वर्षा जल मानव जीवन के लिए काफी उपयोगी है । जो भूमिगत जलस्तर को बनाए रखने एवं नदी , तालाबों के जल स्तर को बनाए रखने एवं वर्षा आधारित कृषि के लिए अति आवश्यक है । वर्तमान एवं भविष्य में जल संकट की स्थिति से निबटने तथा वर्षा जल के बेकार वह जाने को कम करना तथा भूमिगत जल – स्तर को ऊँचा उठाना ही वर्षा जल संग्रहण का मुख्य उद्देश्य है । इसके संग्रहण एवं पुनः चक्रण की कई विधियाँ प्रचलित हैं जिसे प्राचीन एवं आधुनिक विधियों में वर्गीकृत किया जाता है । प्राचीन विधियों के अंतर्गत खदीन , जोहड़ , गुल , कुल जैसी विधियाँ शामिल हैं जबकि आधुनिक समय में छत वर्षा जल संग्रहण की तकनीक काफी प्रचलित है । इसके अंतर्गत छत पर संग्रहीत वर्षा जल को एक पाइप के सहारे नीचे बने टैंक या संग्रह स्थान तक पहुंचा दिया जाता है । फिर उस पानी का उपयोग किया जाता है । बड़े – बड़े शहरों में उपयोग किए जा चुके पानी को एक बड़े ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुँचाया जाता है । यहाँ यह गंदा पानी वैज्ञानिक विधि से साफ किया जाता है और पुनः उपयोग के लायक बना दिया जाता है इससे पानी का पुनःचक्रण हो जाता है

 

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