( घ ) खनिज संसाधन

( घ ) खनिज संसाधन

I .वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर :
1.भारत में लगभग कितने खनिज पाए जाते हैं ?

 ( क ) 50 ( ख ) 100 ( 1 ) 150 ( घ ) 200
उत्तर– ( क )
2. इनमें से कौन लोहयुक्त खनिज नहीं है ?
( क ) मैंगनीज ( ख ) अभ्रक ( ग ) बॉक्साइट ( घ ) चूना पत्थर
उत्तर— ( क )
3. निम्नलिखित में कौन अघात्विक खनिज है ? 

( क ) सोना ( ख ) टीन ( ग ) अभ्रक
उत्तर– ( ग )
4. किस खनिज को उद्योगों की जननी कहा गया है ?

 ( क ) ताँबा ( ख ) मैंगनीज ( ग ) सोना ( घ ) लोहा उत्तर– ( घ )
5. इनमें कौन लौह अयस्क का एक प्रकार है ?
( क ) लिग्नाइट ( ख ) हेमाटाइट ( ग ) बिटुमिनस ( घ ) फ्लोगोपाइट
उत्तर- ( ख )
6. निम्नांकित कौन भारत का सबसे बड़ा लौह उत्पादक राज्य है ?
( क ) कर्नाटक ( ख ) गोवा ( ग ) झारखंड ( घ ) बिहार
उत्तर— ( क )
7. छत्तीसगढ़ भारत का कितना प्रतिशत लौह अयस्क उत्पादित करता है ?
( क ) 10 ( ख ) 20 ( ग ) 30 ( घ ) 50
उत्तर– ( ख )
8. मैंगनीज उत्पादन में भारत का विश्व में क्या स्थान है ?
( क ) पहला ( ख ) दूसरा ( ग ) तीसरा ( घ ) पाचवाँ उत्तर– ( घ )
9. एक टन इस्पात बनाने में कितना मैंगनीज उपयोग होता है ?
( क ) 5 किग्रा . ( ख ) 10 किग्रा ( ग ) 15 किग्रा . ( घ ) 20 कि.ग्रा .
उत्तर– ( ख )
10. उड़ीसा किस खनिज का सबसे बड़ा उत्पादक है ?
( क ) लौह अयस्क ( ख ) मैंगनीज ( ग ) टीन ( घ ) ताँबा
उत्तर– ( ख )
11. एल्युमीनियम बनाने के लिए किस खनिज की आवश्यकता पड़ती है ?
( क ) मैंगनीज ( ख ) टीन ( ग ) लोहा ( घ ) बॉक्साइट
उत्तर– ( घ )
12. देश में ताँबा का कुल भंडार कितना है ?
( क ) 125 लाख टन ( ख ) 125 करोड़ टन ( ग ) 150 करोड़ टन ( घ ) 175 करोड़ टन
उत्तर– ( ख )
13. बिहार – झारखंड राज्य मिलकर देश का कितना प्रतिशत अभ्रक का उत्पादन करते हैं ?
( क ) 90 ( ख ) 60 ( ग ) 70 . ( घ ) 89
उत्तर– ( घ )
14. सीमेंट उद्योग का सबसे प्रमुख कच्चा माल क्या है ? 
( क ) चूना पत्थर  ( ख ) लोहा( ग ) ग्रेफाइट ( घ ) बॉक्साइड
उत्तर– ( क ) 

( घ ) खनिज संसाधन प्रश्नोत्तर

II . लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

1. खनिज किसे कहा जाता है |

उत्तर –  खनिज प्राकृतिक रूप से मिलने वाला अकार्बनिक पदार्थ है , जिसको रासायनिक एवं भौतिक संरचना एवं आंतरिक परमाण्विक संगठन निश्चित होता है ।

2. धात्विक खनिजों के दो प्रमुख पहचान को लिखें ।

उत्तर – धात्विक खनिजों के दो प्रमुख पहचान हैं-
( i ) गलाने पर इनसे धातु प्राप्त होता है ।
(ii) ये कठोर एवं चमकीले होते हैं जिसे पीटकर तार बनाया जाता है ।

3. खनिजों की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर -खनिजों की प्रमुख विशेषताएँ हैं
( i ) ये प्राकृतिक रूप में पाए जाते हैं ।
( ii ) इनका भौतिक एवं रासायनिक संयोजन निश्चित होता है ।
( iii ) इनका विशिष्ट आंतरिक परमाण्विक संरचना होती है ।
4. लौह अयस्क के दो प्रकारों के नाम लिखें ।
उत्तर – लौह अयस्क के दो प्रकार हैं
( i ) मैग्नेटाइट , ( ii ) हेमाटाइट ।
5. लोहे के प्रमुख उत्पादक राज्यों के नाम लिखें ।

उत्तर – लोहे के प्रमुख उत्पादक राज्यों में कर्नाटक , छत्तीसगढ़ , उड़ीसा , गोवा , झारखंड एवं महाराष्ट्र हैं ।

6. झारखंड के प्रमुख लौह उत्पादक जिलों के नाम लिखिए ।
उत्तर – झारखंड के प्रमुख लौह उत्पादक जिले सिंहभूम , पलामू , धनबाद , हजारीबाग , संथाल परगना एवं राँची हैं ।
7. मैंगनीज के क्या उपयोग हैं ? लिखें ।
उत्तर – मैंगनीज का उपयोग शुष्क बैटरियों के निर्माण में , फोटोग्राफी में , चमड़ा एवं माचिस उद्योग में कीटनाशक दवाओं के निर्माण में तथा पेंट उद्योग में होता है ।

( घ ) खनिज संसाधन प्रश्नोत्तर

8. एल्युमीनियम के उपयोग पर प्रकाश डालें ।
उत्तर – वायुयान निर्माण , विद्युत उपकरण निर्माण , घरेलू साज – सज्जा के सामानों का निर्माण , बरतन बनाने , सफेद सीमेंट तथा रासायनिक वस्तुएँ इत्यादि बनाने में एल्युमीनियम का उपयोग किया जाता है ) . 9.अभ्रक के क्या उपयोग हैं ? लिखें ।
उत्तर – अभ्रक विद्युतरोधक गुणवाला होने के कारण इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग , इलेक्ट्रीकल उद्योग , खिलौना उद्योग एवं आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में किया जाता है ।
10. चूना पत्थर के उपयोग को लिखें ।
उत्तर – चूना पत्थर का उपयोग मुख्य रूप से सीमेंट उद्योग , लौह – इस्पात उद्योग एवं रसायन उद्योग में किया जाता है ।

( घ ) खनिज संसाधन प्रश्नोत्तर

11. खनिजों के संरक्षण एवं प्रबंधन से आप क्या समझते  हैं ?
उत्तर – खनिज राष्ट्रीय संपत्ति है , जो एक बार उपयोग में आने के बाद लगभग समाप्त हो जाते हैं । इन्हें दोबारा उपयोग में नहीं लाया जा सकता है । देश का आर्थिक विकास का प्रत्यक्ष संबंध इन खनिजों से है तथा इनके भंडार सीमित एवं क्षयशील प्रकृति के कारण खनिजों का संरक्षण जरूरी है । इसके लिए इनका विवेकपूर्ण – उपयोग होना चाहिए । खनिजों के विकल्पों की खोज , उनके अपशिष्ट पदार्थों का बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग , पारिस्थितिकीय कुप्रभाव पर नियंत्रण तथा खनिज निर्माण के चक्रिय पद्धति को अपनाना खनिज प्रबंधन कहलाता है । खनिजों के संरक्षण के साथ – साथ प्रबंधन से खनिज संकट पर काबू पाया जाना संभव है ।

III . दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :
1. खनिज कितने प्रकार के होते हैं ? सोदाहरण विवरण दें ।
उत्तर – खनिज प्राकृतिक रूप में पाया जानेवाला वह पदार्थ है , जिसकी भौतिक एवं रासायनिक संरचनाएँ निश्चित होती है तथा आंतरिक परमाण्विक संगठन भी विशिष्ट होता है । खनिज टॉल्क जैसी मुलायम एवं हीरे जैसी कठोर भी होती है । विशिष्ट प्रकार के खनिजों के संयोजन से ही चट्टानों का निर्माण होता है ।
मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं
( क ) घात्विक खनिज ऐसे खनिजों में धातु का अंश होता है । इन्हें पुनः दो उपभागों में बाँटा गया है
( i ) लोहयुक्त खनिज —ऐसे धात्विक खनिजों में लोहा का अंश अधिक पाया जाता है । जैसे लौह अयस्क , मैंगनीज , निकेल , टंगस्टन इत्यादि ।
( ii ) अलौह खनिज – ऐसे धात्विक खनिजों में लोहे का अंश नहीं के बराबर होता है । जैसे सोना , चाँदी , ताँबा , टीन , शीशा इत्यादि ।
( ख ) अधात्विक खनिज इस प्रकार के खनिजों में धातु नहीं मिलते हैं । इनके भी दो उपवर्ग बनाए गए हैं ( i ) कार्बनिक खनिज – ऐसे अधात्विक खनिजों में जीवाश्म या कार्बन के अंश होते हैं । जैसे कोयला , पेट्रोलियम आदि ।

( ii ) अकार्बनिक खनिज ऐसे अधात्विक खनिजों में कार्बन या जीवाश्म नहीं होते हैं । जैसे अभ्रक , ग्रेफाइट आदि । इन खनिजों में लौह खनिजे रवेदार चट्टानों में पाए जाते हैं जबकि अलौह खनिजें सभी प्रकार के चट्टानों में मिलने संभव हैं । इसी तरह घात्विक खनिजें आग्नेय चट्टानों में मिलते हैं । जबकि अधात्विक खनिजें अवसादीय चट्टानों में पाये जाते हैं ।

( घ ) खनिज संसाधन प्रश्नोत्तर

2. धात्विक एवं अघात्विक खनिजों में क्या अंतर है ? तुलना कीजिए ।
उत्तर – खनिजों का मानवीय जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है । ये खनिज किसी भी देश की राष्ट्रीय संपत्ति है , जिस पर देश का आर्थिक विकास निर्भर करता है । खनिजों पर ही देश के औद्योगिक विकास की दशा एवं दिशा निर्भर करती है । दूसरे शब्दों में ” खनिज संसाधन आधुनिक सभ्यता एवं संस्कृति के आधार स्तम्भ माने जाते हैं । ये खनिज निश्चित भौतिक एवं रासायनिक विशिष्टताओं से निर्मित प्राकृतिक पदार्थ हैं जिनका आंतरिक परमाण्विक संगठन भी निश्चित होता है तथा ये ठोस अवस्था में पाए जाते हैं । लगभग 2000 से अधिक प्रकार के खनिजों को पहचाना जा चुका है , परंतु सभी खनिज एक ही प्रकार के नहीं होते हैं । इन्हें प्रमुख रूप से दो वर्गों में बाँटा जाता है ।

( क ) धात्विक खनिज एवं
( ख ) अधात्विक खनिज ।
( क ) धात्विक खनिज वैसे खनिजों को इस वर्ग में रखा जाता है जिनमें धातु होता है जैसे लोहा , तांबा , मैंगनीज , सोना इत्यादि इन्हें पुनः दो उपवर्गों में रखा जाता है ।
( i ) लौहयुक्त खनिज – जिन धात्विक खनिजों में लोहे का अंश अधिक पाया जाता है , उन्हें लौह युक्त खनिज कहा जाता है । जैसे लौह अयस्क , मैंगनीज , टंग्स्टन इत्यादि ।
( ii ) अलौहयुक्त खनिज – जिन धात्विक खनिजों में लोहे का अंश काफी कम होता है , इस वर्ग में शामिल हैं । जैसे – सोना , चाँदी , टीन , ताँबा इत्यादि ।
( ख ) अधात्विक खनिज – इस प्रकार के खनिजों में धातु नहीं पाए जाते हैं । जैसे चूना पत्थर , अभ्रक आदि । अधात्विक खनिज भी दो प्रकार के होते हैं ( i ) कार्बनिक खनिज इन खनिजों में जीवाश्म होते हैं । जैसे – कोयला , पेट्रोलियम आदि ।

( ii ) अकार्बनिक खनिज इनमें जीवाश्म नहीं होता है । जैसे — अभ्रक , ग्रेफाइट आदि ।
धात्विक खनिजें कठोर एवं चमकीले होते हैं जबकि अधात्विक खनिजों की चमक अलग होती है । धात्विक खनिजें प्रायः आग्नेय चट्टानों में मिलते हैं जबकि अधात्विक खनिजें परतदार चट्टानों में प्रायः मिलती हैं । धात्विक खनिजों को पीटकर तार बनाया जा सकता है जबकि अधात्विक खनिजें पीटने पर चूर – चूर हो जाते हैं ।

( घ ) खनिज संसाधन प्रश्नोत्तर
3. भारत के विभिन्न खनिज पेटियों का नाम लिखकर उनका विस्तृत विवरण दीजिए ।
उत्तर – भारत के भूगर्भिक संरचनाओं में विभिन्नता के कारण खनिजों का वितरण काफी असमान है । यहाँ के अधिकतर खनिज प्राचीन समूहों में मिलते हैं । आर्कियन और धारवाड़ समूह के चट्टानों में लौह अयस्क एवं मैगनीज मिलते हैं तो अरावली श्रेणी में जस्ता , ताँबा एवं शीशा पाया जाता है ।

कड़प्पा और विध्यन समूहों में जहाँ चूना पत्थर , जिप्सम एवं डोलोमाइट तथा हीरा पाया जाता है वहीं गोंडवाना चट्टानों में कोयला प्रमुखता से पाया जाता है जबकि टर्शियरी कालीन चट्टानों में लिग्नाइट एवं पेट्रोलियम मिलते हैं । देश का अधिकांश खनिजों का वितरण काफी असमान है । फिर भी इन्हें तीन प्रमुख पेटियों में बाँटा जाता है –
( i ) पूर्वी पठारी क्षेत्र – इसके अंतर्गत झारखंड , असम , मेघालय , उड़ीसा , छत्तीसगढ़ एवं पूर्वी मध्य प्रदेश का क्षेत्र शामिल है । यहाँ कोयला , लौह अयस्क , मैंगनीज , पेट्रोलियम , यूरेनियम , अभ्रक , चूनापत्थर , बॉक्साइट , थोरियम , ताँबा इत्यादि खनिज पाए जाते हैं ।
( ii ) पश्चिमी एवं पश्चिमोत्तर क्षेत्र इस क्षेत्र के अंतर्गत राजस्थान , गुजरात , महाराष्ट्र , पश्चिमी मध्य प्रदेश एवं जम्मू – कश्मीर राज्य शामिल हैं जहाँ कोयला , बॉक्साइट , मैंगनीज , पेट्रोलियम , अबरक , लौह अयस्क , ताँबा प्रमुखता से पाये जाते हैं ।
( iii ) दक्षिणी पठारी क्षेत्र – इस क्षेत्र के अंतर्गत आंध्रप्रदेश , कर्नाटक , केरल एवं तमिलनाडु राज्य आते हैं जहाँ बॉक्साइट , थोरियम , लिग्नाइट , कोयला , लौह अयस्क , मैगनीज , ताँबा , अभ्रक , सोना जैसे खनिजों के भंडार पाए जाते हैं ।

( घ ) खनिज संसाधन प्रश्नोत्तर
4. लौह – अयस्क का वर्गीकरण कर उनकी विशेषताओं को लिखिए ।
उत्तर – लौह – अयस्क में उपलब्ध लौहांश की मात्रा को ध्यान में रखकर लौह – अयस्क को तीन भागों में वर्गीकृतकर अध्ययन किया जा सकता है ।
( a ) हेमेटाइट – इस लौह – अयस्क में लौहांश सर्वाधिक 68 प्रतिशत पाया जाता है । इससे लकीर खींचने पर लाल उगता है , जिस कारण इसे लाल अयस्क भी कहा जाता है । भारत में इसके लगभग 12317 मिलिन टन भंडार उपलब्ध हैं ।
( b ) मैग्नेटाइट – इसमें लौहांश की मात्रा 60 प्रतिशत होती है । घिसने पर काला रंग दिखता है । अत : इसे काला अयस्क के नाम से जाना जाता है । भारत में इसके 540 मिलियन टन भंडार उपलब्ध हैं ।
( c ) लिमोनाइट — यह सबसे घटिया किस्म का लौह – अयस्क है , जिसमें लौहांश की मात्रा 40 प्रतिशत से भी कम होता है । पीला अयस्क के नाम से जाना जाता है । भण्डार का आकलन अभी परीक्षणाधीन है ।

5 . भारत में लौह – अयस्क के वितरण एवं उत्पादन का वर्णन करें ।
उत्तर – लोहा औद्योगीकरण की रीढ़ है । जिस पर देश का आर्थिक विकास निर्भर करता है । भारत में लौह – अयस्क का कुल भंडार का 84 % हेमाटाइट प्रकार है । इसके अतिरिक्त मैग्नेटाइट एवं लिमोनाइट के भंडार भी यहाँ हैं । देश में इसके अयस्क का वितरण प्राय : सभी राज्यों में है । जिनमें प्रमुख हैं-
( i ) कर्नाटक यहाँ देश का एक चौथाई लोहा उत्पन्न होता है । उसका उत्पादन बेल्लारी , कुद्रेमुख , बाबाबूदन एवं केमनगुडी की खानों से होता है ।
( ii ) छत्तीसगढ़ – कर्नाटक के बाद यह देश का दूसरा प्रमुख लौह अयस्क उत्पादक राज्य है । यहाँ से लगभग 20 % लोहा प्राप्त होता है जिसका खनन बैलाडिला , डाली , राजहरा इत्यादि से होता है । यहाँ से उत्पादित लोहे का निर्यात विशाखापतनम बंदरगाह से किया जाता है ।
( iii ) उड़ीसा – यहाँ से 19 % लोहा प्राप्त होता है जो गुरु महिषानी एवं बादाम पहाड़ तथा किरीबुरू से निकाला जाता है ।
( iv ) गोवा देश का 16 % लौह उत्पादन वाला यह राज्य देश का चौथा स्थान रखता है । जहाँ साहफ्वालिम , संग्यूम , सतारी , पौंडा एवं वियोलिम इत्यादि खानों से लौह अयस्क निकाला जाता है । ( v ) झारखंड – यह सिंहभूम , पलामू , धनबाद , हजारीबाग , राँची एवं संथाल परगना क्षेत्र से देश के कुल लौह अयस्क उत्पादन का 15 % हिस्सा उत्पादित होता है ।
इन प्रमुख उत्पादक राज्यों के अतिरिक्त महाराष्ट्र , कर्नाटक , आंध्रप्रदेश एवं तमिलनाडु राज्यों से भी लौह अयस्क निकाला जाता है

( घ ) खनिज संसाधन प्रश्नोत्तर

6. मैंगनीज अथवा बॉक्साइट की उपयोगिता तथा देश में इनके वितरण का वर्णन कीजिए ।

उत्तर – मैंगनीज की उपयोगिता एवं वितरण मैंगनीज का उपयोग इस्पात सहित विभिन्न मिश्रधातु बनाने में किया जाता है । इससे निर्मित इस्पात जंगरोधी होते हैं । इसके अतिरिक्त शुष्क शेल बनाने में , फोटोग्राफी में , चमड़ा एवंमाचिस उद्योग में , रग – रोगन आदि कार्यों में भी मैंगनीज का उपयोग होता है । भारत में विश्व का 20 प्रतिशत मैंगनीज ( 1670 लाख टन ) संचित है । उत्पादन में रूस एवं द . अफ्रीका के बाद यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है । यहाँ मैंगनीज के भंडार उड़ीसा , मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र , कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश राज्य में फैले हैं ।

अकेले उड़ीसा देश का 37 प्रतिशत मैंगनीज उत्पादन करता है । बॉक्साइट की उपयोगिता एवं वितरण बॉक्साइट एक अलौह धातु निक्षेप है । भारत के पास इसके पर्याप्त संचित भण्डार हैं । इससे अल्युमीनियम प्राप्त किया जाता है । जिसका बहुमुखी उपयोग आधुनिक युग में हो रहा है । इसका उपयोग वायुयान निर्माण , विद्युत उपकरण निर्माण , घरेलू साज – सज्जा सामग्रियों का निर्माण , वर्तन निर्माण , सफेद सिमेन्ट निर्माण एवं रसायनों के निर्माण में किया जाता है

। भारत में लगभग 3037 मिलियन टन बॉक्साइट के अनुमानित भंडार उपलब्ध हैं । इसका भंडार मुख्य रूप से उड़ीसा , गुरात , झारखंड , महाराष्ट्र , छत्तीसगढ़ , कर्नाटक , तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश में अवस्थित हैं । देश का 42 प्रतिशत बॉक्साइट का उत्पादन अकेले उड़ीसा राज्य करता है । इसके प्रमुख उत्पादन क्षेत्र कालाहांडी , बालंगीर , कोरापुट , सुन्दरगढ़ तथा संभलपुर है । गुजरात में 17.35 प्रतिशत बॉक्साइट उत्पादन होता है ।

इसके साथ ही गुजरात देश का दूसरा बड़ा उत्पादक राज्य है । जामनगर , कैगा , सबरकंठ , कच्छ तथा सूरत प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है । झारखंड को देश में तीसरा स्थान प्राप्त है । यहाँ देश का 14 प्रतिशत बॉक्साइट का उत्पादन राँची , लातेहार , पलामू , लोहरदग्गा जिलों से होता है । इसके अतिरिक्त भी कई राज्यों में अनेक बॉक्साइट उत्पादक क्षेत्र हैं । जहाँ न्यून मात्रा में बॉक्साइट का उत्खनन होता है ।

प्रश्न 7. अभ्रक की उपयोगिता एवं वितरण पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर – अभ्रक की उपयोगिता – अभ्रक एक विद्युतरोधी अधात्विक खनिज है । विद्युतरोधी होने को कारण इस खनिज का सर्वाधिक उपयोग विद्युत उपकरण के निर्माण में किया जाता है । इसके तिरिक्त इसका उपयोग साज – सज्जा सामग्रियाँ , रंग – रोगन की वस्तुओं के निर्माण में भी होता है ।

अभ्रक का वितरण – अभ्रक के उत्पादन में भारत विश्व का सिरमौर है । भारत में अभ्रक की तीन पेटियाँ हैं , जो बिहार , झारखंड , आंध्र प्रदेश तथा राजस्थान राज्यों में विस्तृत हैं । भारत में अभ्रक के कुल भंडार 59065 टन है । बिहार एवं झारखंड में उत्तम कोटि के अभ्रक ‘ रूबी अभ्रक ‘ का उत्पादन होता है ।

बिहार में गया , मुंगेर एवं भागलपुर जिलान्तर्गत इसके उत्पादन होते हैं । वहीं झारखंड में हजारीबाग , धनबाद , पलामू , राँची एवं सिंहभूम जिलों में अभ्रक की खानें है । बिहार एवं झारखंड भारत के 80 प्रतिशत अभ्रक का उत्पादन करते हैं । आंध्र प्रदेश के नेल्लूर जिला , राजस्थान अंतर्गत उदयपुर , जयपुर , भीलवाड़ा , अजमेर आदि जिलों में अभ्रक के उत्खनन होते हैं ।

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प्रश्न 8. खनिजों के संरक्षण के उपाय सुझाइए ।
उत्तर – खनिज क्षयशील एवं अनवीकरणीय संसाधन हैं । इनके भंडार सीमित हैं और पुनर्निर्माण भी असंभव है । क्योंकि इनका निर्माण एक जटिल एवं लंबी प्रक्रिया से होता है । खनिज आधुनिक औद्योगिक जगत् के आधार हैं । औद्योगिक विकास के क्रम में खनिजों का अतिशय दोहन एवं उपयोग उनके अस्तित्व को संकटग्रस्त कर दिया है । अतः खनिजों का संरक्षण एवं प्रबंधन अपरिहार्य है । खनिजों का संरक्षण तीन बातों पर निर्भर है : –
( i ) खनिजों के निरंतर दोहन पर नियंत्रण ।
( ii ) उनका विवेकपूर्ण उपयोग जिससे खनिज का बचत किया जा सके ।
( iii ) कच्चे माल के रूप में इनके विकल्पों की खोज।
उपर्युक्त बातों को अमल में लाकर खनिज के संकटग्रस्त अस्तित्व की रक्षा की जा सकती है ।

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