हिंद चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन

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हिंद चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Notes, हिंद-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Subjective
Hind-Chin Mein Rashtrawadi Andolan ( Subjective Question Answer ) || हिंद-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) || Nationalist Movement in Indo-China ( Long Type Question )
Hind-Chin Mein Rashtrawadi Andolan ka Subjective Question : अगर आप 10वीं कक्षा का छात्र हैं। तो आपके लिए यहाँ पर History का Subjective Question दिया गया है। जिसे आप किसी भी समय पढ़ सकते हैं

हिंद-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
Hind-Chin Mein Rashtrawadi Andolan ka Subjective Question

हिंद चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन

1. हिंद-चीन में राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करें।

उत्तर ⇒ हिंद-चीन में राष्ट्रवाद के विकास में अनेक तत्त्वों का योगदान था, जिनमें औपनिवेशिक शोषण की नीतियों तथा स्थानीय आंदोलनों ने काफी बढ़ावा दिया। 20 वीं शताब्दी के शुरुआत में यह विरोध और मुखर होने लगा। उसी परिपेक्ष्य में 1903 ई० में फान-बोई-चाऊ ने ‘दुई तान होई’ नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की जिसके नेता कुआंग दें थे। फान-बोई-चाऊ ने “द हिस्ट्री ऑफ द लॉऑफ वियतनाम” लिखकर हलचल पैदा कर दी।

1905 में जापान द्वारा रूस को हराया जाना हिंद-चीनियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया। साथ ही रूसो एवं मांटेस्क्यू जैसे फ्रांसीसी विचारकों के विचार भी इन्हें उद्वेलित कर रहे थे। इसी समय एक-दूसरे राष्ट्रवादी नेता फान-चू-त्रिन्ह हुए जिन्होंने राष्ट्रवादी आंदोलन के राजतंत्रीय स्वरूप की गणतंत्रवादी बनाने का प्रयास किया। जापान में शिक्षा प्राप्त करने गए छात्र इसी तरह के विचारों के समर्थक थे। इन्हीं। छात्रों ने वियतनाम कुवान फुक होई (वियतनाम मुक्ति एसोसिएशन) की स्थापना की।

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हालाँकि हिंद-चीन में प्रारंभिक राष्ट्रवाद का विकास कोचिन-चीन, अन्नाम, तोकिन जैसे शहरों तक ही सीमित था, परंतु जब प्रथम विश्वयुद्ध शुरू हुआ तो इन्हीं प्रदेशों के हजारों लोगों को सेना में भर्ती किया गया, हजारों मजदूरों को बेगार के। लिए फ्रांस ले जाया गया। युद्ध में हिंद-चीनी सैनिकों की ही बड़ी संख्या में मृत्यु हुई। इन सब बातों की तीखी प्रतिक्रिया हिंद-चीनी लोगों पर हुई और 1914 ई० में ही देशभक्तों ने एक “वियतनामी राष्ट्रवादी दल” नामक संगठन बनाया 1930 के दशक की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी ने भी राष्टवाद के विकास में । योगदान किया।

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2. हिन्द-चीन उपनिवेश स्थापना का उद्देश्य क्या था ?

अथवा, हिन्द-चीन में फ्रांसीसियों द्वारा उपनिवेश स्थापना के किन्ही तान उद्देश्यों का उल्लेख करें।

उत्तर ⇒ फ्रांस द्वारा हिन्द-चीन में उपनिवेश स्थापना के उद्देश्य इस प्रकार थे

(i) व्यापारिक प्रतिस्पर्धा – फ्रांस द्वारा हिन्द-चीन में उपनिवेश स्थापना का मुख्य उद्देश्य डच एवं ब्रिटिश कंपनियों के व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना था। भारत में फ्रांसीसी पिछड़ रहे थे तथा चीन में उनके व्यापारिक प्रतिद्वंद्वी मुख्यतः अंग्रेज थे। अतः सुरक्षात्मक आधार के रूप में उन्हें हिन्द-चीन का क्षेत्र उचित लगा जहाँ से वे भारत एवं चीन दोनों तरफ कठिन परिस्थितियों को संभाल सकते थे।

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(ii) कच्चे माल तथा बाजार की उपलब्धता- औद्योगिक क्रांति के बाद विभिन्न उद्योगों के सुचारुपूर्वक संचालन के लिए भारी मात्रा में कच्चा माल तथा तैयार उत्पादों की खपत हेतु बाजार की आवश्यकता थी। अतः इन दोनों आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उपनिवेश की स्थापना आवश्यक हो गई।

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(iii) गोरे होने का दायित्व – यूरोपीय गोरे लोगों का यह स्वघोषित दायित्व था कि वे पिछड़े काले लोगों के समाज को सभ्य बनाएँ। वे इसे ईश्वर प्रदत्त दायित्व समझते थे।इसके अतिरिक्त कैथोलिक धर्म का प्रचार भी उपनिवेश स्थापना का एक उद्देश्य था।

हिंद चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Notes

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3. माई-ली गाँव की घटना क्या थी ? इसका क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर ⇒1968 में युद्ध के दौरान दक्षिण वियतनाम के एक गाँव माई-ली में लोमहर्षक घटना घटी। अमेरिकी सेना ने अपनी पराजय की बौखलाहट में इस गाँव पर आक्रमण कर दिया। पूरे गाँव को घेरकर पुरुषों को मार दिया गया। स्त्रियाँ, यहाँ तक कि बच्चियों के साथ सामूहिक बलात्कार कर उनकी भी हत्या कर दी गई। उसके बाद पूरे गाँव को आग लगाकर जला दिया गया। समाचार-पत्रों ने इस घटना का विवरण छापा। इससे अमेरिका के प्रति तीखी प्रतिक्रिया हुई तथा अमेरिकन प्रशासन की कटु आलोचना हुई।

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प्रभाव- अमेरिका ने वियतनामी युद्ध में जो नीति अपनाई उसकी तीखी भर्त्सना हुई। अमेरिका में ही नागरिक सरकारी नीतियों के विरोधी हो गए। वियतनाम में अमेरिका की विफलता स्पष्ट हो गयी। उसे न तो वियतनामी जनता का समर्थन मिला और न ही वियतनामियों के प्रतिरोध को दबा सका। अमेरिकी धन-जन की भी क्षति हुई। वियतनामी युद्ध को “पहला टेलीविजन युद्ध” कहा गया। युद्ध के लोमहर्षक दृश्यों को देखकर अमेरिका और राष्ट्रपति निक्सन की सर्वत्र आलोचना होने लगी। बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय दबाव और आलोचना के वशीभूत राष्ट्रपति निक्सन ने 1970 में शांति वार्ता के लिए “पाँच सत्री प्रस्ताव” प्रस्तुत किया।

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4. वियतनाम के स्वतंत्रता संग्राम में हो ची मिन्ह के योगदान का मूल्यांकन करें।

उत्तर ⇒ वियतनामी स्वतंत्रता के नेता हो ची मिन्ह थे। उनका मूल नाम नगूयेन सिन्ह कुंग था। वे गूयेन आई क्वोक के नाम से जाने जाते थे। उनका जन्म 19 मई, 1890 को मध्य वियतनाम के एक गाँव के गरीब परिवार में हुआ था। उन्होंने पेरिस और मास्को में शिक्षा ग्रहण की थी। वे मार्क्सवादी विचारधारा से गहरे रूप से प्रभावित थे।

उनका मानना था कि संघर्ष के बिना वियतनाम को आजादी नहीं मिल सकती है। फ्रांस में रहते हुए 1917 में उन्होंने वियतनामी साम्यवादियों का एक गुट बनाया। लेनिन द्वारा कॉमिन्टन की स्थापना के बाद वे इसके सदस्य बन गए। साम्यवाद से प्रेरित होकर 1925 में उन्होंने वियतनामी क्रांतिकारी दल का गठन किया। फरवरी, 1930 में हो ची मिन्ह ने वियतनाम के विभिन्न समूह के राष्ट्रवादियों को एकजुट किया।

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स्वतंत्रता संघर्ष प्रभावशाली ढंग से चलाने के लिए उन्होंने 1930 में वियतनामी कम्युनिस्ट पार्टी (वियतनाम कांग सान देंग) की स्थापना की। यह दल उग्र विचारधारा का समर्थक था। इस दल का नाम बाद में बदलकर इंडो-चाइनिज कम्युनिस्ट पार्टी कर दिया गया। इसी दल के अधीन और हो ची मिन्ह के नेतृत्व में वियतनाम ने स्वतंत्रता प्राप्त की।

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5. वियतनाम में साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष में महिलाओं की भूमिका की विवेचना करें।

उत्तर ⇒ वियतनाम के राष्ट्रवादी आंदोलन में महिलाओं की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण थी। युद्ध और शांति दोनों काल में उन. लोगों ने पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर सहयोग किया। स्वतंत्रता संग्राम में वे विभिन्न रूपों में भाग लेने लगी; छापामार योद्धा के रूप में; कली के रूप में अथवा नर्स के रूप में। समाज ने उनकी १२ मूमका को सराहा और इसका स्वागत किया। वियतनामी राष्ट्रवाद के विकास के साथ स्त्रियाँ बड़ी संख्या में आंदोलनों में भाग लेने लगी। स्त्रियों को राष्ट्रवादी धारा में आकृष्ट करने के लिए बीते वक्त की वैसी महिलाओं का गुणगान किया जान लगा।

जिन लोगों ने साम्राज्यवाद का विरोध करते हुए राष्ट्रवादी आंदोलनों में भाग लिया था। राष्ट्रवादी नेता फान बोई चाऊ ने 1913 में ट्रंग बहनों के जीवन पर एक नाटक लिखा। इन बहनों ने वियतनाम पर चीनी आधिपत्य के विरुद्ध होने वाले युद्ध में भाग लिया। युद्ध में पराजय निकट देखकर इन लोगों ने हथियार डालने की बजाय आत्महत्या कर ली। इस नाटक ने वियतनामी समाज पर गहरा प्रभाव डाला। ट्रंग बहने वीरता और देशभक्ति की प्रतीक बन गई।

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ट्रंग बहनों के समान त्रियुआयू का भी महिमागान किया गया। उसे देश के लिए शहीद होनेवाली देवी के रूप में प्रस्तुत किया गया। इससे वियतनामी स्त्रियों के ऊपर गहरा प्रभाव पड़ा। इनसे प्रेरणा लेकर बड़ी संख्या में स्त्रियाँ स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगी।

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हिंद-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Subjective question
6. फ्रांसीसी शोषण के साथ-साथ उसके द्वारा किये गये सकारात्मक कार्यों की समीक्षा करें।

उत्तर ⇒ हिंद-चीन में फ्रांसीसी अपनी प्रभुसता स्थापित करने के बाद वहाँ अनेक तरह से शोषण जारी रखा, साथ ही कुछ सकारात्मक कार्य भी किये गए। सर्वप्रथम फ्रांसीसियों ने शोषण के साथ-साथ कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नहरों एवं जल निकासी का समुचित प्रबंध किया और दलदली भूमि, जंगलों आदि में कृषि क्षेत्र को बढ़ाया जाने लगा। इन प्रयासों का ही फल था कि 1931 ई० तक वियतनाम विश्व का तीसरा बड़ा चावल निर्यातक देश बन गया।

कृषि के विकास के अतिरिक्त फ्रांसीसी सरकार ने संरचनात्मक विकास के लिए अनेक परियोजनाएँ आरंभ की। यह कार्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के अतिरिक्त प्रशासनिक और सैनिक उद्देश्य से भी किया गया। एक विशाल रेल नेटवर्क द्वारा पूरे इंडो-चाईना को जोड़ दिया गया। बंदरगाहों का भी विकास किया गया। सड़कों का जाल-सा विछा दिया गया। फलस्वरूप 1920 के दशक तक व्यापार-वाणिज्य का काफी विकास हुआ जिसका लाभ फ्रांसीसियों ने उठाया।

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फ्रांसीसियों ने सोची-समझी नीति के अनुरूप वियतनाम में अपनी नई शैक्षणिक नीति लागू की। जहाँ तक शिक्षा का प्रश्न था अब तक परंपरागत स्थानीय भाषा अथवा चीनी भाषा में शिक्षा पा रहे लोगों को अब फ्रांसीसी भाषा में शिक्षा दी जाने लगी। 1907 में वियतनाम में टॉकिन फ्री स्कूल स्थापित किए गए। इनका उद्देश्य वियतनामियों को पश्चिमी शिक्षा दिलाना था।

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7. कंबोडिया के इतिहास में नरोत्तम सिंहानुक की भूमिका का उल्लेख कीजिए।

उत्तर ⇒ लाओस के समान कंबोडिया को भी 1954 के जेनेवा समझौता के अनुसार स्वतंत्रता मिली। कंबोडिया में नरोत्तम सिंहानुक को शासक बनाया गया। उसने तटस्थतावादी नीति अपनाई तथा वामपंथियों एवं दक्षिणपंथियों के संघर्ष से अपने को अलग रखा। अमेरिका ने उसे अपने प्रभाव में लाने का प्रयास किया तथा थाइलैंड ने कंबोडिया में अशांति फैलाने की कोशिश की। अतः सिंहानुक ने चीन और जर्मनी से संबंध बढ़ाए।

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इससे कुपित होकर अमेरिका ने कंबोडिया पर बमबारी की और 1970 में दक्षिण पंथियों की सहायता से उसे पदच्युत कर दिया। सिंहानुक ने पंकिंग में अपनी सरकार बनाई तथा दक्षिणपंथी शासक लोन नोल के विरुद्ध संघर्ष आरंभ कर दिया। लोन नोल की सहायता के लिए अमेरिका ने सेना भेज दी। 1975 में सिंहानुक की लाल खमेर सेना ने राजधानी नाम पेन्ह पर अधिकार कर लिया। स्वदेश लौटकर सिंहानुक 1975 में राष्ट्राध्यक्ष बने। 1978 में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया।

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इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन प्रश्न उत्तर
8. अमेरिकी वियतनामी युद्ध में हो ची मिन्ह भूलभुलैया मार्ग की क्या भूमिका थी ?

उत्तर ⇒ अमेरिकी वियतनाम युद्ध में हो ची मिन्ह मार्ग की काफी महत्त्वपूर्ण का थी। यद्यपि अमेरिकी फौज ने इस मार्ग को बाधित करने तथा इसे नष्ट करने भी काफी प्रयास किया। इस मार्ग पर बम भी बरसाए गए, परंतु वियतनामियों ने मार्ग को बनाए रखा। इसको क्षतिग्रस्त होने पर इसकी तत्काल मरम्मत कर ली होती थी। उत्तर से दक्षिण वियतनाम तक सैनिक साजो-सामान और रसद पहुँचाने के लिए वियेतमिन्ह द्वारा हो ची मिन्ह ‘भूल भुलैया मार्ग’ का सहारा लिया गया। यह मार्ग वियतनाम के बाहरी इलाकों में लाओस और कंबोडिया होता हुआ उनी वियतनाम से दक्षिणी वियतनाम पहुँचता था।

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अनुमानतः प्रतिमाह बीस हजार उत्तरी वियतनाम के योद्धा इस मार्ग द्वारा दक्षिणी वियतनाम पहुँचते थे। इस मार्ग में स्थान-स्थान पर विद्रोही वियतनामियों ने सैनिक छावनियाँ और युद्ध में घायलों की चिकित्सा के लिए चिकित्सालय बनवा रखे थे। इसी मार्ग द्वारा रसद और अन्य आवश्यक सामग्रियाँ भेजी जाती थी। ज्यादातर सामानों की ढुलाई महिला-कुली करती थी। इसी मार्ग पर नियंत्रण करने के उद्देश्य से अमेरिका लाओस एवं कम्बोडिया पर आक्रमण भी कर दिया था, परंतु तीन तरफा संघर्ष में फंस कर उसे वापस होना पड़ा था।

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